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संपीडित वायु

सूची संपीडित वायु

वायवीय सर्किट. वायु में दबाव होता है। साधारणतया इसकी अनुभूति हमें नहीं होती। यदि हमारे शरीर के किसी अंग से वायु निकाल ली जाए, तब वायु के दबाव की अनुभूति हमें सरलता से हो जाती है। समुद्रतल पर वायु के दबाव की मात्रा ७६० मिमी पारे से दाब के तुल्य होती है। जैसे जैसे हम वायु में ऊपर उठते हैं, तैसे तैसे दबाव कम होता जाता है। यहाँ तक कि कुछ पहाड़ के शिखरों पर दबाव की मात्रा प्रति वर्ग इंच 9 पाउंड भार तक पाई गई है। वायु को दबाया भी जा सकता है। दबाने से उसका दबाव बढ़ जाता है। ऐसी दबी हुई वायु का संपीडित वायु (compressed air) कहते हैं। दबाने की इस क्रिया का 'संपीडित करना' कहते हैं। संपीडन से वायु का आयतन कम हो जाता है और दबाव बढ़ जाता है। इस प्रकार वायु का दबाव काफी ऊँचा बढ़ाया जा सकता है। .

9 संबंधों: दाब, पर्वत, पारा, संपीडित वायु ऊर्जा भण्डारण, संवातन, वायु, वार्निश, आयतन, कीलक

दाब

दाब का मान प्रदर्शित करने के लिये पारा स्तंभ किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले अभिलम्ब बल को दाब (Pressure) कहते हैं। इसकी इकाई 'न्यूटन प्रति वर्ग मीटर' होती है। दाब की और भी कई प्रचलित इकाइयाँ हैं। p .

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पर्वत

माउंट एवरेस्ट, दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत (दाहिनी ओर)। बाएँ ओर की चोटी नुप्त्से है। पर्वत या पहाड़ पृथ्वी की भू-सतह पर प्राकृतिक रूप से ऊँचा उठा हुआ हिस्सा होता है, जो ज़्यादातर आकस्मिक तरीके से उभरा होता है और पहाड़ी से बड़ा होता है। पर्वत ज़्यादातर एक लगातार समूह में होते हैं। पर्वत ४ प्रकर के होते है.

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पारा

साधारण ताप पर पारा द्रव रूप में होता है। पारे का अयस्क पारा या पारद (संकेत: Hg) आवर्त सारिणी के डी-ब्लॉक का अंतिम तत्व है। इसका परमाणु क्रमांक ८० है। इसके सात स्थिर समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९६, १९८, १९९, २००, २०१, २०२ और २०४ हैं। इनके अतिरिक्त तीन अस्थिर समस्थानिक, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९५, १९७ तथा २०५ हैं, कृत्रिम साधनों से निर्मित किए गए हैं। रासायनिक जगत् में केवल यही धातु साधारण ताप और दाब पर द्रव रूप होती है। .

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संपीडित वायु ऊर्जा भण्डारण

संपीडित वायु से चलने वाली गाड़ी ऊर्जा भण्डारण की इस विधि में ऊर्जा को संपीडित वायु के रूप में रखा जाता है। इसी लिये इसे संपीडित वायु ऊर्जा भण्डारण (Compressed air energy storage (CAES)) कहते हैं। .

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संवातन

'वायु हैंडिल करने वाले पंप' किसी केंद्रीय स्थान पर रखे लगाये गये होते हैं और वायु को गरम या ठण्डा करने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी स्थान से गंदी वायु निकालकर वहाँ स्वच्छ वायु पहुँचाना संवातन कहलाता है। संवातन संबंधी विचारों में स्थान स्थान पर बहुत विविधता पाई जाती है। किसी देश में तो खुली हवा का प्रवेश, चाहे उससे ताप गिरता ही क्यों न हो, स्वास्थ्य और सुख के लिये अनिवार्य समझा जाता है इसके विपरीत जर्मनी में यह विशेष ध्यान रखा जाता है कि जाड़े में हवा कमरे में से होकर न आने पाए। फिर भी वहाँ इसका कोई दुष्प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं होता। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय गैसरोधक कक्षों से यह अनुभव प्राप्त हुआ कि शरीर से विकीर्ण ऊष्मा दीवार आदि जिन तलों पर पड़ती है उनका क्षेत्रफल ही सुखानुभूति की कसौटी है, न कि वायु में मिश्रित कार्बन डाईऑक्साइड का अंश। प्राकृतिक संवातन भीतर और बाहर के ताप के अंतर तथा वायु की दिशा और गति के अधीन है। इसपर यांत्रिक साधनों द्वारा, जैसे वायु का प्रवेश कराने या निकालनेवाले पंखों द्वारा, पूर्ण नियंत्रण रखना संभव है। सामान्य निवासभवनों के लिये इससे काम चल जाता हैं, किंतु खानों तथा कई प्रकार के कारखानों में, जहाँ काम आनेवाले पदार्थ, रंग, धुआँ, धातु, लकड़ी आदि, के कणों से मिश्रित धूल श्रमिकों की साँस के साथ प्रविष्ट हो सकती है, कानूनन्‌ यह आवश्यक है कि ऐसी धूल हटाने के लिये मूल स्रोत पर निकासपंखे लगाए जाएँ। ऐसी दशा में प्राकृतिक संवातन पर भरोसा न करके पूर्णतया कृत्रिम संवातन का प्रबंध किया जाता है। श्रेणी:तरल गतिकी * श्रेणी:तापन, संवातन और वातानुकूलन.

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वायु

वायु पंचमहाभूतों मे एक हैं| अन्य है पृथिवी, जल, अग्नि व आकाश वायु वस्तुत: गैसो का मिश्रण है, जिसमे अनेक प्रकार की गैस जैसे जारक, प्रांगार द्विजारेय, नाट्रोजन, उदजन ईत्यादि शामिल है।.

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वार्निश

संग्रहालय में वार्निश की हुईं कुछ लकड़ी की वस्तुएँ रोगन या वार्निश (अंग्रेजी:Varnish) एक पदार्थ है जो लकड़ी तथा अन्य कुछ पदार्थों के ऊपर लगायी जाती है जिससे उनकी सुरक्षा हो और वे सुन्दर दिखें। वार्निश के लेप चढ़ाने का उद्देश्य किसी तल को चिकना, चमकीला और आकर्षक बनाना होता है। यदि तल लकड़ी का है, तो तल की कीटों से रक्षा भी वार्निश से हो सकती है। यदि तल धातुओं का है, तो उसपर वायु, जल, प्रकाश आदि, से रक्षा कर मुरचा लगने से उसे बचाया जा सकता है। .

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आयतन

सभी पदार्थ स्थान (त्रि-बीमीय स्थान) घेरते हैं। इसी त्रि-बीमीय स्थान की मात्रा की माप को आयतन कहते हैं। एक-बीमीय आकृतियाँ (जैसे रेखा) एवं द्वि-बीमीय आकृतियाँ (जैसे त्रिभुज, चतुर्भुज, वर्ग आदि) का आयतन शून्य होता है। .

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कीलक

कीलक (Rivet) एक स्थायी यांत्रिक योक्‍ता (fastener) है। श्रेणी:यांत्रिक योक्‍ता en:Rivet.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

दाबित वायु, दाबित गैस, संपीडित गैस

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