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संदर्भ विन्यास

सूची संदर्भ विन्यास

संदर्भ विन्यास (फ्रेम ऑफ रिफरेन्स) एक ऐसी निर्देशांक पद्धति या अक्षों का समूह है जिनमे किसी वस्तु का स्थान, अभिविन्यास और अन्य गुणों को मापा जा सकता है। .

3 संबंधों: निर्देशांक पद्धति, जड़त्वीय फ्रेम, कार्तीय निर्देशांक पद्धति

निर्देशांक पद्धति

दो आयाम (डिमॅनशनों) में ध्रुवीय निर्देशांक पद्धति में किसी भी बिंदु का स्थान उसके कोण और त्रिज्या (रेडियस) से पूर्णतः निर्धारित हो जाता है निर्देशांक पद्धति (अंग्रेजी: coordinate system) ज्यामिति में ऐसी प्रणाली को कहते हैं जिसमें एक या उस से अधिक अंकों के प्रयोग से किसी भी बिंदु का किसी दिक् (स्पेस) में स्थान पूर्ण रूप से बताया जा सके। यह दिक् मनुष्यों का जाना-पहचाना त्रिआयामी (तीन डिमॅनशनों वाला) हो सकता है या फिर ऐसा कोई उलझा हुआ बहुमोड़ (मैनीफ़ोल्ड) दिक् जिसकी गणित में कल्पना की जाती है। सरल एक, दो या तीन आयामों वाले दिक् में अक्सर कार्तीय निर्देशांक पद्धति का प्रयोग किया जाता है, हालांकि ध्रुवीय (पोलर) पद्धति जैसी अन्य प्रणालियाँ भी उपलब्ध हैं।, Edward J. Denecke, Jr., pp.

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जड़त्वीय फ्रेम

जड़त्वीय फेम तथा घूर्णी फ्रेम (दाहिने) भौतिकी में जड़त्वीय फ्रेम (inertial frame या inertial frame of reference) वह संदर्भ विन्यास (फ्रेम ऑफ रिफरेन्स) है जो समय तथा स्पेस को समांग, समदैशिक और समय-निरपेक्ष (time-independent) मानता है। इसको 'गैलीली फ्रेम' भी कहते हैं। जड़त्वीय फ्रेम में जड़त्व का नियम (न्यूटन की गति का प्रथम नियम) वैध है। (जबकि अजड़त्वीय फ्रेम में यह वैध नहीं है।) सारे जड़त्वीय निर्देश तंत्र एक दूसरे से परस्पर सरल रेखीय और एकसामान दर की गति में होते हैं; वह त्वरित नहीं होते हैं। दूसरे शब्दों में, किसी जड़त्वीय फ्रेम के सापेक्ष सरल रेखीय और एकसामान गति करने वाला फ्रेम भी जड़त्वीय होगा। इसका अर्थ यह है कि त्वरणमापी यन्त्र अगर इनमें स्थिर रखा जाये तो वह शून्य त्वरण मापेगा। पूर्णतः जड़त्वीय फ्रेम प्राप्त करना एक कठिन काम है। सभी जड़त्वीय फ्रेम 'लगभग' जड़त्वीय होते हैं। धरती भी पूर्णतः जडत्वीय फ्रेम नहीं है, बल्कि 'लगभग जड़त्वीय फ्रेम' है। .

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कार्तीय निर्देशांक पद्धति

Fig. 1 - कार्तीय निर्देशांक पद्धति. चार बिन्दु प्रकट हैं: (2,3) हरे मै, (-3,1) लाल मै, (-1.5,-2.5) नीले मै और (0,0), मूल बिन्दु, पीले में. गणित में कार्तीय निर्देशांक पद्धति (cartesian coordinate system), समतल मे किसी बिन्दु की स्थिति को दो अंको के द्वारा अद्वितीय रूप से दर्शाने के लिए प्रयुक्त होती है। इन दो अंको को उस बिन्दु के क्रमशः X-निर्देशांक व Y-निर्देशांक कहा जाता है। इसके लिये दो लंबवत रेखाएं निर्धारित की जाती हैं जिन्हे X-अक्ष और Y-अक्ष कहते हैं। इनके कटान बिन्दु को मूल बिन्दु (origin) कहते हैं। जिस बिन्दु की स्थिति दर्शानी होती है, उस बिन्दु से इन अक्षों पर लम्ब डाले जाते हैं। इस बिन्दु से Y-अक्ष की दूरी को उस बिन्दु का X-निर्देशांक या भुज कहते हैं। इसी प्रकार इस बिन्दु की X-अक्ष से दूरी को उस बिन्दु का Y-निर्देशांक या कोटि कहते है। उदाहरण के लिये यदि किसी बिन्दु की Y-अक्ष से (लम्बवत) दूरी a तथा X-अक्ष से दूरी b हो तो क्रमित-युग्म (a,b) को उस बिन्दु का कार्तीय निर्देशांक कहते हैं। .

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