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संचित निधि (कोष)

सूची संचित निधि (कोष)

सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, बाजार से लिए गए ऋण और स्वीकृत ऋणों पर प्राप्त ब्याज संचित निधि (Consolidated Fund) में जमा होते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 के तहत स्थापित है यह ऐसी निधि है जिस में समस्त एकत्र कर/राजस्व जमा, लिये गये ऋण जमा किये जाते है यह भारत की सर्वाधिक बडी निधि है जो कि संसद के अधीन रखी गयी है कोई भी धन इसमे बिना संसद की पूर्व स्वीकृति के निकाला/जमा या भारित नहीं किया जा सकता है अनु 266 प्रत्येक राज्य की समेकित निधि का वर्णन भी करता है .

4 संबंधों: भारत का संविधान, आकस्मिकता निधि, कर, कर्मचारी भविष्य निधि

भारत का संविधान

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। .

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आकस्मिकता निधि

अनु 267 संसद को निधि जो कि आपातकाल में प्रयोग की जा सकती हो स्थापित करने का अधिकार देता है यह निधि राष्ट्रपति के अधीन है इससे खर्च धन राष्ट्रपति की स्वीकृति से होता है परंतु संसद के समक्ष इसकी स्वीकृति ली जाती है यदि संसद स्वीकृति दे देती है तो व्यय धन के बराबर धन भारत की संचित निधि से निकाल कर इसमे डाल दिया जाता है अनु 267 राज्यॉ को अपनी अपनी आपातकाल निधि स्थापित करने का अधिकार भी देता है श्रेणी:अर्थशास्त्र शब्दावली श्रेणी:रखरखाव.

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कर

किसी राज्य द्वारा व्यक्तियों या विविध संस्था से जो अधिभार या धन लिया जाता है उसे कर या टैक्स कहते हैं। राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्राय: धन (मनी) के रूप में लगाया जाता है किन्तु यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जा सकता है। कर दो तरह के हो सकते हैं - प्रत्यक्ष कर (direct tax) या अप्रत्यक्ष कर (indirect tax)। एक तरफ इसे जनता पर बोझ के रूप में देखा जा सकता है वहीं इसे सरकार को चलाने के लिये आधारभूत आवश्यकता के रूप में भी समझा जा सकता है। भारत के प्राचीन ऋषि (समाजशास्त्री) कर के बारे में यह मानते थे कि वही कर-संग्रहण-प्रणाली आदर्श कही जाती है, जिससे करदाता व कर संग्रहणकर्ता दोनों को कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि कर-संग्रहण इस प्रकार से होना चाहिये जिस प्रकार मधुमक्खी द्वारा पराग संग्रहण किया जाता है। इस पराग संग्रहण में पुष्प भी पल्लवित रहते हैं और मधुमक्खी अपने लिये शहद भी जुटा लेती है। .

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कर्मचारी भविष्य निधि

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, भारत का प्रतीक चिह्न कोई भी सेवारत व्यक्ति सेवानिवृत्ति उपरांत के जीवन को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना चाहता है। इसमें उसके लिये कर्मचारी भविष्य निधि यानि ईपीएफ यानी सहायक होते हैं। अधिकतर कर्मचारियों के लिए यह अनैच्छिक बचत होती है, किन्तु सेवानिवृत्ति या असामयिक मृत्यु या अपंगता की स्थिति में कर्मचारी और उसके के परिवार के लिये ये अत्यंत लाभदायक होते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २७ मई २०१० इस निधि में कर्मचारी के मासिक वेतन से कुछ अंश (मूल वेतन का १२.५ प्रतिशत) स्रोत पर ही काट कर जमा कर लिया जाता है। इसके बराबर की ही राशि नियुक्तिकर्ता द्वारा भी जमा कराई जाती है और उस पर ८.५ प्रतिशत (फिल्हाल) की दर से मिलने वाला ब्याज भी मिलता है। उदाहरण के लिए यदि कर्मचारी की आयु २५ वर्ष है और उसका तत्कालीन वेतन २० हजार रुपये है। तब यह मानकर चलें कि ईपीएफ में ८.५ प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है और हर वर्ष उसके वेतन में ५ प्रतिशत की बचत होती है। ऐसे में यदि वह हर माह अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का १२ प्रतिशत ईपीएफ में जमा कराता हैं और उतनी ही राशि उसके नियोक्ता द्वारा भी जमा कराई जाती है, तो सेवानिवृत्ति पर उसको १.३८ करोड़ रुपये की अद्भुत राशि मिलेगी। निधि में जमा होने वाली राशि मासिक रूप से कर्मचारी के वेतन से काटकर उसमें नियोक्ता का अंश (१२.५ %) मिलाकर उसे में जमा कराया जाता है। .

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