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संचरण लाइन

सूची संचरण लाइन

संचरण लाइन का एनिमेशन कोऐक्सियल केबल, संचरण लाइन का एक उदाहरण है। संचार इंजीनियरी तथा इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरी में संचरण लाइन (ट्रान्समिशन लाइन/transmission line) रेडियो आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा ले जाने वाली विशेष प्रकार की केबलों (cable) या अन्य संरचनाओं को कहते हैं। संचरण लाइनों का प्रयोग अनेक कार्यों में होता है, जैसे- रेडियो ट्रान्समिटर या रेडियो रिसीवर को एन्टेना से जोड़ने के लिये, केबल टीवी के संकेतों को लोगों के घरों तक ले जाने हेतु, कम्प्यूट्र नेटवर्कों को जोडने वाले केबल, कम्प्यूटर के अन्दर प्रयुक्त उच्च गति वाली डेटा बसें आदि। .

11 संबंधों: ट्रांसमीटर, एन्टेना, प्रत्यावर्ती धारा, रेडियो संग्राही, रेडियो आवृत्ति, संचार प्रौद्योगिकी, इलैक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर नेटवर्क, केबल, केबल टीवी, अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा

ट्रांसमीटर

लन्दन के क्रिस्टल पैलेस ट्रान्समिटर का एन्टेना टावर प्रेषित्र, प्रेषी या ट्रान्समीटर (Transmitter) एक ऐसी प्रणाली है जो रेडियो, दूरदर्शन या संचार के विद्युतचुम्बकीय संकेतों को प्रसारित करता है। इसके लिये प्राय: उपयुक्त प्रकार के एन्टेना की मदद ली जाती है। .

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एन्टेना

शॉर्ट वेव की "कर्टेन" एन्टेना तकनीकी रूप से, एन्टेना (antenna) एक प्रकार का ट्रान्सड्यूसर है जो विद्युतचुम्बकीय तरंगों को प्रसारित करने या ग्रहण करने के काम आता है। दूसरे शब्दों में, एन्टेना विद्युतचुम्बकीय संकेतों को विद्युत संकेतों में बदल देता है। एन्टेना रेडियो, दूरदर्शन, राडार एवं अन्य संचार कार्य-प्रणालियों का प्रथम या अन्तिम अवयव होता है। एन्टेना प्राय: हवा में या अंतरिक्ष में काम करने के लिये बनाये जाते हैं किन्तु इन्हें पानी के भीतर या जमीन के भीतर काम करने के निमित्त भी बनाया जा सकता है। (प्राय: कम दूरी के लिये) बनावट की दृष्टि से, एन्टेना चालकों का विशिष्ट विन्यास (अरेंजमेन्ट) होता है जिन पर प्रत्यावर्ती विभव लगाने से वे विद्युतचुम्बकीय तरंगे पैदा करता है। .

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प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

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रेडियो संग्राही

रेडियो संग्राही रेडियो संग्राही (radio receiver) एक विद्युत परिपथ है जो विद्युतचुम्बकीय तरंगों के रूप में उपलब्ध संकेतों को एंटेना के द्वारा ग्रहण करने के बाद इसका सम्यक प्रसंस्करण करते हुए अन्त में ध्वनि या किसी अन्य उपयोगी रूप में प्रस्तुत करता है। .

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रेडियो आवृत्ति

3 किलोहर्ट्ज से 300 गीगा हर्ट्ज़ की आवृत्ति वाली तरंगों को रेडियो आवृत्ति (RF) कहते हैं। रेडियो तरंगें, रेडियो आवृत्ति की तरंगे ही होतीं हैं। रेडियो आवृत्ति के कम्पन - यांत्रिक कम्पन और वैद्युत कम्पन दोनों हो सकते हैं किन्तु प्रायः रेडियो आवृत्ति से आशय विद्युत कम्पन से ही होता है न कि यांत्रिक कम्पन से। .

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संचार प्रौद्योगिकी

2005 में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर खर्च सूचना और संचार की प्रौद्योगिकी या सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, जिसे आम तौर पर आईसीटी (ICT) कहा जाता है, का प्रयोग अक्सर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के पर्यायवाची के रूप में किया जाता है लेकिन यह आम तौर पर अधिक सामान्य शब्दावली है, जो आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी में दूरसंचार (टेलीफोन लाईन एवं वायरलेस संकेतों) की भूमिका पर जोर देती है। आईसीटी में वे सभी साधन शामिल होते हैं जिनका प्रयोग कंप्यूटर एवं नेटवर्क हार्डवेयर दोनों और साथ ही साथ आवश्यक सॉफ्टवेयर सहित सूचना एवं सहायता संचार का संचालन करने के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में, आईसीटी (ICT) में आईटी (IT) के साथ-साथ दूरभाष संचार, प्रसारण मीडिया और सभी प्रकार के ऑडियो और वीडियो प्रक्रमण एवं प्रेषण शामिल होता है। इस अभिव्यक्ति का सबसे पहला प्रयोग 1997 में डेनिस स्टीवेंसन द्वारा ब्रिटेन की सरकार को भेजी गई एक रिपोर्ट में किया गया था एवं सन 2000 में ब्रिटेन के नये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संबंधी दस्तावेजों द्वारा प्रचारित इसका प्रचार किया गया। अक्सर आईसीटी (ICT) का प्रयोग "आईसीटी (ICT) रोडमैप" में उस मार्ग को सूचित करने के लिए किया जाता है जिसे कोई संगठन अपनी आईसीटी (ICT) जरूरतों के साथ अपनाएगा.

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इलैक्ट्रॉनिक्स

तल पर जुड़ने वाले (सरफेस माउंट) एलेक्ट्रानिक अवयव विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों (निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो-संरचना आदि) से होकर आवेश (मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उन पर आधारित युक्तिओं का अध्ययन करता है। प्रौद्योगिकी के रूप में इलेक्ट्रॉनिकी वह क्षेत्र है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र, इन्डक्टर, इलेक्ट्रॉन ट्यूब, डायोड, ट्रान्जिस्टर, एकीकृत परिपथ (IC) आदि) का प्रयोग करके उपयुक्त विद्युत परिपथ का निर्माण करने एवं उनके द्वारा विद्युत संकेतों को वांछित तरीके से बदलने (manipulation) से संबंधित है। इसमें तरह-तरह की युक्तियों का अध्ययन, उनमें सुधार तथा नयी युक्तियों का निर्माण आदि भी शामिल है। ऐतिहासिक रूप से इलेक्ट्रॉनिकी एवं वैद्युत प्रौद्योगिकी का क्षेत्र समान रहा है और दोनो को एक दूसरे से अलग नही माना जाता था। किन्तु अब नयी-नयी युक्तियों, परिपथों एवं उनके द्वारा सम्पादित कार्यों में अत्यधिक विस्तार हो जाने से एलेक्ट्रानिक्स को वैद्युत प्रौद्योगिकी से अलग शाखा के रूप में पढाया जाने लगा है। इस दृष्टि से अधिक विद्युत-शक्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों (पावर सिस्टम, विद्युत मशीनरी, पावर इलेक्ट्रॉनिकी आदि) को विद्युत प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत माना जाता है जबकि कम विद्युत शक्ति एवं विद्युत संकेतों के भांति-भातिं के परिवर्तनों (प्रवर्धन, फिल्टरिंग, मॉड्युलेश, एनालाग से डिजिटल कन्वर्शन आदि) से सम्बन्धित क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है। .

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कम्प्यूटर नेटवर्क

कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग इलेक्ट्रानिक संचार में किया जाता है। इलेकट्रानिक की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान पर सूचना प्रेषित करने की क्रिया को दूरसंचार कहते है और एक या एक से अधिक कम्प्यूटर और विविध प्रकार के टर्मिनलो के बीच आंकडो को भेजना या प्राप्त करना डाटा संचार कहलाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क के पाँच मूल अंग है.

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केबल

पीवीसी इंसुलेटेड '''केबल''' केबल या मोटा तार दो या दो से अधिक तारों को लम्बाई में साथ साथ जोड़कर, मरोड़कर या गूंथकर तैयार की गयी एक, एकल रचना होती है। यांत्रिकी में, केबलों जिन्हें हिन्दी में रज्जु कहा जाता है (हिन्दी में इसके लिए आमतौर पर रस्सा या 'धातु का रस्सा' शब्द भी प्रयोग किया जाता है पर आजकल अंग्रेजी प्रभाव के चलते केबल शब्द भी प्रयोग किया जाने लगा है। हिन्दी में केबल का प्रयोग मुख्यत: बिजली के तार के संबंध में होता है।) का प्रयोग तनाव के माध्यम से उठाने, ढोने, खींचने और प्रवहण के लिए किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) में केबल का उपयोग विद्युत धारा के प्रवाह के लिए किया जाता है। प्रकाशीय केबल में एक सुरक्षात्मक आवरण के अंदर एक या एक से अधिक तंतु उपस्थित होते हैं। लोहे की कड़ियों से बनी जंजोरों को भी केबल कहते हैं। यह जहाजों के लंगर डालने के काम आता है। जमीन के नीचे या समुद्र के पानी में डाले हुए तार के उन रस्सों को भी केबल कहते हैं जिनके द्वारा तार या टेलीफोन का संचार होता है। .

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केबल टीवी

घरों में केबल टीवी का संकेत (सिगनल) ले जाने के लिये प्रायः '''समाक्षीय केबल''' (Coaxial cable) का उपयोग किया जाता है परम्परागत टीवी प्रसारण, हवा में विद्यमान टीवी सिगनलों को टीवी एन्टेना की सहायता से सीधे ग्रहण करके किया जाता है। इसके विपरीत केबल टीवी, टीवी के कार्यक्रम दिखाने का ऐसा तन्त्र है जिसमें सबसे पहले दूरदर्शन के सिगनल को किसी केन्द्रीय स्थान पर (जिसे हेड-एन्ड कहते हैं) ग्रहण करके उसे समाक्षीय केबल या प्रकाशीय फाइबर (फाईबर आपटिक्स) की सहायता से ग्राहकों के टीवी से जोड़ दिया जाता है। केबल में सिगनल डालने के पहले उसे हेडएन्ड पर निम्नलिखित प्रक्रियाओं से गुजरन्ना पड़ता है.

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अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा

ट्रान्समिशन लाइन का योजनामूलक निरूपण, जिसमें Z_0 अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा है। किसी समांगी विद्युत-लाइन की अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा (characteristic impedance) या सर्ज प्रतिबाधा (surge impedance) इस लाइन के अनन्त लम्बाई (काल्पनिक) में प्रवाहित वोल्तता एवं धारा के अनुपात के बराबर होती है। इसे Z_0 से निरूपित किया जाता है। यह स्थिति सीमित लम्बाई की लाइन में भी सम्भव है यदि किसी उपाय से परावर्तन (reflections) शून्य बना दिया जाय। अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा की एसआई मात्रक ओम है। किसी क्षयहीन लाइन के लिये अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा का मान पूर्णत: वास्तविक संख्या आती है अर्थात इसमें कोई काल्पनिक भाग नहीं होता। (Z_0.

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