5 संबंधों: दत्तात्रेय, नृसिंह सरस्वती, सिद्धमंगल स्तोत्र, कलियुग, अवतार।
दत्तात्रेय
भगवान दत्तात्रेय दत्तात्रेय ब्रह्मा-विष्णु-महेश के अवतार माने जाते हैं। भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है और तीनो ईश्वरीय शक्तियों से समाहित महाराज दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही सफल और जल्दी से फल देने वाली है। महाराज दत्तात्रेय आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत और दिगम्बर रहे थे। वे सर्वव्यापी है और किसी प्रकार के संकट में बहुत जल्दी से भक्त की सुध लेने वाले हैं, अगर मानसिक, या कर्म से या वाणी से महाराज दत्तात्रेय की उपासना की जाये तो भक्त किसी भी कठिनाई से शीघ्र दूर हो जाते हैं। .
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नृसिंह सरस्वती
नृसिंह सरस्वती (1378−1459) एक हिन्दू सन्त एवं गुरु थे। श्री गुरुचरित के अनुसार वे भगवान दत्तात्रेय के दूसरे अवतार हैं। प्रथम अवतार श्रीपाद वल्लभ थे। श्रेणी:हिन्दू गुरु.
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सिद्धमंगल स्तोत्र
श्री सिद्धमंगल स्तोत्र एक संस्कृत भाषा का स्तोत्र है। हिन्दू सनातन धर्म में मंगल की पूजा, अर्चना, स्तुति के लिए इसका पठन किया जाता है। .
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कलियुग
कलियुग पारम्परिक भारत का चौथा युग है। आर्यभट के अनुसार महाभारत युद्ध ३१३७ ईपू में हुआ। कलियुग का आरम्भ कृष्ण के इस युद्ध के ३५ वर्ष पश्चात निधन पर हुआ। के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के इस पृथ्वी से प्रस्थान के तुंरत बाद 3102 ईसा पूर्व से कलि युग आरम्भ हो गया। .
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अवतार
अवतार का अर्थ अवतरित होना या उतरना है। हिंदू मान्यता के अनुसार जब-जब दुष्टों का भार पृथ्वी पर बढ़ता है और धर्म की हानि होती है तब-तब पापियों का संहार करके भक्तों की रक्षा करने के लिये भगवान अपने अंश अथवा पूर्णांश से पृथ्वी पर शरीर धारण करते हैं। .
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