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शेख़ सादी

सूची शेख़ सादी

शेख सादी (शेख मुसलिदुद्दीन सादी), 13वीं शताब्दी का सुप्रसिद्ध साहित्यकार। ईरान के दक्षिणी प्रांत में स्थित शीराज नगर में 1185 या 1186 में पैदा हुआ था। उसकी प्रारंभिक शिक्षा शीराज़ में ही हुई। बाद में उच्च शिक्षा के लिए उसने बगदाद के निज़ामिया कालेज में प्रवेश किया। अध्ययन समाप्त होने पर उसने इसलामी दुनिया के कई भागों की लंबी यात्रा पर प्रस्थान किया - अरब, सीरिया, तुर्की, मिस्र, मोरक्को, मध्य एशिया और संभवत: भारत भी, जहाँ उसने सोमनाथ का प्रसिद्ध मंदिर देखने की चर्चा की है। सीरिया में धर्मयुद्ध में हिस्सा लेनेवाले यात्रियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया, जहाँ से उसके एक पुराने साथी ने सोने के दस सिक्के (दीनार) मुक्तिधन के रूप में देकर उसका उद्धार किया। उसी ने 100 दीनार दहेज में देकर अपनी लड़की का विवाह भी सादी से कर दिया। यह लड़की बड़ी उद्दंड और दुष्ट स्वभाव की थी। वह अपने पिता द्वारा धन देकर छुड़ाए जाने की चर्चा कर सादी को खिजाया करती थी। ऐसे ही एक अवसर पर सादी ने उसके व्यंग्य का उत्तर देते हुए जवाब दिया 'हाँ, तुम्हारे पिता ने दस दीनार देकर जरूर मुझे आजाद कराया था लेकिन फिर सौ दीनार के बदले उसने मुझे पुन: दासता के बंधन में बाँध दिया।' कई वर्षों की लंबी यात्रा के बाद सादी शीराज़ लौट आया और अपनी प्रसिद्ध पुस्तकों - 'बोस्ताँ' तथा 'गुलिस्ताँ' - के लेखन का आरंभ किया। इनमें उसके साहसिक जीवन की अनेक मनोरंजक घटनाओं का और विभिन्न देशों में प्राप्त अनोखे तथा मूल्यवान्‌ अनुभवों का वर्णन है। वह शताधिक वर्षों तक जीवित रहा और सन्‌ 1292 के लगभग उसका देहांत हुआ। गुलिस्ताँ का प्रणयन सन्‌ 1258 में पूरा हुआ। यह मुख्य रूप से गद्य में लिखी हुई उपदेशप्रधान रचना है जिसमें बीच बीच में सुंदर पद्य और दिलचस्प कथाएँ दी गई हैं। यह आठ अध्यायों में विभक्त है जिनमें अलग अलग विषय वर्णित हैं; उदाहरण के लिए एक में प्रेम और यौवन का विवेचन है। 'गुलिस्ताँ' ने प्रकाशन के बाद से अद्वितीय लोकप्रियता प्राप्त की। वह कई भाषाओं में अनूदित हो चुकी है - लैटिन, फ्रेंच, अंग्रेजी, तुर्की, हिंदुस्तानी आदि। अनेक परवर्ती लेखकों ने उसका प्रतिरूप प्रस्तुत करने का प्रयास किया, किंतु उसकी श्रेष्ठता तक पहुँचने में वे असफल रहे। ऐसी प्रतिरूप रचनाओं में से दो के नाम हैं - बहारिस्ताँ तथा निगारिस्ताँ। बोस्ताँ की रचना एक वर्ष पहले (1257 में) हो चुकी थी। सादी ने उसे अपने शाही संरक्षक अतालीक को समर्पित किया था। गुलिस्ताँ की तरह इसमें भी शिक्षा और उपदेश की प्रधानता है। इसके दस अनुभाग है। प्रत्येक में मनोरंजक कथाएँ हैं जिनमें किसी न किसी व्यावहारिक बात या शिक्षा पर बल दिया गया है। एक और पुस्तक पंदनामा (या करीमा) भी उनकी लिखी बताई जाती है किंतु इसकी सत्यता में संदेह है। सादी उत्कृष्ट गीतिकार भी थे और हाफिज के आविर्भाव के पहले तक वे गीतिकाव्य के महान्‌ रचयिता माने जाते थे। अपनी कविताओं के कई संग्रह वे छोड़ गए हैं। फारस के अन्य बहुत से कवियों की तरह सादी सूफी नहीं थे। वे व्यावहारिक व्यक्ति थे जिनमें प्रचुर मात्रा में सांसारिक बुद्धि एवं विलक्षण परिहासशीलता विद्यमान थी। उनकी ख्याति उनकी काव्यशैली एवं गद्य की उत्कृष्टता पर ही अवलंबित नहीं है वरन्‌ इस बात पर भी आश्रित है कि उनकी रचनाओं में अपने युग की विद्वत्ता और ज्ञान की तथा मध्यकालीन पूर्वी समाज की सर्वोत्कृष्ट सांस्कृतिक परंपरा की छाप मौजूद है। .

5 संबंधों: बग़दाद, सूफ़ीवाद, ईरान, गुलिस्ताँ, इस्लाम

बग़दाद

बगदाद एक प्रमुख नगर बग़दाद (بغداد) विश्व का एक प्रमुख नगर एवं ईराक की राजधानी है। इसका नाम ६०० ईपू के बाबिल के राजा भागदत्त पर पड़ा है। यह नगर 4,000 वर्ष पहले पश्चिमी यूरोप और सुदूर पूर्व के देशों के बीच, समुद्री मार्ग के आविष्कार के पहले कारवाँ मार्ग का प्रसिद्ध केंद्र था तथा नदी के किनारे इसकी स्थिति व्यापारिक महत्व रखती थी। मेसोपोटामिया के उपजाऊ भाग में स्थित बगदाद वास्तव में शांति और समृद्धि का केंद्र था। 9वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में यह अपने चरमोत्कर्ष पर था। उस समय यहाँ प्रबुद्ध खलीफा की छत्रछाया में धनी व्यापारी एवं विद्वान लोग फले-फूले। रेशमी वस्त्र एवं विशाल खपरैल के भवनों के लिए प्रसिद्ध बगदाद इस्लाम धर्म का केंद्र रहा है। यहाँ का औसत ताप लगभग 23 डिग्री सें.

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सूफ़ीवाद

सूफ़ीवाद या तसव्वुफ़ इस्लाम का एक रहस्यवादी पंथ है। इसके पंथियों को सूफ़ी(सूफ़ी संत) कहते हैं। इनका लक्ष्य आध्यात्मिक प्रगति एवं मानवता की सेवा रहा है। सूफ़ी राजाओं से दान-उपहार स्वीकार नहीं करते थे और सादा जीवन बिताना पसन्द करते थे। इनके कई तरीक़े या घराने हैं जिनमें सोहरावर्दी (सुहरवर्दी), नक्शवंदिया, कादिरी, चिष्तिया, कलंदरिया और शुस्तरिया के नाम प्रमुखता से लिया जाता है। माना जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा। राबिया, अल अदहम, मंसूर हल्लाज जैसे शख़्सियतों को इनका प्रणेता कहा जाता है - ये अपने समकालीनों के आदर्श थे लेकिन इनको अपने जीवनकाल में आम जनता की अवहेलना और तिरस्कार झेलनी पड़ी। सूफ़ियों को पहचान अल ग़ज़ाली के समय (सन् ११००) से ही मिली। बाद में अत्तार, रूमी और हाफ़िज़ जैसे कवि इस श्रेणी में गिने जाते हैं, इन सबों ने शायरी को तसव्वुफ़ का माध्यम बनाया। भारत में इसके पहुंचने की सही-सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में जुट गए थे। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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गुलिस्ताँ

गुलाब के बाग में शेख शादी गुलिस्ताँ (पारसी: گلستان) फारसी के प्रसिद्ध कवि शेख शादी की रचना है। इसकी रचना सन् १२५९ में हुई थी। .

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इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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