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शुष्क मुख

सूची शुष्क मुख

शुष्क मुख (Xerostomia) एक विकार है जिसमें मुख में नमी की कमी या सूखापन होने लगता है। यह लार की संरचना बदलने के कारण हो सकता है या लार के कम बनने के कारण। यह अधिक उम्र के लोगों में अधिक देखने को मिलता है। .

9 संबंधों: त्वचाखरता, दंत-क्षरण, प्यास, मुख, योनि स्नेहन, लार, शुष्क नेत्र, श्रोगेन सिन्ड्रोम, सांस की दुर्गंध

त्वचाखरता

thumb त्वचाखरता (xeroderma) त्वचा का एक रोग है। त्वचा का रूखा हो जाना (जेरोडर्मा) या जन्म से सूखी त्वचा होना (जेरोडर्मिया) एक ऐसी समस्या है जो कि अध्यावरणी तंत्र की गड़बड़ी के कारण होती है। आम तौर पर इसका इलाज नमीकारक के इस्तेमाल के द्वारा किया जा सकता है। सुखी त्वचा की समस्या काफ़ी भद्दी और पीड़ादायक हो सकती है। जेरोडर्मा आम तौर पर खोपड़ी, पैरों के निचले भाग, बाँह, हाथों, पोरों, पेट के किनारों और जाँघो मे होती है। इसके लक्षणो मे पपड़ी पड़ना (बाहरी त्वचा का उखड़ना), खुजली और त्वचा में दरार पड़ना सबसे आम है। इन सभी भागों में लाल रंग ने निशान बन जातें हैं और लगतार खुजली बनी रहती है। .

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दंत-क्षरण

दंत क्षरण, जिसे दंत-अस्थिक्षय या छिद्र भी कहा जाता है, एक बीमारी है जिसमें जीवाण्विक प्रक्रियाएं दांत की सख्त संरचना (दन्तबल्क, दन्त-ऊतक और दंतमूल) को क्षतिग्रस्त कर देती हैं। ये ऊतक क्रमशः टूटने लगते हैं, जिससे दन्त-क्षय (छिद्र, दातों में छिद्र) उत्पन्न हो जाते हैं। दन्त-क्षय दो जीवाणुओं के कारण प्रारंभ होता है: स्ट्रेप्टोकॉकस म्युटान्स (Streptococcus mutans) और लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus).

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प्यास

पीने की इच्छा को प्यास कहते हैं। जन्तुओं में प्यास लगने के कारण ही वे अपने शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बनाये रख पाते हैं। जब शरीर में जल की मात्रा एक सीमा से कम हो जाती है है या नमक या अन्य परासरणकारी पदार्थ की सान्द्रता बढ़ जाती है तो मस्तिष्क 'प्यास' का संकेत करता है। श्रेणी:भोजन एवं पेय.

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मुख

मुख (face) कई प्राणियों के सिर के सामने वाली ओर पाया जाने वाला भाग है जिसमें कई ज्ञानेन्द्रिय उपस्थित होती हैं, हालांकि हर प्राणी का मुख नहीं होता। स्तनधारियों में आमतौर पर मुख पर नाक, कान, मुँह (जिसमें स्वाद-बोध रखने वाली जिह्वा होती है) और आँखें होती हैं। मानव व अन्य स्तनधारी इनसे अपनी भावनाएँ भी प्रकट करते हैं, तथा इसे एक-दूसरे को पहचानने व मौखिक संचार के लिए भी प्रयोग करते हैं। .

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योनि स्नेहन

बायें चित्र में सामान्य अवस्था योनि में स्नेहक की स्थिति, तथा, दायें- कामोत्तेजना की स्थिति में स्नेहक की स्थिति। स्त्रियों की योनि में प्राकृतिक रूप से एक तरल निकलता है जो योनि को नम और चिकना बनाये रखता है। इसे ही योनि स्नेहन (Vaginal lubrication) कहते हैं। सामान्यतः योनि स्नेहित ही रहती है किन्तु संभोग के समय अण्डोत्सर्ग की स्थिति में या संभोग की तीव्र इच्छा होने पर योनि में स्नेहक की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है। कुछ रोग होने पर योनि में पर्याप्त स्नेहक नहीं बनता, जिसे योनि शुष्कता कहा जाता है। इससे संभोग कष्टकारी हो सकता है। अतः कृत्रिम स्नेहक का उपयोग करना पड़ता है। श्रेणी:कामोत्तेजन.

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लार

लार (राल, थूक, ड्रूल अथवा स्लौबर नाम से भी निर्दिष्ट) मानव तथा अधिकांश जानवरों के मुंह में उत्पादित पानी-जैसा और आमतौर पर एक झागदार पदार्थ है। लार मौखिक द्रव का एक घटक है। लार उत्पादन और स्त्राव तीन में से एक लार ग्रंथियों से होता है। मानव लार 98% पानी से बना है, जबकि इसका शेष 2% अन्य यौगिक जैसे इलेक्ट्रोलाईट, बलगम, जीवाणुरोधी यौगिकों तथा एंजाइम होता है। भोजन पाचन की प्रक्रिया के प्रारंभिक भाग के रूप में, लार के एंजाइम भोजन के कुछ स्टार्च और वसा को आणविक स्तर पर तोड़ते हैं। लार दांतों के बीच फंसे खाने को भी तोड़ती है और उन्हें उस बैक्टीरिया से बचाती है जो क्षय का कारण होते हैं। इसके अलावा, लार दांतों, जीभ और मुंह के अंदर कोमल ऊतकों को चिकनाई देती है और उनकी रक्षा करती है। लार मुंह में रहने वाले वात निरपेक्ष बैक्टीरिया के द्वारा गंध-मुक्त भोजन यौगिकों से उत्पादित थायोल्स (thiols) को फंसा कर भोजन का स्वाद चखने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विभिन्न प्रजातियों ने लार के विशेष उपयोग विकसित किये हैं, जो पूर्वपाचन से परे हैं। कुछ अबाबील अपने चिपचिपे लार का उपयोग घोंसले का निर्माण करने के लिए करती हैं। चिड़िया के घोंसले के सूप के लिए छोटी हिमालयन अबाबील का घोंसला बेशकीमती है।मार्कोन, एम्.

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शुष्क नेत्र

शुषक नेत्र रोग (Dry eye syndrome (DES)) में आँखों में नमी की कमी अनुभव होती है। इससे कारण आंखों में उत्तेजन (इर्रिटेशन), लाली, तथा थकावट होती है। इससे धुँधला दिखाई पड़ने की समस्या भी आ सकती है। कुछ मामलों में इसका इलाज न कराने पर श्वेतपटल (कार्निया) भी क्षतिग्रस्त हो सकती है। .

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श्रोगेन सिन्ड्रोम

श्रोगेन सिन्ड्रोम (Sjögren's syndrome (SjS, SS)) वह रोग है जिसमें शरीर की नमी पैदा करने वाली ग्रन्थियाँ नमी बनाना बन्द कर देतीं हैं। इसके कारण शुष्क मुख एवं शुष्क नेत्र की समस्या एवं अन्य कई समस्याएँ पैदा होतीं हैं। शोग्रेन्स सिन्ड्रोम से उत्पन्न शुष्क त्वचा की विशेष देखभाल जरूरी है। खुजली, लालिमा, फटना या गलना - यह सब शुष्क त्वचा के लक्षण हैं। शुष्क त्वचा का प्रमुख कारण है शोग्रेन्स रोग द्वारा शरीर में प्रतिरोधक क्षमता की कमी और इससे नमी पैदा करने वाली ग्रंथियों का निष्क्रिय होना। एक बार निष्क्रिय होने पर तेल अथवा पसीने की ग्रंथियां पुनः सक्रिय नहीं हो सकतीं। हालांकि शोग्रेन्स सिन्ड्रोम से पीड़ित रोगी को सूखी त्वचा से परेशानी लगभग पूरे वर्ष बनी रहती है, फिर भी इसके लक्षण सर्दी के मौसम में अधिक प्रबल हो जाते हैं। बाहों, पैरों व कमर पर शुष्क त्वचा का सबसे गंभीर असर होता है। .

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सांस की दुर्गंध

साँस की दुर्गंध या मुह की दुर्गन्ध या दुर्गंधी प्रश्वसन (Halitosis / हैलिटोसिस) के रोगी के मुख से एक विशेष दुर्गन्ध (बदबू) आती है जो, सांस के साथ मिली होती है। सांसों की दुर्गन्ध ग्रसित व्यक्ति में चिन्ता का कारण बन सकती है। यह एक गंभीर समस्या बन सकती है किंतु कुछ साधारण उपायों से साँस की दुर्गंध को रोका जा सकता है। साँस की दुर्गंध उन बैक्टीरिया से पैदा होती है, जो मुँह में पैदा होते हैं और दुर्गंध पैदा करते हैं। नियमित रूप से ब्रश नहीं करने से मुँह और दांतों के बीच फंसा भोजन बैक्टीरिया पैदा करता है। इन बैक्टीरिया द्वारा उत्सर्जित सल्फर, यौगिक के कारण आपकी साँसों में दुर्गंध पैदा करता है। लहसुन और प्याज जैसे कुछ खाद्य पदार्थां में तीखे तेल होते हैं। इनसे साँसों की दुर्गंध पैदा होती है, क्योंकि ये तेल आपके फेफड़ों में जाते हैं और मुँह से बाहर आते हैं। साँस की दुर्गंध का एक अन्य प्रमुख कारण धूम्रपान है। साँस की दुर्गंध पर काबू पाने के बारे में अनेक धारणाएं प्रचलित हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

मुँह सूखना

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