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वॉयेजर प्रथम

सूची वॉयेजर प्रथम

वोयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक ७२२ कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे ५ सितंबर, १९७७ को लॉन्च किया गया था। वायेजर १ अंतरिक्ष शोध यान एक ८१५ कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च २००७) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। वायेजर १ मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तु है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है। न्यू हॉराइज़ंस शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर १ की तुलना में कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर १ को पीछे नहीं छोड़ पायेगा। .

25 संबंधों: टाइटन 3ई, नासा, पायोनियर १०, पायोनियर ११, प्रकाश-वर्ष, प्लाज़्मा (बहुविकल्पी), बृहस्पति, शनि, सौर पवन, सूर्य, हाइड्रोजन, हिलियम, हेलियोस्फीयर, जिराफ़ तारामंडल, वॉयेजर द्वितीय, वॉयेजर प्रथम, खगोलीय इकाई, गुरुत्वाकर्षण, ग्लीज़ ४४५, क्रेटर, अंतरतारकीय माध्यम, अंतरिक्ष, १९७७, २००७, ५ सितंबर

टाइटन 3ई

टाइटन तृतीय ई या टाइटन ३ई, जिसे टाइटन III-सेन्टॉर भी कहा जाता है, एक अमरीकी एक्स्पेन्डेबल लॉन्च प्रणाली थी, जिसे १९७४ से १९७७ के बीच सात बार लॉन्च किया गया था। इसके द्वारा नासा की उच्च-प्रोफ़ाइल अभियानों को यात्रा करायी गयी थी, जिसमें वॉयेजर, वाइकिंग ग्रहीय अन्वेषण प्रोब और संयुक्त जर्मन-अमरीकी हेलियोस प्रोब अंतरिक्ष यान प्रमुख रहे हैं। .

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नासा

नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (हिन्दी अनुवाद:राष्ट्रीय वैमानिकी और अन्तरिक्ष प्रबंधन; National Aeronautics and Space Administration) या जिसे संक्षेप में नासा (NASA) कहते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए जिम्मेदार है। फ़रवरी 2006 से नासा का लक्ष्य वाक्य "भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना" है। 14 सितंबर 2011 में नासा ने घोषणा की कि उन्होंने एक नए स्पेस लॉन्च सिस्टम के डिज़ाइन का चुनाव किया है जिसके चलते संस्था के अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में और दूर तक सफर करने में सक्षम होंगे और अमेरिका द्वारा मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया कदम साबित होंगे। नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था। इस संस्था ने 1 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया। तब से आज तक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण के सारे कार्यक्रम नासा द्वारा संचालित किए गए हैं जिनमे अपोलो चन्द्रमा अभियान, स्कायलैब अंतरिक्ष स्टेशन और बाद में अंतरिक्ष शटल शामिल है। वर्तमान में नासा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को समर्थन दे रही है और ओरायन बहु-उपयोगी कर्मीदल वाहन व व्यापारिक कर्मीदल वाहन के निर्माण व विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। संस्था लॉन्च सेवा कार्यक्रम (एलएसपी) के लिए भी जिम्मेदार है जो लॉन्च कार्यों व नासा के मानवरहित लॉन्चों कि उलटी गिनती पर ध्यान रखता है। .

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पायोनियर १०

१९७३ में बृहस्पति ग्रह के पास से गुज़रते हुए पायोनियर १० का काल्पनिक चित्रण पायोनियर १० एक २५८ किलोग्राम का अमेरिकी अंतरिक्ष यान है। इसे २ मार्च १९७२ को अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था नासा ने एक ऐटलस-सेंटौर रॉकेट के ज़रिये अंतरिक्ष में छोड़ा। १५ जुलाई १९७२ से १५ फ़रवरी १९७३ के काल में यह हमारे सौर मंडल के क्षुद्रग्रह घेरे (ऐस्टरौएड बॅल्ट) को पार करने वाला पहला मानव-कृत यान बना। ६ नवम्बर १९७३ को इसने बृहस्पति ग्रह की तस्वीरें लेना शुर किया और ४ दिसम्बर १९७३ को बृहस्पति से केवल १,३२,२५२ किमी की दूरी पर पहुँचकर फिर उस से आगे निकल गया। चलते-चलते यह हमारे सौर मंडल के बाहरी क्षेत्रों में जा पहुँचा है। कम ऊर्जा के कारण २३ जनवरी २००३ के बाद इस यान का पृथ्वी से संपर्क टूट गया। उस समय यह पृथ्वी से १२ अरब किमी (८० खगोलीय ईकाईयों) की दूरी पर था।, Joseph A. Angelo, Infobase Publishing, 2007, ISBN 978-0-8160-5773-3,...

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पायोनियर ११

शनि ग्रह के पास से गुज़रते हुए पायोनियर ११ का काल्पनिक चित्रण पायोनियर ११ एक २५९ किलोग्राम का अमेरिकी अंतरिक्ष यान है। इसे ६ अप्रैल १९७३ को अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था नासा ने एक रॉकेट के ज़रिये अंतरिक्ष में छोड़ा। हमारे सौर मंडल के क्षुद्रग्रह घेरे (ऐस्टरौएड बॅल्ट) और बृहस्पति ग्रह से गुजरने वाला यह दूसरा मानव-कृत यान था। २ दिसम्बर १९७४ में यह बृहस्पति से केवल ४३,००० किमी की दूरी से निकला। १९७९ में यह पहला यान बना जिसने शनि ग्रह के समीप जाकर उसपर अनुसन्धान किया और उसकी तस्वीरें वापस पृथ्वी भेजीं। चलते-चलते यह हमारे सौर मंडल के बाहरी क्षेत्रों में जा पहुँचा है। कम ऊर्जा के कारण ३० नवम्बर १९९५ के बाद इस यान का पृथ्वी से संपर्क टूट गया।, Joseph A. Angelo, Infobase Publishing, 2007, ISBN 978-0-8160-5773-3,...

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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प्लाज़्मा (बहुविकल्पी)

कोई विवरण नहीं।

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बृहस्पति

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शनि

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सौर पवन

प्लाज़्मा हेलियोपॉज़ से संगम करते हुए सौर वायु (अंग्रेज़ी:सोलर विंड) सूर्य से बाहर वेग से आने वाले आवेशित कणों या प्लाज़्मा की बौछार को नाम दिया गया है। ये कण अंतरिक्ष में चारों दिशाओं में फैलते जाते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २७ नवम्बर २००९ इन कणों में मुख्यतः प्रोटोन्स और इलेक्ट्रॉन (संयुक्त रूप से प्लाज़्मा) से बने होते हैं जिनकी ऊर्जा लगभग एक किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट (के.ई.वी) हो सकती है। फिर भी सौर वायु प्रायः अधिक हानिकारक या घातक नहीं होती है। यह लगभग १०० ई.यू (खगोलीय इकाई) के बराबर दूरी तक पहुंचती हैं। खगोलीय इकाई यानि यानि एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट्स, जो पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी के बराबर परिमाण होता है। १०० ई.यू की यह दूरी सूर्य से वरुण ग्रह के समान है जहां जाकर यह अंतरतारकीय माध्यम (इंटरस्टेलर मीडियम) से टकराती हैं। अमेरिका के सैन अंटोनियो स्थित साउथ वेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट के कार्यपालक निदेशक डेव मैक्कोमास के अनुसार सूर्य से लाखों मील प्रति घंटे के वेग से चलने वाली ये वायु सौरमंडल के आसपास एक सुरक्षात्मक बुलबुला निर्माण करती हैं। इसे हेलियोस्फीयर कहा जाता है। यह पृथ्वी के वातावरण के साथ-साथ सौर मंडल की सीमा के भीतर की दशाओं को तय करती हैं।। नवभारत टाइम्स। २४ सितंबर २००८ हेलियोस्फीयर में सौर वायु सबसे गहरी होती है। पिछले ५० वर्षों में सौर वायु इस समय सबसे कमजोर पड़ गई हैं। वैसे सौर वायु की सक्रियता समय-समय पर कम या अधिक होती रहती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। .

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सूर्य

सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

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हाइड्रोजन

हाइड्रोजन पानी का एक महत्वपूर्ण अंग है शुद्ध हाइड्रोजन से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हाइड्रोजन (उदजन) (अंग्रेज़ी:Hydrogen) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्त सारणी का सबसे पहला तत्व है जो सबसे हल्का भी है। ब्रह्मांड में (पृथ्वी पर नहीं) यह सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। तारों तथा सूर्य का अधिकांश द्रव्यमान हाइड्रोजन से बना है। इसके एक परमाणु में एक प्रोट्रॉन, एक इलेक्ट्रॉन होता है। इस प्रकार यह सबसे सरल परमाणु भी है। प्रकृति में यह द्विआण्विक गैस के रूप में पाया जाता है जो वायुमण्डल के बाह्य परत का मुख्य संघटक है। हाल में इसको वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकने के लिए शोध कार्य हो रहे हैं। यह एक गैसीय पदार्थ है जिसमें कोई गंध, स्वाद और रंग नहीं होता है। यह सबसे हल्का तत्व है (घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लिटर)। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) और परमाणु भार 1.008 है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर है। साधारणतया इससे दो परमाणु मिलकर एक अणु (H2) बनाते है। हाइड्रोजन बहुत निम्न ताप पर द्रव और ठोस होता है।।इण्डिया वॉटर पोर्टल।०८-३०-२०११।अभिगमन तिथि: १७-०६-२०१७ द्रव हाइड्रोजन - 253° से.

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हिलियम

तरलीकृत हीलियम शुद्ध हीलियम से भरी गैस डिस्चार्ज ट्यूब हिलियम (Helium) एक रासायनिक तत्त्व है जो प्रायः गैसीय अवस्था में रहता है। यह एक निष्क्रिय गैस या नोबेल गैस (Noble gas) है तथा रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, विष-हीन (नॉन-टॉक्सिक) भी है। इसका परमाणु क्रमांक २ है। सभी तत्वों में इसका क्वथनांक (boiling point) एवं गलनांक (melting point) सबसे कम है। द्रव हिलियम का प्रयोग पदार्थों को अत्यन्त कम ताप तक ठण्डा करने के लिये किया जाता है; जैसे अतिचालक तारों को १.९ डिग्री केल्विन तक ठण्डा करने के लिये। हीलियम अक्रिय गैसों का एक प्रमुख सदस्य है। इसका संकेत He, परमाणुभार ४, परमाणुसंख्या २, घनत्व ०.१७८५, क्रांतिक ताप -२६७.९०० और क्रांतिक दबाव २ २६ वायुमंडल, क्वथनांक -२६८.९० सें.

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हेलियोस्फीयर

हेलियोस्फीयर के घटकों का आरेख। इसक आकार गलत हो सकता है। सूर्य से लाखों मील प्रति घंटे के वेग से चलने वाली सौर वायु। हिन्दुस्तान लाइव। २७ नवम्बर २००९ सौरमंडल के आसपास एक सुरक्षात्मक बुलबुला निर्माण करती हैं। इसे हेलियोस्फीयर कहा जाता है। यह पृथ्वी के वातावरण के साथ-साथ सौर मंडल की सीमा के भीतर की दशाओं को तय करती हैं।। नवभारत टाइम्स। २४ सितंबर २००८ हेलियोस्फीयर में सौर वायु सबसे गहरी होती है। पिछले ५० वर्षों में सौर वायु इस समय सबसे कमजोर पड़ गई हैं। वैसे सौर वायु की सक्रियता समय-समय पर कम या अधिक होती रहती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। .

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जिराफ़ तारामंडल

जिराफ़ तारामंडल जिराफ़ या कमॅलपार्डलिस (अंग्रेज़ी: Camelopardalis) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक अकार में बड़ा लेकिन धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १६१२ या १६१३ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। इसका अंग्रेज़ी नाम दो हिस्सों का बना है: कैमल (यानि ऊँट) और लेपर्ड (यानि धब्बों वाला तेंदुआ)। लातिनी में कैमलेपर्ड का मतलब था "वह ऊँट जिसपर तेंदुएँ जैसे धब्बे हों", यानि की जिराफ़। .

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वॉयेजर द्वितीय

वायेजर द्वितीय एक अमरीकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान था जिसे वायेजर १ से पहले २० अगस्त १९७७ को अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। यह काफी कुछ अपने पूर्व संस्करण यान वायेजर १ के समान ही था, किन्तु उससे अलग इसका यात्रा पथ कुछ धीमा है। इसे धीमा रखने का कारण था इसका पथ युरेनस और नेपचून तक पहुंचने के लिये अनुकूल बनाना। इसके पथ में जब शनि ग्रह आया, तब उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की ओर अग्रसर हुआ था और इस कारण यह भी वायेजर १ के समान ही बृहस्पति के चन्द्रमा टाईटन का अवलोकन नहीं कर पाया था। किन्तु फिर भी यह युरेनस और नेपच्युन तक पहुंचने वाला प्रथम यान था। इसकी यात्रा में एक विशेष ग्रहीय परिस्थिति का लाभ उठाया गया था जिसमे सभी ग्रह एक सरल रेखा मे आ जाते है। यह विशेष स्थिति प्रत्येक १७६ वर्ष पश्चात ही आती है। इस कारण इसकी ऊर्जा में बड़ी बचत हुई और इसने ग्रहों के गुरुत्व का प्रयोग किया था। .

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वॉयेजर प्रथम

वोयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक ७२२ कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे ५ सितंबर, १९७७ को लॉन्च किया गया था। वायेजर १ अंतरिक्ष शोध यान एक ८१५ कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च २००७) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। वायेजर १ मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तु है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है। न्यू हॉराइज़ंस शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर १ की तुलना में कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर १ को पीछे नहीं छोड़ पायेगा। .

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खगोलीय इकाई

खगोलीय इकाई (AU या au या a.u. या यद कदा ua) लम्बाई की इकाई है, जो लगभग 150 मिलियन किलोमीटर है और पृथ्वी से सूर्य की दूरी पर आधारित है। इसकी सही सही मान है 149,597,870,691 ± 30 मीटर (लगभग 150 मिलियन किलोमीटर या 93 मिलियन मील).

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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ग्लीज़ ४४५

ग्लीज़ ४४५ (Gliese 445 या Gl 445) एक ऍम-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है जो पृथ्वी के आकाश में जिराफ़ तारामंडल के क्षेत्र में ध्रुव तारे के पास नज़र आता है। वर्तमानकाल में यह हमारे सूरज से १७.६ प्रकाश-वर्ष दूर है और इसका सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १०.८ है। पृथ्वी पर यह कर्क रेखा से उत्तर के सभी क्षेत्रों में रातभर देखा जा सकता है लेकिन इसकी चमक इतनी मंद है कि इसे देखने के लिये दूरबीन आवश्यक है। यह हमारे सूरज का एक-तिहाई द्रव्यमान (मास) रखने वाला एक लाल बौना तारा है और वैज्ञानिक इसके इर्द-गिर्द मौजूद किसी ग्रह पर जीवन होने की सम्भावना कम समझते हैं।Page 168, Planets Beyond: Discovering the Outer Solar System, Mark Littmann, Mineola, New York: Courier Dover Publications, 2004, ISBN 0-486-43602-0.

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क्रेटर

अपोलो १५ यान द्वारा खींची गयी चन्द्रमा पर ऍरिस्टार्कस और हॅरोडोटस क्रेटरों की तस्वीर क्रेटर किसी खगोलीय वस्तु पर एक गोल या लगभग गोल आकार के गड्ढे को कहते हैं जो किसी विस्फोटक ढंग से बना हो, चाहे वह ज्वालामुखी का फटना हो, अंतरिक्ष से गिरे उल्कापिंड का प्रहार हो या फिर ज़मीन के अन्दर कोई अन्य विस्फोट हो। विस्फोट का कारण प्राकृतिक हो सकता है या कृत्रिम (जैसे की परमाणु बम का विस्फोट)। क्रेटर कई प्रकार के होते हैं -.

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अंतरतारकीय माध्यम

से दिखाई देता है। यह अंतरतारकीय माध्यम स्वरूप फैला हुआ है। अंतरखगोलीय माध्यम या अंतरतारकीय माध्यम हाइड्रोजन और हिलीयम के कणों का मिश्रण होता है जो अत्यंत कम घनत्व की स्थिती मे सारे ब्रह्मांड मे फैला हुआ रहता है। आयनीकृत हाइड्रोजन के फैलाव (जिसे खगोलज्ञ पुरातन खगोलीय शब्दावली अनुसार H II कहते हैं) का पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध से विस्कन्सिन Hα मैपर द्वारा लिया गया हुआ चित्र दिखाया गया है। यह अंतरतारकीय माध्यम स्वरूप फैला हुआ है। .

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अंतरिक्ष

किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड, जैसे पृथ्वी, से दूर जो शून्य (void) होता है उसे अंतरिक्ष (Outer space) कहते हैं। यह पूर्णतः शून्य (empty) तो नहीं होता किन्तु अत्यधिक निर्वात वाला क्षेत्र होता है जिसमें कणों का घनत्व अति अल्प होता है। इसमें हाइड्रोजन एवं हिलियम का प्लाज्मा, विद्युतचुम्बकीय विकिरण, चुम्बकीय क्षेत्र तथा न्युट्रिनो होते हैं। सैद्धान्तिक रूप से इसमें 'डार्क मैटर' dark matter) और 'डार्क ऊर्जा' (dark energy) भी होती है। .

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१९७७

1977 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२००७

वर्ष २००७ सोमवार से प्रारम्भ होने वाला ग्रेगोरी कैलंडर का सामान्य वर्ष है। .

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५ सितंबर

५ सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २४८वॉ (लीप वर्ष में २४९वॉ) दिन है। साल में अभी और ११७ दिन बाकी है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

वायेजर १, वॉयजर प्रथम, वॉयेजर १, वोयेजर प्रथम

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