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वृष्णि

सूची वृष्णि

वृष्णि चंद्रवंश के महान राजा थे। राजा वृष्णी यदुकुल श्रेष्ठ यदु के बेटे थे। उन्हीं के नाम से यादवो की शाखा वृष्णीवंश बनी है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी इसी वृष्णी वंश में हुआ था। वेदव्यास लिखित श्री हरिवंश पुराण में इनके और इनके वंश के बारे में और जानकारी उपलन्ध है। .

3 संबंधों: यदु, हरिवंश पर्व, कृष्ण

यदु

महराजा यदु एक राजा थे। वे यदुकुल के प्रथम सदस्य माने जाते है। उनके वंशज जो कि यादव के नाम से जाने जाते हैं, भारत एवं निकटवर्ती देशो मे काफ़ी संख्या मे पाये जाते हैं। उनके वंशजो मे सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं.महराज यदु यायाती के पुत्र थे श्रेणी:यदुकुल अत्रि ने ब्रह्मा पुत्र कर्दम की पुत्री अनुसूया से विवाह किया था। अनुसूया की माता का नाम देवहूति था। अत्रि को अनुसूया से एक पुत्र जन्मा जिसका नाम दत्तात्रेय था। अत्रि-दंपति की तपस्या और त्रिदेवों की प्रसन्नता के फलस्वरूप विष्णु के अंश से महायोगी दत्तात्रेय, ब्रह्मा के अंश से चन्द्रमा तथा शंकर के अंश से महामुनि दुर्वासा, महर्षि अत्रि एवं देवी अनुसूया के पुत्र रूप में आविर्भूत हुए। इनके ब्रह्मावादिनी नाम की कन्या भी थी। अत्रि पुत्र चन्द्रमा ने बृहस्पति की पत्नी तारा से विवाह किया जिससे उसे बुध नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ, जो बाद में क्षत्रियों के चंद्रवंश का प्रवर्तक हुआ। इस वंश के राजा खुद को चंद्रवंशी कहते थे। चूंकि चंद्र अत्रि ऋषि की संतान थे इसलिए आत्रेय भी चंद्रवंशी ही हुए। ब्राह्मणों में एक उपनाम होता है आत्रेय अर्थात अत्रि से संबंधित या अत्रि की संतान। चंद्रवंश के प्रथम राजा का नाम भी सोम माना जाता है जिसका प्रयाग पर शासन था। अत्रि से चंद्रमा, चंद्रमा से बुध, बुध से पुरुरवा, पुरुरवा से आयु, आयु से नहुष, नहुष से यति, ययाति, संयाति, आयति, वियाति और कृति नामक छः महाबल-विक्रमशाली पुत्र हुए। नहुष के बड़े पुत्र यति थे, जो संन्यासी हो गए इसलिए उनके दुसरे पुत्र ययाति राजा हुए। ययाति के पुत्रों से ही समस्त वंश चले। ययाति के 5 पुत्र थे। देवयानी से यदु और तुर्वसु तथा शर्मिष्ठा से द्रुह्मु, अनु एवं पुरु हुए। यदु से यादव, तुर्वसु से यवन, द्रहुयु से भोज, अनु से मलेच्छ और पुरु से पौरव वंश की स्थापना हुई।.

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हरिवंश पर्व

हरिवंश में वर्णित '''द्वारका''' के आधार पर द्वारका का चित्र (अकबर के लिये चित्रित) हरिवंश पर्व महाभारत का अन्तिम पर्व है इसे 'हरिवंशपुराण' के नाम से भी जाना जाता है। .

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कृष्ण

बाल कृष्ण का लड्डू गोपाल रूप, जिनकी घर घर में पूजा सदियों से की जाती रही है। कृष्ण भारत में अवतरित हुये भगवान विष्णु के ८वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की ८वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। १२५ वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। .

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