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विश्व रक्तदाता दिवस

सूची विश्व रक्तदाता दिवस

विश्व रक्तदान दिवस हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। वर्ष 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सुरक्षित रक्त रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं के सुरक्षित जीवन रक्षक रक्त के दान करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आभार व्यक्त करना है। रक्तदाता .

3 संबंधों: द्वितीय विश्वयुद्ध, रक्तदान, विश्व स्वास्थ्य संगठन

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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रक्तदान

रक्तदान का चित्रीय आरेख रक्तदान तब होता है जब एक स्वस्थ व्यक्ति स्वेच्छा से अपना रक्त देता है और रक्त-आधान (ट्रांसफ्यूजन) के लिए उसका उपयोग होता है या फ्रैकशेनेशन नामक प्रक्रिया के जरिये दवा बनायी जाती है। विकसित देशों में, अधिकांश रक्तदाता अवैतनिक स्वयंसेवक होते हैं, जो सामुदायिक आपूर्ति के लिए रक्त दान करते हैं। गरीब देशों में, स्थापित आपूर्ति सीमित हैं और आमतौर पर परिवार या मित्रों के लिए आधान की जरूरत होने पर ही रक्तदाता रक्त दिया करते हैं। अनेक दाता दान के रूप में रक्त देते हैं, लेकिन कुछ लोगों को भुगतान किया जाता है और कुछ मामलों में पैसे के बजाय काम के समय में सवैतनिक छुट्टी के रूप में प्रोत्साहन दिए जाते हैं। कोई दाता अपने भविष्य के उपयोग के लिए रक्त दान कर सकता है। रक्त दान अपेक्षाकृत सुरक्षित है, लेकिन कुछ दाताओं को उस जगह खरोंच आ जाती है जहां सूई डाली जाती है या कुछ लोग मूर्छा महसूस कर सकते है। संभावित दाताओं का मूल्यांकन किया जाता है ताकि उनके खून का उपयोग असुरक्षित न रहे। जांच में एचआईवी और वायरल हैपेटाइटिस जैसी बिमारियों के परीक्षण शामिल हैं जो रक्त-आधान के जरिये संक्रमित हो सकते हैं। दाता से उसके चिकित्सा इतिहास के बारे में भी पूछा जाता है और दाता के स्वास्थ्य पर दान से कोई क्षतिकारक प्रभाव नहीं पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए उसकी एक संक्षिप्त शारीरिक जांच की जाती है। कितनी बार एक दाता दान कर सकता है यह दिनों और महीनों में भिन्न हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर है कि वह क्या दान कर रहा या कर रही है और किस देश में दान दिया-लिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक दाता को पूर्ण रक्त दानों के बीच 8 हफ्ते (56 दिन) का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन प्लेटलेटफेरेसिस दानों के लिए सिर्फ तीन दिनों का। दिए जाने वाले रक्त की मात्रा और तरीके अलग-अलग हो सकते है, लेकिन एक आदर्श दान पूरे खून का 450 मिलीलीटर (या लगभग एक यूएस पिंट) होता है। इसे मैनुअली या स्वचालित उपकरण से संग्रहित किया जा सकता है जो कि केवल खून के विशिष्ट भाग को लेता है। आधान के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले खून के अधिकांश घटक का छोटा अचल जीवन होता है और लगातार आपूर्ति बनाये रखना एक स्थायी समस्या है। .

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विश्व स्वास्थ्य संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन का ध्वज विश्व स्वास्थ्य संगठन (वि॰ स्वा॰ सं॰) (WHO) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के १९३ सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इस संस्था की स्थापना ७ अप्रैल १९४८ को की गयी थी। इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्‍ल्‍यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है। इथियोपिया के डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए महानिदेशक निर्वाचित हुए हैं। वो डॉक्टर मार्गरेट चैन का स्थान लेंगे जो पाँच-पाँच साल के दो कार्यकाल यानी दस वर्षों तक काम करने के बाद इस पद से रिटायर हो रही हैं।। भारत भी विश्व स्वास्थ्‍य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। .

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