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विभाज्यता के नियम

सूची विभाज्यता के नियम

विभाज्यता के नियम (divisibility rule) उन विधियों को कहते हैं जो सरलता से बता देते हैं कि कोई संख्या किसी दूसरी संख्या से विभाजित हो सकती है या नहीं। किसी भी आधार वाले संख्या-पद्धति (जैसे, द्वयाधारी या अष्टाधारी संख्याओं) के लिये ऐसे नियम बनाये जा सकते हैं किन्तु यहाँ केवल दाशमिक प्रणाली (decimal system) के संख्याओं के लिये विभाज्यता के नियम नियम दिये गये हैं। .

2 संबंधों: सम और विषम अंक, अंक

सम और विषम अंक

विश्व के कुछ शहरों में घरों को संख्यांक देने की यह परंपरा है कि सड़क की एक तरफ सम अंक होते हैं और सड़क की दूसरी तरफ विषम अंक। यदि किसी घर-ढूंढते हुए वाहनचालक को घर-संख्या मालूम हो तो उसे सड़क के केवल एक ही ओर देखने की आवश्यकता होती है गणित में सम (even) ऐसी संख्याओं को कहा जाता है जो २ द्वारा पूर्णतः विभाज्य (डिविज़िबल​) हों, जैसे कि ०, २, ४, ६, ८, इत्यादि। यही कहने का एक और तरीका है कि सभी सम अंक २ के गुणज (मल्टिपल) होते हैं। इस से विपरीत विषम (odd) अंक ऐसे अंकों को कहा जाता है, जो २ द्वारा विभाज्य नहीं होते, जैसे १, ३, ५, ७, ९, ११, आदि। यद्यपि मूल रूप से सम-विषम की अवधारणा अंको पर लगाई जाती थी, आधुनिक गणित में इसे अन्य चीज़ों पर भी लागू किया जाता है। किसी चीज़ की गणितीय समता (parity) उसका वह लक्षण होती है जो यह बतलाए कि वह सम है या विषम। .

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अंक

हिन्दू-अरबी अंक पद्धति; प्रथम सहस्राब्दी ईसापूर्व के अशोक के शिलालेखों पर इन अंकों का प्रयोग देखने को मिलता है। अंक ऐसे चिह्न हैं जो संख्याओं लिखने के काम आते हैं। दासमिक पद्धति में शून्य से लेकर नौ तक (० से ९ तक) कुल दस अंक प्रयोग किये जाते हैं। इसी प्रकार षोडसी पद्धति (hexadecimal system) में शून्य से लेकर ९ तक एवं A से लेकर F कुल १६ अंक प्रयुक्त होते हैं। द्विक पद्धति में केवल ० और् १ से ही सारी संख्याएं अभिव्यक्त की जातीं हैं। हिन्दी भाषा में अंकों एवं बड़ी संख्याओं का उच्चारण नीचे दिया गया है।.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

विभाज्यता

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