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विद्युत शक्ति प्रणाली

सूची विद्युत शक्ति प्रणाली

विद्युत पैदा करने के लिये प्रयुक्त एक वाष्प टरबाइन विद्युत शक्ति प्रणाली (electric power system) से आशय विद्युत युक्तियों के नेटवर्क से है जो विद्युत ऊर्जा के उत्पादन, सम्प्रेषण, वितरण तथा उपयोग के लिये लगाए जाते हैं। विद्युत ग्रिड का योजनामूलक चित्र .

11 संबंधों: ट्राँसफार्मर, शक्ति प्रणाली का संरक्षण, विद्युत ऊर्जा, विद्युत मोटर, विद्युत शक्ति, विद्युत स्विचगीयर, विद्युत उपकेंद्र, विद्युतशक्ति प्रणाली का सिमुलेशन, विद्युतशक्ति का प्रेषण, अल्टरनेटर, उच्च-वोल्टता डीसी पारेषण

ट्राँसफार्मर

---- एक छोटे ट्रांसफॉर्मर का स्वरूप ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैद्युत मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला अवयव नहीं होता। विद्युत उपकरणों में सम्भवतः ट्रान्सफार्मर सर्वाधिक व्यापक रूप से प्रयुक्त विद्युत साषित्र (अप्लाएन्स) है। यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा परस्पर जुडे हुए चालकों के माध्यम से विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवान्तर के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश (direct) के साथ नहीं। ट्रांसफॉर्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है। यह सभी विद्युत मशीनों में सर्वाधिक दक्ष (एफिसिएंट) मशीन है। आधुनिक युग में परिणामित्र वैद्युत् तथा इलेक्ट्रॉनी उद्योगों का अभिन्न अंग बन गया है। किसी ट्रान्सफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: \frac .

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शक्ति प्रणाली का संरक्षण

जर्मनी के एक शक्ति संयंत्र का नियंत्रण-कक्ष एक आधुनिक संरक्षा रिले; यह वितरण प्रणाली में प्रयुक्त अनेकों कार्य करने वाली एक अंकीय रिले है। यह अकेले ही कई विद्युत-यांत्रिक रिले का काम कर सकती है। इसके अलावा इसमें स्व-परीक्षण की सुविधा तथा सूचना को दूर तक पहुँचने/लेने की भी सुविधा है। शक्ति तंत्र का संरक्षण (Power system protection) विद्युत शक्ति प्रणाली की शाखा है जिसके अन्तर्गत विभिन्न वैद्युत दोषों (फाल्ट्स) की स्थिति में विद्युत उपकरणों की सुरक्षा एवं विद्युत प्रदाय का सातत्य (कांटिन्युइटी) सुनिश्चित करने से समब्धित विषय आते हैं। रक्षी प्रणाली का उद्देश्य यह होता है कि दोष की स्थिति में, कम से कम समय में, केवल उन अवयवों को शेष नेटवर्क से अलग किया जाय जिनमें दोष उत्पन्न हुआ है। इससे नेटवर्क का 'स्वस्थ' भाग नेटवर्क में बना रहता है और अपना काम करता रहता है। जो युक्तियाँ विद्युत प्रणाली को दोषों से रक्षा करने के उद्देश्य से लगायी जातीं हैं उन्हें रक्षी युक्तियाँ' (प्रोटेक्टिव डिवाइसेस) कहते हैं। .

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विद्युत ऊर्जा

विद्युत शक्ति एक प्रणाली के भीतर पारम्परिक आवेशित कणों के बीच कूलम्ब बल से जुडी़ स्थितिज ऊर्जा होती है। यहाँ अपरिमित स्थित कणों के बीच सन्दर्भित विभवीय ऊर्जा शून्य होती है। इसकी परिभाषा है: कार्य की मात्रा, जो आवेशित भार रहित कणों पर लगायी जाये, जिससे वे अपरिमित दूरी से किसी निश्चित दूरी तक लाये जा सकें। .

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विद्युत मोटर

विभिन्न आकार-प्रकार की विद्युत मोटरें विद्युत मोटर (electric motor) एक विद्युतयांत्रिक मशीन है जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है; अर्थात इसे उपयुक्त विद्युत स्रोत से जोड़ने पर यह घूमने लगती है जिससे इससे जुड़ी मशीन या यन्त्र भी घूमने लगती है। अर्थात यह विद्युत जनित्र का उल्टा काम करती है जो यांत्रिक ऊर्जा लेकर विद्युत उर्जा पैदा करता है। कुछ मोटरें अलग-अलग परिस्थितियों में मोटर या जनरेटर (जनित्र) दोनो की तरह भी काम करती हैं। विद्युत् मोटर विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिणत करने के साधन हैं। विद्युत् मोटर औद्योगिक प्रगति का महत्वपूर्ण सूचक है। यह एक बड़ी सरल तथा बड़ी उपयोगी मशीन है। उद्योगों में शायद ही कोई ऐसा प्रयोजन हो जिसके लिए उपयुक्त विद्युत मोटर का चयन न किया जा सके। .

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विद्युत शक्ति

किसी विद्युत परिपथ में जिस दर से विद्युत उर्जा स्थानान्तरित होती है उसे विद्युत शक्ति (Electric power) कहते हैं। इसका एसआई मात्रक 'वाट' (W) है। किसी परिपथ के दो नोडों के बीच विभवान्तर v(t) हो तथा इस शाखा में धारा i(t) हो तो उस शाखा द्वारा ली गयी विद्युतशक्ति, .

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विद्युत स्विचगीयर

तैल परिपथ त्रोटक (आयल सर्किट ब्रेकर) विद्युत शक्ति प्रणाली में विद्युत परिपथ को जोड़ने/तोड़ने वाली स्विचों, फ्यूजों, तथा परिपथ त्रोटक आदि को सम्मिलित रूप से वैद्युत स्विचगीयर (switchgear) कहते हैं। इनका उपयोग विद्युत शक्ति प्रणाली को नियंत्रित करने, संरक्षित करने तथा विलगित करने (isolate) के लिए किया जाता है। विद्युत परिपथ को तोड़ने की आवश्यकता मुख्यतः दो कारणों से होती है-.

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विद्युत उपकेंद्र

विद्युत उपकेंद्र (electrical substation) विद्युत उत्पादन, संचारण और वितरण प्रणालियों में प्रयुक्त एक सहायक केन्द्र होता है जहाँ वोल्टता को परिणामित्र की सहायता से अधिक से कम या कम से अधिक किया जाता है। विद्युत उत्पादन केन्द्र से लेकर विद्युत उपभोक्ता तक कई उपकेन्द्र लगाने की जरूरत पड़ती है और वोल्टता को कई चरणों में परिवर्तित किया जाता है न कि एक ही चरण में। 550px .

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विद्युतशक्ति प्रणाली का सिमुलेशन

विद्युतशक्ति प्रणाली का सिमुलेशन (Electrical power system simulation) के अन्तर्गत किसी सिमुलेशन प्रोग्राम का उपयोग करते हुए विद्युत शक्ति प्रणाली का मॉडलिंग और सिमुलेशन किया जाता है। इसमें उस शक्तिप्रणाली के डिजाइन आंकड़े/ऑफलाइन आंकड़े/वास्तविक समय आंकड़े का उपयोग किया जा सकता है। इस तरह के सिमुलेशन प्रोग्राम योजना तथा ऑपरेशन के लिये बहुत उपयोगी होते हैं। इनका उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिये किया जा सकता है-.

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विद्युतशक्ति का प्रेषण

उच्च-वोल्टता प्रेषण लाइन विद्युत्शक्ति को जनित्रस्थल से उपयोगस्थल तक ले जाना प्रेषण (Transmission) कहलाता है। अधिकांश स्थानों में विद्युत्शक्ति का उत्पादन उसके उपयोगस्थलों से दूर होता है। वैसे तो जनित्रस्थल से उपयोगस्थल तक विद्युत्शक्ति को ले जाना ही प्रेषण कहलाता है, परंतु इस शब्द क व्यावहारिक अर्थ बहुधा दूरी तथा उच्च बोल्टता से संबंधित है। प्रेषण लाइनें पोल अथवा मीनारों पर आरोपित, ऊपरी लाइनों के रूप में भी तथा भूमिगत केबिलों के रूप में भी होती हैं। ऊपरी लाइनें साधारणतया ताँबे के तार की होती हैं, परंतु ऐलुमिनियम तथा इस्पात और ऐलुमिनियम के संयुक्त चालक भी विस्तृत रूप से प्रयुक्त किए जाते हैं। .

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अल्टरनेटर

अल्टरनेटर का कार्य-सिद्धान्त अल्टरनेटर प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न करने वाला विद्युत जनित्र है। वस्तुतः यह एक तुल्यकालिक मशीन है। वर्तमान समय में अधिकांश शक्ति संयंत्रों में विद्युत उत्पादन का कार्य अलटरनेटर ही करते हैं। समय के साथ साथ बहुत बड़े बड़े आकार के अलटरनेटर बनने लगते हैं। ५०,००० से १,५०,००० किलोवाट की क्षमतावाले जनित्र अब सामान्य हो गए हैं। ये निरंतर प्रवर्तन करनेवाली मशीनें हैं, इसलिए इनकी संरचना भी अत्यंत मानक आधार (exacting standards) पर होती है। मुख्यत:, यह स्वत: कार्यकारी मशीन होती है और इसके सारे प्रवर्तन दूरस्थ नियंत्रण (remote control) द्वारा नियंत्रित किए जा सकते हैं। क्षेत्र धारा के विचरण से वोल्टता नियंत्रण सुगमता से किया जा सकता है। भार के अनुरूप निवेश (input) स्वयं ही नियंत्रित हो जाता है। इन सब कारणों से वर्तमान विद्युत् जनित्र बहुत ही दक्ष एवं विश्वसनीय होते हैं। वास्तव में इनके विश्वसनीय प्रवर्तन के कारण ही विद्युत् संभरण को विश्वसनीय बनाया जाना संभव हो सका है। .

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उच्च-वोल्टता डीसी पारेषण

लम्बी दूरी की एक उच्च-वोल्टता डीसी पारेषण लाइन एकध्रुवी (मोनोपोल) HVDC प्रणाली का ब्लॉक चित्र द्विध्रुवी (bipolar) HVDC प्रणाली का ब्लॉक चित्र HVDC प्रणाली के लिये उपयुक्त १२ पल्स वाला SCR ब्रिज रेक्टिफायर उच्च-वोल्टता डीसी पारेषण (high-voltage, direct current transmission) बड़ी मात्रा में विद्युत शक्ति के पारेषण की विधि है जिसमें विद्युत शक्ति परम्परागत एसी के बजाय डीसी रूप में भेजी जाती है। इसके कुछ विशिष्ट लाभ हैं; जैसे - लम्बी दूरी तक विद्युत शक्ति भेजने के लिये यह विधि सस्ती पड़ती है; इसमें उर्जा का क्षय कम होता है; कई लाइनों को आपस में जोड़ना आसान है (सिन्क्रोनाइजेशन की समस्या नहीं होती) आदि। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

विद्युत शक्ति तन्त्र

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