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विदर छिद्र

सूची विदर छिद्र

विदर छिद्र (fissure vent) या ज्वालामुखीय विदर (volcanic fissure) लगभग एक रेखा के आकार का ज्वालामुखीय छिद्र होता है जिसमें से पृथ्वी के भीतर से लावा उगला जाता है। इसमें और ज्वालामुखी में एक बड़ा अंतर यह है कि विदर छिद्र से लावा बिना किसी विस्फोट के निकलता है। विदर छिद्र के रेखा-मुख कुछ मीटर से लेकर कुछ किलोमीटर लम्बा हो सकता है। विदर छिद्रों से बाढ़ बेसाल्ट बनता है जो पहले तो लावा नहरों में और फिर लावा ट्यूबों में चलता है। .

7 संबंधों: पृथ्वी, बाढ़ बेसाल्ट, रेखा, लावा, लावा ट्यूब, लावा नहर, ज्वालामुखी

पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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बाढ़ बेसाल्ट

बाढ़ बेसाल्ट (flood basalt) ऐसे भयानक ज्वालामुखीय विस्फोट या विस्फोटों की शृंखला का नतीजा होता है जो किसी समुद्री फ़र्श या घरती के विस्तृत क्षेत्र पर बेसाल्ट लावा फैला दे, यानि वहाँ लावा की बाढ़ फैलाकर उसे जमने पर बेसाल्ट की चट्टानों से ढक दे। बहुत ही बड़े बाढ़ बेसाल्ट के प्रदेशों को उद्भेदन (ट्रैप) कहा जाता है, जिसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण भारत का दक्कन उद्भेदन है। पृथ्वी के पिछले २५ करोड़ वर्षों के इतिहास में बाढ़ बेसाल्ट की ग्यारह घटनाएँ रहीं हैं, जिन्होंने विश्व में कई पठार और पर्वतमालाएँ निर्मित की हैं। हमारे ग्रह के इतिहास की पाँच महाविलुप्ति घटनाओं के पीछे भी एसी बाढ़ बेसाल्ट घटनाओं के होने का सन्देह है और सम्भव है कि पृथ्वी पर क्षुद्रग्रह प्रहार से भी बाढ़ बेसाल्ट घटनाएँ बीत सकती हैं। .

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रेखा

भानुरेखा गणेशन उर्फ़ रेखा (जन्म: 10 अक्टूबर, 1954) हिन्दी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री हैं। प्रतिभाशाली रेखा को हिन्दी फ़िल्मों की सबसे अच्छी अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। वैसे तो रेखा ने अपने फ़िल्मी जीवन की शुरुआत बतौर एक बाल कलाकार तेलुगु फ़िल्म रंगुला रत्नम से कर दी थी, लेकिन हिन्दी सिनेमा में उनकी प्रविष्टि १९७० की फ़िल्म सावन भादों से हुई। 2010 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। .

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लावा

लावा पिघली हुई चट्टान आर्थात मैग्मा का धरातल पर प्रकट होकर बहने वाला भाग है। यह ज्वालामुखी उद्गार द्वारा बाहर निकलता है और आग्नेय चट्टानों की रचना करता है। श्रेणी:भूविज्ञान श्रेणी:ज्वालामुखी श्रेणी:भू-आकृति विज्ञान श्रेणी:ज्वालामुखीयता.

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लावा ट्यूब

लावा ट्यूब (lava tube) एक प्राकृतिक रूप से बनी हुई पाइप, ट्यूब या सुरंग की आकृति का ढांचा होता है जो लावा बहाव से बन जाता है। यह किसी लावा नहर कि सतह पर ठंडे हुए लावा के जमकर ठोस हो जाने के बाद उसके नीचे लगातार लावा बहते रहने से निर्मित होता है। लावा ट्यूबें सक्रीय हो सकती हैं, यानि किसी ज्वालामुखी के विस्फोटों के समय उस से निकल रहे लावा को बहने का स्थान देती हैं या मृत हो सकती हैं, यानि लावा बहाव बहुत काल से समाप्त हो चुका है और वे ठंडी होकर एक लम्बी गुफ़ा-जैसी सुरंगें बन गई हैं। विश्व के कई स्थानों पर मृत लावा ट्यूबों में लोग सैर करने जाते हैं और वे पर्यटक स्थलों के रूप में जानी जाती हैं। .

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लावा नहर

लावा नहर (lava channel) लावा की एक चलती धारा होती है जो ठोस लावा के दो किनारों के बीच बहती है। आरम्भ में यह किनारे नहीं होते लेकिन किसी ढलान पर बहते-बहते लावा ठंडा होकर किनारे बना लेता है और फिर लावा उनके बीच के बने हुए नाले में बहने लगता है। कभी-कभी यदि बहते लावा की मात्रा अधिक हो तो वह किनारों के ऊपर निकल आता है और, जब वह ठंडा होकर ठोस बन जाता है, तो किनारों को अधिक ऊँचा कर देता है। लावा नहरों में बहने वाला लावा मुख्य रूप से बेसाल्टीय होता है। .

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ज्वालामुखी

तवुर्वुर का एक सक्रिय ज्वालामुखी फटते हुए, राबाउल, पापुआ न्यू गिनिया ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या मुख होता है जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं। वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग (rupture) होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी द्वारा निःसृत इन पदार्थों के जमा हो जाने से निर्मित शंक्वाकार स्थलरूप को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है। ज्वालामुखी का सम्बंध प्लेट विवर्तनिकी से है क्योंकि यह पाया गया है कि बहुधा ये प्लेटों की सीमाओं के सहारे पाए जाते हैं क्योंकि प्लेट सीमाएँ पृथ्वी की ऊपरी परत में विभंग उत्पन्न होने हेतु कमजोर स्थल उपलब्ध करा देती हैं। इसके अलावा कुछ अन्य स्थलों पर भी ज्वालामुखी पाए जाते हैं जिनकी उत्पत्ति मैंटल प्लूम से मानी जाती है और ऐसे स्थलों को हॉटस्पॉट की संज्ञा दी जाती है। भू-आकृति विज्ञान में ज्वालामुखी को आकस्मिक घटना के रूप में देखा जाता है और पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन लाने वाले बलों में इसे रचनात्मक बल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि इनसे कई स्थलरूपों का निर्माण होता है। वहीं, दूसरी ओर पर्यावरण भूगोल इनका अध्ययन एक प्राकृतिक आपदा के रूप में करता है क्योंकि इससे पारितंत्र और जान-माल का नुकसान होता है। .

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