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विजयनगर साम्राज्य

सूची विजयनगर साम्राज्य

विजयनगर साम्राज्य - १५वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) मध्यकालीन दक्षिण भारत का एक साम्राज्य था। इसके राजाओं ने ३१० वर्ष राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्णाटक साम्राज्य था। इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का राय नामक दो भाइयों ने की थी। पुर्तगाली इसे बिसनागा राज्य के नाम से जानते थे। इस राज्य की १५६५ में भारी पराजय हुई और राजधानी विजयनगर को जला दिया गया। उसके पश्चात क्षीण रूप में यह और ८० वर्ष चला। राजधानी विजयनगर के अवशेष आधुनिक कर्नाटक राज्य में हम्पी शहर के निकट पाये गये हैं और यह एक विश्व विरासत स्थल है। पुरातात्त्विक खोज से इस साम्राज्य की शक्ति तथा धन-सम्पदा का पता चलता है। .

65 संबंधों: ऊसर, चेंगलपट्टु, तमिल नाडु, तालिकोट का युद्ध, तिरुचिरापल्ली, तिरुमल देव राय, तुलुव नरस नायक, तुंगभद्रा नदी, थिम्म भूपाल, दक्षिण भारत, दक्कन का पठार, द्रविड़ स्थापत्य शैली, देव राय द्वितीय, देव राय १, नृसिंह राय द्वितीय, प्रौढ़ राय, बहमनी सल्तनत, बुक्क राय द्वितीय, बुक्क राय प्रथम, भारतीय साहित्य, भागवत पुराण, मदुरई, मध्वाचार्य, मल्लिकार्जुन राय, महाभारत, मैसूर, रामचन्द्र राय, रामदेव अरविदु, रामायण, शाल्व नृसिंह देव राय, श्रीरंग तृतीय, श्रीरंग द्वितीय, श्रीरंग प्रथम, सदाशिव राय, सर्वेक्षण, साम्राज्य, सायण, संस्कृत साहित्य, स्मारक, हम्पी, हरिहर राय द्वितीय, हरिहर राय प्रथम, हिन्दू धर्म, वास्तुकला, विरुपाक्ष राय, विरुपाक्ष राय द्वितीय, विश्व धरोहर, विजयनगर, विजयनगर साहित्य, विजयनगर का वास्तुशिल्प, ..., विजयनगर के सिक्के, वेद, वेंकट तृतीय, वेंकट द्वितीय, वीर विजय बुक्क राय, वीरनृसिंह राय, ग्रेनाइट, इस्लाम, कर, कर्नाटक, कांचीपुरम, कृष्णदेवराय, कृष्णा नदी, अच्युत देव राय, अलिय राम राय सूचकांक विस्तार (15 अधिक) »

ऊसर

ऊसर या बंजर (barren land) वह भूमि है जिसमें लवणों की अधिकता हो, (विशेषत: सोडियम लवणों की अधिकता हो)। ऐसी भूमि में कुछ नहीं अथवा बहुत कम उत्पादन होता है। .

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चेंगलपट्टु

चेन्नई उपनगरीय रेलवे का मानचित्र चेंगलपट्टु तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई का एक क्षेत्र है। यहां चेन्नई उपनगरीय रेलवे-दक्षिण लाइन का एक स्टेशन है। यह तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित एक छोटा शहर है। यह चेन्नई से 55 किमी दूर नैशनल हाईवे 45 पर स्थित है। इसका अपना सरकारी मेडिकल कॉलेज है। यह पलार नदी के किनारे स्थित है। इसके दक्षिणी सिरे पर कोलवई झील है। श्रेणी:चेन्नई के क्षेत्र श्रेणी:चेन्नई के रेलवे स्टेशन श्रेणी:तमिल नाडु के रेलवे स्टेशन श्रेणी:तमिलनाडु श्रेणी:तमिल नाडु के शहर.

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तमिल नाडु

तमिल नाडु (तमिल:, तमिऴ् नाडु) भारत का एक दक्षिणी राज्य है। तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई (चेऩ्ऩै) है। तमिल नाडु के अन्य महत्त्वपूर्ण नगर मदुरै, त्रिचि (तिरुच्चि), कोयम्बतूर (कोऽयम्बुत्तूर), सेलम (सेऽलम), तिरूनेलवेली (तिरुनेल्वेऽली) हैं। इसके पड़ोसी राज्य आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल हैं। तमिल नाडु में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा तमिल है। तमिल नाडु के वर्तमान मुख्यमन्त्री एडाप्पडी  पलानिस्वामी  और राज्यपाल विद्यासागर राव हैं। .

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तालिकोट का युद्ध

तालिकोट का युद्ध कन्नड़: ತಾಳಿಕೋಟೆ, तेलुगु) (२६ जनवरी १५६५), विजयनगर साम्राज्य एवं दक्खिन के सल्तनत के बीच घमासान युद्ध था, जिसका परिणाम विजयनगर की हार और दक्षिण भारत के अंतिम हिन्दू साम्राज्य का पतन रहा। .

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तिरुचिरापल्ली

तिरुचुरापल्ली(त्रिचि/तिरुची तमिल:தி௫ச்சிராப்பள்ளி/தி௫ச்சி) भारत के तमिलनाडु प्रान्त का एक शहर है। प्राचीन काल में चोल साम्राज्‍य का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा रहा तिरूचिरापल्‍ली वर्तमान में तमिलनाडु राज्य का एक जिला है। तिरूचिरापल्ली जिले का मुख्यालय चिरूचिलापल्ली शहर है। यह स्थान त्रिची के नाम से भी से प्रसिद्ध है। यह शहर कावेरी नदी के तट पर बसा हुआ है। यह स्थान विशेष रूप से विभिन्न मंदिरों जैसे श्री रंगानाथस्वामी मंदिर, श्री जम्बूकेश्‍वरा मंदिर और वरैयूर आदि के लिए प्रसिद्ध है। शहर के मध्य से कावेरी नदी गुजरती है। .

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तिरुमल देव राय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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तुलुव नरस नायक

तुलुव नरस नायक राजा करिषणदेवराय का पिता था। विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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तुंगभद्रा नदी

तुंगभद्रा नदी दक्षिण भारत में बहने वाली एक पवित्र नदी हैं। यह कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश में बहती हुई आन्ध्र प्रदेश में एक बड़ी नदी कृष्णा नदी में मिल जाती है। रामायण में तुंगभद्रा को पंपा के नाम से जाना जाता था। तुंगभद्रा नदी का जन्म तुंगा एवं भद्रा नदियों के मिलन से हुआ है। ये पश्चिमी घाट के पूर्वा ढाल से होकर बहती है। पश्चिमी घाट के गंगामूला नामक स्थान से (उडुपी के पास) समुद्र तल से कोई ११९८ मीटर की ऊँचाई से तुंग तथा भद्रा नदियों का जन्म होता है जो शिमोगा के पास जाकर सम्मिलित होती हैं जहाँ से इसे तुंगभद्रा कहते हैं। उत्तर-पूर्व की ओर बहती हुई, आंध्रप्रदेश में महबूब नगर ज़िले में गोंडिमल्ला में जाकर ये कृष्णा नदी से मिल जाती है। इसके किनारों पर कई हिंदू धार्मिक स्थान हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शृंगेरी मठ तुंगा नदी के बांई तट पर बना है और इनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध है। चौदहवीं सदी में स्थापित दक्कनी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी रही हंपी भी इसी के किनारे स्थित है। हंपी में बहती तुंगभद्रा नदी हम्पी के निकट तुंग नदी एवं भद्रा नदी के संगम से तुंगभद्रा नदी का उद्गम होता है। .

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थिम्म भूपाल

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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दक्षिण भारत

भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं। अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण यह शेष भारत से अलग पहचान बना चुका है। हलांकि इतना भिन्न होकर भी यह भारत की विविधता का एक अंगमात्र है। दक्षिण भारतीय लोग मुख्यतः द्रविड़ भाषा जैसे तेलुगू,तमिल, कन्नड़ और मलयालम बोलते हैं और मुख्यतः द्रविड़ मूल के हैं। .

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दक्कन का पठार

दक्कन का पठारदक्कन का पठार जिसे विशाल प्रायद्वीपीय पठार के नाम से भी जाना जाता है, भारत का विशालतम पठार है। दक्षिण भारत का मुख्य भू भाग इस ही पठार पर स्थित है। यह पठार त्रिभुजाकार है। इसकी उत्तर की सीमा सतपुड़ा और विन्ध्याचल पर्वत शृंखला द्वारा और पूर्व और पश्चिम की सीमा क्रमशः पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट द्वारा निर्धारित होती है। यह पठार भारत के ८ राज्यो में फैला हुआ है। दक्कन शब्द संस्कृत के शब्द दक्षिण का अंग्रेजी अपभ्रंश शब्द डक्कन का हिन्दीकरण है। यह भारत भू भाग का सबसे विशाल खंड है! .

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द्रविड़ स्थापत्य शैली

'''द्रविड़ शैली''' दक्षिण भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। यह शैली दक्षिण भारत में विकसित होने के कारण द्रविड़ शैली कहलाती है। तमिलनाडु व निकटवर्ती क्षेत्रों के अधिकांश मंदिर इसी श्रेणी के होते हैं। .

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देव राय द्वितीय

देव राया द्वितीय (शासनकाल 1424-1446 ई), संगमा राजवंश से विजयनगर साम्राज्य के एक सम्राट थे। वे संभवतः संगमा राजवंश के महानतम सम्राट थे और उन्होंने कुछ समकालीन प्रसिद्ध कन्नड़ तथा तेलुगु कवियों को संरक्षण प्रदान किया। लक्कना दंडेसा, चामासा, जक्कनार्या तथा कुमार व्यास जैसे कन्नड़ कवि और श्रीनाथ (जिन्हें स्वर्ण मुद्राओं अर्थात टंका से नहला दिया गया था) जैसे तेलुगु कवि इनमे सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। ऐसा कहा जाता है कि श्रीनाथ का दर्जा उनके दरबार में वरिष्ठ मंत्रियों के ही समान था और वे सम्राट के साथ स्वतंत्रता पूर्वक घूमते थे। राजा स्वयं एक विद्वान थे और उन्होंने कन्नड़ में सोबागिना सोने तथा संस्कृत में महानाटक सुधानिधि का लेखन किया था। .

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देव राय १

देव राज १ विजयनगर साम्राज्य का राजा था। .

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नृसिंह राय द्वितीय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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प्रौढ़ राय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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बहमनी सल्तनत

सन् 1470 का बहमनी सल्तनत बहमनी सल्तनत (1317-1518) दक्कन का एक इस्लामी राज्य था। इसकी स्थापना ३ अगस्त १३४७ को एक तुर्क-अफ़गान सूबेदार अलाउद्दीन बहमन शाह ने की थी। इसका प्रतिद्वंदी हिन्दू विजयनगर साम्राज्य था। १५१८ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप - गोलकोण्डा, बीजापुर, बीदर, बीरार और अहमदनगर के राज्यों का उदय हुआ। इन पाँचों को सम्मिलित रूप से दक्कन सल्तनत कहा जाता था। श्रेणी:बहमनी सल्तनत श्रेणी:भारत की सल्तनत.

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बुक्क राय द्वितीय

बुक्क राय द्वीतीय (1405–1406 CE) विजयनगर साम्राज्य का संगम वंशीय सम्राट था। हरिहार द्वितीय की मौत के बाद कुछ दिनों के लिये उसका पुत्र विरूपाक्ष राय सिंहासन पर बैठा किन्तु उसकी हत्या उसके आपने ही पूर्त द्वारा कर दी गयी। बुक्क राय द्वितीय विरूपाक्ष का भाई था और उसके बाद उसे सिंहासन प्राप्त हुआ किन्तु उसे भी दो वर्षों के शासन के बाद पदच्युत कर देव राय प्रथम ने गद्दी हथिया ली। .

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बुक्क राय प्रथम

संगम राजवंश में जन्मे बुक्क (ಬುಕ್ಕ; 1357-1377 ई.) विजयनगर साम्राज्य के सम्राट थे। इन्हें बुक्क राय प्रथम के नाम से भी जाना जाता है। प्रोफेसर ए. वी.

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भारतीय साहित्य

भारतीय साहित्य से तात्पर्य सन् १९४७ के पहले तक भारतीय उपमहाद्वीप एवं तत्पश्चात् भारत गणराज्य में निर्मित वाचिक और लिखित साहित्य से होता है। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से सभी साहित्य का मूल स्रोत है। भारतीय गणराज्य में 22 आधिकारिक मान्यता प्राप्त भाषाएँ है। जिनमें मात्र 2 आदिवासी भाषाओं - संथाली और बोड़ो - को ही शामिल किया गया है। .

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भागवत पुराण

सन १५०० में लिखित एक भागवत पुराण मे यशोदा कृष्ण को स्नान कराते हुए भागवत पुराण (Bhaagwat Puraana) हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् (Shrimadbhaagwatam) या केवल भागवतम् (Bhaagwatam) भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। परंपरागत तौर पर इस पुराण का रचयिता वेद व्यास को माना जाता है। श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। .

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मदुरई

मदुरै या मदुरई (மதுரை एवं), दक्षिण भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई जिले का मुख्यालय नगर है। यह भारतीय प्रायद्वीप के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है।फ्रॉमर्स इण्डिया, द्वारा: पिप्पा देब्र्यून, कीथ बैन, नीलोफर वेंकटरमन, शोनार जोशी इस शहर को अपने प्राचीन मंदिरों के लिये जाना जाता है। इस शहर को कई अन्य नामों से बुलाते हैं, जैसे कूडल मानगर, तुंगानगर (कभी ना सोने वाली नगरी), मल्लिगई मानगर (मोगरे की नगरी) था पूर्व का एथेंस। यह वैगई नदी के किनारे स्थित है। लगभग २५०० वर्ष पुराना यह स्थान तमिल नाडु राज्य का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यावसायिक केंद्र है। यहां का मुख्य आकर्षण मीनाक्षी मंदिर है जिसके ऊंचे गोपुरम और दुर्लभ मूर्तिशिल्प श्रद्धालुओं और सैलानियों को आकर्षित करते हैं। इस कारणं इसे मंदिरों का शहर भी कहते हैं। मदुरै एक समय में तमिल शिक्षा का मुख्य केंद्र था और आज भी यहां शुद्ध तमिल बोली जाती है। यहाँ शिक्षा का प्रबंध उत्तम है। यह नगर जिले का व्यापारिक, औद्योगिक तथा धार्मिक केंद्र है। उद्योगों में सूत कातने, रँगने, मलमल बुनने, लकड़ी पर खुदाई का काम तथा पीतल का काम होता है। यहाँ की जनसंख्या ११ लाख ८ हजार ७५५ (२००४ अनुमानित) है। आधुनिक युग में यह प्रगति के पथ पर अग्रसर है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पाने में प्रयासरत है, किंतु अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति को भी संरक्षित किए हुए है। इस शहर के प्राचीन यूनान एवं रोम की सभ्यताओं से ५५० ई.पू.

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मध्वाचार्य

मध्वाचार्य, माधवाचार्य विद्यारण्य से भिन्न हैं। ---- मध्वाचार्य मध्वाचार्य (तुलु: ಶ್ರೀ ಮಧ್ವಾಚಾರ್ಯರು) (1238-1317) भारत में भक्ति आन्दोलन के समय के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों में से एक थे। वे पूर्णप्रज्ञ व आनंदतीर्थ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। वे तत्ववाद के प्रवर्तक थे जिसे द्वैतवाद के नाम से जाना जाता है। द्वैतवाद, वेदान्त की तीन प्रमुख दर्शनों में एक है। मध्वाचार्य को वायु का तृतीय अवतार माना जाता है (हनुमान और भीम क्रमशः प्रथम व द्वितीय अवतार थे)। मध्वाचार्य कई अर्थों में अपने समय के अग्रदूत थे, वे कई बार प्रचलित रीतियों के विरुद्ध चले गये हैं। उन्होने द्वैत दर्शन का प्रतिपादन किया। इन्होने द्वैत दर्शन के ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखा और अपने वेदांत के व्याख्यान की तार्किक पुष्टि के लिये एक स्वतंत्र ग्रंथ 'अनुव्याख्यान' भी लिखा। श्रीमद्भगवद्गीता और उपनिषदों पर टीकाएँ, महाभारत के तात्पर्य की व्याख्या करनेवाला ग्रंथ महाभारततात्पर्यनिर्णय तथा श्रीमद्भागवतपुराण पर टीका ये इनके अन्य ग्रंथ है। ऋग्वेद के पहले चालीस सूक्तों पर भी एक टीका लिखी और अनेक स्वतंत्र प्रकरणों में अपने मत का प्रतिपादन किया। ऐसा लगता है कि ये अपने मत के समर्थन के लिये प्रस्थानत्रयी की अपेक्षा पुराणों पर अधिक निर्भर हैं। .

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मल्लिकार्जुन राय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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महाभारत

महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति वर्ग में आता है। कभी कभी केवल "भारत" कहा जाने वाला यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है। यद्यपि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। .

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मैसूर

मैसूर भारत के कर्नाटक प्रान्त का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह प्रदेश की राजधानी बंगलौर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दक्षिण में तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है। .

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रामचन्द्र राय

रामचंद्र विद्याबागिस (बंगाली: रामचंद्र बीदैबागिश) (१७८६- २ मार्च १८४५) एक भारतीय भाषाशास्त्रज्ञ और संस्कृत विद्वान थे। वह अपने बंगाभाशभाषण के लिए जाना जाता है, पहला मोनोलिंग्यूअल बंगाली डिक्शनरी १८१७ में प्रकाशित हुआ। उन्होंने राजा राममोहन रॉय द्वारा स्थापित वेदांत कॉलेज में पढ़ाया और बाद में १८२७-३७ में संस्कृत कॉलेज में पढ़ाया। कोलकाता में राजा राममोहन रॉय के काम से जुड़े हुए, वह 1828 में स्थापित ब्राह्मो सभा के पहले सचिव थे और उन्होंने १८४३ में देबेन्द्रनाथ टैगोर और 21 अन्य युवाओं को ब्राह्मो समाज में शुरू किया। राजा राममोहन रॉय इंग्लैंड गए, उसके अनूठे युग और बिष्णु चक्रवर्ती के भक्ति गायन ने ब्रह्मो समाज के अस्तित्व में मदद की। वह नंदकुमार विद्यालंकर (बाद में कुलवधुत श्रीमद हरिहरनन्द तीर्थस्वामी) के छोटे भाई थे, एक भटकती साधु, जिन्होंने अपने छोटे दिनों से राजा राममोहन के परिचित थे। वह महानिवाण तंत्र के अनुसार एक सच्चे ईश्वर का भक्त था। .

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रामदेव अरविदु

साम्राज्य के राजा के रूप में राम देव राय (या वीरा राम देव राय) (१६१७-१६३२ सीई) ने सिंहासन चढ़ा। १६१४ में उनके पिता, श्रीगंगा और उनके परिवार के पूर्ववर्ती राजा और उनके परिवार की जिग्मा राय की अध्यक्षता वाले प्रतिद्वंद्वी गुटों ने गंभीर हत्या कर दी थी, जो उनके एक रिश्तेदार थे। खुद को राम देव से जेल से तस्करी की गई थी, जो कि वफादार कमांडर यचामा नायडू और पहले राजा के वायसराय थे। .

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रामायण

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके २४,००० श्लोक हैं। यह हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। .

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शाल्व नृसिंह देव राय

शाल्व नृसिऺह देव राय विजयनगरा राज्य के सम्राट थे। वे विजयनगर के सलुवा वंश से थे। माधवा संत श्रीपादाराय के संरक्षक, उन्होंने संस्कृत के काम रामगुरुओं को लिखा। उन्होंने कन्नड़ कवि लिंग का भी संरक्षण किया। १४५२ मेऺ उन्हें मल्लिकार्जुन राय के शासनकाल के दौरान चंद्ररागिरी के महामंडलेश्वर का शीर्षक दिया गया था। उनके पिता सलुवा गुंडा चंद्रगरी के राज्यपाल थे। वीरपक्ष राया द्वितीय की मृत्यु के बाद और प्रुण देवराय के विजयनगर के नए राजकुमार के आगमन के बाद, साम्राज्य उपेक्षा और अराजकता में फंस गया। सलुवा नारशिमा ने साम्राज्य का विस्तार करने की कोशिश की, हालांकि उन्होंने लगातार विद्रोही सरदारों के कारण कठिनाइयों का सामना किया था। वे विजयनगर के सलुवा मूल रूप से उत्तरी कर्नाटक के कलचुरिस हैं। राजवंश सलुवा जो ऐतिहासिक परंपरा द्वारा उत्तरी कर्नाटक के कल्याणी क्षेत्र के मूल निवासी द्वारा बनाया गया था। गोरांटाला शिलालेख पश्चिम की चालुक्यों और कर्नाटक के कलचुरिस के समय से इस क्षेत्र में अपनी उत्पत्ति का पता लगाता है। वह शब्द "सलुवा" शख्स लिखने वालों के लिए जाना जाता है क्योंकि शिकार में "हॉक" का उपयोग किया जाता है वे बाद में आधुनिक आंध्र प्रदेश के पूर्वी तट में फैले, शायद प्रवास के द्वारा या १४ वीं शताब्दी के दौरान विजयनगर विजय के दौरान। सबसे पहले ज्ञात सलुवा से विजयनगर युग में शिलालेख के साक्ष्य थे मंगलेदेव, सल्वा नरसिंह देव राय के महान दादा थे। मंगलदेव ने मदुरई के सल्तनत के खिलाफ राजा बुक्का रया एक की जीत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके वंशज ने सलुवा राजवंश की स्थापना की थी और दक्षिणी भारत के विजयनगर साम्राज्य की सत्तारूढ़ रेखाओं में से एक था। तीन राजाओं ने १४८५ से १५०५ तक शासन किया, जिसके बाद तुुल्वा राजवंश ने सिंहासन का दावा किया। उन्होंने विजयनगर के साथ लगभग पूरे दक्षिण भारत पर अपनी राजधानी का शासन किया। वीरुपक्ष राया द्वितीय की मृत्यु और इस क्षेत्र के सिंहासन के लिए प्रुदा देव राय के प्रवेश के बाद विजयनगर साम्राज्य ने काफी उपेक्षा और पतन देखा।। उड़ीसा के गजपति शासकों के साथ सलुवा की लड़ाई के बाद १४८९ की लड़ाई में हमला किया गया, पराजित और कैद कर लिया गया, इसके बाद से नकारात्मक परिणामों के बाद किया गया। हालांकि, बाद में उन्हें अपने साम्राज्य के किले और कुछ आसन्न क्षेत्रों को आत्मसमर्पण कर दिए जाने के बाद उन्हें कारावास से मुक्त कर दिया गया था।.

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श्रीरंग तृतीय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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श्रीरंग द्वितीय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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श्रीरंग प्रथम

विजयनगर साम्राज्य का राजा। श्रीरंग देवराय राय (ए.के. श्रीरंग एक) (आर १५७२-१५८६ सीई) तिरुमला देव राय के ज्येष्ठ पुत्र और पेनुकोंडा स्थित विजयनगर साम्राज्य के एक राजा थे। उन्होंने विजयनगर साम्राज्य की पुनर्स्थापना की, लेकिन उनके शासनकाल में उनके मुस्लिम पड़ोसियों के बार-बार आक्रमण और प्रदेशों के नुकसान से जूझ रहा था। १५७६ में, बीजापुर सुल्तान अली आदिल शाह ने तीन महीने के लिए पेनुकोंडा में अपने किले को घेर लिया, लेकिन अंत में श्रीरंग देवा ने आदिल शाह के हिंदू लेफ्टिनेंट्स को खरीदा जिससे उनके कमांडरों ने सुल्तान की सेना को हराने में मदद किया था। १५७९ में, एक मराठा ब्राह्मण के सुल्तान के नए कमांडर मुरारी राव ने एक बड़ी मुस्लिम सेना का नेतृत्व करने वाली अचानक लुप्त हो रही कार्रवाई शुरू की। उनकी भीड़ ने कृत्रिम नदी के दक्षिण में क्षेत्र को बहुत क्रूरता के साथ व्यवस्थित रूप से तबाह कर दिया। १५७९ के अंत में, उन्होंने एहोबिलाम मंदिर को तोड़ दिया और उसको बर्बाद कर दिया। उन्होंने शुद्ध सोने से बना विष्णु की एक प्राचीन माणिक-जड़ी हुई मूर्ति को उखाड़ दिया और इसे एक उपहार के रूप में सुल्तान भेजा। दामरला चेन्नाप्पा नायक, गोर्कांडा हमलावरों को पराजित करने के लिए रिकेरला वेलामा राजवंश के एक सामान्य थे, लेकिन आक्रमणकारियों द्वारा किए गए अत्याचारों की परिमाण ने श्रीरंग देवा को चेतावनी दी, जो भी हमले को समेटने के लिए जल्दबाजी कर रहे थे। मुरारी राव और उनके गोलकॉन्डा हमलावरों को हराया गया, मुरारी राव को चेनप्पा ने पीछा किया, जिन्होंने उन्हें एक पिंजरे में कैद कर लिया और कैद किया। १५८० तक, श्रीरंग देवा ने ज्वार की ओर इशारा किया और गोलकंदा सेना की ओर से पीछा करना शुरू कर दिया। श्रीरंग्ंगा ने अपने ब्राह्मण्य उत्पत्ति के कारण मुरारी राव के जीवन को उदारतापूर्वक बचाया था। इब्राहिम कुतुब शाह, नया सुल्तान बहुत गुस्से में था और उसने खुद को सुलझाने का फैसला किया और उसने अपनी सेना के साथ कोंडविदु पर आक्रमण किया और उदयगिरि किला ले लिया। फिर उन्होंने उदयगिरि पर भारी छाप छोड़ी और स्थानीय लोगों की हत्या कर दी, लेकिन श्रीरंग्ण ने लड़ाई जारी रखी और उदयगिरि से सुल्तान की सेना को शुरुआती वापसी के बाद खारिज कर दिया। अनफज़ेड, कुतुब शाह विनुकोंडा में मारा और किले को जब्त कर लिया। श्रीनिंगा देव, चेन्नप्पा और कस्तुरीरंगा के साथ, विनुकोंडा में पहुंचे और एक भयंकर लड़ाई के बाद सुल्तान की सेना को हराया और वापस भेजा गया। बाद में, श्रीनामदा की सेना, चेन्नप्पा के अधीन, कोंडाविदु के किले पर हमला करते थे, जबकि बाद में लड़ते हुए लड़ते हुए भी उन्होंने सल्तन की सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर किया।.

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सदाशिव राय

सदाशिव राया (१५४३-१५६७) विजयनगर साम्राज्य का एक शासक था, १६ वीं शताब्दी के भारत में दक्कन में स्थित एक शक्तिशाली दक्षिणी भारतीय साम्राज्य था। जब कृष्णदेवराय के छोटे भाई विजयनगर शासक अच्युत राय, १५४२ ईस्वी में उनके बेटे, वेंकट I (वेंकट राया या वेंकटदाय राय) की मृत्यु हो गई, तब उन्हें सफल हुआ। वह एक कमजोर शासक था और छह महीने बाद उसे मार दिया गया था। अद्युत राय के भतीजे (भाई का बेटा) सदाशिव राया, अलिया सैंटाना के कानूनों के अनुसार राजा बन गए थे जो कि बंट जाति के बीच प्रचलित थे, जिस पर तुुल्वा वंश का हिस्सा था। सदाशिव राया को अपने मंत्री राम राय ने नियंत्रित किया था, जो वास्तव में राजा था, जिन्होंने विजयनगर साम्राज्य की शक्ति को बहाल किया था जो कृष्ण देवरा के शासन के बाद कम हो गया था। राम राया की रणनीति एक दूसरे के साथ मिलकर पहले और फिर दूसरे के साथ एक दूसरे के खिलाफ डेक्कन सल्तनत की भूमिका निभाने के लिए थी। वह उनके जीवन और ताज के बकाया था उनके नेतृत्व में न तो प्रशिक्षण और न ही वास्तविक अनुभव था। तीन भाइयों- त्रिमवीरेट-ने प्रशासन का एक लंबा अनुभव हासिल कर लिया था और वे बहुत जुड़ा हुआ था। उन्होनें अपने वंश को महान अरविदु योद्धा सोमदेवराय को देखा, जिन्होंने मुहम्मद-बिन-तुगलक के खिलाफ लड़ा था जब उन्होंने डेक्कन पर हमला किया था। अरावली बुक्का, प्रसिद्ध सम्राट सल्वा नारसिंह के एक सामान्य, सोमदेवराय के एक महान पोते थे। उनके कई रिश्ते तूलवा किंग्स के शासनकाल के दौरान महत्वपूर्ण पदों पर थे। इसके अलावा, राम राया और तिरुमला, दोनों महान राजा कृष्ण राय के दामाद थे और उन्होंने देशद्रोही से साम्राज्य बचाया था, जो सलाकरजु भाइयों ने विजयनगर के शपथ ग्रहण करने वाले दुश्मन को आमंत्रित करने से हिचकिचाह नहीं था, आदिल शाहिस पर कब्जा करने के लिए देश।.

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सर्वेक्षण

सर्वेक्षण उपकरणो की तालिका सर्वेक्षण (Surveying) उस कलात्मक विज्ञान को कहते हैं जिससे पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदुओं की समुचित माप लेकर, किसी पैमाने पर आलेखन (plotting) करके, उनकी सापेक्ष क्षैतिज और ऊर्ध्व दूरियों का कागज या, दूसरे माध्यम पर सही-सही ज्ञान कराया जा सके। इस प्रकार का अंकित माध्यम लेखाचित्र या मानचित्र कहलाता है। ऐसी आलेखन क्रिया की संपन्नता और सफलता के लिए रैखिक और कोणीय, दोनों ही माप लेना आवश्यक होता है। सिद्धांतत: आलेखन क्रिया के लिए रेखिक माप का होना ही पर्याप्त है। मगर बहुधा ऊँची नीची भग्न भूमि पर सीधे रैखिक माप प्राप्त करना या तो असंभव होता है, या इतना जटिल होता है कि उसकी यथार्थता संदिग्ध हो जाती है। ऐसे क्षेत्रों में कोणीय माप रैखिक माप के सहायक अंग बन जाते हैं और गणितीय विधियों से अज्ञात रैखिक माप ज्ञात करना संभव कर देते हैं। इस प्रकार सर्वेक्षण में तीन कार्य सम्मिलित होते हैं -.

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साम्राज्य

राज्य जहां कई जातियां रहती हैं, जो क्षेत्र में विशाल है और जहां सम्राट के पास समस्त अधिकार हैं, साम्राज्य कहलाता है। यह एक राजनैतिक क्षेत्र है जो किसी एक राजा (जैसे मुग़ल साम्राज्य) अथवा कुछ मुख्य-पतियों (जैसे मराठा साम्राज्य) द्वारा साझेदारी में संभाला जाता है। साम्राज्य छोटे समय के अंतराल में भी हो सकता है परन्तु अधिकाँश वह पीढ़ी दर पीढ़ी कई दशकों या सदियों तक चलता है। भारत का सबसे बडा साम्राज्य सम्राट अशोक का मौर्य साम्राज्य था, जिसकी सिमा 50,00,000 वर्ग किमी में श्रेत्र था। इसे देखिए – भारत में सबसे बडे साम्राज्यों की सूची .

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सायण

सायण या आचार्य सायण (चौदहवीं सदी, मृत्यु १३८७ इस्वी) वेदों के सर्वमान्य भाष्यकर्ता थे। सायण ने अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया है, परंतु इनकी कीर्ति का मेरुदंड वेदभाष्य ही है। इनसे पहले किसी का लिखा, चारों वेदों का भाष्य नहीं मिलता। ये २४ वर्षों तक विजयनगर साम्राज्य के सेनापति एवं अमात्य रहे (१३६४-१३८७ इस्वी)। योरोप के प्रारंभिक वैदिक विद्वान तथा आधुनिक भारत के श्री अरोबिंदो तथा श्रीराम शर्मा आचार्य भी इनके भाष्य के प्रशंसक रहे हैं। यास्क के वैदिक शब्दों के कोष लिखने के बाद सायण की टीका ही सर्वमान्य है। .

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संस्कृत साहित्य

बिहार या नेपाल से प्राप्त देवीमाहात्म्य की यह पाण्डुलिपि संस्कृत की सबसे प्राचीन सुरक्षित बची पाण्डुलिपि है। (११वीं शताब्दी की) ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी प्रकार के वाङ्मय का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा का माध्यम होकर भी यह भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। इस भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी (ह्यूमैनिटी) आदि प्राय: समस्त प्रकार के वाङ्मय की रचना हुई। संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है। संस्कृत साहित्य इतना विशाल और scientific है तो भारत से संस्कृत भाषा विलुप्तप्राय कैसे हो गया? .

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स्मारक

पार्थेनोन को प्राचीन ग्रीस और अथीनियान लोकतंत्र के एक स्थायी प्रतीक के रूप में माना जाता है और दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक स्मारकों में से एक माना जाता है। इंडिया गेट (युद्ध स्मारक) ताजमहल, भारत, मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा निर्मित, उनकी पत्नी अर्जुमंद बानो बेगम के लिए एक मकबरे के रूप में. अल्माडा में द क्रिस्टो रिए-अल्माडा (क्राइस्ट राजा), ब्राजील में दुनिया भर के सबसे बड़े स्मारकों में से एक है। पेरिस, फ्रांस में एफिल टॉवर सबसे प्रसिद्ध स्मारक है। Kosciuszko माउंड, क्राको, पोलैंड Tadeusz Kosciuszko को श्रद्धांजलि देता है राष्ट्रीय स्मारक, जकार्ता, इंडोनेशिया की स्वतंत्रता का उत्सव मनाते हुए स्मारक एक ऐसी संरचना है जो या तो खास तौर पर किसी व्यक्ति या महत्वपूर्ण घटना की स्मृति में बनाई गई है, या किसी सामाजिक तबके के लिए उसके पुराने अतीत की याद दिलाने के रूप में महत्वपूर्ण बन गई है। .

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हम्पी

हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी (पम्पा से निकला हुआ) नाम से जाना जाता है और अब केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहाँ एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को के विश्व के विरासत स्थलों में शामिल किया गया है। हर साल यहाँ हज़ारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष....

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हरिहर राय द्वितीय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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हरिहर राय प्रथम

हरिहर प्रथम (1336–1356 CE), जिन्हें हक्क ಹಕ್ಕ और वीर हरिहर प्रथम भी कहा जाता है, विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे। वे भवन संगम के ज्येष्ठ पुत्र थे, कुरुबा जाति के थे और संगम राजवंश के संस्थापक थे, जो कि विजयनगर पर राज्य करने वाले चार राजवंशों में से प्रथम है। सत्ता में आने के तुरंत बाद उन्होंने वर्तमान कर्नाटक के पश्चिमी किनारे पर बार्कुरु में एक किले का निर्माण करवाया.

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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वास्तुकला

'''अंकोरवाट मंदिर''' विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना है भवनों के विन्यास, आकल्पन और रचना की, तथा परिवर्तनशील समय, तकनीक और रुचि के अनुसार मानव की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने योग्य सभी प्रकार के स्थानों के तर्कसंगत एवं बुद्धिसंगत निर्माण की कला, विज्ञान तथा तकनीक का संमिश्रण वास्तुकला (आर्किटेक्चर) की परिभाषा में आता है। इसका और भी स्पष्टकीण किया जा सकता है। वास्तुकला ललितकला की वह शाखा रही है और है, जिसका उद्देश्य औद्योगिकी का सहयोग लेते हुए उपयोगिता की दृष्टि से उत्तम भवननिर्माण करना है, जिनके पर्यावरण सुसंस्कृत एवं कलात्मक रुचि के लिए अत्यंत प्रिय, सौंदर्य-भावना के पोषक तथा आनंदकर एवं आनंदवर्धक हों। प्रकृति, बुद्धि एवं रुचि द्वारा निर्धारित और नियमित कतिपय सिद्धांतों और अनुपातों के अनुसार रचना करना इस कला का संबद्ध अंग है। नक्शों और पिंडों का ऐसा विन्यास करना और संरचना को अत्यंत उपयुक्त ढंग से समृद्ध करना, जिससे अधिकतम सुविधाओं के साथ रोचकता, सौंदर्य, महानता, एकता और शक्ति की सृष्टि हो से यही वास्तुकौशल है। प्रारंभिक अवस्थाओं में, अथवा स्वल्पसिद्धि के साथ, वास्तुकला का स्थान मानव के सीमित प्रयोजनों के लिए आवश्यक पेशों, या व्यवसायों में-प्राय: मनुष्य के लिए किसी प्रकार का रक्षास्थान प्रदान करने के लिए होता है। किसी जाति के इतिहास में वास्तुकृतियाँ महत्वपूर्ण तब होती हैं, जब उनमें किसी अंश तक सभ्यता, समृद्धि और विलासिता आ जाती है और उनमें जाति के गर्व, प्रतिष्ठा, महत्वाकांक्षा और आध्यात्मिकता की प्रकृति पूर्णतया अभिव्यक्त होती है। .

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विरुपाक्ष राय

विजयनगर साम्राज्य का राजा। श्रेणी:भारतीय हिन्दू श्रेणी:विजयनगर साम्राज्य.

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विरुपाक्ष राय द्वितीय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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विश्व धरोहर

यूनेस्को की विश्व विरासत समिति का लोगो युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। अब तक (2006 तक) पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल हैं। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें। बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है। .

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विजयनगर

विजयनगर साम्राज्य की राजधानी; अब यह हम्पी (पम्पा से निकला हुआ) नगर है। .

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विजयनगर साहित्य

विजयनगर साहित्य से आशय विजयनगर साम्राज्य में रचित कन्नड, तेलुगु संस्कृत और तमिल साहित्य से है। यह काल दक्षिण भारत के साहित्यिक इतिहास का स्वर्ण काल था। इस काल में राजाओं ने विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों को आश्रय दिया जिन्होने जैन, वीरशैव और वैष्णव सम्प्रदाय की परम्पराओं के ग्रन्थों की रचना की। इस काल में सैकड़ों ग्रन्थों की रचना हुई जो भारतीय संस्कृति, धर्म, जीवनचरित, प्रबन्ध, संगीत, व्याकरण, कविता, आयुर्वेद आदि से सम्बन्धित थे। .

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विजयनगर का वास्तुशिल्प

विजयनगर वास्तुशिल्प (ವಿಜಯನಗರ ವಾಸ್ತುಶಿಲ್ಪ) का विकास विजयनगर साम्राज्य के समय में 1336–1565 ई के मध्य हुआ। दक्षिण भारत के इस साम्राज्य की राजधानी विजयनगर थी। श्रेणी:विजयनगर साम्राज्य.

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विजयनगर के सिक्के

दक्षिण भारत में १३३६ से १६४६ तक विजयनगर साम्राज्य था और वर्तमान में इसका अस्तित्व समाप्त हो चूका है यहां की मुद्रा प्रणाली काफी जटिल थी। विजयनगर साम्राज्य द्वारा जारी किए गए सिक्कों की मानक इकाई अंग्रेजी या ३.१ जीआर के वराह के बराबर थीं। .

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वेद

वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

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वेंकट तृतीय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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वेंकट द्वितीय

वेंकटपति द्वितीय (or अथवा वेंकटपति राय, राज 1585–1614) श्रीरंग देव राय के अनुजभ्राता, तिरुमल देव राय के कनिष्ठ पुत्र थें एवं विजयनगर साम्राज्य के सम्राट जिन्होंने पेनुकोंडा, चंद्रगिरि एवं वेल्लोर से शासन किया। उनके शासन काल में विजयनगर साम्राज्य की सैन्य शक्ति और समृद्धि में पुनरुत्थान हुआ था जो तालीकोटा के पराजय के कारण घाट गए थें।  इन्होनें गोलकोंडा और बीजापुर सल्तनतों और विद्रोहियों से निपटकर राज्य का पुनरुत्थान किये।  आज के तमिल नाडु और आंध्र प्रदेश के नायकों पर फिर से नियंत्रण पाए। .

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वीर विजय बुक्क राय

विजयनगर साम्राज्य का राजा।.

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वीरनृसिंह राय

विजयनगर साम्राज्य का राजा। वीर नरसिंह राय, (या वीरा नरसिंह, वीरा नरसिम्हा III) (१५०५-१५०९) ने तनुला नारसा नायक की मृत्यु के बाद विजयनगर साम्राज्य का राजा बना। कृष्णा देवराय राव उनके छोटे भाई थे। अपने सक्षम पिता तुलुवा नारसा नायक की मौत के कारण हर जगह विद्रोह में बढ़ती झगड़े हुए। अपने लेखन में, नूनज ने कहा कि पूरी दुनिया विद्रोह में बढ़ी है। सबसे पहले, तुमुवा नारसा नायक के सबसे बड़े बेटे इमिदी नारसा नायक राजा बन गए और हत्या के लिए दो साल पहले सिंहासन पर रहे। वीर नरसिंह राय को अगले १५०५ में ताज पहनाया गया और उन्होंने अपने सभी वर्षों में विद्रोही सरदारों से लड़ते हुए बिताया। बीजापुर के यूसुफ आदिल खान ने तुंगभद्रा के दक्षिण में अपने डोमेन का विस्तार करने की कोशिश की। विजयनगर रीजेंट का समर्थन अरविद परिवार के अलीया राम राय और उनके पुत्र थिमा ने किया था। उनकी मदद से, आदिल खान पराजित हो गया था और वापस धक्का दिया था। अदोनी और कुर्नूल क्षेत्र विजयनगर साम्राज्य का एक हिस्सा बन गए। उममत्तूर के प्रमुख फिर से विद्रोह में थे और विर नरसिंह राय ने विद्रोह को दबाने के लिए दक्षिण की ओर सेट किया था, जिसने कृष्ण देव राय को अनुपस्थिति में शासक के रूप में रखा था। उमात्तुर में विद्रोह को दबाने के लिए विर नरसिंह राय के ठोस प्रयासों का मिश्रित परिणाम था। इस संघर्ष में पुर्तगाल ने राजा राया की सेनाओं की मदद की, भटकल के बंदरगाह के नियंत्रण में बदले में घोड़ों और तोपखाने प्रदान की। १५०९ में जब उनकी मृत्यु के वक्त, विरासत में यह कहा गया कि वीरा नरसिंह राय ने अपने मंत्री साल्वा थिम्मा (थिममरासा) से अपने छोटे भाई कृष्ण देवराय को अंधा करने के लिए अनुरोध किया ताकि उनका आठ वर्षीय पुत्र विजयनगर का राजा बन सके। थिममरास ने बकरी की आँखों की एक जोड़ी राजा के पास लायी और उन्हें बताया कि उनके पास कृष्णा देवरा की हत्या कर दी गई है। हालांकि, कुछ भी साबित करने का कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन दोनों आधे भाइयों के बीच एक मैत्रीपूर्ण रिश्ते हैं और कृष्णदेव राय के राज्याभिषेक एक चिकनी एक था।.

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ग्रेनाइट

ग्रेनाइट पाषाण का निकट दृश्य ग्रैनाइट (Granite, कणाशम) मणिभीय दानेदार शिला है, जिसके प्रमुख अवयव स्फटिक (quartz) और फेल्स्पार (feldspar) हैं। यह आग्नेय (इग्नेयस) पाषाण है। 'ग्रैनाइट' शब्द का सर्वप्रथम उपयोग प्राचीन इटालियन संग्रहकर्ताओं ने किया था। रोम के शिल्पकार फ्लेमिनियस वेका के एक वर्णन में इसका प्रथम सन्दर्भ मिलता है। ग्रैनाइट पृथ्वी के प्रत्येक में पाया जाता है। भारत में भी यह प्रचुरता से मिलता है। मैसूर, उत्तर आरकट, मद्रास, राजपूताना, सलेम, बुंदेलखंड और सिंहभूमि में पर्याप्त प्राप्त होता है। हिमालय प्रदेशों में भी ग्रैनाइट शिलाएँ विद्यमान हैं। तमिलनाडु के तंजावुर नगर में स्थित वृहदेश्वर मंदिर विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जो ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है। .

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इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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कर

किसी राज्य द्वारा व्यक्तियों या विविध संस्था से जो अधिभार या धन लिया जाता है उसे कर या टैक्स कहते हैं। राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्राय: धन (मनी) के रूप में लगाया जाता है किन्तु यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जा सकता है। कर दो तरह के हो सकते हैं - प्रत्यक्ष कर (direct tax) या अप्रत्यक्ष कर (indirect tax)। एक तरफ इसे जनता पर बोझ के रूप में देखा जा सकता है वहीं इसे सरकार को चलाने के लिये आधारभूत आवश्यकता के रूप में भी समझा जा सकता है। भारत के प्राचीन ऋषि (समाजशास्त्री) कर के बारे में यह मानते थे कि वही कर-संग्रहण-प्रणाली आदर्श कही जाती है, जिससे करदाता व कर संग्रहणकर्ता दोनों को कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि कर-संग्रहण इस प्रकार से होना चाहिये जिस प्रकार मधुमक्खी द्वारा पराग संग्रहण किया जाता है। इस पराग संग्रहण में पुष्प भी पल्लवित रहते हैं और मधुमक्खी अपने लिये शहद भी जुटा लेती है। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कांचीपुरम

कांचीपुरम, कांची, भारत के तमिल नाडु राज्य का एक नगरमहापालिका क्षेत्र है। यह मन्दिरों का शहर है। यह कांचीपुरम् जिला का मुख्यालय भी है। इसे पूर्व में कांची या काचीअम्पाठी भी कहते थे। यह पलार नदी के किनारे स्थित है, एवं अपनी रेशमी साडि़यों एवं मन्दिरों के लिये प्रसिद्ध है। यहां कई बडे़ मन्दिर हैं, जैसे वरदराज पेरुमल मन्दिर भगवान विष्णु के लिये, भगवान शिव के पांच रूपों में से एक को समर्पित एकाम्बरनाथ मन्दिर, कामाक्षी अम्मा मन्दिर, कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर मन्दिर, कैलाशनाथ मन्दिर, इत्यादि। यह नगर अपनी रेशमी साडि़यों के लिये भी प्रसिद्ध है। ये साडि़याँ हाथोम से बुनी होती हैं, एवं उच्च कोटि की गुणवत्त होती है। इसीलिये, प्रायः सभी तमिल संभ्रांत परिवार की महिलाओं की साडि़यों केएक ना एक तो कांजीवरम होती ही है। इनकी उत्तर भारत में भी खूब मूल्य होता है। उत्तरी तमिलनाडु में स्थित कांचीपुरम भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में एक माना जाता है। हिन्दुओं का यह पवित्र तीर्थस्थल हजार मंदिरों के शहर के रूप में चर्चित है। आज भी कांचीपुरम और उसके आसपास 126 शानदार मंदिर देखे जा सकते हैं। यह शहर चैन्नई से 45 मील दक्षिण पश्चिम में वेगवती नदी के किनार बसा है। कांचीपुरम प्राचीन चोल और पल्लव राजाओं की राजधानी थी। मंदिरों के अतिरिक्त यह शहर हैंडलूम इंडस्ट्री और खूबसूरत रेशमी साड़ियों के लिए सर्वविख्यात है। .

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कृष्णदेवराय

कृष्णदेवराय की कांस्य प्रतिमा संगीतमय स्तम्भों से युक्त हम्पी स्थित विट्ठल मन्दिर; इसके होयसला शैली के बहुभुजाकार आधार पर ध्यान दीजिए। कृष्णदेवराय (1509-1529 ई.; राज्यकाल 1509-1529 ई) विजयनगर के सर्वाधिक कीर्तिवान राजा थे। वे स्वयं कवि और कवियों के संरक्षक थे। तेलुगु भाषा में उनका काव्य अमुक्तमाल्यद साहित्य का एक रत्न है। इनकी भारत के प्राचीन इतिहास पर आधारित पुस्तक वंशचरितावली तेलुगू  के साथ—साथ संस्कृत में भी मिलती है। संभवत तेलुगू का अनुवाद ही संस्कृत में हुआ है। प्रख्यात इतिहासकार तेजपाल सिंह धामा ने हिन्दी में इनके जीवन पर प्रामाणिक उपन्यास आंध्रभोज लिखा है। तेलुगु भाषा के आठ प्रसिद्ध कवि इनके दरबार में थे जो अष्टदिग्गज के नाम से प्रसिद्ध थे। स्वयं कृष्णदेवराय भी आंध्रभोज के नाम से विख्यात थे। .

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कृष्णा नदी

विजयवाड़ा में बहती कृष्णा कृष्णा भारत में बहनेवाली एक नदी है। यह पश्चिमी घाट के पर्वत महाबलेश्वर से निकलती है। इसकी लम्बाई प्रायः 1290 किलोमीटर है। यह दक्षिण-पूर्व में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। कृष्णा नदी की उपनदियों में प्रमुख हैं: तुंगभद्रा, घाटप्रभा, मूसी और भीमा.

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अच्युत देव राय

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अलिय राम राय

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