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वाराणसी का स्थापत्य

सूची वाराणसी का स्थापत्य

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1 संबंध: वाराणसी के पर्यटन स्थल

वाराणसी के पर्यटन स्थल

भारत की सबसे बड़ी नदी गंगा करीब 2525 किलोमीटर की दूरी तय कर गोमुख से गंगासागर तक जाती है। इस पूरे रास्‍ते में गंगा उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। केवल वाराणसी में ही गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में बहती है। यहां लगभग 84 घाट हैं। ये घाट लगभग 4 मील लम्‍बे तट पर बने हुए हैं। इन 84 घाटों में पांच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्‍हें सामूहिक रूप से 'पंचतीर्थी' कहा जाता है। ये हैं अस्‍सीघाट, दश्‍वमेद्यघाट, आदिकेशवघाट, पंचगंगाघाट तथा मणिकर्णिकघाट। अस्‍सीघाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशवघाट सबसे उत्तर में स्थित हैं। हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है। तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि तुलसीदास से संबंधित है। तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी। कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आखिरी समय यहीं व्‍यतीत किया था। इसी के समीप बच्‍चाराजा घाट है। यहीं पर जैनों के सातवें तीर्थंकर सुपर्श्‍वनाथ का जन्‍म हुआ था। अब यह जैनघाट के नाम से जाना जाता है। चेत सिंह घाट एक किला की तरह लगता है। चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्‍होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। महानिर्वाणी घाट में महात्‍मा बुद्ध ने स्‍नान किया था। हरिश्‍चंद्र घाट का संबंध राजा हरिश्‍चंद्र से है। मणिकर्णिघाट पर स्थित भवनों का निर्माण पेशवा बाजीराव तथा अहिल्‍याबाई होल्‍कर ने करवाया था। 'दूध का कर्ज' मंदिर को जरुर देखना चाहिए। लोक कथाओं के अनुसार एक अमीर घमण्‍डी पुत्र ने इस मंदिर को बनवाया और इसे अपनी मां को समर्पित कर दिया। उसने अपनी मां से कहा मैंने तेरे लिए मंदिर बनवाकर तेरा कर्ज चुका दिया। तब उसकी मां ने कहा कि दूध का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता। तभी से इस मंदिर का नाम दूध का कर्ज मंदिर पड़ गया। पंचगंगा घाट भी काशी के ऐतिहासिक गंगा घाटों में एक है। ये विष्णु काशी क्षेत्र में आता है। यहां कार्तिक माह में स्नान का बड़ा पुण्य माना गया है। कार्तिक में आकाशी द्वीप जलाने की सदियों पुरानी परम्परा है। यहीं पर ऐतिहासिक विन्दु माधव भगवान का मंदिर, रामानंदाचार्य पीठ के नाम से विख्यात श्रीमठ और तैलंग स्वामी का समाधी स्थल भी है। पंचगंगा घाट की सीढियों पर हीं कभी कबीर दास को स्वामी रामानंद ने तारक राममंत्र की दीक्षा दी थी और उन्हें अपना शिष्य बनाया था। देव दीपावली के दिन यहां मेला सजता है। श्रीमठ के पास हीं रानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित हजारा द्वीप स्तम्भ भी दर्शनीय है। गांगा घाटों की सैर करने वाले हजारो तीर्थयात्री प्रतिदिन वहां रूके वगैर आगे नहीं बढ़ते.

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