लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

वायुराशि

सूची वायुराशि

उत्तरी अमेरिका एवं अन्य महाद्वीपों को प्रभावित करने वाली वायुराशियाँ; ये दूसरे वायुराशियों से एक सीमारेखा द्वारा अलग होती हैं। वायुराशि हवा का वह घना भाग है जिसका ताप एवं आर्द्रता एक समान एवं समतल हो। कुछ निश्चित स्थानों पर वायुमंडल में हवाओं की सामान्य गति के कारण वायु की विशाल राशि एकत्र हो जाती है, जिसकी अपनी विशेषताएँ और भौतिक दशाएँ, विशेषकर ताप और आर्द्रता, निश्चित तथा स्पष्ट होती हैं। विश्व के मानचित्र पर से स्थायी रूप से एक निश्चित स्थान पर पाई जाती हैं। इनकी स्थिति में थोड़ा बहुत परिवर्तन सूर्य की किरणों के साथ हुआ करता है। वायुराशि के उत्पत्तिस्थान को स्रोतक्षेत्र (source regions) कहते हैं। प्रतिचक्रवातीय क्षेत्र इस प्रकार की वायुराशि की उत्पत्ति के लिए उपयुक्त स्थान है, जैसे वायुराशि के प्रमुख क्षेत्र कैनाडा का हिमाच्छादित ध्रुववृत्तीय मैदान, शीतकाल में साइबेरिया, उष्ण कटिबंधी महासागरों के विस्तृत क्षेत्र तथा गरम एवं शुष्क सहारा क्षेत्र। वायुराशि अधिक समय तक अपने उत्पत्ति स्थान पर नहीं ठहर सकती है, बल्कि शीघ्रता से बाहर की ओर चलना प्रारंभ कर देती है। इसका क्षेत्र इतना विशाल एवं गति इतनी मंद होती है कि चलते समय इसकी विशेषताओं में अंतर होता जाता है। जब दो वायुराशियों के ताप और आर्द्रता में अंतर होता है, तो ये सरलता से आपस में नहीं मिल पाती हैं और इनके बीच में सीमांत क्षेत्र बन जाता है, जिसके दोनों ओर दो प्रकार के ताप पाए जाते हैं। .

4 संबंधों: तापमान, प्रति-चक्रवात, पृथ्वी का वायुमण्डल, आर्द्रता

तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

नई!!: वायुराशि और तापमान · और देखें »

प्रति-चक्रवात

प्रति-चक्रवात (anticyclone) की प्रकृति तथा विशेषताएं चक्रवात से पूर्णतः विपरीत होती हैं। इसके केन्द्र में उच्च वायुदाब का क्षेत्र होता है जबकि परिधि की ओर निम्न वायुदाब पाया जाता है| इसके कारण हवाएं केन्द्र से परिधि की ओर प्रवाहित होती हैं। इनमें दाब प्रवणता कम (१०-१५ मिलीबार) ही होती है। .

नई!!: वायुराशि और प्रति-चक्रवात · और देखें »

पृथ्वी का वायुमण्डल

अंतरिक्ष से पृथ्वी का दृश्य: वायुमंडल नीला दिख रहा है। पृथ्वी को घेरती हुई जितने स्थान में वायु रहती है उसे वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल के अतिरिक्त पृथ्वी का स्थलमंडल ठोस पदार्थों से बना और जलमंडल जल से बने हैं। वायुमंडल कितनी दूर तक फैला हुआ है, इसका ठीक ठीक पता हमें नहीं है, पर यह निश्चित है कि पृथ्वी के चतुर्दिक् कई सौ मीलों तक यह फैला हुआ है। वायुमंडल के निचले भाग को (जो प्राय: चार से आठ मील तक फैला हुआ है) क्षोभमंडल, उसके ऊपर के भाग को समतापमंडल और उसके और ऊपर के भाग को मध्य मण्डलऔर उसके ऊपर के भाग को आयनमंडल कहते हैं। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के बीच के भाग को "शांतमंडल" और समतापमंडल और आयनमंडल के बीच को स्ट्रैटोपॉज़ कहते हैं। साधारणतया ऊपर के तल बिलकुल शांत रहते हैं। प्राणियों और पादपों के जीवनपोषण के लिए वायु अत्यावश्यक है। पृथ्वीतल के अपक्षय पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। नाना प्रकार की भौतिक और रासायनिक क्रियाएँ वायुमंडल की वायु के कारण ही संपन्न होती हैं। वायुमंडल के अनेक दृश्य, जैसे इंद्रधनुष, बिजली का चमकना और कड़कना, उत्तर ध्रुवीय ज्योति, दक्षिण ध्रुवीय ज्योति, प्रभामंडल, किरीट, मरीचिका इत्यादि प्रकाश या विद्युत के कारण उत्पन्न होते हैं। वायुमंडल का घनत्व एक सा नहीं रहता। समुद्रतल पर वायु का दबाव 760 मिलीमीटर पारे के स्तंभ के दाब के बराबर होता है। ऊपर उठने से दबाव में कमी होती जाती है। ताप या स्थान के परिवर्तन से भी दबाव में अंतर आ जाता है। सूर्य की लघुतरंग विकिरण ऊर्जा से पृथ्वी गरम होती है। पृथ्वी से दीर्घतरंग भौमिक ऊर्जा का विकिरण वायुमंडल में अवशोषित होता है। इससे वायुमंडल का ताप - 68 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। 100 किमी के ऊपर पराबैंगनी प्रकाश से आक्सीजन अणु आयनों में परिणत हो जाते हैं और परमाणु इलेक्ट्रॉनों में। इसी से इस मंडल को आयनमंडल कहते हैं। रात्रि में ये आयन या इलेक्ट्रॉन फिर परस्पर मिलकर अणु या परमाणु में परिणत हो जाते हैं जिससे रात्रि के प्रकाश के वर्णपट में हरी और लाल रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं। .

नई!!: वायुराशि और पृथ्वी का वायुमण्डल · और देखें »

आर्द्रता

वायुमण्डल में विद्यमान अदृष्य जलवाष्प की मात्रा आर्द्रता (humidity) कहलाती हैं। यह आर्द्रता पृथ्वी से वाष्पीकरण के विभिन्न रुपों द्वारा वायुमण्डल में पहुंचती हैं। आर्द्रता का जलवायु विज्ञान में सर्वाधिक महत्व होता हैं, क्योंकि इसी पर वर्षा, तथा वर्षण के विभिन्न रूप जैसे वायुमण्डलीय तूफान तथा विक्षोभ (चक्रवात आदि) आधारित होते हैं। वर्षा, बादल, कुहरा, ओस, ओला, पाला आदि से ज्ञात होता है कि पृथ्वी को घेरे हुए वायुमंडल में जलवाष्प सदा न्यूनाधिक मात्रा में विद्यमान रहता है। प्रति घन सेंटीमीटर हवा में जितना मिलीग्राम जलवाष्प विद्यमान है, उसका मान हम रासायनिक आर्द्रतामापी से निकालते है, किंतु अधिकतर वाष्प की मात्रा को वाष्पदाव द्वारा व्यक्त किया जाता है। वायु-दाब-मापी से जब हम वायुदाब ज्ञात करते हैं तब उसी में जलवाष्प का भी दाब सम्मिलित रहता है। आर्द्रतामापी - हवा में आर्द्रता की मात्रा को नापने का उपकरण .

नई!!: वायुराशि और आर्द्रता · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »