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वामन शिवराम आप्टे

सूची वामन शिवराम आप्टे

वामन शिवराम आप्टे वामन शिवराम आप्टे (1858-1892) संस्कृत के महान पंडित थे। उनकी पुस्तकों में "स्टूडेंट्स् गाइड टु संस्कृत कांपोज़ीशन" तथा इंग्लिश-संस्कृत और संस्कृत-इंग्लिश कोश विशेष प्रसिद्ध हैं। इनमें प्रथम पुस्तक के रूप में उनकी कीर्ति चिरस्थायी है। इस पुस्तक में संस्कृत वाक्यरचना के संबंध में उनके विचार नवीन हैं और उनकी बुद्धिमत्ता के परिचायक हैं। यह पुस्तक हिंदुस्थान में ही नहीं, बाहर भी सर्वत्र मान्य है। .

13 संबंधों: डेकन कॉलेज, पीला, बाल गंगाधर तिलक, बुनियादी शिक्षा, मराठा, मराठी भाषा, मातृभाषा, संस्कृत भाषा, विष्णु कृष्ण चिपलूणकर, गणित, गोपाल गणेश आगरकर, कोल्हापुर, अंग्रेज़ी भाषा

डेकन कॉलेज

डेकन कॉलेज पुणे का एक प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान है। वर्तमान समय में इसका नाम डेक्कन कॉलेज परास्नातक एवं अनुसंधान संस्थान (Deccan College Post-Graduate and Research Institute) है। यह पुरातत्व एवं भाषाविज्ञान के शिक्षण के लिये जाना जाता है। यह भारत में आधुनिक शिक्षा के सबसे प्राचीन संस्थानों में से एक है। मुळा-मुठा नदीयोंपे काफी संशोधन इस काॅलेजमे हुआ है.

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पीला

पीला एक रंग है जो कि मानवीय चक्षु के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यम, दोनों तरंग दैर्घ्य वालों को प्रभावित करता है। यह वह वर्ण है, जिसमें लाल एवं हरा वर्ण बाहुल्य में, एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस का तरंग दैर्घ्य 570–580 nm है। .

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बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक,; २३ जुलाई १८५६ - १ अगस्त १९२०), जन्म से केशव गंगाधर तिलक, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुएँ; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे। उन्हें, "लोकमान्य" का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत (उनके नायक के रूप में)। इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। तिलक ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" (स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै और मुहम्मद अली जिन्नाह शामिल थे। .

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बुनियादी शिक्षा

भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के समय गांधीजी ने सबसे पहले बुनियादी शिक्षा की कल्पना की थी। आज जिसे विश्वविद्यालय स्तर पर "फाउंडेशन कोर्स" कहा जाता है, उसकी पृष्ठभूमि में गांधी की बुनियादी यानी बेसिक शिक्षा ही तो थी। इस बुनियादी प्रशिक्षण और प्राथमिक स्तर की शिक्षा के दो स्तर थे- स्कूली बच्चे कक्षा-एक से ही तकली से सूत कातते थे; रूई से पौनी बनाते थे और सूत की गुड़िया बनाकर या तो खादी भंडारों को देते थे या बैठने के आसन, रुमाल, चादर आदि बनाते थे। शिक्षा के बारे में गांधीजी का दृष्टिकोण वस्तुत: व्यावसायपरक था। उनका मत था कि भारत जैसे गरीब देश में शिक्षार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ कुछ धनोपार्जन भी कर लेना चाहिए जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसी उद्देश्य को लेकर उन्होंने ‘वर्धा शिक्षा योजना’ बनायी थी। शिक्षा को लाभदायक एवं अल्पव्ययी करने की दृष्टि से सन् १९३६ ई. में उन्होंने ‘भारतीय तालीम संघ’ की स्थापना की। .

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मराठा

मराठा (पुरातन रूप से मरहट्टा या मारहट्टा के रूप में लिप्यंतरित) भारत में जातियों का एक समूह मुख्य रूप से महाराष्ट्र राज्य में रहता है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक, "मराठा, भारत के इतिहास के बहादुर लोग हैं, इतिहास में प्रचलित हैं और हिंदू धर्म के विजेता हैं।" वे मुख्यतः भारतीय राज्य महाराष्ट्र में रहते हैं। ब्रिटिश राज काल के एक अप्रशिक्षित नृवंशविद वैज्ञानिक रॉबर्ट वाणे रसेल, जो वैदिक साहित्य पर बड़े पैमाने पर अपने शोध का आधार था, ने लिखा कि मराठों को 96 विभिन्न कुलों में विभाजित किया जाता है, जिसे 96 कुलि मराठों या 'शाहनु कुले', के रूप में जाना जाता है, जो की क्षत्रिय है मराठी, में शाहन्नौ का मतलब है 96। सूचियों का सामान्य निकाय अक्सर एक-दूसरे के साथ महान विचरण होता है। .

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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मातृभाषा

अजबैजान में मातृभाषा का स्मारक (अना दिलि) जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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विष्णु कृष्ण चिपलूणकर

विष्णु कृष्ण चिपलूणकर (१८५०-१८८२) आधुनिक मराठी गद्य के युगप्रवर्तक साहित्यिकार और संपादक थे। श्री विष्णु शास्त्री चिपलूणकर का जन्म पूना के एक विद्वान् परिवार में हुआ। इनके पिता श्री कृष्ण शास्त्री अपनी स्वाभाविक बुद्धिमत्ता, रसिकता, काव्यप्रतिभा, अनुवाद करने की अपनी अनूठी शैली इत्यादि के लिये लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार के रूप में प्रसिद्ध थे। इन्होंने संस्कृत, अंग्रेजी और प्राचीन मराठी का गहरा अध्ययन किया और बी.ए. की औपचारिक शिक्षा प्राप्त की। बाद में वे शासकीय हाई स्कूल में अध्यापक हुए पर ईसाई मिश्नरियों के भारतीय संस्कृति के विरोध में किए जानेवाले प्रचार से इनका स्वधर्म, स्वसंस्कृति, स्वदेश और स्वभाषा संबंधी अभिमान जाग्रत हुआ। नवशिक्षितों की अकर्मण्यता पर भी इनको दु:ख हुआ। अत: इन्होंने लोकजागरण और लोकशिक्षा की दृष्टि से "निबंधमाला" नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किय। इनके लेख ओजस्वी, स्वाभिमानपूर्ण, स्वधर्म और स्वभाषा के प्रति प्रेम से ओतप्रोत होते थे। जिस प्रकार अनुभूति और विषय की दृष्टि से इनके निबंध श्रेष्ठ हैं उसी प्रकार मौलिकता, प्रतिपादन की प्रभावकारी शैली और कलाविकास की दृष्टि से भी वे रमणीय हैं। इनमें राष्ट्रीयता, ओज, लोकमंगल की कामना और रमणीयता ओतप्रोत हैं। निबंधमाला में भाषाशुद्धि, भाषाभिवृद्धि, अंग्रेजी शैली की समीक्षा, शास्त्रीय ढंग से इतिहासलेखन, कलापूर्ण जीवनी की रचना, साहित्य और समाज का अन्योन्य संबंध और सामाजिक रूढ़ियों के गुण दोष इत्यादि के विषयों में विचारप्रवर्तक लेख हैं। इनकी निबंधशैली में मैकाले, एडीसन, स्टील, जॉन्सन इत्यादि की लेखनशैलियों के गुणों का समन्वय है। इनकी शैली में ओज, विनोद और व्यंग्य तथा सजीवता हैं। इसी प्रकार इन्होंने अंग्रेजी समीक्षा के अनुसार संस्कृत के पाँच प्रसिद्ध कवियों की उत्कृष्ट कृतियों की सरस समीक्षा कर मराठी में नई समीक्षा शैली की उद्भावना की। इनके "आमच्या देशाचीं सद्यस्थिति" (हमारे देश की वर्तमान स्थिति) नामक विस्तृत एवं ओजस्वितापूर्ण निबंध लिखने पर अंग्रेजी शासन इनपर रुष्ट हुआ। पर इन्होंने स्वयं शासकीय सेवा की स्वर्णशृंखला तोड़ डाली। इन्होंने चित्रशाला नामक एक प्रेस की भी स्थापना की जो भारत में रंगीन चित्रों को प्रकाशित करनेवाले सबसे पहले छापेखानों में से एक थी। पूना में आकर इन्होंने श्री जी. जी. अगरकर और श्री बाल गंगाधर तिलक ने मिलकर १ जनवरी, १८८१ से मराठी में "केसरी" और अंग्रेजी में "मराठा" नामक दो समाचारपत्र प्रकाशित करना प्रारंभ किया। इसी प्रकार नई पीढ़ी में स्वदेशप्रेम जागृत करने के उद्देश्य से इन्होंने न्यू इंग्लिश स्कूल नामक पाठशाला स्थापित की। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और श्री आगरकर से चिपलूणकर को बड़ी सहायता मिली। ३२ वर्ष की अल्पायु में युगप्रवर्तक साहित्यिक सेवा कर इनकी असामयिक मृत्यु हुई। ये मराठी भाषा के "शिवाजी" कहलाते हैं। इन्होंने डॉ॰ जॉन्सन के "रासेलस" उपन्यास का मराठी में सरस एवं कलापूर्ण अनुवाद किया। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गोपाल गणेश आगरकर

गोपाल गणेश आगरकर गोपाल गणेश आगरकर (१४ जुलाई, १८५६ - १८९५) भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के समाज सुधारक एवं पत्रकार थे। वे मराठी के प्रसिद्ध समाचार पत्र केसरी के प्रथम सम्पादक थे। किन्तु बाल गंगाधर तिलक से वैचारिक मतभेद के कारण उन्होने केसरी का सम्पादकत्व छोड़कर सुधारक नामक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया। आगरकर, विष्णु कृष्ण चिपलूणकर तथा तिलक "डेकन एजुकेशन सोसायटी" के संस्थापक सदस्य थे। .

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कोल्हापुर

thumb कोल्हापुर महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। मुंबई से 400 किलोमीटर दूर कोल्‍हापुर महाराष्‍ट्र का एक जिला है। मुंबई से पास होने के कारण बड़ी संख्‍या में पर्यटक सप्‍ताहंत में यहां आते हैं। यह स्‍थान ऐतिहासिक तथा धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्‍वपूर्ण है। कोल्‍हापुर का मराठी कला के क्षेत्र में बहुत महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है। विशेष रूप से कोल्‍हापुरी हस्‍तशिल्‍प बहुत प्रसिद्ध है। कोल्‍हापुरी चप्‍पलें तो देश विदेश में मशहूर हैं ही। प्रकृ‍ति, इतिहास, संस्‍कृति और आध्‍यात्‍म से रूबरू कराता कोल्‍हापुर सभी आयु के लोगों को कुछ न कुछ अवश्‍य देता है। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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