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वस्तु (अर्थशास्त्र)

सूची वस्तु (अर्थशास्त्र)

अर्थव्यवस्था में, वस्तु एक माल है, जो मानवीय चाहों को संतुष्ट करता है, और उपयोगिता प्रदान करता है, उदाहरणार्थ, ऐसे उपभोक्ता को, जो पर्याप्त-संतोषजनक उत्पाद पाते वक़्त, क्रय कर रहा हो। एक आम अन्तर "वस्तुओं" और "सेवाओं" के बीच किया जाता है कि वस्तु मूर्त सम्पत्ति होते हैं, और सेवाएँ अभौतिक होती हैं। वस्तु एक उपभोज्य चीज़ है, जो लोगों के लिए उपयोगी है, पर माँग की तुलना में दुर्लभ है, जिससे उसे प्राप्त करने के लिए मानवीय उद्यम की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, मुफ़्त वस्तु, जैसे कि हवा, प्राकृतिक रूप से प्रचुर आपूर्ति में हैं, और उन्हें प्राप्त करने के लिए किसी अभिज्ञ उद्यम की ज़रुरत नहीं पड़ती। पण्य, आर्थिक वस्तुओं के लिए समानार्थी के रूप में उपयुक्त हो सकते हैं, पर अक़्सर उनका सन्दर्भ विपणीक्रिय कच्चे माल और प्राथमिक उत्पादों से होता हैं। यद्यपि आर्थिक सिद्धान्त में, सभी वस्तु मूर्त माने जाते हैं, पर वास्तव में, कुछ वस्तुओं के वर्ग जैसे कि सूचना केवल अमूर्त रूप लेते हैं। उदाहरणार्थ, अन्य वस्तुओं के बीच, सेब एक मूर्त वस्तु है, जबकि समाचार, वस्तुओं के अमूर्त वर्ग का हिस्सा हैं, जो किसी साधन जैसे कि प्रिंट या दूरदर्शन के माध्यम से ही दृष्टिगोचर हो सकता हैं। .

10 संबंधों: दूरदर्शन, पण्य, प्रकाशन, समाचार, समानार्थी, सूचना, सेब, कच्चा माल, अर्थव्यवस्था, उपभोक्ता

दूरदर्शन

दूरदर्शन या टेलीविजन (या संक्षेप में, टीवी) एक ऐसी दूरसंचार प्रणाली है जिसके द्वारा चलचित्र व ध्वनि को दो स्थानों के बीच प्रसारित व प्राप्त किया जा सके। यह शब्द दूरदर्शन सेट, दूरदर्शन कार्यक्रम तथा प्रसारण के लिये भी प्रयुक्त होता है। दूरदर्शन का अंग्रेजी शब्द 'टेलिविज़न' लैटिन तथा यूनानी शब्दों से बनाया गया है जिसका अर्थ होता है दूर दृष्टि (यूनानी - टेली .

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पण्य

अर्थशास्त्र में, पण्य एक विपणीक्रिय चीज़ है, जिसका उत्पादन इच्छाओं और आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए होता है। अक़्सर, यह चीज़ प्रतिमोच्य होती है। आर्थिक पण्यों में वस्तु और सेवाएँ सम्मिलित होते हैं। .

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प्रकाशन

प्रकाशन निर्माण की वह प्रक्रिया है जिसके द्बारा साहित्य या सूचना को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। अनेक बार लेखक स्वयं ही पुस्तक का प्रकाशक भी होता है। प्रकाशन का शाब्दिक अर्थ है 'प्रकाश में लाना'। यह संस्कृत की "प्रकश" धातु से बना है, जिसका अर्थ है फलाना, विकसित करना। उसी से बना 'प्रकाशन', जिसका शाब्दिक अर्थ हुआ फैलाने या विकसित करने की क्रिया। आधुनिक संदर्भ में इसकी परिभाषा यों की जा सकती है: लिखित विषय का चुनाव, मुद्रण और वितरण। प्रकाशन का कार्य आज के युग में मुद्रण और कागज पर पूर्णत: निर्भर है, यद्यपि यह दोनों ही चीज़ों से पुराना है। .

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समाचार

समाचार नवीनतम घटनाओं और समसामयिक विषयों पर अद्यतन सूचनाओं को कहते हैं, जिन्हें मुद्रण, प्रसारण, अंतर्जाल या अन्य माध्यमों की सहायता से आम लोगों यानी, पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं तक पहुंचाया जाता है। समाचार अंग्रेजी शब्द न्यूज का हिंदी रूपांतरण है। .

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समानार्थी

समानार्थी का अर्थ होता हैं (सामान+अर्थ) अर्थात किसी शब्द का सामान अर्थ वाले दूसरे शब्द या उसी के सामान कोई दूसरा नाम (वस्तु)। सामान्यत: हिन्दी में एक ही वस्तु के अनेक समान अर्थ वाले शब्द है। तळे.

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सूचना

'सूचना'(Information) पद का अर्थ सूचित करना, कहना, समाचार, बताई गई बात आदि से होता है। सुचना को अंग्रेजी में इनफार्मेशन शब्द फॉर्मेटिया अथवा फोरम शब्द से बना है। ये दोनों ही शब्द वस्तु के आकर व् स्वरूप प्रदान करने के अभिप्राय को व्यक्त करते हैं। हाफमैन के अनुसार — सूचना वक्तव्यो, तथ्यो अथवा आकृतियो का संलगन होती है। एन बैल्किन के अनुसार — सूचना उसे कहते हैं जिसमे आकार को परिवर्तित करने की क्षमता होती है। जे बीकर के अनुसार - किसी विषय से सम्बधित तथ्यो को सूचना कहते हैं। .

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सेब

कोई विवरण नहीं।

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कच्चा माल

रबर के वृक्ष से दूध इकट्ठा किया जा रहा है। कच्चा माल (raw material) उन मूल द्रव्यों को कहते हैं जिनका उपयोग विविध शिल्पों में उत्पादन कार्य के लिए होता है। उदाहरणार्थ, चीनी मिल के लिए गन्ना, वस्त्र उद्योग के लिए रुई, कागज बनाने के लिए बाँस, ईख की छोई तथा सन और लोहे के कारखानों के लिए कच्चा लोहा आदि कच्चा माल है। औद्योगिक दृष्टि से यूरोप के विकसित पूँजीवादी देशों को कच्चे माल की आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने संसार के अन्य महाद्वीपों में अपने अनेक उपनिवेश स्थापित किए और वहाँ के कच्चे माल से विविध वस्तुएँ तैयार करके उन्हें पुन: उन्हीं के देशों में खपाया तथा अकल्पित लाभ प्राप्त किया। श्रेणी:पदार्थ श्रेणी:खनिज श्रेणी:आपूर्ति शृंखला प्रबंधन शब्दावली.

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अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था (Economy) उत्पादन, वितरण एवम खपत की एक सामाजिक व्यवस्था है। यह किसी देश या क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र का गतित चित्र है। यह चित्र किसी विशेष अवधि का होता है। उदाहरण के लिए अगर हम कहते हैं ' समसामयिक भारतीय अर्थव्यवस्था ' तो इसका तात्पर्य होता है। वर्तमान समय में भारत की सभी आर्थिक गतिविधियों का वर्णन। अर्थव्यवस्था अर्थशास्त्र की अवधारणाओं और सिद्धांतों का व्यवहारिक कार्य रूप है। .

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उपभोक्ता

उपभोक्ता (कंज्यूमर) उस व्यक्ति को कहते हैं, जो विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का या तो उपभोग करता है अथवा उनको उपयोग में लाता है। वस्तुओं में उपभोक्ता वस्तुएं (जैसे गेहूं, आटा, नमक, चीनी, फल आदि) एवं स्थायी वस्तुएं (जैसे टेलीविजन, रेफरीजरेटर, टोस्टर, मिक्सर, साइकिल आदि) सम्मिलित है। जिन सेवाओं का हम क्रय करते हैं, उनमें बिजली, टेलीफोन, परिवहन सेवाएं, थियेटर सेवाएं आदि सम्मिलित है। ध्यान रखने योग्य बात है कि उपभोक्ता वह है, जो उपभोग के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय करता है। यदि कोई फुटकर व्यापारी किसी थोक विक्रेता से वस्तुएं (जैसे स्टेशनरी का सामानद) खरीदता है, तो वह उपभोक्ता नहीं है क्योंकि वह तो वस्तुओं का क्रय पुनः विक्रय के लिए कर रहा है। .

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