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वसास्नेही

सूची वसास्नेही

वसास्नेही (Lipophilic, fat-loving) ऐसे रासायनिक यौगिक होते हैं जो वसा, तेलों, लिपिडों और हेक्सेन व टाल्यूईन जैसे अध्रुवीय विलायकों में घुल जाते हैं। कुछ रसायनों के अलावा देखा जाता है कि वसास्नेही रसायन अन्य वसास्नेही रसायनों में घुल जाते हैं जबकि जलस्नेही रसायन जल व अन्य जलस्नेही रसायनों में घुल जाते हैं। .

11 संबंधों: टाल्यूईन, तेल, रासायनिक ध्रुवीयता, रासायनिक यौगिक, लिपिड, हेक्सेन, जल, जलस्नेही, जलविरोधी, वसा, विलायक

टाल्यूईन

टाल्यूईन (Toluene) एक रंगहीन, जल में अविलेय, द्रव है जिसकी गन्ध पेंट के थिनर जैसी होती है। इसका IUPAC नाम 'मेथिलबेंजिनेल्ट' है। यह एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है। इसका उपयोग औद्योगिक विलायक और फीडस्टॉक (feedstock) के रूप में होता है। .

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तेल

तेल से तात्पर्य निम्नलिखित वस्तुओं से होता है-.

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रासायनिक ध्रुवीयता

रसायनशास्त्र में रासायनिक ध्रुवीयता (chemical polarity) किसी अणु (मोलिक्यूल) या उसके अंशों में विद्युत आवेशों (चार्जों) में होने वाले अलगाव को कहते हैं जिसके कारण अणु के कुछ भागों में ऋणात्मक (निगेटिव) आवेश और कुछ में धनात्मक (पोज़िटिव) अवेश देखा जा सकता है। इस से अणु में विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण (electric dipole moment) या बहुध्रुव आघूर्ण (multipole moment) देखा जाता है। जब ऐसे द्विध्रुव या बहुध्रुव वाले कई अणु एकत्रित हों तो इन ध्रुवों के आकर्ष्ण या अपकर्षण से उनमें आपसी व्यवस्था बनती है। बर्फ़ के क्रिस्टल का ढांचा जल अणुओं में ध्रुवीयता के कारण ही होता है। रासायनिक ध्रुवीयता का प्रभाव रसायनों के कई अन्य भौतिक लक्षणों पर भी पड़ता है, मसलन पृष्ठ तनाव, विलेयता, पिघलाव तापमान और उबलाव तापमान। .

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रासायनिक यौगिक

दो या अधिक तत्व जब भार के अनुसार एक निश्चित अनुपात में रासायनिक बन्ध द्वारा जुड़कर जो पदार्थ बनाते हैं उसे रासायनिक यौगिक (chemical compound) कहते हैं। उदाहरण के लिये जल, साधारण नमक, गंधक का अम्ल आदि रासायनिक यौगिक हैं। .

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लिपिड

शरीर में लिपिड लिपिड एक अघुलनशील पदार्थ हैं, जो कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन के साथ मिलकर प्राणियों एवं वनस्पति के ऊतक का निर्माण करते है। लिपिड को सामान्य भाषा मे कई बार वसा भी कहा जाता है परंतु दोनो मे कुछ अंतर होता है। लिपिड प्राकृतिक रूप से बने अणु होते हैं, जिनमें वसा, मोम, स्टेरॉल, वसा-घुलनशील विटामिन (जैसे विटामिन ए, डी, ई एवं के) मोनोग्लीसराइड, डाईग्लीसराइड, फॉस्फोलिपिड एवं अन्य आते हैं। इनका प्रमुख कार्य शरीर में उर्जा संरक्षण करना, ऊतकों की कोशिका झिल्ली बनाना और हार्मोन और विटामिन के अभिन्न अवयव निर्माण करना होता है। शरीर में कोलेस्ट्रोल तथा ट्राईग्लीसराईड की मात्रा ज्ञात करने हेतु लिपिड प्रोफाईल नामक परीक्षण करवाया जाता है। इसकी जांच से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि रोगी की धमनियों मे कोलेस्ट्राल जमा होने और रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने की कितनी सम्भावना है? लिपिड अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे कि कोलेसटेरोल, काईलोमाईक्रोन इत्यादि। इनका भिन्न प्रकार से उपयोग होता है। कुछ लिपिड आहार के द्वारा प्राप्त होते हैं, तो कुछ लिपिड शरीर में निर्मित होते हैं। फोस्फैटीडाईकोलाइन हैं।स्ट्रायर ''et al.'', पृ. ३३० लिपिड को सारे शरीर में रक्त द्वारा भेजा जाता है। शरीर में पूरे लिपिड का एक संतुलन रहता है और अत्याधिक लिपिड को भविष्य प्रयोग हेतु जमा कर लिया जाता है, या फिर मल त्याग के द्वारा निकाल दिया जाता है। यदि रक्त में किसी कारण से बहुत अधिक लिपिड हो तो, तो यह रक्तवाहिकाओं में जमा होकर उसे संकुचित कर देता है या फिर अवरोधित भी कर देता है। इसको एथ्रोसक्लेरोसिस कहते हैं और यह समय के साथ और बढते जाता है। अंत में यह विभिन्न अंगों में रक्त-प्रवाह को कम करके हानि पहुँचाता है, जैसे कि हृदयाघात या पक्षाघात आदि। .

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हेक्सेन

हेक्सेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। .

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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जलस्नेही

जलस्नेही (hydrophile) या जलरागी ऐसा अणु या आण्विक इकाई होती है जो जल के अणुओं की ओर आकर्षित हो और पानी में घुल जाने की प्रवृत्ति रखता हो। इस से विपरीत जलविरोधी पदार्थ पानी के अणुओं से आकर्षित होने की बजाय अपकर्षित होता है। .

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जलविरोधी

जलविरोधी (hydrophobic) या जलविरागी ऐसा अणु या आण्विक इकाई होती है जो जल को स्वयं से दूर रखने की चेष्टा प्रतीत करता हुआ लगता है, यानि जल से आकर्षित होने की बजाय अपकर्षित प्रतीत होता है। ध्यान योग्य है कि यह वास्तव में जल से दूर नहीं रहता बल्कि जल के अणु एक दूसरे से आकर्षित होते हैं और जलविरोधी पदार्थों से नहीं, जिस से जल अपने-आप में सिकुड़कर जलविरोधी पदार्थों को अपने से अलग कर लेता है। इस से विपरीत जलस्नेही पदार्थ पानी के अणुओं से आकर्षित होते हैं। .

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वसा

lipid एक ट्राईग्लीसराइड अणु वसा अर्थात चिकनाई शरीर को क्रियाशील बनाए रखने में सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनों प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यों के लिए शक्ति प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए १०० ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना आवश्यक है। इसको पचाने में शरीर को काफ़ी समय लगता है। यह शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है। वसा का शरीर में अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाना उचित नहीं होता। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा में ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है, यह ध्यान योग्य है। यह आमाशय की गतिशीलता में कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। चिकनाई कम हो जाने से रोगों का मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है। अत्यधिक वसा सीधे स्रोत से हानिकारक है। इसकी संतुलित मात्रा लेना ही लाभदायक है। .

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विलायक

विलायक एक ऐसे पदार्थ को कहते है, जिसका उपयोग विलयन बनाने में अत्यधिक मात्रा में किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि नमक को पानी में डाला जाये तो पानी अधिक होने के कारण पानी एक विलायक कहलायेगा लेकिन उन दोनों के घुलने के कारण वह एक विलयन बन जाता है। अतः विलायक वे पदार्थ होते हैं जिनमें किसी भी विलेय को घोला जाता है। सामान्यतः एक विलायक तरल अवस्था में होता है किंतु यह ठोस अथैया गैस भी हो सकता है। जैविक विलायकों के सामान्य उपयोग रंग तरलक (तारपीन), नाखूनी हटाने वाला तरल और गोंद विलायक (एसीटोन, मिथाइल एसिटेट, इथाइल एसिटेट) के प्रमुख उपयोग दाग धब्बे हटाने के लिए (पेट्रोल ईथर) अपमार्जक (साइट्रस टेरपेन्स) और इत्र (इथेनॉल) आदि हैं। .

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