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वर्षा

सूची वर्षा

वर्षा (Rainfall) एक प्रकार का संघनन है। पृथ्वी के सतह से पानी वाष्पित होकर ऊपर उठता है और ठण्डा होकर पानी की बूंदों के रूप में पुनः धरती पर गिरता है। इसे वर्षा कहते हैं। .

15 संबंधों: पर्वत, पर्वतीय वर्षा, भारत, भूमध्य रेखा, मानसून, शीतोष्ण कटिबन्ध, संघनन, जल, जल चक्र, जलवाष्प, वर्षा ऋतु, वर्षामापी, वायु, ओसांक, इन्द्रधनुष

पर्वत

माउंट एवरेस्ट, दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत (दाहिनी ओर)। बाएँ ओर की चोटी नुप्त्से है। पर्वत या पहाड़ पृथ्वी की भू-सतह पर प्राकृतिक रूप से ऊँचा उठा हुआ हिस्सा होता है, जो ज़्यादातर आकस्मिक तरीके से उभरा होता है और पहाड़ी से बड़ा होता है। पर्वत ज़्यादातर एक लगातार समूह में होते हैं। पर्वत ४ प्रकर के होते है.

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पर्वतीय वर्षा

उष्ण एवं आर्द हवाएं जब पर्वतिय भागों से अवरुद्ध होती हैं, तो उनके ढाल के सहारे ऊपर उठने लगती हैं, जिस कारण "शुष्क एडियाबेटिक दर" से प्रति १००० फीट पर वायु का ५.५ डिग्री फा० तापक्रम कम होने लगता हैं, जिस कारण वायु ठंडी होती जाती हैं और उसकी सापेक्षित आर्द्रता बड़नें लगती हैं। अधिक ऊपर जानें से वायु संतप्त हो जाती हैं तथा पुनः ऊपर उठनें पर संघनन प्रारम्भ हो जाता है, जिस कारण संघनन की गुप्त ऊष्मा वायु में मिल जाती हैं, जिससे वायु पुनः ऊपर उठने लगती हैं और अन्ततः उस सीमा को पहुच जाती हैं जहां पर स्थित वायु का तापक्रम इसके बराबर हो जाता हैं और हवा आर्द्र एडियाबेटिक ताप-पतन दर(प्रति १००० फीट पर ३.६ डिग्री फा०) से ठंडी होकर बढ़ती ऊचाई पर भी वर्षा करती जाती हैं। पर्वत के जिस ढ़ाल पर गवा टकराती हैं, उसे पवनमुखी ढ़ाल कहतें हैं तथा वर्षा इसी ढ़ाल पर होती हैं। इसे व्रष्टि ढाल भी कहा जाता हैं। पर्वत के जिस ढाल के सहारे हवा नीचे उतरती हैं, उसे पवन विमुखी ढाल कहते हैं। श्रेणी:वर्षण.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भूमध्य रेखा

विश्व के मानचित्र पर भूमध्य रेखा लाल रंग में गोलक का महानतम चक्र (घेरा) उसे ऊपरी और निचले गोलार्धों में बांटाता है। भूमध्य रेखा पृथ्वी की सतह पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव से सामान दूरी पर स्थित एक काल्पनिक रेखा है। यह पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में विभाजित करती है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी के केंद्र से सर्वाधिक दूरस्थ भूमध्यरेखीय उभार पर स्थित बिन्दुओं को मिलाते हुए ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई कल्पनिक रेखा को भूमध्य या विषुवत रेखा कहते हैं। इस पर वर्ष भर दिन-रात बराबर होतें हैं, इसलिए इसे विषुवत रेखा भी कहते हैं। अन्य ग्रहों की विषुवत रेखा को भी सामान रूप से परिभाषित किया गया है। इस रेखा के उत्तरी ओर २३½° में कर्क रेखा है व दक्षिणी ओर २३½° में मकर रेखा है। .

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मानसून

जब ITCZ(उष्ण कटिबंधीय संरक्षित क्षेत्र)से जब व्यापारिक एवं समाॅगी हवाये ऊपर की ओर कोरियोलिस बल के कारण भारत के राज्य केरल मे 2महिना 10दिन मे मानसून पहुंचता है जो कि यहां सबसे पहले सबसे बाद मे भी मानसून यही होता है लेकिन भारत मे सबसे ज्यादा मानसून मासिनराम(मेघालय) मे होती है जो कि वहा पर औषतन बरसात 11873मिमी॰ की होती है । तमिलनाडु के नागरकायल (कन्याकुमारी के पास) में मानसून के बादल मानसून मूलतः हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं। हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है। यहां ये उल्लेखनीय है, कि मॉनसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिये। इस परिभाषा की दृष्टि से संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मानसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है। ये शब्द हिन्दी व उर्दु के मौसम शब्द का अपभ्रंश है। मॉनसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मॉनसून आता है।.

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शीतोष्ण कटिबन्ध

विश्व मानचित्र जिसमें समशीतोष्ण कटिबन्ध '''हरे रंग''' से दिखाया गया है। शीतोष्ण कटिबन्ध या समशीतोष्ण कटिबन्ध (temperate zone) ऊष्णकटिबन्ध और शीत कटिबन्ध के बीच का क्षेत्र कहलाता है। इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि यहाँ गर्मी और सर्दी के मौसम के तापमान में अधिक अन्तर नहीं होता। लेकिन यहाँ के कुछ क्षेत्रों में, जैसे मध्य एशिया और मध्य उत्तरी अमेरिका, जो समुद्र से काफ़ी दूर हैं, तापमान में काफ़ी परिवर्तन होता है और इन इलाकों में महाद्वीपीय जलवायु पाया जाता है। समशीतोष्ण कटिबन्धीय मौसम ऊष्णकटिबन्ध के कुछ इलाकों में भी पाया जा सकता है, खासतौर पर ऊष्णकटिबन्ध के पहाड़ी इलाकों में, जैसे एन्डीज़ पर्वत शृंखला। उत्तरी समशीतोष्ण कटिबन्ध उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा (तकरीबन २३.५° उ) से आर्कटिक रेखा (तकरीबन ६६.५° उ) तक तथा दक्षिणी समशीतोष्ण कटिबन्ध दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा (तकरीबन २३.५° द) से अंटार्कटिक रेखा (तकरीबन ६६.५° द) तक का क्षेत्र होता है। विश्व की बहुत बड़ी जनसंख्या समशीतोष्ण कटिबन्ध में— खासतौर पर उत्तरी समशीतोष्ण कटिबन्ध में— रहती है क्योंकि इस इलाके में भूमि की बहुतायत है। .

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संघनन

गैस से द्रव बनने की परिघटना को संघनन कहते हैं। यह वाष्पन की उल्टी है। प्रायः जल-चक्र के सन्दर्भ में ही इसका प्रयोग होता है। वर्षा भी एक प्रकार का संघनन ही है। .

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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जल चक्र

जल चक्र पृथ्वी पर उपलब्ध जल के एक रूप से दूसरे में परिवर्तित होने और एक भण्डार से दूसरे भण्डार या एक स्थान से दूसरे स्थान को गति करने की चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें कुल जल की मात्रा का क्षय नहीं होता बस रूप परिवर्तन और स्थान परिवर्तन होता है। अतः यह प्रकृति में जल संरक्षण के सिद्धांत की व्याख्या है। इसके मुख्य चक्र में सर्वाधिक उपयोग में लाए जाने वाला जल रूप - पानी (द्रव) है जो वाष्प बनकर वायुमण्डल में जाता है फिर संघनित होकर बादल बनता है और फिर बादल बनकर ठोस (हिमपात) या द्रव रूप में वर्षा के रूप में बरसता है। हिम पिघलकर पुनः द्रव में परिवर्तित हो जाता है। इस तरह जल की कुल मात्रा स्थिर रहती है। यह पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्यावरण रुपी पारिस्थितिक तंत्र में एक भूजैवरसायन चक्र (Geobiochemical cycle) का उदाहरण है।उन सभी घटनाओं का एक पूर्ण चक्र जिसमें होकर पानी, वायुमंडलीय जलवाष्प के रूप में आरंभ होकर द्रव्य या ठोस रूप में बरसता है और उसके पष्चात् वह भू-पृष्ठ के ऊपर या उसके भीतर बहने लगता है एवं अन्ततः वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन द्वारा पुनः वायुमंडलीय जल-वाष्प के रूप में बल जाता है। जल के समुद्र से वायुमण्डल में तथा फिर भूमि पर बहुत सी अवस्थाओं जैसे अवक्षेपण अंतरोधन अपवाह, अन्त: स्यन्दन अन्त: स्त्रवण भौमजल संचयन वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन इत्यादि प्रक्रियाओं के बाद पुन: समुद्र में वापिस जाने का घटना चक्र। जलीय परिसंचरण (circulation) द्वारा निर्मित एक चक्र जिसके अंतर्गत जल महासागर से वायुमंडल में, वायुमंडल से भूमि (भूतल) पर और भूमि से पुनः महासागर में पहुँच जाता है। महासागर से वाष्पीकरण द्वारा जलवाष्प के रूप में जल वायुमंडल में ऊपर उठता है जहाँ जलवाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण (precipitation) द्वारा जलवर्षा अथवा हिमवर्षा के रूप में जल नीचे भूतल पर आता है और नदियों से होता हुआ पुनः महासागर में पहुँच जाता है। इस प्रकार एक जल-चक्र पूरा हो जाता है। सागर से वायुमंडल तथा थल पर से होता हुआ वापस सागर तक जाने वाला जल का परिसंचरण चक्र। जल वापस सागर तक थल पर से बहता हुआ अथवा भूमिगत मार्गों से पहुंचता है। इस निरंतर चलते रहने वाले चक्र में जल अस्थायी रूप से जीवों में तथा ताजे पानी बर्फिली जमावटों अथवा भूमिगत भंडारों के रूप में जमा होता रहता है। .

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जलवाष्प

जलवाष्प अथवा जल वाष्प पानी की गैसीय अवस्था है और अन्य अवस्थाओं के विपरीत अदृश्य होती है। पृथ्वी के वायुमण्डल में इसकी मात्रा लगातार परिवर्तनशील होती है। द्रव अवस्था में स्थित पानी से जलवाष्प का निर्माण क्वथन अथवा वाष्पीकरण के द्वारा होता रहता है और संघनन द्वारा जलवाष्प द्रव अवस्था में भी परिवर्तित होती रहती है। बर्फ़ से इसका निर्माण ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया द्वारा होता है। .

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वर्षा ऋतु

वर्षा ऋतु, वर्ष की एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान तथा आर्द्रता प्रायः उच्च रहते हैं। साल की अन्य प्रमुख ऋतु हैं - गृष्म ऋतु, शीत ऋतु, वसन्त ऋतु। भारत में यह जुलाई से अक्टूबर तक होती है। अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है। .

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वर्षामापी

मानक '''वर्षामापी''' वर्षामापी का रेकार्ड (Tipping Bucket Rain Gauge Recorder) वर्षा रिकार्डर के चार्ट का पास से लिया गया दृष्य वर्षामापी (rain gauge या udometer या pluviometer) एक ऐसी युक्ति है जो वर्षा की मात्रा की माप करता है। मौसमविज्ञानी इसका बहुत उपयोग करते हैं। .

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वायु

वायु पंचमहाभूतों मे एक हैं| अन्य है पृथिवी, जल, अग्नि व आकाश वायु वस्तुत: गैसो का मिश्रण है, जिसमे अनेक प्रकार की गैस जैसे जारक, प्रांगार द्विजारेय, नाट्रोजन, उदजन ईत्यादि शामिल है।.

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ओसांक

यह ग्राफ दिखाता है कि विभिन्न तापों पर, समुद्रतल पर, वायु में अधिकतम कितने प्रतिशत (द्रव्यमान के प्रतिशत के रूप में) जलवाष्प हो सकता है। जिस तापमान पर जल-वाष्प संघनित होकर जल (द्रव) रूप में बदल जाती है, उसे ओसांक (dew point) कहते हैं। ओसांक कई बातों पर निर्भर करता है, दाब, आपेक्षिक आर्द्रता आदि। .

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इन्द्रधनुष

अर्धवृत्ताकार दोहरा-इन्द्रधनुष आकाश में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है। वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है। पानी के फुहारे पर दर्शक के पीछे से सूर्य किरणों के पड़ने पर भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बरसात, बारिश, वर्षा (मौसम)

निवर्तमानआने वाली
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