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वनिता

सूची वनिता

वनिता का फरवरी २००९ के अंक का मुखपृष्ट वनिता, मलयाला मनोरमा समूह द्वारा प्रकाशित एक महिलाओं की पाक्षिक पत्रिका है। यह पत्रिका हिन्दी और मलयालम दो भाषाओं में छपती है और भारत की सबसे ज्यादा पढी़ जाने वाली पत्रिकाओं में पहले स्थान पर आती है। मलयालम में वनिता का अर्थ महिला होता है। पत्रिका में सभी विषयों पर लेख छपते हैं और यह देखते हुये इसे सिर्फ महिलाओं की पत्रिका कहना ठीक नहीं है। 2004 में, पत्रिका के मलयालम संस्करण के पाठकों की संख्या 3.7 लाख के ऊपर थी। ओणम, ईस्टर, क्रिसमस और नये साल पर पत्रिका के विशेषांक प्रकाशित किये जाते हैं। .

8 संबंधों: पत्रिका, पाक्षिक, मलयालम भाषा, संस्करण, हिन्दी, ईस्टर, ओणम, क्रिसमस

पत्रिका

पत्रिकाएँ पत्रिका वह नियतकालिक कृति है जो मुख्यतः साप्ताहिक होती है। जिसमे विचारतत्व प्रधान होता है। पत्रिकाओं का प्रकाशन एक दिवसीय से लेकर साप्ताहिक भी होता है। .

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पाक्षिक

पाक्षिक शब्द संस्कृत के पक्ष शब्द से बना है जिसका अर्थ १५ दिन होता है। एक महीने में दो पक्ष होते हैं। पक्ष को मानक हिन्दी में पखवाडा़ भी कहते हैं।.

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मलयालम भाषा

मलयालं (മലയാളം, मलयालम्‌) या कैरली (കൈരളി, कैरलि) भारत के केरल प्रान्त में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार में आती है। केरल के अलावा ये तमिलनाडु के कन्याकुमारी तथा उत्तर में कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिला, लक्षद्वीप तथा अन्य कई देशों में बसे मलयालियों द्वारा बोली जाती है। मलयालं, भाषा और लिपि के विचार से तमिल भाषा के काफी निकट है। इस पर संस्कृत का प्रभाव ईसा के पूर्व पहली सदी से हुआ है। संस्कृत शब्दों को मलयालम शैली के अनुकूल बनाने के लिए संस्कृत से अवतरित शब्दों को संशोधित किया गया है। अरबों के साथ सदियों से व्यापार संबंध अंग्रेजी तथा पुर्तगाली उपनिवेशवाद का असर भी भाषा पर पड़ा है। .

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संस्करण

संस्करण संस्कृत की "कृ" धातु में (जिसका अर्थ है 'करना') सम् उपसर्ग मिलकर यह शब्द बनता है। संस्करोति, जिसका साधारण भाषा में अर्थ है 'भली प्रकार करना'। इसी से संस्कार या संस्करण बने जिनका अर्थ है भली प्रकार किया हुआ कार्य या परिष्कृत कार्य। प्रकाशन व्यवसाय के संबंध में संस्करण का अर्थ है मुद्रित वस्तु का एक बार प्रकाशन। वास्तव में प्रकाशन व्यवसाय के संदर्भ में भी संस्करण का परिष्कृत कार्यवाला अर्थ सटीक बैठता है। किसी भी पांडुलिपि को जब प्रकाशित किया जाता है तो मुद्रित पुस्तक का रूप पांडुलिपि के रूप से कहीं भिन्न होता है, अधिक सुंदर और आकर्षक तथा अपने समग्र रूप में अधिक परिष्कृत होता है। पांडुलिपि का संपादन होता है आवश्यकतानुसार चित्र बनते हैं, प्रेस में मुद्रण होता है, आकर्षक आवरण में भी ग्रंथ सज्जित किया जाता है, तब कहीं जाकर उसका प्रकाशन होता है। पुस्तक का "संस्करण" अपने अर्थ को सचमुच सार्थक करता है। संस्करण का प्रयोग कई अर्था में किया जाता है - जैसे, राज संकरण, सामान्य संस्करण और अब पाकेट बुक्स (या सस्ता) संस्करण। राज संस्करण में पुस्तक में कागज अच्छा लगाया जाता है, जिल्दबंदी ऊँचे किस्म की होती है और उसका मूल्य भी अधिक होता है सामान्य संस्करण, जैसा नाम से स्पष्ट है, सामान्य ही होता है और आम खरीदार को ध्यान में आमदनी को ध्यान में रखते हुए (क्योंकि मध्य वर्ग ही पुस्तकों का सबसे बड़ा पाठक है) अच्छी, महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पुस्तकों के सस्ते संस्करण प्रकाशित करने की प्रथा चल पड़ी है, जो समय के साथ साथ खूब फूली फली है। विदेशों में जिन पुस्तकों के सामान्य संस्करण की 3000-10000 प्रतियाँ बिकती हैं, उन्हीं के सस्ते संस्करण की 100000 से 200000 प्रतियाँ तक आसानी से बिक जाती हैं। लेखक और प्रकाशक दोनों को ही इससे अधिक लाभ होता है। हमारे देश में भी अब पाकेट बुक्स का प्रकाशन प्रारंभ हो गया है और द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है। पुस्तकों का यह संस्करण सर्वाधिक उपयोगी है और पाठक जनता तक इसी की सर्वाधिक पहुँच है, इसीलिए बड़े से बड़े लेखक अपनी पुस्तकों के सस्ते संस्करण प्रकाशित कराने में आनंदित होते हैं। पहली बार प्रकाशित हो जाने के बाद जब किसी पुस्तक की सारी प्रतियाँ बिक जाती हैं तो कहा जाता है कि पुस्तक का एक संस्करण समाप्त हो गया। यदि पुस्तक की माँग हो तो उसे पुन: प्रकाशित किया जाता है। पुस्तक को यदि ज्यों का त्यों प्रकाशित कर दिया जाए तो उसे "पुनर्मुद्रण" कहते हैं, किंतु यदि उसे कुछ संशोधन, परिवर्तन, परिवर्धन के साथ प्रकाशित किया जाए तो उसे "नवीन संस्करण" कहा जाता है। दैनिक पत्रों के भी संस्करण होते हैं; जैसे, नगर संस्करण, पहला डाक संस्करण, दूसरा डाक संस्करण, सायं संस्करण आदि। प्रत्येक संस्करण में पत्र का रूप कुछ बदला हुआ रहता है। नगर संस्करण में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समाचारों, स्थायी स्तंभों, तथा अन्य प्रमुख समाचारों के साथ-साथ स्थानीय समाचारों को प्रमुखता दी जाती है। डाक संस्करण अलग अलग समय पर निकलते हैं और जिन नगरों या क्षेत्रों को भेजे जाने होते हैं उनसे संबंधित समाचारों पर उनमें जोर दिया जाता है। अनेक पत्रों के प्रात: और सायं संस्करण प्रकाशित होते हैं। पत्रों के संस्करणों में जो समाचार पुराने पड़ते जाते हैं वे पिछले पृष्ठों में क्रमश: डाल दिए जाते हैं और उनका स्थान नए प्रमुख समाचार लेते चले जाते हैं - यही क्रम चलता जाता है और चौबीस घंटे बाद वह समाचार अखबार से बाहर चला जाता है, बासी हो जाता है। उदाहरणत: यदि एक समाचार प्रात: संस्करण में दिया गया तो अगले दिन प्रात: से पहले के संस्करण तक में ही वह होगा, प्रात: संस्करण में नहीं। अनेक पत्रों के अंतरराष्ट्रीय संस्करण निकलते हैं। ये विशेष पतले कागज पर छापे जाते हैं और आजकल हवाई डाक से भेजे जाते हैं। अनेक दैनिक पत्रों के एक सप्ताह के प्रमुख समाचारों के सार संक्षेप में पुन: एक विशेष संस्करण में प्रकाशित करके विक्रीत होते हैं। श्रेणी:प्रकाशन श्रेणी:पुस्तक.

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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ईस्टर

ईस्टर, Πάσχα ईसाई पूजन-वर्ष में सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक धार्मिक पर्व है। ईसाई धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार, सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन यीशु मरे हुओं में से पुनर्जीवित हो गए थे। इस मृतोत्थान को ईसाई ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार मानते हैं। (इसे वो मृतोत्थान दिवस या मृतोत्थान रविवार भी कहते हैं), ये दिन गुड फ्राईडे के दो दिन बाद और पुन्य बृहस्पतिवार या मौण्डी थर्सडे के तीन दिन बाद आता है। 26 और 36 ई.प. के बीच में हुई उनकी मृत्यु और उनके जी उठने के कालक्रम को अनेकों तरीके से बताया जाता है। ईस्टर को चर्च के वर्ष का काल या ईस्टर काल या द ईस्टर सीज़न भी कहा जाता है। परंपरागत रूप से ईस्टर काल चालीस दिनों का होता है। ये ईस्टर दिवस से लेकर स्वर्गारोहण दिवस तक होता आया है लेकिन आधिकारिक तौर पर अब ये पंचाशती तक पचास दिनों का होता है। ईस्टर सीज़न या ईस्टर काल के पहले सप्ताह को ईस्टर सप्ताह या ईस्टर अष्टक या ओक्टेव ऑफ़ ईस्टर कहते हैं। ईस्टर को चालीस सप्ताहों के काल या एक चालीसे के अंत के रूप में भी देखा जाता है, इस काल को उपवास, प्रार्थना और प्रायश्चित करने के लिए माना जाता है। ईस्टर एक गतिशील त्यौहार है, जिसका अर्थ है कि ये नागरिक कैलेंडर के अनुसार नहीं चलता.

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ओणम

ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम केरल का एक राष्ट्रीय पर्व भी है। ओणम का उत्सव सितम्बर में राजा महाबली के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो दस दिनों तक चलता है। उत्सव त्रिक्काकरा (कोच्ची के पास)  केरल के एक मात्र वामन मंदिर से प्रारंभ होता है। ओणम में प्रत्येक  घर के आँगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुन्दर सुन्दर रंगोलिया (पूकलम) डाली जाती हैं। युवतियां  उन रंगोलियों के चारों तरफ वृत्त बनाकर उल्लास पूर्वक नृत्य (तिरुवाथिरा कलि) करती हैं। इस पूकलम का प्रारंभिक स्वरुप पहले (अथम के दिन) तो छोटा होता है परन्तु हर रोज इसमें एक और वृत्त फूलों का बढ़ा दिया जाता है। इस तरह बढ़ते बढ़ते दसवें दिन (तिरुवोनम)  यह पूकलम वृहत आकार धारण कर लेता है। इस पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली तथा उसके अंग  रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है जो कच्ची मिटटी से बनायीं जाती है। ओणम मैं नोका दौड जैसे खेलों का आयोजन भी होता है। ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्योहार है जो सभी के घरों को ख़ुशहाली से भर देता है। .

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क्रिसमस

क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसम्बर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू.

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