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पैंगोलिन

सूची पैंगोलिन

वज्रशल्क या पंगोलीन (pangolin) फोलिडोटा गण का एक स्तनधारी प्राणी है। इसके शरीर पर केराटिन के बने शल्क (स्केल) नुमा संरचना होती है जिससे यह अन्य प्राणियों से अपनी रक्षा करता है। पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी है। यह अफ़्रीका और एशिया में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसे भारत में सल्लू साँप भी कहते हैं। इनके निवास वाले वन शीघ्रता से काटे जा रहे हैं और अंधविश्वासी प्रथाओं के कारण इनका अक्सर शिकार भी करा जाता है, जिसकी वजह से पैंगोलिन की सभी जातिया अब संकटग्रस्त मानी जाती हैं और उन सब पर विलुप्ति का ख़तरा मंडरा रहा है। .

16 संबंधों: चीनी पैंगोलिन, चींटी, चींटीख़ोर, एशिया, दीमक, प्राणी, भारतीय पैंगोलिन, रज्जुकी, शल्क, स्तनधारी, जीभ, विलुप्तप्राय प्रजातियां, विलुप्ति, वंश (जीवविज्ञान), गण (जीवविज्ञान), आईयूसीएन लाल सूची

चीनी पैंगोलिन

चीनी पैंगोलिन (Chinese pangolin), जिसका वैज्ञानिक नाम मैनिस पेन्टाडैक्टाएला (Manis pentadactyla) है, पैंगोलिन की एक जीववैज्ञानिक जाति है जो उत्तरी भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, बर्मा, उत्तरी हिन्दचीन, ताइवान और दक्षिणी चिन (जिसमें हाइनान द्वीप भी शामिल है) में पाया जाता है। यह पैंगोलिन की आठ जातियों में से एक है और अति-संकटग्रस्त माना जाता है। चीन व पूर्वी एशिया में इसके मांस को खाने से सम्बन्धित कई अन्धविश्वास हैं कि उस से कई रोग ठीक होते हैं हालाकि चिकित्सकों ने इस मान्यता को सरासर झूठ पाया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार पिछ्ले १५ सालों में इसकी संख्या में ज़बरदस्त गिरावट हुई है। .

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चींटी

चींटी एक सामाजिक कीट है। इसकी 12000 से अधिक जातियों का वर्गीकरण किया जा चुका है। .

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चींटीख़ोर

चींटीख़ोर (Anteater) दक्षिण व मध्य अमेरिका में पाया जाने वाला एक स्तनधारी प्राणी है जो अपने विचित्र मुख-आकार, थूथन और अपनी पतली व लम्बी जीभ से केवल चींटी, दीमक और अन्य छोटे कीट खाने के लिये प्रसिद्ध है। चींटीख़ोरों की चार जातियाँ पाई जाती हैं: सिर-से-पूँछ तक १.८ मी (५ फ़ुट ११ इंच) लम्बा विशाल चींटीखोर, केवल ३५ सेमी (१४ इंच) लम्बा रेशमी चींटीखोर, १.२ मी (३ फ़ुट ११ इंच) लम्बा उत्तरी तामान्दुआ और लगभग उतना ही लम्बा दक्षिणी तामान्दुआ। चींटीख़ोर पिलोसा (Pilosa) नामक जीववैज्ञानिक गण में शामिल हैं जिसमें स्‍लॉथ (sloth) भी आते हैं, यानि स्‍लॉथों और चींटीख़ोरों का आनुवंशिक (जेनेटिक) सम्बन्ध है। .

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एशिया

एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .

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दीमक

समूह में रहने वाले कीट: '''दीमक''' दीमक छोटे कीट हैं। जो लकडी और लकडी की बनी चीज़ेँ जैसे फर्निचर आदि कुतरकर खा जाते हैँ। दीमक ईसाइजल कीड़े हैं जिन्हें इन्फ्रास्ट्रक्चर आइसोपेटरा के टैक्सोनॉमिक रैंक में वर्गीकृत किया गया है, या तिलचट्टा के क्रम में ब्लैकोडेडा के एपिफैमिली टर्मिटॉइड के रूप में वर्गीकृत किया गया है। दीमक को एक बार अलग-अलग तिलचट्टे से वर्गीकृत किया गया था, लेकिन हाल के फिलाजेनेटिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि वे जुरासिक या ट्रायासिक के दौरान तिलचट्टे के करीब पूर्वजों से विकसित हुए थे। हालांकि, पहले दीमक संभवतः परमियन या कार्बोनिफ़ेरस के दौरान उभरा। लगभग 3,106 प्रजातियों के बारे में बताया गया है, जिसमें कुछ 'सौ' शेष वर्णित हैं। हालांकि इन कीड़ों को अक्सर "सफेद चींटियों" कहा जाता है, परंतु ये चींटियाँ नहीं होती। दीमक आमतौर पर मृत पौधों की सामग्री और सेलूलोज़ पर भोजन करते हैं, आमतौर पर लकड़ी के रूप में, पत्ती कूड़े, मिट्टी या जानवरों के गोबर। दीमक, मुख्य रूप से उप-उष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्रमुख अवरोधक होते हैं, और लकड़ी और पौधे पदार्थों का पुन: उपयोग करना काफी पारिस्थितिक महत्व का होता है। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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भारतीय पैंगोलिन

भारतीय पैंगोलिन (Indian pangolin), जिसका वैज्ञानिक नाम मैनिस क्रैसिकाउडाटा (Manis crassicaudata) है, पैंगोलिन की एक जीववैज्ञानिक जाति है जो भारत, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में कई मैदानी व हलके पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह पैंगोलिन की आठ जातियों में से एक है और संकटग्रस्त माना जाता है। हर पैंगोलिन जाति की तरह यह भी समूह की बजाय अकेला रहना पसंद करता है और नर व मादा केवल प्रजनन के लिए ही मिलते हैं। इसका अत्याधिक शिकार होता है जिसमें रोग-निवारण के लिए इसके अंगों को खाने की झूठी और अन्धविश्वासी प्रथाएँ भी भूमिका देती हैं। इस कारणवश यह विलुप्ति की कागार पर आ गया है। .

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रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

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शल्क

शल्क (scale) ऐसे छोटे और (साधारणतः​ सख़्त) खंड को कहते हैं जो उसके शरीर की त्वचा से बाहर उगा हुआ हो और अंदर के शरीर व त्वचा को वातावरण, शिकार या अन्य हानि से सुरक्षित रखे। सांप और मछली जैसे प्राणियों में शल्क का ढकाव उनके भीतरी नाज़ुक शरीर की रक्षा करता है। तितली जैसे कुछ प्राणियों में यह पंखों की रक्षा के साथ-साथ उन्हें रंग भी देता है। .

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स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

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जीभ

जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना। यह संवेदनशील होती है और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं। इन सब के अलावा, जीभ दातों की सफाई का एक प्राकृतिक माध्यम भी है। .

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विलुप्तप्राय प्रजातियां

भारतीय बाघ अपने प्राकृतिक आवास में वे जीव जो विभिन्न वश्यकता है उन्हें विलुप्तप्राय जीव कहते हैं। यदि इनका संरक्षण नहीं किया गया तो वे लुप्त हो जायेंगे। भारत के कुछ विलुप्त प्राय जन्तु जंगली गधा, एक सींग वाला गैण्डा, तेंदुआ, नीलगिरि के लंगूर, कस्तूरी मृग, सफेद गैण्डा तथा अजगर हैं। श्रेणी:प्राणी विज्ञान.

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विलुप्ति

मॉरीशस का डोडो पक्षी मानव शिकार के कारण विलुप्त हो गया जीव विज्ञान में विलुप्ति (extinction) उस घटना को कहते हैं जब किसी जीव जाति का अंतिम सदस्य मर जाता है और फिर विश्व में उस जाति का कोई भी जीवित जीव अस्तित्व में नहीं होता। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। अंतिम सदस्य की मृत्यु के साथ ही उस जाति में प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि की संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। पारिस्थितिकी में कभी कभी विलुप्ति शब्द का प्रयोग क्षेत्रीय स्तर पर किसी जीव प्रजाति की विलुप्ति से भी लिया जाता है। अध्ययन से पता चला है कि अपनी उत्पत्ति के औसतन १ करोड़ वर्ष बाद जाति विलुप्त हो जाती है, हालांकि कुछ जातियाँ दसियों करोड़ों वर्षों तक जारी रहती हैं। पृथ्वी पर मानव के विकसित होने से पहले विलुप्तियाँ प्राकृतिक वजहों से हुआ करती थीं। माना जाता है कि पूरे इतिहास में जितनी भी जातियाँ पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं उनमें से लगभग ९९.९% विलुप्त हो चुकी हैं।, Denise Walker, Evans Brothers, 2006, ISBN 978-0-237-53010-5,...

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वंश (जीवविज्ञान)

एक कूबड़ वाला ड्रोमेडरी ऊँट और दो कूबड़ो वाला बैक्ट्रियाई ऊँट दो बिलकुल अलग जातियाँ (स्पीशीज़) हैं लेकिन दोनों कैमेलस​ (Camelus) वंश में आती हैं जातियाँ आती हैं वंश (लैटिन: genus, जीनस; बहुवाची: genera, जेनेरा) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक वंश में एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों की जातियाँ आती हैं। ध्यान दें कि वंश वर्गीकरण के लिए मानकों को सख्ती से संहिताबद्ध नहीं किया गया है और इसलिए अलग अलग वर्गीकरण कर्ता वंशानुसार विभिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत करते हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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गण (जीवविज्ञान)

कुल आते हैं गण (अंग्रेज़ी: order, ऑर्डर; लातिनी: ordo, ओर्दो) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक गण में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के कुल आते हैं। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक कुल में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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आईयूसीएन लाल सूची

#D59D00nbspअसुरक्षित संकटग्रस्त जातियों की IUCN लाल सूची जिसे IUCN लाल सूची या रेड डाटा सूची (अंग्रेजी: IUCN Red List) भी कहते हैं, सन् १९६३ में गठित विश्व-भर में पौधों और पशुओं की जातियों की संरक्षण स्थिति की सबसे व्यापक तालिका है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) विश्व-स्तर पर विभिन्न जातियों की संरक्षण-स्थिति पर निगरानी रखने वाला सर्वोच्च संगठन है। क्षेत्रीय लाल सूचियों की एक शृंखला विश्व के विभिन्न देशों तथा संगठनों द्वारा किसी एक राजनीतिक प्रबंधन इकाई के अंतर्गत जातियों के विलुप्त होने के जोखिम का आकलन कर, तैयार की जाती हैं।, Chef Charles Oppman, pp.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

फ़ोलीडोटा, वज्रशल्क

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