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वक्र आसंजन

सूची वक्र आसंजन

Fitting of a noisy curve by an asymmetrical peak model, with an iterative process (Gauss–Newton algorithm with variable damping factor α). Top: raw data and model. Bottom: evolution of the normalised sum of the squares of the errors. वक्र आसंजन या वक्र बैठाना (Curve fitting) एक गणितीय प्रक्रिया है जिसमें किसी दिये हुए आंकड़े के आधार पर एक वक्र की रचना करना या एक गणितीय फलन की गणना करना होता है जो इन आंकड़ों से सर्वाधिक शुद्धतापूर्वक मेल खाता हो (best fit)। वैज्ञानिकों, इंजीनियरों एवं अन्य प्रायोगिक कार्य करने वालों को प्रयोग से प्राप्त आंकड़ों पर वक्र बैठाने की बहुत जरूरत पड़ती है। समुचित वक्र फिट करने से आंकड़ों में छिपा हुआ रहस्य बहुत हद तक साफ दिखने लगता है। कर्व फिटिंग करने से इन आंकड़ों से सम्बन्धित प्रक्रिया या फेनामेना का मॉडल तैयार करने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा वक्र बैठाने से उस आंकड़े में छिपी बहुत सी विशेषताएँ आसानी से ज्ञात की जा सकतीं हैं; जैसे किसी बिन्दु पर अवकलज (derivative), स्थानीय अधिकतम व न्यूनतम बिन्दु, वक्र के अन्दर आने वाला क्षेत्रफल (समाकलन द्वारा) आदि। .

12 संबंधों: न्यूनतम वर्ग विधि, परवलय, फलन, बहिर्वेशन, भौतिक मॉडल, समाकलन, समीकरण, सरल रेखा, स्प्लाईन (गणित), वक्र, अवकलज, अंतर्वेशन

न्यूनतम वर्ग विधि

कुछ दिये हुए आंकड़ों पर एक द्विघाती-वक्र बैठाया (फिट किया) गया है तकनीकी रूप से कहा जाय तो न्यूनतम वर्ग की विधि (method of least squares) किसी अतिनिश्चित तंत्र (overdetermined system) का लगभग हल (approximate soluion) निकालने के लिये उपयोग में लायी जाती है। दूसरे शब्दों में, ऐसे समीकरणों का तंत्र जहाँ समीकरणों की संख्या अज्ञात राशियों की संख्या से भी अधिक हो वहाँ यह विधि एक 'लगभग हल' निकालने में सहायता करती है। न्यूनतम वर्ग की विधि को एक अलग तरीके से भी देखा जा सकता है - दिये हुए आंकड़ों पर कोई वक्र (curve) फिट करना। इसलिये यह 'कर्व-फिटिंग' के लिये बहुतायत में उपयोग की जाती है। सबसे पहले इस विधि का वर्णन कार्ल फ्रेड्रिक गाउस ने (लगभग १७९४ ई) प्रस्तुत किया था। .

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परवलय

परवलय और उससे संबंधित पारिभाषिक शब्द गणित में, परवलय एक द्विविमीय समतलीय वक्र है जो दर्पण-सममित होता है और यह अंग्रेज़ी अक्षर U के आकार का होता है। परवलय (पैराबोला) एक द्विमीय वक्र है जिसे कई तरह से परिभाषित किया जाता है। एक परिभाषा परवलय को शांकव के एक विशेष रूप में परिभाषित करती है। इसके अनुसार, परवलय वह शांकव है जिनकी उत्केन्द्रता १ के बराबर होती है। परवलय को बिन्दुपथ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। परवलय ऐसे बिन्दुओं का बिन्दुपथ है जिसकी किसी निश्चित रेखा से दूरी, किसी निश्चित बिन्दु से दूरी के बराबर होती है। यहाँ उस रेखा को नियता (डायरेक्ट्रिक्स) एवं उस बिन्दु को नाभि (फोकस) कहते हैं। उदाहरण के लिए, समीकरण x2 .

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फलन

''X'' के किसी सदस्य का ''Y'' के केवल एक सदस्य से सम्बन्ध हो तो वह फलन है अन्यथा नहीं। ''Y''' के कुछ सदस्यों का '''X''' के किसी भी सदस्य से सम्बन्ध '''न''' होने पर भी फलन परिभाषित है। गणित में जब कोई राशि का मान किसी एक या एकाधिक राशियों के मान पर निर्भर करता है तो इस संकल्पना को व्यक्त करने के लिये फलन (function) शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये किसी ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज की राशि मूलधन, समय एवं ब्याज की दर पर निर्भर करती है; इसलिये गणित की भाषा में कह सकते हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज, मूलधन, ब्याज की दर तथा समय का फलन है। स्पष्ट है कि किसी फलन के साथ दो प्रकार की राशियां सम्बन्धित होती हैं -.

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बहिर्वेशन

बहिर्वेशन की समस्या का ग्राफीय निरूपण गणित में बहिर्वेशन (extrapolation) नये आकड़े सृजित करने की एक प्रक्रिया है। नये आंकड़े, दिये हुए आंकड़ा बिन्दुओं के बाहर सृजित किये जांय तो यह बहिर्वेशन कहलाती है जबकि दिये गये आंकड़ों की सीमा के भीतर नये आंकड़े सृजित करने की प्रक्रिया को अंतर्वेशन कहते हैं। प्रायः बहिर्वेशन से सृजित आंकड़ों में अपेक्षाकृत अधिक अनिश्चितता होती है और वे कम अर्थपूर्ण होते हैं। .

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भौतिक मॉडल

सिंगापुर सिटी सेन्टर का लघु प्रारूप (मॉडल) युद्ध के दृष्य का प्रारूप — आस्ट्रेलियायी युद्ध स्मारक, कैन्बरा किसी वस्तु या प्रक्रम के वास्तविक आकार से बड़ा या छोटा आकार की प्रतिकृति उस वस्तु या प्रक्रम की भौतिक प्रतिरूप या भौतिक मॉडल (physical model) कहलाती है। जिस वस्तु का (भौतिक) मॉडल बनाया जाता है उसका वास्तविक आकार बहुत ही छोटा (जैसे-परमाणु) या बहुत बड़ा (जैसे- सौर तंत्र) हो सकता है; अथवा वास्तविक आकार के बजाय उसका लघु आकार का मॉडल बनाकर परीक्षण करना कम खर्चीला हो सकता है। पहले भौतिक मॉडल का निर्माण बहुत प्रचलित था किन्तु वर्तमान समय में कम्प्यूटर और सिमुलेशन सॉफ्टवेयर की सहायता से गणितीय मॉडल बनाकर सिमुलेशन करना अधिक सस्ता, सरल, सुरक्षित एवं सुविधाजनक हो गया है। भौतिक मॉडल का उपयोग किसी जटिल वस्तु, तन्त्र या प्रक्रिया के देखने (visualization) के लिये भी किया जाता है/था किन्तु आजकल कम्प्यूटर ग्राफिक्स की सहायता से भांति-भांति से और अलग-अलग कोणों से किसी वस्तु के चित्र को देखा और समझा जा सकता है। .

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समाकलन

किसी फलन का निश्चित समाकल (definite integral) उस फलन के ग्राफ से घिरे क्षेत्र का चिह्नसहित क्षेत्रफल द्वारा निरूपित किया जा सकता है। समाकलन (जर्मन; अंग्रेज़ी; स्पेनिश; पुर्तगाली: Integral) यह एक विशेष प्रकार की योग क्रिया है जिसमें अत्यणु (infinitesimal) मान वाली किन्तु गिनती में अत्यधिक चर राशियों को जोड़ा जाता है। इसका एक प्रमुख उपयोग वक्राकार क्षेत्रों का क्षेत्रफल निकालने में होता है। समाकलन को अवकलन की व्युत्क्रम संक्रिया की तरह भी समझा जा सकता है। .

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समीकरण

---- समीकरण (equation) प्रतीकों की सहायता से व्यक्त किया गया एक गणितीय कथन है जो दो वस्तुओं को समान अथवा तुल्य बताता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आधुनिक गणित में समीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी में विभिन्न घटनाओं (फेनामेना) एवं प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल बनाने में समीकरण ही आधारका काम करने हैं। समीकरण लिखने में समता चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यथा- समीकरण प्राय: दो या दो से अधिक व्यंजकों (expressions) की समानता को दर्शाने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी समीकरण में एक या एक से अधिक चर राशि (यां) (variables) होती हैं। चर राशि के जिस मान के लिये समीकरण के दोनो पक्ष बराबर हो जाते हैं, वह/वे मान समीकरण का हल या समीकरण का मूल (roots of the equation) कहलाता/कहलाते है। ऐसा समीकरण जो चर राशि के सभी मानों के लिये संतुष्ट होता है, उसे सर्वसमिका (identity) कहते हैं। जैसे - एक सर्वसमिका है। जबकि एक समीकरण है जिसका मूल हैं x.

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सरल रेखा

तीन रेखाओं के समीकरण तथा ग्राफ: लाल रेखा तथा नीली रेखा परस्पर समान्तर हैं। सरल रेखा गणित मैं शून्य चौडाई वाला अनन्त लम्बाई वाला एक आदर्श वक्र होता है, यूक्लिडीय ज्यामिति (Euclidean Geometry) के अन्तर्गत दो बिन्दुओ से होकर एक और केवल एक ही रेखा जा सकती है। एक सरल रेखा दो बिदुओ के बीच की लघतुत्तम दूरी प्रदर्शित करती है। सरल रेख बिन्दुओं का सरलतम बिन्दुपथ होता है। किसी द्वी-विमीय समतल पर दो सरल रेखाएं या तो समानान्तर होंगी अथवा प्रतिछेदी। इसी प्रकार त्रिविम में दो रेखाएं परस्पर समानान्तर, प्रतिछेदी या skew (न प्रतिछेदी न ही समानान्तर) हो सकती हें। .

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स्प्लाईन (गणित)

छः बहुपद खंडों से बनी एक द्विघात स्प्लाईन। इस स्प्लाइन के बिंदु 0 और 1 का भाग एक सरल रेखा है; बिंदु 1 और 2 के बीच का भाग एक परवलय है जिसका द्वितीय अवकलज .

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वक्र

बन्द वक्र का एक उदाहरण बोलचाल की भाषा में कोई भी टेढ़ी-मेढ़ी रेखा वक्र (Curve) कहलाती है। किन्तु गणित में, सामान्यतः, वक्र ऐसी रेखा है जिसके प्रत्येक बिंदु पर उसकी दिशा में किसी विशेष नियम से ही परिवर्तन होता हो। यह ऐसे बिंदु का पथ है जो किसी विशेष नियम से ही विचरण करता हो। उदाहरण के लिए, यदि किसी बिंदु की दूरी एक नियत बिंदु से सदा समान रहती हो, तो बिंदुपथ एक वक्र होता है जिसे वृत्त कहते हैं। नियत बिंदु इस वृत्त का केंद्र होता है। यदि वक्र के समस्त बिंदु एक समतल में हो तो उसे समतल वक्र (Plane curve) कहते हैं, अन्यथा उसे विषमतलीय (Skew) या आकाशीय (Space) वक्र कहा जाता है। .

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अवकलज

एक वक्र के विभिन्न बिन्दुओं पर प्रवणता (स्लोप) वास्तव में उस बिन्दु पर '''x''' के सापेक्ष '''y''' का मान बढ़ने की दर के बराबर होता है। किसी चर राशि के किसी अन्य चर राशि के सम्बन्ध में तात्कालिक बदलाव की दर की गणना को अवकलन (Differentiation) कहते हैं तथा इस क्रिया द्वारा प्राप्त दर को अवकलज (Derivative) कहते हैं। यह किसी फलन को किसी चर राशि के साथ बढ़ने की दर को मापता है। जैसे यदि कोई फलन y किसी चर राशि x पर निर्भर है और x का मान x1 से x2 करने पर y का मान y1 से y2 हो जाता है तो (y2-y1)/(x2-x1) को y का x के सन्दर्भ में अवकलज कहते हैं। इसे dy/dx से निरूपित किया जाता है। ध्यान रहे कि परिवर्तन (x2 - x1) सूक्ष्म से सूक्ष्मतम (tend to zero) होना चाहिये। इसीलिये सीमा (limit) का अवकलन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। किसी वक्र (curve) का किसी बिन्दु पर प्रवणता (slope) जानने के लिये उस बिन्दु पर अवकलज की गणना करनी पड़ती है।; परिभाषा फलन ƒ का बिन्दु a पर अवकलज निम्नलिखित सीमा के बराबर होता है (बशर्ते सीमा का अस्तित्व हो) - यदि सीमा का अस्तित्व है तो ƒ बिन्दु a पर अवकलनीय कहलाता है।; उदाहरण d/dx (ज्या(x)) .

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अंतर्वेशन

अंतर्वेशन (इंटरपोलेशन / Interpolation) का अर्थ है किसी गणितीय सारणी में दिए हुए मानों के बीच वाले मानों को ज्ञात करना। अंग्रेजी शब्द इंटरपोलेशन का शाब्दिक अर्थ है - 'बीच में शब्द बढ़ाना' या किसी के वर्ग या समूह के बीच में उसी तरह की और कोई चीज बाहर से लाकर जमाना, बैठाना या लगाना।। .

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