5 संबंधों: परमाणु क्रमांक, पारऐक्टिनाइड, रेडियोसक्रियता, शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ, अर्धायु काल।
परमाणु क्रमांक
रसायन विज्ञान एवं भौतिकी में सभी तत्वों का अलग-अलग परमाणु क्रमांक (atomic number) है जो एक तत्व को दूसरे तत्व से अलग करता है। किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उसके तत्व के नाभिक में स्थित प्रोटॉनों की संख्या के बराबर होता है। इसे Z प्रतीक से प्रदर्शित किया जाता है। किसी आवेशरहित परमाणु पर एलेक्ट्रॉनों की संख्या भी परमाणु क्रमांक के बराबर होती है। रासायनिक तत्वों को उनके बढते हुए परमाणु क्रमांक के क्रम में विशेष रीति से सजाने से आवर्त सारणी का निर्माण होता है जिससे अनेक रासायनिक एवं भौतिक गुण स्वयं स्पष्ट हो जाते हैं।, American Institute of Physics .
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पारऐक्टिनाइड
पारऐक्टिनाइड (Transactinide, ट्रान्सऐक्टिनाइड), जिन्हें महा-भारी तत्व (super-heavy elements, सूपर-हेवी तत्व) भी कहते हैं, रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी (पीरियोडिक टेबल) में ऐक्टिनाइड शृंखला के तुरंत बाद आने वाले तत्व होते हैं। इनके परमाणु क्रमांक (ऐटोमिक नम्बर) १०४ से ११८ होते हैं। कोई भी पारऐक्टिनाइड तत्व प्रकृति में नहीं मिलता और सभी केवल प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से बनाए गए हैं। सभी रेडियोधर्मी हैं और इस अस्थिरता के कारण इन्हें बनाते ही इनके परमाणु टूटने लगते हैं। इनमें से सबसे स्थाई १०४ के परमाणु क्रमांक वाला रदरफोर्डियम (Rf) है, जिसका अर्धायु काल (हाफ़-लाइफ़) केवल ११ मिनट है। .
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रेडियोसक्रियता
अल्फा, बीटा और गामा विकिरण की भेदन क्षमता अलग-अलग होती है। रेडियोसक्रियता (रेडियोऐक्टिविटी / radioactivity) या रेडियोधर्मिता वह प्रकिया होती है जिसमें एक अस्थिर परमाणु अपने नाभिक (न्यूक्लियस) से आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) के रूप में ऊर्जा फेंकता है। ऐसे पदार्थ जो स्वयं ही ऐसी ऊर्जा निकालते हों विकिरणशील या रेडियोधर्मी कहलाते हैं। यह विकिरण अल्फा कण (alpha particles), बीटा कण (beta particle), गामा किरण (gamma rays) और इलेक्ट्रॉनों के रूप में होती है। ऐसे पदार्थ जिनकी परमाण्विक नाभी स्थिर नहीं होती और जो निश्चित मात्रा में आवेशित कणों को छोड़ते हैं, रेडियोधर्मी (रेडियोऐक्टिव) कहलाते हैं। .
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शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ
IUPAC प्रतीक चिन्ह शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अन्तरराष्ट्रीय संघ ((IUPAC: इंटरनैशनल यूनियन फॉर प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री) उच्चारणः आइ-यू-पैक)) एक गैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1919 में रसायन शास्त्र की उन्नति के लिए की गयी थी। इसके सदस्य राष्ट्रीय रसायन समितियाँ हैं। यह संगठन रासायनिक तत्वों और उनके यौगिकों के नामकरण के लिए मानक विकसित करने के लिए अधिकृत है, जो यह इसकी नाम और चिह्न की अन्तर्विभागीय समिति (आइ यू पी ए सी नॉमेनक्लॅचर) के माध्यम से करता है। यह अन्तरराष्ट्रीय विज्ञान परिषद (आई सी एस यू) का भी एक सदस्य है। .
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अर्धायु काल
अर्धायु काल, क्षय होते हुए किसी तत्त्व का वो काल होता है; जिसमें वो तत्त्व मूल मात्रा से आधा हो जाये। ये नाम पहले अस्थिर परमाणुओं (रेडियोधर्मी क्षय) के लिए प्रयोग किया जाता था, किन्तु अब इसे किसी भी निश्चित क्षय वाले तत्त्व के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मूल शब्द १९०७ में अर्धायु काल के नाम से प्रयुक्त हुआ था, जिसे बाद में १९५० में घटा कर अर्धायु कर दिया गया। .
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