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लिपिड द्विपरत

सूची लिपिड द्विपरत

लिपिड द्विपरत (lipid bilayer) या फ़ॉस्फ़ोलिपिड द्विपरत (phospholipid bilayer) लिपिड अणुओं की दो परतों की बनी एक झिल्ली होती है। यह लगभग सभी जीवों की कोशिकाओं को चादर की तरह लपेटे रहती है। इसका काम हानिकारक रासायनों को बाहर रखना और लाभदायक रासायनों को भीतर लाना होता है। इस द्वीपरत के छिद्र केवल कुछ नैनोमीटर चौड़े ही होते हैं। यह ध्रुवीय होती है यानि को बाहर रखने और कणों को उनके विद्युतीय लक्षणों के आधार पर अंदर-बाहर जाने की अनुमति देती है। कोशिका के अलावा कोशिका के अन्दर के कई अंशों को भी उनकी अपनी लिपिड द्विपरत ने ढका हुआ होता है। लिपिड यौगिक अक्सर उभयसंवेदी (amphiphilic) होते हैं, यानि उनका एक भाग जलस्नेही और एक भाग जलविरोधी होता है। जब उन्हें किसी जलीय वातावरण में डाला जाए तो वह दो परत की चादरों में व्यवस्थित हो जाते हैं, जिसमें। जलस्नेही सिर बाहर की तरफ़ और जलविरोधी दुमें अन्दर की ओर होती हैं। यह द्वीपरत शरीर में कई स्थानों पर प्रयोग होती है, मसलन कोशिकाओं का बाहरी खोल इसी से बनी झिल्ली का निर्मित होता है। .

11 संबंधों: झिल्ली, नैनोमीटर, रसायन, लिपिड, जलस्नेही, जलविरोधी, जैवझिल्ली, जीव, कोशिका, अणु, उभयसंवेदी

झिल्ली

झिल्ली (membrane) दो स्थानों, दिकों, अंगों, पात्रों या खंडो के बीच स्थित एक पतली अवरोधक परत होती है जो कुछ चुने पदार्थों, अणुओं, आयनों या अन्य सामग्रियों को आर-पार जाने देती है लेकिन अन्य सभी को रोकती है। जीव-शरीरों में ऐसी कई झिल्लियाँ पाई जाती हैं, जिन्हें जैवझिल्लियाँ कहा जाता है। इनका कोशिका झिल्ली और कई ऊतकों को ढकने वाली झिल्लियाँ उदाहरण हैं। इनके अलावा मानवों ने कई कृत्रिम झिल्लियों का निर्माण भी करा है, जिनके प्रयोग से अलग-अलग रसायनों और पदार्थों को अलग करा जाता है। मसलन रिवर्स ऑस्मोसिस (आर ओ) नामक जल-स्वच्छिकरण यंत्र में जल को एक कृत्रिम झिल्ली से निकालकर उस से कई हानिकारक पदार्थों और सूक्ष्मजीवियों को हटाकर पीने योग्य बनाया जाता है। .

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नैनोमीटर

नैनोमीटर (प्रतीक: नैमी या nm) (यूनानी: νάνος, नैनोस, "बौना"; μέτρον, मीटरॉन, "माप की इकाई ") मीट्रिक प्रणाली में एक लंबाई की इकाई है जो एक मीटर के 10−9 के बराबर है।.

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रसायन

रसायन, आयुर्वेद के आठ भागों में से का एक विभाग है। आधुनिक रसायन शास्त्र में उन सभी द्रव्यों को रसायन को कहते हैं जो किसी अभिक्रिया में भाग लेते हैं।;टिप्पणी.

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लिपिड

शरीर में लिपिड लिपिड एक अघुलनशील पदार्थ हैं, जो कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन के साथ मिलकर प्राणियों एवं वनस्पति के ऊतक का निर्माण करते है। लिपिड को सामान्य भाषा मे कई बार वसा भी कहा जाता है परंतु दोनो मे कुछ अंतर होता है। लिपिड प्राकृतिक रूप से बने अणु होते हैं, जिनमें वसा, मोम, स्टेरॉल, वसा-घुलनशील विटामिन (जैसे विटामिन ए, डी, ई एवं के) मोनोग्लीसराइड, डाईग्लीसराइड, फॉस्फोलिपिड एवं अन्य आते हैं। इनका प्रमुख कार्य शरीर में उर्जा संरक्षण करना, ऊतकों की कोशिका झिल्ली बनाना और हार्मोन और विटामिन के अभिन्न अवयव निर्माण करना होता है। शरीर में कोलेस्ट्रोल तथा ट्राईग्लीसराईड की मात्रा ज्ञात करने हेतु लिपिड प्रोफाईल नामक परीक्षण करवाया जाता है। इसकी जांच से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि रोगी की धमनियों मे कोलेस्ट्राल जमा होने और रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने की कितनी सम्भावना है? लिपिड अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे कि कोलेसटेरोल, काईलोमाईक्रोन इत्यादि। इनका भिन्न प्रकार से उपयोग होता है। कुछ लिपिड आहार के द्वारा प्राप्त होते हैं, तो कुछ लिपिड शरीर में निर्मित होते हैं। फोस्फैटीडाईकोलाइन हैं।स्ट्रायर ''et al.'', पृ. ३३० लिपिड को सारे शरीर में रक्त द्वारा भेजा जाता है। शरीर में पूरे लिपिड का एक संतुलन रहता है और अत्याधिक लिपिड को भविष्य प्रयोग हेतु जमा कर लिया जाता है, या फिर मल त्याग के द्वारा निकाल दिया जाता है। यदि रक्त में किसी कारण से बहुत अधिक लिपिड हो तो, तो यह रक्तवाहिकाओं में जमा होकर उसे संकुचित कर देता है या फिर अवरोधित भी कर देता है। इसको एथ्रोसक्लेरोसिस कहते हैं और यह समय के साथ और बढते जाता है। अंत में यह विभिन्न अंगों में रक्त-प्रवाह को कम करके हानि पहुँचाता है, जैसे कि हृदयाघात या पक्षाघात आदि। .

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जलस्नेही

जलस्नेही (hydrophile) या जलरागी ऐसा अणु या आण्विक इकाई होती है जो जल के अणुओं की ओर आकर्षित हो और पानी में घुल जाने की प्रवृत्ति रखता हो। इस से विपरीत जलविरोधी पदार्थ पानी के अणुओं से आकर्षित होने की बजाय अपकर्षित होता है। .

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जलविरोधी

जलविरोधी (hydrophobic) या जलविरागी ऐसा अणु या आण्विक इकाई होती है जो जल को स्वयं से दूर रखने की चेष्टा प्रतीत करता हुआ लगता है, यानि जल से आकर्षित होने की बजाय अपकर्षित प्रतीत होता है। ध्यान योग्य है कि यह वास्तव में जल से दूर नहीं रहता बल्कि जल के अणु एक दूसरे से आकर्षित होते हैं और जलविरोधी पदार्थों से नहीं, जिस से जल अपने-आप में सिकुड़कर जलविरोधी पदार्थों को अपने से अलग कर लेता है। इस से विपरीत जलस्नेही पदार्थ पानी के अणुओं से आकर्षित होते हैं। .

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जैवझिल्ली

जैवझिल्ली (biomembrane, biological membrane) किसी जीव के शरीर में किसी अंश को ढकने वाली या दो अंशों को अलग करने वाली अर्धपारगम्य झिल्ली होती है। जैवझिल्लियाँ अक्सर लिपिड द्विपरत (lipid bilayer) की बनी होती हैं जिसमें कुछ प्रोटीन स्थाई या अस्थाई रूप से जुड़े या धंसे हुए होते हैं और जिनका प्रयोग झिल्ली के पार संचार और रसायनों व आयनों की आवाजाही के लिए किया जाता है। .

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जीव

कवक जीव (Organism) शब्द जीवविज्ञान में सभी जीवन-सन्निहित प्राणियों के लिए प्रयुक्त होता है, जैसे: कशेरुकी जन्तु, कीट, पादप अथवा जीवाणु। एक जीव में एक या एक से अधिक कोशिकाएँ होते हैं। जिनमें एक कोशिका पाया जाता है उसे एक कोशिकीय जीव है; एक से अधिक कोशिका होने पर उस जीव को बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है। मनुष्य का शरीर विशेष ऊतकों और अंगों में बांटा होता है, जिसमें कोशिकाओं के कई अरबों की रचना में बहुकोशिकीय जीव होते हैं। .

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कोशिका

कोशिका कोशिका (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं। 'कोशिका' का अंग्रेजी शब्द सेल (Cell) लैटिन भाषा के 'शेलुला' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ 'एक छोटा कमरा' है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने १६६५ ई० में किया।"...

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अणु

साधारण चीनी का अणु - इसमें १२ कार्बन (काला रंग), २२ हाइड्रोजन (सफ़ेद रंग) और ११ आक्सीजन (लाल रंग) के परमाणु एक दुसरे से जुड़े हुए होते हैं अणु पदार्थ का वह छोटा कण है जो प्रकृति के स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है लेकिन रासायनिक प्रतिक्रिया में भाग नहीं ले सकता है। रसायन विज्ञान में अणु दो या दो से अधिक, एक ही प्रकार या अलग अलग प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है। परमाणु मजबूत रसायनिक बंधन के कारण आपस में जुड़े रहते हैं और अणु का निर्माण करते हैं। अणु की संकल्पना ठोस, द्रव और गैस के लिये अलग अलग हो सकती है। अणु पदार्थ के सबसे छोटे भाग को कहते हैं। यह कथन गैसो के लिये ज्यादा उपयुक्त है। उदाहरण के लिये, ओक्सीजन गैस उसके स्वतन्त्र अणुओ का एक समूह है। द्रव और ठोस में अणु एक दूसरे से किसी ना किसी बन्धन में रह्ते है, इनका स्वतन्त्र अस्तित्व नहीं होता है। कई अणु एक दूसरे से जुडे होते है और एक अणु को अलग नहीं किया जा सकता है। अणु में कोई विद्युत आवेश नहीं होता है। अणु एक ही तत्व के परमाणु से मिलकर बने हो सकते हैं या अलग अलग तत्वों के परमाणु से मिलकर। .

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उभयसंवेदी

उभयसंवेदी (amphiphilic, amphipathic) ऐसा रासायनिक यौगिक होता है जिसमें जलस्नेही (हाइड्रोफ़िलिक) और जलविरोधी (हाइड्रिफ़ोबिक) दोनों प्रकार के भाग हों। अक्सर इसका जलविरोधी भाग वसास्नेही (लाइपोफ़िलिक) भी होता है इसलिए कई परिभाषाओं में यह भी कहा जाता है कि उभयसंवेदी यौगिकों में जलस्नेही और वसास्नेही दोनों भाग होते हैं। जैवरसायनिकी में उभयसंवेदी यौगिकों का गहरा अध्ययन करा जाता है। मसलन लिपिड अपने आप को कई रूपों में व्यवस्थित कर पाते हैं। लिपिड बहुरूपता (lipid polymorphism) कहलाने वाली यह क्षमता पृथ्वी पर सभी ज्ञात जीवन का एक ज़रूरी आधार है और लिपिडों का उभयसंवेदी होना ही उन्हें यह क्षमता देता है। साबुन और डिटरजेंट जैसी दैनिक आवश्यकता की कई चीज़े भी उभयसंवेदी रसायनों की बनी होती हैं। .

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