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लिंक्स

सूची लिंक्स

लिंक्स एक मध्यम-आकार जंगली बिल्ली है। .

8 संबंधों: प्राणी, फ़ेलिडाए, बिल्ली, मांसाहारी गण, रज्जुकी, स्तनधारी, जाति (जीवविज्ञान), कार्ल लीनियस

प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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फ़ेलिडाए

फ़ेलिडाए (Felidae) बिल्लियों और बिल्ली-नुमा मांसाहारी जानवरों का जीववैज्ञानिक कुल है जिसमें बिल्ली, सिंह, शेर, चीता और लिंक्स जैसे प्राणी शामिल हैं। वर्तमान युग में इस कुल की दो शाखाएँ अस्तित्व में हैं: पैन्थेरिनाए‎ (Pantherinae) और फ़ेलिनाए‎ (Felinae)। पैन्थेरिनाए‎ में बाघ, सिंह, तेन्दुआ और जैगुआर शामिल हैं। फ़ेलिनाए‎ में कूगर, चीता, लिंक्स, ऑसेलॉट​ और साधारण घरेलू बिल्ली आते हैं। .

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बिल्ली

बिल्ली एक मांसाहारी स्तनधारी जानवर है। इसकी सुनने और सुँघने की शक्ति प्रखर है और यह कम रोशनी, यहाँ तक कि रात में भी देख सकती हैं। लगभग 9500 वर्षों से बिल्ली मनुष्य के साथी के रूप में है। प्राकृतिक रूप से इनका जीवनकाल लगभग 15 वर्षों का होता है।, Louise A. Spilsbury, Louise Spilsbury, Richard Spilsbury, pp.

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मांसाहारी गण

मांसाहारी गण का प्रसिद्ध जन्तु टाइगर नर सिंह एवं शावक मांस का भक्षण करते हुए मांसाहारी गण (Carnivora) मांसाहारी स्तनियों का गण है। इसके अंतर्गत सिंह, बाघ, चीता, पालतू कुत्ते एवं बिल्लियाँ, सील, लोमड़ी लकड़बग्घा, रीछ आदि जीव आते हैं। इस गण के लगभग २६० वंश वर्तमान है और वर्तमान वंश के बराबर वंश विलुप्त हो गए हैं। तृतीयक (Tertiary) युग के आरंभ में इस गण के जीवों की उत्पत्ति हुई, तब से अब तक ये अपना अस्तित्व बनाए रखने में पर्याप्त सफल रहे हैं। इस गण के प्राणी साहसी, बुद्धिमान्‌ एवं सक्रिय होते हैं। इनके देखने और सूँघने की शक्ति तीव्र होती है। इनके चार रदनक (canine) दाँत होते हैं, जो मांस फाड़ने के अनुकुल होते हैं। इस गण की अनेक जातियों की पादांगुलियाँ दृढ़ एवं तेज नखर (claw) से युक्त होती है। ये नखर शिकार को पकड़ने में सहायक होते हैं। मांसाहारी गण के प्राणी छोटे विस्त्रा (weasel) से लेकर बड़े रीछ के आकार तक के होते हैं और इनका भार लगभग २० मन तक हो सकता है। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को छोड़कर संसार के प्रत्येक भाग में मांसाहारी गण के जीव पाये जाते हैं। ध्रुवीय लोमड़ी और रीछ ही केवल ऐसे स्थल स्तनी हैं, जो सुदूर उत्तर में पाए जाते हैं। जलसिंह (sea lion) उत्तर ध्रुवीय एवं दक्षिण ध्रुवीय समुद्र में पाए जाते हैं। गंध मार्जार (civet) उत्तरी एवं दक्षिणी अमरीका को छोड़कर सभी देशों में पाया जाता है। अफ्रीका में असली रीछ नहीं पाये जाते। पंडा को छोडकर सभी रैकून (racoon) अमरीका में ही पाये जाते हैं। यद्यपि कुछ मांसाहारी प्राणी मनुष्य और पालतु पशुओं को हानि पहुँचाते हैं, तथापि इनमें से अधिकांश समूरधारी (furry) और कृतक भक्षक होने के कारण महत्वपूर्ण है। कृंतक (rodente) कृषि को हानि पहुँचाते हैं, पर मांसाहारी गण के अधिकांश प्राणी कृंतकों का भक्षण कर इनकी संख्यावृद्धि को रोकते हैं। इस गण के सभी प्राणी मांसाहारी ही हों, यह आवश्यक नहीं है। इस गण के कुछ प्राणी, जैसे अधिकतर रीछ, शाकाहारी होते हैं। .

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रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

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स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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कार्ल लीनियस

कार्ल लीनियस (लैटिन: Carolus Linnaeus) या कार्ल वॉन लिने (२३ मई १७०७ - १० जनवरी १७७८) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और जीव विज्ञानी थे, जिन्होने द्विपद नामकरण की आधुनिक अवधारणा की नींव रखी थी। इन्हें आधुनिक वर्गिकी (वर्गीकरण) के पिता के रूप में जाना जाता है साथ ही यह आधुनिक पारिस्थितिकी के प्रणेताओं मे से भी एक हैं। .

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