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लाम्डा वलोरम तारा

सूची लाम्डा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें लाम्डा वलोरम "λ" के चिह्न वाला तारा है लाम्डा वलोरम, जिसका बायर नाम भी यही (λ Velorum या λ Vel) है, पाल तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२३ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ५७० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक K श्रेणी का चमकीला दानव या महादानव तारा है। लाम्डा वलोरम एक परिवर्ती तारा भी है जिसकी चमक समय के साथ-साथ +२.१४ से +२.३० मैग्नीट्यूड के बीच चढ़ती-उतरती रहती है। .

20 संबंधों: चमकीला दानव तारा, तारा, तारों की श्रेणियाँ, नाभिकीय संलयन, निरपेक्ष कांतिमान, परिवर्ती तारा, पाल तारामंडल, प्रकाश-वर्ष, बायर नामांकन, भारतीय संख्या प्रणाली, महादानव तारा, सबसे रोशन तारों की सूची, सापेक्ष कांतिमान, सौर द्रव्यमान, सौर अर्धव्यास, सूर्य, खगोलीय मैग्निट्यूड, गामा वलोरम तारा, केल्विन, अरबी भाषा

चमकीला दानव तारा

तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र चमकीला दानव तारा महादानव तारों और दानव तारों के बीच की श्रेणी का तारा होता है। यह ऐसे दानव तारे होते हैं जिनमें चमक बहुत ज़्यादा होती है लेकिन यह इतने बड़े नहीं होते के इन्हें महादानव तारों का दर्जा दिया जाए। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "II" होती है। वॄश्चिक तारामंडल का सर्गस नाम का तारा (जिसका बायर नाम "θ स्को" है) ऐसे एक चमकीले दानव का उदहारण है। .

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तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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तारों की श्रेणियाँ

अभिजीत (वेगा) एक A श्रेणी का तारा है जो सफ़ेद या सफ़ेद-नीले लगते हैं - उसके दाएँ पर हमारा सूरज है जो G श्रेणी का पीला या पीला-नारंगी लगने वाला तारा है खगोलशास्त्र में तारों की श्रेणियाँ उनसे आने वाली रोशनी के वर्णक्रम (स्पॅकट्रम) के आधार पर किया जाता है। इस वर्णक्रम से यह ज़ाहिर हो जाता है कि तारे का तापमान क्या है और उसके अन्दर कौन से रासायनिक तत्व मौजूद हैं। अधिकतर तारों कि वर्णक्रम पर आधारित श्रेणियों को अंग्रेज़ी के O, B, A, F, G, K और M अक्षर नाम के रूप में दिए गए हैं-.

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नाभिकीय संलयन

publisher.

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निरपेक्ष कांतिमान

निरपेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के अपने चमकीलेपन को कहते हैं। मिसाल के लिए अगर किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान की बात हो रही हो तो यह देखा जाता है कि यदि देखने वाला उस तारे के ठीक १० पारसैक की दूरी पर होता तो वह कितना चमकीला लगता। इस तरह से "निरपेक्ष कांतिमान" और "सापेक्ष कांतिमान" में गहरा अंतर है। अगर कोई तारा सूरज से बीस गुना ज़्यादा मूल चमक रखता हो लेकिन सूरज से हज़ार गुना दूर हो तो पृथ्वी पर बैठे किसी दर्शक के लिए सूरज का सापेक्ष कांतिमान अधिक होगा, हालाँकि दूसरे तारे का निरपेक्ष कांतिमान सूरज से अधिक है। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .

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परिवर्ती तारा

द्वितारे में एक तारे के कभी खुले चमकने और कभी ग्रहण हो जाने से उसकी चमक परिवर्तित होती रहती है - नीचे की लक़ीर पृथ्वी तक पहुँच रही चमक को माप रही है परिवर्ती तारा ऐसे तारे को बोलते हैं जिसकी पृथ्वी तक पहुँचती हुई चमक बदलती रहती हो, यानि उसका सापेक्ष कान्तिमान बदलता रहता हो। इसकी दो वजहें हो सकती हैं -.

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पाल तारामंडल

पाल (वीला) तारामंडल पाल महानोवा अवशेष की नीहारिका के अन्दर स्थित पल्सर अपने तेज़ घूर्णन में पृथ्वी की ओर गामा किरणों का प्रकाश बार-बार फेंकता है पाल या वीला (अंग्रेज़ी: Vela) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक नौका के पाल की आकृति बनाई जा सकती है। पाल हवा पकड़कर नौका धकेलने वाली चादर होती है, जिसे अंग्रेज़ी में "सेल" (sail) कहते हैं। "वीला" लातिनी भाषा में "पाल" के लिए शब्द है। .

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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बायर नामांकन

शिकारी तारामंडल के तारे, जिनमें बायर नामांकन के यूनानी अक्षर दिख रहे हैं बायर नामांकन तारों को नाम देने का एक तरीक़ा है जिसमें किसी भी तारामंडल में स्थित तारे को एक यूनानी अक्षर और उसके तारामंडल के यूनानी नाम से बुलाया जाता है। बायर नामों में तारामंडल के यूनानी नाम का सम्बन्ध रूप इस्तेमाल होता है। मिसाल के लिए, पर्णिन अश्व तारामंडल (पॅगासस तारामंडल) के तारों में से तीन तारों के नाम इस प्रकार हैं - α पॅगासाए (α Pegasi), β पॅगासाए (β Pegasi) और γ पॅगासाए (γ Pegasi)। .

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भारतीय संख्या प्रणाली

भारतीय संख्या प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप की परम्परागत गिनने की प्रणाली है जो भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश और नेपाल में आम इस्तेमाल होती है। जहाँ पश्चिमी प्रणाली में दशमलव के तीन स्थानों पर समूह बनते हैं वहाँ भारतीय प्रणाली में दो स्थानों पर बनते हैं। .

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महादानव तारा

लाल महादानव तारे मू सिफ़ई के आगे सूरज नन्हा लगता है - मू सिफ़ई का अर्धव्यास (रेडियस) सूरज का १,६५० गुना है तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र महादानव तारा एक अत्याधिक द्रव्यमान (मास) और चमक वाला तारा होता है। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "Ia" (बहुत चमकीले महादानव) और "Ib" (कम चमकीले महादानव) है। इनसे बड़े तारे ब्रह्माण्ड में मुट्ठी-भर ही हैं और वे परमदानव तारे कहलाते हैं। .

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सबसे रोशन तारों की सूची

किसी तारे की चमक उसकी अपने भीतरी चमक, उसकी पृथ्वी से दूरी और कुछ अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी तारे के निहित चमकीलेपन को "निरपेक्ष कान्तिमान" कहते हैं जबकि पृथ्वी से देखे गए उसके चमकीलेपन को "सापेक्ष कान्तिमान" कहते हैं। खगोलीय वस्तुओं की चमक को मैग्निट्यूड में मापा जाता है - ध्यान रहे के यह मैग्निट्यूड जितना कम होता है सितारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है। .

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सापेक्ष कांतिमान

क्षुद्रग्रह ६५ सिबअली और २ तारे जिनकें सापेक्ष कान्तिमान (apmag) लिखे गए हैं सापेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के पृथ्वी पर बैठे दर्शक द्वारा प्रतीत होने वाले चमकीलेपन को कहते हैं। सापेक्ष कान्तिमान को मापने के लिए यह शर्त होती है कि आकाश में कोई बादल, धूल, वगैरा न हो और वह वस्तु साफ़ देखी जा सके। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .

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सौर द्रव्यमान

वी॰वाए॰ कैनिस मेजौरिस का द्रव्यमान ३०-४० \beginsmallmatrixM_\odot\endsmallmatrix है, यानि सूरज के द्रव्यमान का ३०-४० गुना है खगोलविज्ञान में सौर द्रव्यमान (solar mass) (\beginM_\odot\end) द्रव्यमान की मानक इकाई है, जिसका मान १.९८८९२ X १०३० कि.ग्रा.

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सौर अर्धव्यास

सौर अर्धव्यास (solar radius), जिसे \beginR_\odot\end के चिन्ह से दर्शाया जाता है, हमारे सूरज का अर्धव्यास (रेडियस) है जो ६.९५५ x १०५ किलोमीटर के बराबर है। खगोलशास्त्र में, सौर्य अर्धव्यास का तारों के अर्धव्यास बताने के लिए इकाई की तरह इस्तेमाल होता है। अगर किसी तारे का अर्धव्यास हमारे सूरज से बीस गुना है, जो कहा जाएगा के उसका अर्धव्यास २० \beginR_\odot\end है। ज़ाहिर है के सूरज का अपना अर्धव्यास १ \beginR_\odot\end है। .

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सूर्य

सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

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खगोलीय मैग्निट्यूड

खगोलशास्त्र में खगोलीय मैग्निट्यूड या खगोलीय कान्तिमान किसी खगोलीय वस्तु की चमक का माप है। इसका अनुमान लगाने के लिए लघुगणक (लॉगरिदम) का इस्तेमाल किया जाता है। मैग्निट्यूड के आंकडे परखते हुए एक ध्यान-योग्य चीज़ यह है के किसी वस्तु का मैग्निट्यूड जितना कम हो वह वस्तु उतनी ही अधिक रोशन होती है। पृथ्वी पर बैठे हुए दर्शक के लिए -.

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गामा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें गामा वलोरम "γ" के चिह्न वाला सबसे दाएँ पर स्थित तारा है गामा वलोरम, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (γ Vel या γ Velorum) दर्ज है, आकाश में पाल तारामंडल में स्थित एक पाँच तारों का मंडल है जो एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षक बंधन रखते हैं। इसका मुख्य तारा, जिसे "γ वलोरम ए" या "γ२ वलोरम" कहते हैं, वास्तव में एक द्वितारा है जिसका एक तारा एक नीला महादानव तारा है और दूसरा एक बहुत ही रोशन वुल्फ़-रायेट तारा है। पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७८ है और यह पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले तारों में से ३४वां सब से रोशन तारा है। अगर गामा वलोरम के सभी तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.७ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। .

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केल्विन

कैल्विन (चिन्ह: K) तापमान की मापन इकाई है। यह सात मूल इकाईयों में से एक है। कैल्विन पैमाना ऊष्मगतिकीय तापमान पैमाना है, जहाँ, परिशुद्ध शून्य, पूर्ण ऊर्जा की सैद्धांतिक अनुपस्थिति है, जिसे शून्य कैल्विन भी कहते हैं। (0 K) कैल्विन पैमाना और कैल्विन के नाम ब्रिटिश भौतिक शास्त्री और अभियाँत्रिक विलियम थामसन, प्रथम बैरन कैल्विन (1824–1907) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने विशुद्ध तापमानमापक पैमाने की आअवश्यकत जतायी थी। .

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अरबी भाषा

अरबी भाषा सामी भाषा परिवार की एक भाषा है। ये हिन्द यूरोपीय परिवार की भाषाओं से मुख़्तलिफ़ है, यहाँ तक कि फ़ारसी से भी। ये इब्रानी भाषा से सम्बन्धित है। अरबी इस्लाम धर्म की धर्मभाषा है, जिसमें क़ुरान-ए-शरीफ़ लिखी गयी है। .

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