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लग्न-राशि

सूची लग्न-राशि

जिस राशि का उदय बालक के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज में हो रहा होता, वही राशि लग्न - राशि होती है| ज्योतिष शास्त्र में मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृश्चिक धनु मकर कुम्भ मीन कुल 12 राशियां है| इन राशियों में से जो भी राशि वैदिक साहित्य श्रेणी:ज्योतिष.

11 संबंधों: तुला, धनु, मिथुन राशि सन्दूक, मकर, मेष राशि, सिंह, वृषभ, वॄश्चिक राशि, कन्या राशि, कर्क राशि, कुम्भ

तुला

पारम्परिक तराजू तुला या तराजू (balance), द्रव्यमान मापने का उपकरण है। भार की सदृशता का ज्ञान करानेवाले उपकरण को तुला कहते हैं। महत्वपूर्ण व्यापारिक उपकरण के रूप में इसका व्यवहार प्रागैतिहासिक सिंध में ईo पूo तीन सहस्राब्दी के पहले से ही प्रचलित था। प्राचीन तुला के जो भी उदाहरण यहाँ से मिलते हैं उनसे यही ज्ञात होता है कि उस समय तुला का उपयोग कीमती वस्तुओं के तौलने ही में होता था। पलड़े प्राय: दो होते थे, जिनमें तीन छेद बनाकर आज ही की तरह डोरियाँ निकाल कर डंडी से बाध दिए जाते थे। जिस डंडी में पलड़े झुलाए जाते थे वह काँसे की होती थी तथा पलड़े प्राय: ताँबे के होते थे। .

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धनु

धनु वैदिक काल की हिन्दू लम्बाई मापन की इकाई है। एक धनु बराबर होता है दो दण्ड के। पांच धनु से एक रज्जु बनता है।;विष्णु पुराण अनुसार.

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मिथुन राशि सन्दूक

मिथुन राशि ज्यौतिष के राशिचक्र में की तृतीय राशी है। इसका उद्भव मिथुन तारामंडल से माना जाता है। श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:ज्योतिष.

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मकर

अपने वाहन मकर पर सवार माता गंगा हिंदू पौराणिक कथाओं, के अनुसार मकर, एक मिथकीय प्राणी है और देवी गंगा और वरुण का वाहन है। यह प्रेम और वासना के हिन्दू देवता कामदेव का प्रतीक चिह्न भी है और उनके ध्वज जिसे कर्कध्वज कहा जाता है पर चित्रित है। परंपरागत रूप से मकर को एक जलीय प्राणी माना जाता है और कुछ पारंपरिक कथाओं में इसे मगरमच्छ से जोड़ा गया है, जबकि कुछ अन्य कथाओं में इसे एक सूंस (डॉल्फिन) माना गया है। कुछ स्थानों पर इसका चित्रण एक ऐसे जीव के रूप में किया गया है जिसका शरीर तो मीन का है किंतु सिर एक गज का.

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मेष राशि

कोई विवरण नहीं।

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सिंह

सिंह के कई अर्थ हो सकते हैं:-.

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वृषभ

बृषभ (बैल) चतुष्पदी पशु है। भूतभावन भगवान शिव की सवारी के रूप में जाना जाता है। नंदी रूप में सव्यं शिवावतार बृषभ का उल्लेख शिव पुराण में मिलता है।.

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वॄश्चिक राशि

श्रेणी:ज्योतिष.

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कन्या राशि

कन्या राशियह राशि चक्र की छठी राशि है।दक्षिण दिशा की द्योतक है। इस राशि का चिह्न हाथ में फ़ूल की डाली लिये कन्या है। इसका विस्तार राशि चक्र के १५० अंशों से १८० अंश तक है। इस राशि का स्वामी बुध है, इस राशि के तीन द्रेष्काणों के स्वामी बुध,शनि और शुक्र हैं। इसके अन्तर्गत उत्तराफ़ाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण,चित्रा के पहले दो चरण और हस्त नक्षत्र के चारों चरण आते है। उत्तराफ़ाल्गुनी के दूसरे चरण के स्वामी सूर्य और शनि है, जो जातक को उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के प्रति अधिक महत्वाकांक्षा पैदा करते है, तीसरे चरण के स्वामी भी उपरोक्त होने के कारण दोनो ग्रहों के प्रभाव से घर और बाहर के बंटवारे को जातक के मन में उत्पन्न करती है। चौथा चरण भावना की तरफ़ ले जाता है और जातक दिमाग की अपेक्षा ह्रदय से काम लेना चालू कर देता है। इस राशि के लोग संकोची और शर्मीले प्रभाव के साथ झिझकने वाले देखे जाते है। मकान, जमीन.और सेवाओं वाले कार्य ही इनकी समझ में अधिक आते हैं, कर्जा, दुश्मनी और बीमारी के प्रति इनका लगाव और सेवायें देखने को मिलती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से फेफड़ों में ठन्ड लगना और पाचन प्रणाली के ठीक न रहने के कारण आंतों में घाव हो जाना, आदि बीमारियाँ इस प्रकार के जातकों में मिलती है। देवी दुर्गा का एक नाम। .

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कर्क राशि

राशि चक्र की यह चौथी राशि है, यह उत्तर दिशा की द्योतक है, तथा जल त्रिकोण की पहली राशि है, इसका चिन्ह केकडा है, यह चर राशि है, इसका विस्तार चक्र 90 से 120 अंश के अन्दर पाया जाता है, इस राशि का स्वामी चन्द्रमा है, इसके तीन द्रेष्काणों के स्वामी चन्द्रमा, मंगल और गुरु हैं, इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अन्तिम चरण, पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेशा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं। .

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कुम्भ

* कुम्भ मेला.

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