3 संबंधों: राशियाँ, लग्न भाव, आत्मा।
राशियाँ
राशियाँ राशिचक्र के उन बारह बराबर भागों को कहा जाता है जिन पर ज्योतिषी आधारित है। हर राशि सूरज के क्रांतिवृत्त (ऍक्लिप्टिक) पर आने वाले एक तारामंडल से सम्बन्ध रखती है और उन दोनों का एक ही नाम होता है - जैसे की मिथुन राशि और मिथुन तारामंडल। यह बारह राशियां हैं -.
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लग्न भाव
लग्न भाव को प्रथम भाव भी बोला जाता है| यह भाव कुण्ड्ली में सबसे ऊपर मध्य स्थित होता है| यही से कुण्डली के भावों की गणना आरम्भ होती है| ये भाव क्रमश: प्रथम भाव, द्वितीय भाव, तृ्तीय भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, षष्ट भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, नवम भाव, दशम भाव, एकादश भाव, द्वादश भाव है| इसमें अगर बालक के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज में कन्या लग्न हो तो कुण्डली कन्या लग्न की कहलाती है| श्रेणी:ज्योतिष.
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आत्मा
आत्मा या आत्मन् पद भारतीय दर्शन के महत्त्वपूर्ण प्रत्ययों (विचार) में से एक है। यह उपनिषदों के मूलभूत विषय-वस्तु के रूप में आता है। जहाँ इससे अभिप्राय व्यक्ति में अन्तर्निहित उस मूलभूत सत् से किया गया है जो कि शाश्वत तत्त्व है तथा मृत्यु के पश्चात् भी जिसका विनाश नहीं होता। आत्मा का निरूपण श्रीमद्भगवदगीता या गीता में किया गया है। आत्मा को शस्त्र से काटा नहीं जा सकता, अग्नि उसे जला नहीं सकती, जल उसे गीला नहीं कर सकता और वायु उसे सुखा नहीं सकती। जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नवीन शरीर धारण करता है। .
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