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रॉक गन बैटरी

सूची रॉक गन बैटरी

रॉक गन बैटरी (Rock Gun Battery) ब्रिटिश प्रवासी शासित प्रदेश जिब्राल्टर में स्थित तोपखाने की बैटरी है। यह रॉक ऑफ़ जिब्राल्टर के उत्तरी मुख पर अपर रॉक नेचर रिजर्व के उत्तरी सिरे पर ग्रीन्स लोज बैटरी के ऊपर स्थित है। यह जिब्राल्टर की महान घेराबंदी बनाई गई थी चूँकि रणनीतिक तौर पर यह लाभप्रद स्थान पर है और ग्रीन्स लोज बैटरी से ज्यादा सफ़ल थी। महान घेराबंदी के दौरान इसका प्रभावशाली रूप से उपयोग हुआ था तथा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसका पुनः निर्माण किया गया। बीसवी शताब्दी के मध्य में यूनाईटेड किंगडम के रक्षा मंत्रालय इसका हवाई फ़ार्म के तौर पर इस्तेमाल करने लगा और 1958 में इसका ढ़ाचागत सुधार भी कराया। रॉक गन बैटरी और मिडल हिल बैटरी में कई दशकों तक आम जनता के लिए प्रवेश निषेद था। वर्ष 2005 में रेडियो फ़ार्म को बंद कर दिया गया और रक्षा मंत्रालय ने ज्यादातर क्षेत्र को छोड़ दिया तथा इसके साथ ही यहाँ के आसपास के हिस्से का स्वामित्व जिब्राल्टर की सरकार को स्थानान्तरित कर दिया। हालांकि शिखर, जहाँ रॉक गन बैटरी मौजूद है, अभी भी रक्षा मंत्रालय के प्राधिकरण के आधीन है। .

4 संबंधों: द्वितीय विश्वयुद्ध, ब्रिटिश समुद्रपार प्रदेश, यूनाइटेड किंगडम, जिब्राल्टर

द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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ब्रिटिश समुद्रपार प्रदेश

ब्रिटिश विदेशी प्रदेशों की अवस्थिति ब्रिटिश समुद्रपार प्रदेश (अंग्रेजी: British Overseas Territories) या ब्रिटिश विदेशी प्रदेश, संयुक्त राजशाही के वो चौदह प्रदेश हैं, जो वैसे तो संयुक्त राजशाही का एक हिस्सा नहीं हैं पर इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं। यह वो प्रदेश हैं जो ब्रिटिश साम्राज्य के समय से ही ब्रिटेन के आधीन हैं और इन्हे आज तक या तो स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हो पायी है या फिर इन्होने खुद ही ब्रिटेन का हिस्सा बने रहने के लिए मतदान किया है। ब्रिटिश राष्ट्रीयता अधिनियम 1981 (अंग्रेजी: British Nationality Act 1981) के अनुसार इन प्रदेशों को "ब्रिटिश अधीन क्षेत्र" नाम दिया गया था जिसे ब्रिटिश विदेशी प्रदेश अधिनियम 2002 (अंग्रेजी: British Overseas Territories Act 2002) के द्वारा बदल कर ब्रिटिश विदेशी प्रदेश कर दिया गया। 1981 से पहले, इन प्रदेशों को किरीट उपनिवेश या किरीटोपनिवेश (क्राउन कालोनी) कहा जाता था। ब्रिटिश अंटार्कटिक क्षेत्र, जहाँ पर कोई स्थायी निवासी नहीं हैं और साइप्रस के संप्रभु सैन्य अड्डों के अलावा, सभी विदेशी प्रदेशों में स्थायी आबादी है। इन सभी क्षेत्रों का सामूहिक भूमि क्षेत्र 1728000 वर्ग किमी (667,018 वर्ग मील) और जनसंख्या लगभग 260,000 है। ब्रिटिश अंटार्कटिक क्षेत्र, चार अन्य संप्रभु राष्ट्रों और उनके अंटार्कटिक क्षेत्रों के साथ हुए एक पारस्परिक मान्यता समझौते का हिस्सा है। ब्रिटेन अंटार्कटिक संधि प्रणाली में एक भागीदार है। जर्सी, ग्वेर्नसे और आइल ऑफ़ मैन जैसे क्षेत्र, हालांकि ब्रिटिश राजशाही की संप्रभुता के अंतर्गत आते हैं पर इनके साथ संयुक्त राजशाही का एक अलग संवैधानिक रिश्ता है और इन्हें किरीटाधीन क्षेत्र कहा जाता है। ब्रिटिश विदेशी प्रदेश और किरीटाधीन क्षेत्र राष्ट्रमंडल के उन देशों से अलग हैं जिनमें से ज्यादातर कभी ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे। .

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यूनाइटेड किंगडम

वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स. यह एक संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है जिसकी राजधानी लंदन में सरकार बैठती है, लेकिन इसमें तीन न्यागत राष्ट्रीय प्रशासन हैं, बेलफ़ास्ट, कार्डिफ़ और एडिनबर्ग, क्रमशः उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड की राजधानी.जर्सी और ग्वेर्नसे द्वीप समूह, जिन्हें सामूहिक रूप से चैनल द्वीप कहा जाता है और मैन द्वीप (आईल ऑफ मान), यू के की राजत्व निर्भरता हैं और UK का हिस्सा नहीं हैं। इसके इलावा, UK के चौदह समुद्रपार निर्भर क्षेत्र हैं, ब्रिटिश साम्राज्य, जो १९२२ में अपने चरम पर था, दुनिया के तकरीबन एक चौथाई क्षेत्रफ़ल को घेरता था और इतिहास का सबसे बड़ा साम्रज्य था। इसके पूर्व उपनिवेशों की भाषा, संस्कृति और कानूनी प्रणाली में ब्रिटिश प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है। प्रतीकत्मक सकल घरेलू उत्पाद द्वारा दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से सातवाँ बड़ा देश होने के साथ ही, यूके एक विकसित देश है। यह दुनिया का पहला औद्योगिक देश था और 19वीं और 20वीं शताब्दियों के दौरान विश्व की अग्रणी शक्ति था, लेकिन दो विश्व युद्धों की आर्थिक लागत और 20 वीं सदी के उत्तरार्ध में साम्राज्य के पतन ने वैश्विक मामलों में उसकी अग्रणी भूमिका को कम कर दिया फिर भी यूके अपने सुदृढ़ आर्थिक, सांस्कृतिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनीतिक प्रभाव के कारण एक प्रमुख शक्ति बना हुआ है। यह एक परमाणु शक्ति है और दुनिया में चौथी सर्वाधिक रक्षा खर्चा करने वाला देश है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट धारण करता है और राष्ट्र के राष्ट्रमंडल, जी8, OECD, नाटो और विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है। .

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जिब्राल्टर

जिब्राल्टर औबेरियन प्रायद्वीप और यूरोप के दक्षिणी छोर पर भूमध्य सागर के प्रवेश द्वार पर स्थित एक स्वशासी ब्रिटिश विदेशी क्षेत्र है। 6.843 वर्ग किलोमीटर (2.642 वर्ग मील) में फैले इस देश की सीमा उत्तर में स्पेन से मिलती है। जिब्राल्टर ऐतिहासिक रूप से ब्रिटेन के सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार रहा है और शाही नौसेना (Royal Navy) का एक आधार है। जिब्राल्टर की संप्रभुता आंग्ल-स्पेनी विवाद का एक प्रमुख मुद्दा रहा है। उत्रेच्त संधि 1713 के तहत स्पेन द्वारा ग्रेट ब्रिटेन की क्राउन को सौंप दिया गया था, हालांकि स्पेन ने क्षेत्र पर अपना अधिकार जताते हुए लौटाने की मांग की है। जिब्राल्टर के बहुसंख्यक रहवासियों ने इस प्रस्ताव के साथ-साथ साझा संप्रभुता के प्रस्ताव का विरोध किया। यह चट्टानी प्रायद्वीप है, जो स्पेन के मूल स्थल से दक्षिण की ओर समुद्र में निकला हुआ है। इसके पूर्वं में भूमध्यसागर तथा पश्चिम में ऐलजेसियरास की खाड़ी है। १७१३ ई. से यह अंग्रेजी साम्राज्य के उपनिवेश तथा प्रसिद्ध छावनी के रूप में है। जिब्राल्टर के चट्टानी प्रायद्वीप को चट्टान (दी रॉक) कहते हैं। चट्टान समुद्र की सतह से एकाएक ऊपर उठती दृष्टिगोचर होती है। यह चट्टानी स्थलखंड उत्तर-दक्षिण फैली हुई पतली श्रेणी द्वारा बीच में विभक्त होता है, जिसपर कई ऊँची चोटियाँ हैं। चट्टानें चूना पत्थर की बनी हैं, जिनमें कई स्थलों पर प्राकृतिक गुफाएँ निर्मित हो गई हैं। कुछ गुफाओं में प्राचीन जीव-जंतुओं के चिह्न भी पाए गए हैं। जिब्राल्टर नगर नया बसा है। प्राचीन नगर की प्राय: सभी पुरानी महत्वपूर्ण इमारतें युद्ध (१७७-८३) में नष्ट हो गई। वर्तमान नगर 'राक' के उत्तरी-पश्चिमी भाग में ३/१६ वर्ग मील के क्षेत्रफल में फैला है। इसके अतिरिक्त समुद्र का कुछ भाग सुखाकर स्थल में परिणत कर लिया गया है। नगर का मुख्य व्यापारिक भाग समतल भाग में है। समतल के उत्तर की ओर ऊँचे असमतल भागों में लोगों के निवासस्थान तथा दक्षिण की ओर सेना के कार्यालय तथा बेरक हैं। यहाँ एक सैनिक हवाई अड्डा भी है। जिब्राल्टर कोयले के व्यापार का मुख्य केंद्र था, पर तेल से जलयानों के चलने के कारण इस व्यापार में अब अधिक शिथिलता आ गई है। .

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