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रामस्वरूप वर्मा

सूची रामस्वरूप वर्मा

रामस्वरूप वर्मा (22 अगस्त, 1923 – 19 अगस्त, 1998), एक समाजवादी नेता थे जिन्होने 'अर्जक संघ' की स्थापना की। लगभग पचास साल तक राजनीति में सक्रिय रहे रामस्वरूप वर्मा को राजनीति का 'कबीर' कहा जाता है। वे डाॅ० राममनोहर लोहिया के निकट सहयोगी और उनके वैचारिक मित्र तथा १९६७ में उत्तर प्रदेश सरकार के चर्चित वित्तमंत्री थे जिन्होंने उस समय २० करोड़ लाभ का बजट पेश कर पूरे आर्थिक जगत को अचम्भित कर दिया। उनका सार्वजनिक जीवन सदैव निष्कलंक, निडर, निष्पक्ष और व्यापक जनहितों को समर्पित रहा। राजनीति में जो मर्यादाएं और मानदंण्ड उन्होंने स्थापित किये और जिन्हें उन्होंने स्वयं भी जिया उनके लिए वे सदैव आदरणीय और स्मरणीय रहेंगे। २२ अगस्त १९२३ को कानपुर (वर्तमान कानपुर देहात) के ग्राम गौरीकरन के एक किसान परिवार में जन्में रामस्वरूप ने राजनीति को अपने कर्मक्षेत्र के रूप में छात्र जीवन में ही चुन लिया था बावजूद इसके कि छात्र राजनीति में उन्होंने कभी हिस्सा नहीं लिया। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा कालपी और पुखरायां में हुई जहां से उन्होंने हाई स्कूल और इंटर की परीक्षाएं उच्च श्रेणी में उत्तीर्ण की। वर्मा जी सदैव मेधावी छात्र रहे और स्वभाव से अत्यन्त सौम्य, विनम्र, मिलनसार थे पर आत्मस्म्मान और स्वभिमान उनके व्यक्तित्व में कूट-कूट कर भरा हुआ था। उन्होंने १९४९ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय हिन्दी में एम०ए० और इसके बाद कानून की डिग्री हासिल की। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा भी उत्तीर्ण की और इतिहास में सर्वोच्च अंक पाये जबकि पढ़ाई में इतिहास उनका विषय नहीं रहा। पर नौकरी न करने दृढ़ निश्चय के कारण साक्षात्कार में शामिल नहीं हुए। इनके पिता का नाम वंशगोपाल था। वर्मा जी अपने चार भाइयों में सबसे छोटे थे। अन्य तीन भाई गांव में खेती किसानी करते थे पर उनके सभी बड़े भाइयों ने वर्मा जी की पढ़ाई लिखाई पर न सिर्फ विशेष ध्यान दिया बल्कि अपनी रुचि के अनुसार कर्मक्षेत्र चुनने के लिए भी प्रोत्साहित किया। पढ़ाई के बाद सीधे राजनीति में आने पर परिवार ने कभी आपत्ति नहीं की बल्कि हर सम्भव उन्हें प्रोत्साहन और सहयोग दिया। सर्वप्रथम वे १९५७ में सोशलिस्ट पार्टी से भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश विधान सभा के सद्स्य चुने गये, उस समय उनकी उम्र मात्र ३४ वर्ष की थी। १९६७ में संयुक्त सोशलिस्ट पर्टी से, १९६९ में निर्दलीय, १९८०, १९८९ में शोषित समाजदल से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये। १९९१ में छठी बार शोषित समाजदल से विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। जनान्दोलनों में भाग लेते हुए वर्मा जी १९५५, १९५७, १९५८, १९६०, १९६४, १९६९, और १९७६ में १८८ आई०पी०सी० की धारा ३ स्पेशल एक्ट धारा १४४ डी० आई० आर० आदि के अन्तर्गत जिला जेल कानपुर, बांदा, उन्नाव, लखनऊ तथा तिहाड़ जेल दिल्ली में राजनैतिक बन्दी के रूप में सजाएं भोगीं। वर्मा जी ने १९६७-६८ में उत्तर प्रदेश की संविद सरकार में वित्तमंत्री के रूप में २० करोड़ के लाभ का बजट पेश कर पूरे आर्थिक जगत को अचम्भे में डाल दिया। बेशक संविद सरकार की यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। कहा जाता है कि एक बार सरकार घाटे में आने के बाद फायदे में नहीं लाया जा सकता है, अधिक से अधिक राजकोषीय घाटा कम किया जा सकता है। दुनिया के आर्थिक इतिहास में यह एक अजूबी घटना थी जिसके लिए विश्व मीडीया ने वर्मा जी से साक्षात्कार कर इसका रहस्य जानना चाहा। संक्षिप्त जबाब में तो उन्होंने यही कहा कि किसान से अच्छा अर्थशास्त्री और कुशल प्रशासक कोई नहीं हो सकता क्योंकि लाभ-हानि के नाम पर लोग अपना व्यवसाय बदलते रहते हैं पर किसान सूखा-बाढ़ झेलते हुए भी किसानी करना नहीं छोडता। वर्मा जी भले ही डिग्रीधारी अर्थशास्त्री नहीं थे पर किसान के बेटे होने का गौरव उन्हें प्राप्त था। बाबजूद इसके कि वर्मा जी ने कृषि, सिंचाई, शिक्षा, चिकित्सा, सार्वजनिक निर्माण जैसे तमाम महत्वपूर्ण विभागों को गत वर्ष से डेढ़ गुना अधिक बजट आवंटित किया तथा कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते में वृद्धि करते हुए फायदे का बजट पेश किया। अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करते करते वर्मा जी समाजवादी विचारधारा के प्रभाव में आ गये थे और डा0 लोहिया के नेतृत्व में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गये। डाॅ० राममनोहर लोहिया को अपनी पार्टी के लिए एक युवा विचारशील नेतृत्व मिल गया जिसकी तलाश उन्हें थी। डा० लोहिया को वर्मा जी के व्यक्तित्व की सबसे महत्वपूर्ण बात यह लगी कि उनके पास एक विचारशील मन है, वे संवेदनशील हैं, उनके विचारों में मौलिकता है, इन सबसे बड़ी बात यह थी किसान परिवार का यह नौजवान प्रोफेसरी और प्रशासनिक रुतबे की नौकरी से मुंह मोड़ कर राजनीति को सामाजिक कर्म के रूप में स्वीकार कर रहा है। डाॅ लोहिया को वर्मा जी का जिन्दगी के प्रति एक फकीराना नजरिया और निस्वार्थी-ईमानदार तथा विचारशील व्यक्तित्व बहुत भाया और उनके सबसे विश्वसनीय वैचारिक मित्र बन गये क्योंकि वर्मा जी भी डा० लोहिया की तरह देश और समाज के लिए कबीर की तरह अपना घर फूंकने वाले राजनैतिक कबीर थे। वर्मा जी अपने छात्र जीवन में आजादी की लड़ाई के चश्मदीद गवाह रहे पर उसमें हिस्सेदारी न कर पाने का मलाल उनके मन में था इसीलिए भारतीय प्रशासनिक सेवा की रुतबेदार नौकरी को लात मार कर राजनीति को देश सेवा का माध्यम चुना और राजनीति भी सिद्धान्तों और मूल्यों की। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए पहला चुनाव १९५२ में भोगनीपुर चुनाव क्षेत्र से एक वरिष्ठ कांगे्रसी नेता रामस्वरूप गुप्ता के विरुद्ध लड़ा और महज चार हजार मतों से वे हारे पर १९५७ के चुनाव में उन्होंने रामस्वरूप गुप्ता को पराजित किया। उन्हें राजनीति में स्वार्थगत समझौते अोहदों की दौड़ से सख्त नफरत थी। उनका ध्येय एक ऐसे समाज की संरचना करना था जिसमें हर कोई पूरी मानवीय गरिमा के साथ जीवन जी सके। वे सामाजिक आर्थिक, सामाजिक राजनैतिक न्याय के साथ साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक बराबरी के प्रबल योद्धा थे और इसके लिए वे चतुर्दिक क्रान्ति अर्थात सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक क्रान्ति की लड़ाई एक साथ लड़े जाने पर जोर देते थे। वर्मा जी ने १९६९ में अर्जक संघ का गठन किया और अर्जक साप्ताहिक का सम्पादन और प्रकाशन प्रारंभ किया। अर्जक संघ अपने समय का सामाजिक क्रान्ति का एक ऐसा मंच था जिसने अंधविश्वास पर न सिर्फ हमला किया बल्कि उत्तर भारत में महाराष्ट्र और दक्षिण भारत की तरह सामाजिक न्याय के आन्दोलन का बिगुल फूंका। उन्हें उत्तर भारत का अंम्बेडकर भी कहा गया। मंगलदेव विशारद और महाराज सिंह भारती जैसे तमाम समाजवादी वर्मा जी के इस सामाजिक न्याय के आन्दोलन से जुड़े और अर्जक साप्ताहिक में क्रान्तिकारी वैचारिक लेख प्रकाशित हुए। उस समय के अर्जक साप्ताहिक का संग्रह विचारों का महत्वपूर्ण दस्तावेज है। वर्मा जी ने "क्रांन्ति क्यों और कैसे", ब्राह्मणवाद की शव-परीक्षा, अछूत समस्या और समाधान, ब्राह्मणण महिमा क्यों और कैसे? मनुस्मृति राष्ट्र का कलंक, निरादर कैसे मिटे, अम्बेडकर साहित्य की जब्ती और बहाली, भंडाफोड़, 'मानववादी प्रश्नोत्तरी' जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी जो अर्जक प्रकाशन से प्रकाशित हुई़ं। महाराज सिंह भारती और रामस्वरूप वर्मा की जोड़ी "मार्क्स और एंगेल" जैसे वैचारिक मित्रों की जोड़ी थी और दोनों का अन्दाज बेबाक और फकीराना था। दोनों किसान परिवार के थे और दोनों के दिलों में गरीबी, अपमान अन्याय और शोषण की गहरी पीड़ा थी। महाराज सिंह भारती ने सांसद के रूप में पूरे विश्व का भ्रमण कर दुनिया के किसानों और उनकी जीवन पद्धति का गहन अध्ययन किया और उन्होंने महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी। उनकी पुस्तक "सृष्टि और प्रलय", डार्विन की "आॅरजिन आॅफ स्पसीज" की टक्कर की सरल हिन्दी में लिखी गयी पुस्तक है जो आम आदमी को यह बताती है कि यह दुनिया कैसी बनी और यह भी बताती है कि इसे ईश्वर ने नहीं बनाया है बल्कि यह स्वतः कुदरती नियमों से बनी है और इसके विकास में मनुष्य के ष्रम की अहम भूमिका है। उनकी "ईश्वर की खोज" और भारत का नियोजित दिवाला जैसी अनेक विचार परक पुस्तकें हैं जो अर्जक प्रकाशन से प्रकाशित हुई हैं। बिहार के 'लेनिन' कहे जाने वाले जगदेव बाबू ने वर्मा जी के विचारों और उनके संघर्षशील व्यक्तित्व से प्रभावित होकर शोषित समाज दल का गठन किया। जगदेव बाबू के राजनेतिक संघर्ष से आंतकित होकर उनके राजनैतिक प्रतिद्वन्दियों ने उनकी हत्या करा दी। जगदेव बाबू की शहादत से शोषित समाज दल को गहरा आघात लगा पर सामाजिक क्रान्ति की आग और तेज हुई। जगदेव बाबू बिहार के पिछड़े वर्ग के किसान परिवार से थे और वर्मा जी की तरह वे भी अपने संघर्ष के बूते बिहार सरकार मंत्री रहे। वर्मा जी का संपूर्ण जीवन देश और समाज को समर्पित था। उन्होंने “जिसमें समता की चाह नहीं/वह बढि़या इंसान नहीं, समता बिना समाज नहीं /बिन समाज जनराज नहीं जैसे कालजयी नारे गढ़े। राजनीति और राजनेता के बारे में एक साक्षात्कार में दिया गया उनका बयान गौर तलब है। राजनीति के बारे में उनका मानना है कि यह शुद्धरूप से अत्यन्त संवेदनशील सामाजिक कर्म है और एक अच्छे राजनेता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उसे देश और स्थानीय समाज की समस्याअों की गहरी और जमीनी समझ हो और उनके हल करने की प्रतिबद्ध्ता हो। जनता अपने नेता को अपना आदर्श मानता है इसलिए सादगी, ईमानदारी, सिद्धान्तवादिता के साथ-साथ कर्तब्यनिष्ठा निहायत जरूरी है। वर्मा जी ने विधायकों के वेतन बढ़ाये जाने का विधान सभा में हमेशा विरोध किया और स्वयं उसे कभी स्वीकार नहीं किया। वर्मा जी ने संविद सरकार में सचिवालय से अंगे्रजी टाइप राइटर्स हटवा दिये और पहली बार हिन्दी में बजट पेश किया जो परंपरा अब बरकरार। वर्मा जी ने बजट में खण्ड-६ का समावेश किया जिसमें प्रदेश के कर्मचारियों/अधिकारियों का लेखा जोखा होता है, इसके पहले सरकारें कर्मचरियों के बिना किसी लेखे-जोखे के अपने कर्मचारियों को वेतन देती थी। वर्मा जी के चिन्तन में समग्रता थी। उन्होंने क्रन्ति को परिभाषित करते हुए कहा कि "क्रान्ति जीवन के पूर्व निर्धारित मूल्यों का जनहित में पुनिर्धारण करना है क्रान्ति है"। उनके विचार मौलिक होते हैं पर वे बाबा साहब डा० अम्बेडकर, चारवाक, कार्ल मार्क्स और गौतम बुद्ध के विचारों से प्रभावित थे पर कहीं कहीं इनसे असहमत भी थे। यही बेबाकी उनकी खासियत थी। .

19 संबंधों: तिहाड़ जेल, बाबू जगदेव प्रसाद, बिहार, भारतीय प्रशासनिक सेवा, भोगनीपुर, महाराष्ट्र, मंगलदेव विशारद, राममनोहर लोहिया, संयुक्त समाजवादी दल (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी), संयुक्त विधायक दल, विधि, व्लादिमीर लेनिन, इतिहास, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कबीर, कानपुर, कानपुर देहात जिला, उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश विधान सभा

तिहाड़ जेल

तिहाड़ जेल या तिहाड़ आश्रम दिल्ली स्थित एक जेल है। यह दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा जेल परिसर है। यह दिल्ली के चाणक्यपुरी से ७ किमी दूर स्थित तिहाड़ा गाँव में स्थित है। इसके आसपास के क्षेत्र को 'हरि नगर' नाम से जाना जाता है। श्रेणी:दिल्ली.

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बाबू जगदेव प्रसाद

बाबू जगदेव प्रसाद (2 फरवरी 1922 - 5 सितम्बर 1974) भारत के बिहार प्रान्त में जन्मे के एक क्रन्तिकारी राजनेता थे। इन्हें 'बिहार लेनिन' के नाम से जाना जाता है।जिन्होने एक अच्छे समाज को गढने में जी जान लगा दिया। .

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बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

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भारतीय प्रशासनिक सेवा

भारतीय प्रशासनिक सेवा (अंग्रेजी: Indian Administrative Service) अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है। इसके अधिकारी अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (तथा भारतीय पुलिस सेवा) में सीधी भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से की जाती है तथा उनका आवंटन भारत सरकार द्वारा राज्यों को कर दिया जाता है। आईएएस अधिकारी केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में रणनीतिक और महत्वपूर्ण पदों पर काम करते हैं। सरकार के वेस्टमिंस्टर प्रणाली के बाद दूसरे देशों की तरह, भारत में स्थायी नौकरशाही के रूप में आईएएस भारत सरकार के कार्यकारी का एक अविभाज्य अंग है, और इसलिए प्रशासन को तटस्थता और निरंतरता प्रदान करता है। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस / आईएफओएस) के साथ, आईएएस तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है - इसका संवर्ग केंद्र सरकार और व्यक्तिगत राज्यों दोनों के द्वारा नियोजित है। उप-कलेक्टर/मजिस्ट्रेट के रूप में परिवीक्षा के बाद सेवा की पुष्टि करने पर, आईएएस अधिकारी को कुछ साल की सेवा के बाद जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के रूप में जिले में प्रशासनिक आदेश दिया जाता है, और आमतौर पर, कुछ राज्यों में सेवा के १६ साल की सेवा करने के बाद, एक आईएएस अधिकारी मंडलायुक्त के रूप में राज्य में एक पूरे मंडल का नेतृत्व करता है। सर्वोच्च पैमाने पर पहुंचने पर, आईएएस अधिकारी भारत सरकार के पूरे विभागों और मंत्रालयों की का नेतृत्व करते हैं। आईएएस अधिकारी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ता में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रतिनियुक्ति पर, वे विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, एशियाई विकास बैंक और संयुक्त राष्ट्र या उसकी एजेंसियों जैसे अंतरसरकारी संगठनों में काम करते हैं। भारत के चुनाव आयोग की दिशा में भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर आईएएस अधिकारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा उक्त नियमावली के अनुसार सेवा संबंधी मामलों का क्रियान्वयन किया जाता है।पदोन्नति, अनुशासनिक कार्यवाही इत्यादि के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा ही दिशानिर्देश तैयार की जाती है। इन मामलों पर कार्मिक विभाग द्वारा भारत सरकार को आख्या/रिपोर्ट भेजी जाती है। जिस पर भारत सरकार विचार कर राज्य सरकार (कार्मिक विभाग) को मामलों पर कार्यवाही करने का आदेश देती है। तत्पश्चात् कार्मिक विभाग द्वारा भारत सरकार के आदेशों को जारी कर कार्यवाही की जाती है। .

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भोगनीपुर

भोगनीपुर कानपुर जिले की एक तहसील है। श्रेणी:कानपुर की तहसीलें.

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र भारत का एक राज्य है जो भारत के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती भारत के सबसे धनी राज्यों में की जाती है। इसकी राजधानी मुंबई है जो भारत का सबसे बड़ा शहर और देश की आर्थिक राजधानी के रूप में भी जानी जाती है। और यहाँ का पुणे शहर भी भारत के बड़े महानगरों में गिना जाता है। यहाँ का पुणे शहर भारत का छठवाँ सबसे बड़ा शहर है। महाराष्ट्र की जनसंख्या सन २०११ में ११,२३,७२,९७२ थी, विश्व में सिर्फ़ ग्यारह ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र से ज़्यादा है। इस राज्य का निर्माण १ मई, १९६० को मराठी भाषी लोगों की माँग पर की गयी थी। यहां मराठी ज्यादा बोली जाती है। मुबई अहमदनगर पुणे, औरंगाबाद, कोल्हापूर, नाशिक नागपुर ठाणे शिर्डी-अहमदनगर आैर महाराष्ट्र के अन्य मुख्य शहर हैं। .

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मंगलदेव विशारद

मंगलदेव विशारद,भारत के उत्तर प्रदेश की चौथी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 1967 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के 212 - नाथूपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से प्रजा सोशलिस्‍ट पार्टी की ओर से चुनाव में भाग लिया। .

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राममनोहर लोहिया

डॉ॰ राममनोहर लोहिया डॉ॰ राममनोहर लोहिया (जन्म - मार्च २३, इ.स. १९१० - मृत्यु - १२ अक्टूबर, इ.स. १९६७) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक तथा समाजवादी राजनेता थे। .

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संयुक्त समाजवादी दल (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

मई 1964 ई. में प्रजा समाजवादी दल (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी) तथा समाजवादी दल (सोशलिस्ट पार्टी) के रामगढ़ और गया अधिवेशनों में विलयन का निश्चय किया गया और 6 जून 1964 ई. को दिल्ली में दोनों दलों की संयुक्त बैठक में विलयन की पुष्टि की गई। इस प्रकार संयुक्त समाजवादी दल दोनों के एकीकरण से बना। इस दल का स्थापनाधिवेशन 29 जनवरी 1965 ई. को वाराणसी में हुआ। इस अधिवेशन के पूर्व 26 जनवरी को संसोपा की राष्ट्रीय समिति की बैठक सारनाथ (वाराणसी) में हुई। इस बैठक की अध्यक्षता दल के अध्यक्ष श्री एस.

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संयुक्त विधायक दल

संयुक्त विधायक दल या 'संविद' भारत का एक राजनैतिक दल था जिसका गठन १९६७ में हुए कई राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव के बाद किया गया। भारत के चौथे आम चुनावों में सन १९६७ में इसे भारी सफलता मिली थी। कई राज्यों में इसने कांग्रेस को हराकर सरकार बनायी और केन्द्र में भी कांग्रेस बहुत कम बहुमत से जीत पायी थी। यह भारतीय जनसंघ और संयुक्त समाजवादी दल (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी), भारतीय क्रांति दल और प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के गठबंधन से बनी थी। यह गठबन्धन कांग्रेस-विरोधी था। .

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विधि

विधि (या, कानून) किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई संसूचकों (इन्स्ट्रक्शन्स) के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विधि अत्यन्त आवश्यक है। विधि मनुष्य का आचरण के वे सामान्य नियम होते है जो राज्य द्वारा स्वीकृत तथा लागू किये जाते है, जिनका पालन अनिवर्य होता है। पालन न करने पर न्यायपालिका दण्ड देता है। कानूनी प्रणाली कई तरह के अधिकारों और जिम्मेदारियों को विस्तार से बताती है। विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द लगता है। आध्यात्मिक जगत में 'विधि के विधान' का आशय 'विधाता द्वारा बनाये हुए कानून' से है। जीवन एवं मृत्यु विधाता के द्वारा बनाया हुआ कानून है या विधि का ही विधान कह सकते है। सामान्य रूप से विधाता का कानून, प्रकृति का कानून, जीव-जगत का कानून एवं समाज का कानून। राज्य द्वारा निर्मित विधि से आज पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। राजनीति आज समाज का अनिवार्य अंग हो गया है। समाज का प्रत्येक जीव कानूनों द्वारा संचालित है। आज समाज में भी विधि के शासन के नाम पर दुनिया भर में सरकारें नागरिकों के लिये विधि का निर्माण करती है। विधि का उदेश्य समाज के आचरण को नियमित करना है। अधिकार एवं दायित्वों के लिये स्पष्ट व्याख्या करना भी है साथ ही समाज में हो रहे अनैकतिक कार्य या लोकनीति के विरूद्ध होने वाले कार्यो को अपराध घोषित करके अपराधियों में भय पैदा करना भी अपराध विधि का उदेश्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1945 से लेकर आज तक अपने चार्टर के माध्यम से या अपने विभिन्न अनुसांगिक संगठनो के माध्यम से दुनिया के राज्यो को व नागरिकों को यह बताने का प्रयास किया कि बिना शांति के समाज का विकास संभव नहीं है परन्तु शांति के लिये सहअस्तित्व एवं न्यायपूर्ण दृष्टिकोण ही नहीं आचरण को जिंदा करना भी जरूरी है। न्यायपूर्ण समाज में ही शांति, सदभाव, मैत्री, सहअस्तित्व कायम हो पाता है। .

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व्लादिमीर लेनिन

व्लादिमीर इलीइच उल्यानोव, जिन्हें लेनिन के नाम से भी जाना जाता है, (२२ अप्रैल १८७० – २१ जनवरी १९२४) एक रूसी साम्यवादी क्रान्तिकारी, राजनीतिज्ञ तथा राजनीतिक सिद्धांतकार थे। लेनिन को रूस में बोल्शेविक क्रांति के नेता के रूप में व्यापक पहचान मिली। वह १९१७ से १९२४ तक सोवियत रूस के, और १९२२ से १९२४ तक सोवियत संघ के भी "हेड ऑफ़ गवर्नमेंट" रहे। उनके प्रशासन काल में रूस, और उसके बाद व्यापक सोवियत संघ भी, रूसी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित एक-पक्ष साम्यवादी राज्य बन गया। लेनिन विचारधारा से मार्क्सवादी थे, और उन्होंने लेनिनवाद नाम से प्रचलित राजनीतिक सिद्धांत विकसित किए। सिंविर्स्क में एक अमीर मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए लेनिन ने १८८७ में अपने भाई के निष्पादन के बाद क्रांतिकारी समाजवादी राजनीति को गले लगाया। रूसी साम्राज्य की ज़ार सरकार के विरोध में में भाग लेने पर उन्हें कज़न इंपीरियल विश्वविद्यालय से निकल दिया गया, और फिर उन्होंने अगले वर्षों में कानून की डिग्री प्राप्त की। वह १८९३ में सेंट पीटर्सबर्ग में चले गए और वहां एक वरिष्ठ मार्क्सवादी कार्यकर्ता बन गए। १८९७ में उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया, और तीन साल तक शूसनस्केय को निर्वासित कर दिया गया, जहां उन्होंने नाडेज़्दा कृपकाया से शादी कर ली। अपने निर्वासन के बाद, वह पश्चिमी यूरोप में चले गए, जहां वे मार्क्सवादी रूसी सामाजिक डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी (आरएसडीएलपी) में एक प्रमुख सिद्धांतकार बन गए। १९०३ में उन्होंने आरएसडीएलपी के वैचारिक विभाजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और फिर वह जुलियस मार्टोव के मेन्शेविकों के खिलाफ बोल्शेविक गुट का नेतृत्व करने लगे। रूस की १९०५ की असफल क्रांति के दौरान विद्रोह को प्रोत्साहित करने के बाद उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के समय एक अभियान चलाया, जिसे यूरोप-व्यापी सर्वहारा क्रांति में परिवर्तित किया जाना था, क्योंकि एक मार्क्सवादी के रूप में उनका मानना था कि यह विरोध पूंजीवाद को उखाड़ फेंकने, और समाजवाद की स्थापना का कारण बनेगा। १९१७ की फरवरी क्रांति के बाद जब रूस में ज़ार को हटा दिया गया और एक अनंतिम सरकार की स्थापना हो गई, तो वह रूस लौट आए। उन्होंने अक्तूबर क्रांति में प्रमुख भूमिका निभाई, जिसमें बोल्शेविकों ने नए शासन को उखाड़ फेंका था। .

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इतिहास

बोधिसत्व पद्मपनी, अजंता, भारत। इतिहास(History) का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।Whitney, W. D. (1889).

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय

इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'पूर्व के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् 1887 ई को एल्फ्रेड लायर की प्रेरणा से हुयी थी। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था। १८६६ में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा। उन्होंने २४ मई १८६७ को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। १८६९ में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने। ९ दिसम्बर १८७३ को म्योर कॉलेज की आधारशिला टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च १८७५ तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए। १८८८ अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में ८,८९,६२७ रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन ८ अप्रैल १८८६ को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। २३ सितंबर १८८७ को एक्ट XVII पास हुआ और कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च १८८९ में हुई। .

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कबीर

कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनके लेखन सिक्खों के आदि ग्रंथ में भी मिला जा सकता है। Encyclopædia Britannica (2015)Accessed: July 27, 2015 वे हिन्दू धर्म व इस्लाम के आलोचक थे। उन्होंने यज्ञोपवीत और ख़तना को बेमतलब क़रार दिया और इन जैसी धार्मिक प्रथाओं की सख़्त आलोचना की थी। उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें अपने विचार के लिए धमकी दी थी। कबीर पंथ नामक धार्मिक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं। .

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कानपुर

कानपुर भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ८० किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए चर्चित ब्रह्मावर्त (बिठूर) के उत्तर मध्य में स्थित ध्रुवटीला त्याग और तपस्या का संदेश दे रहा है। यहाँ की आबादी लगभग २७ लाख है। .

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कानपुर देहात जिला

रमाबाई नगर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय माती (अकबरपुर) है। वर्ष १९७७ में कानपुर जिले को दो भागों (कानपुर नगर तथा 'कानपुर देहात') में विभाजित कर दिया गया। १९७९ में पुनः दोनो को मिला दिया गया किन्तु १९८१ में पुनः विभाजन किया गया। १ जुलाई २०१० को इसका नाम बदलकर 'रमाबाई नगर जिला' कर दिया गया जिसे २०१२ में फिर से 'कानपुर देहात' कर दिया गया। .

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

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उत्तर प्रदेश विधान सभा

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के द्विसदनी विधायिका के निचले सदन का नाम उत्तर प्रदेश विधान सभा है। इसमें कुछ ४०४ सदस्य होते हैं जिसमें एक आंग्ल-भारतीय (ऐंग्लो-इण्डियन) भी सम्मिलित है जो राज्यपाल द्वारा नामित होता है। .

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