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राजस्थान के शहर

सूची राजस्थान के शहर

* अजमेर,.

32 संबंधों: चित्तौड़गढ़, चौथ का बरवाड़ा, चूरू, टोंक, झालावाड़, डूंगरपुर, नागौर, पाली, बाड़मेर, बाराँ जिला, बालोतरा, बांसवाड़ा जिला, बूँदी, बीकानेर, भरतपुर, भवानीमंडी, भीलवाड़ा, माउंट आबू, सिरोही, सवाई माधोपुर, सीकर, हनुमानगढ़, हिण्डौन, जयपुर, जालौर, जैसलमेर, जोधपुर, गंगापुर सिटी, कोटा, अलवर, अजमेर, उदयपुर

चित्तौड़गढ़

पद्मिनी महल का तैलचित्र चित्तौड़गढ़ राजस्थान का एक शहर है। यह शूरवीरों का शहर है जो पहाड़ी पर बने दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ की प्राचीनता का पता लगाना कठिन कार्य है, किन्तु माना जाता है कि महाभारत काल में महाबली भीम ने अमरत्व के रहस्यों को समझने के लिए इस स्थान का दौरा किया और एक पंडित को अपना गुरु बनाया, किन्तु समस्त प्रक्रिया को पूरी करने से पहले अधीर होकर वे अपना लक्ष्य नहीं पा सके और प्रचण्ड गुस्से में आकर उसने अपना पाँव जोर से जमीन पर मारा, जिससे वहाँ पानी का स्रोत फूट पड़ा, पानी के इस कुण्ड को भीम-ताल कहा जाता है; बाद में यह स्थान मौर्य अथवा मूरी राजपूतों के अधीन आ गया, इसमें भिन्न-भिन्न राय हैं कि यह मेवाड़ शासकों के अधीन कब आया, किन्तु राजधानी को उदयपुर ले जाने से पहले 1568 तक चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी रहा। यहाँ पर रोड वंशी राजपूतों ने बहुत समय राज किया। यह माना जाता है गुलिया वंशी बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी के मध्य में अंतिम सोलंकी राजकुमारी से विवाह करने पर चित्तौढ़ को दहेज के एक भाग के रूप में प्राप्त किया था, बाद में उसके वंशजों ने मेवाड़ पर शासन किया जो 16वीं शताब्दी तक गुजरात से अजमेर तक फैल चुका था। अजमेर से खण्डवा जाने वाली ट्रेन के द्वारा रास्ते के बीच स्थित चित्तौरगढ़ जंक्शन से करीब २ मील उत्तर-पूर्व की ओर एक अलग पहाड़ी पर भारत का गौरव राजपूताने का सुप्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ का किला बना हुआ है। समुद्र तल से १३३८ फीट ऊँची भूमि पर स्थित ५०० फीट ऊँची एक विशाल (ह्वेल मछ्ली) आकार में, पहाड़ी पर निर्मित्त यह दुर्ग लगभग ३ मील लम्बा और आधे मील तक चौड़ा है। पहाड़ी का घेरा करीब ८ मील का है तथा यह कुल ६०९ एकड़ भूमि पर बसा है। चित्तौड़गढ़, वह वीरभूमि है जिसने समूचे भारत के सम्मुख शौर्य, देशभक्ति एवम् बलिदान का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। यहाँ के असंख्य राजपूत वीरों ने अपने देश तथा धर्म की रक्षा के लिए असिधारारुपी तीर्थ में स्नान किया। वहीं राजपूत वीरांगनाओं ने कई अवसर पर अपने सतीत्व की रक्षा के लिए अपने बाल-बच्चों सहित जौहर की अग्नि में प्रवेश कर आदर्श उपस्थित किये। इन स्वाभिमानी देशप्रेमी योद्धाओं से भरी पड़ी यह भूमि पूरे भारत वर्ष के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर रह गयी है। यहाँ का कण-कण हममें देशप्रेम की लहर पैदा करता है। यहाँ की हर एक इमारतें हमें एकता का संकेत देती हैं। .

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चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा राजस्थान राज्य में सवाई माधोपुर जिले का एक छोटा सा शहर है और इसी नाम से तहसील मुख्यालय है। यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में मीन भगवान का भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है ! चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है:- चौथ का बरवाड़ा भगवतगढ़ शिवाड़ झोंपड़ा ईसरदा सारसोपआदि.

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चूरू

चूरू भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के मरुस्थलीय भाग का एक नगर एवं लोकसभा क्षेत्र है। इसे थार मरुस्थल का द्वार भी कहा जाता है। यह चूरू जिले का जिला मुख्यालय है। चूरू की स्थापना 1620 ई. में चूहरू जाट ने की थी। .

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टोंक

टोंक भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। टोंक शहर, पूर्वी राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। यह बनास नदी के ठीक दक्षिण में स्थित है। भूतपूर्व टोंक रियासत की राजधानी रह चुके इस शहर की स्थापना 1643 में अमीर खाँ पिंडारी ने की थी और यह छोटी पर्वत श्रृंखला की ढलानों पर अवस्थित है। इसके ठीक दक्षिण में क़िला और नए बसे क्षेत्र हैं। आसपास का क्षेत्र मुख्यत: खुला और समतल है, जिसमें बिखरी हुई चट्टानी पहाड़ियाँ हैं। यहाँ मुर्ग़ीपालन और मत्स्य पालन होता है तथा अभ्रक और बेरिलियम का खनन होता है। भूतपूर्व टोंक रियासत में राजस्थान एवं मध्य भारत के छह अलग-अलग क्षेत्र आते थे, जिन्हें पठान सरदार अमीर ख़ाँ ने 1798 से 1817 के बीच हासिल किया था। 1948 में यह राजस्थान राज्य का अंग बना। टोंक के पर्यटन स्थल बीसलपुरबांध,भूमगढ़दुर्ग(अमीरगढ़),रेड़ व उनियारा सभ्यता स्थल,कल्याणजी मंदिर (डिग्गी) आदि। टोंक में आज कल बहुत गन्दगी रहने लगी है जबकि नवाब की ज़माने में आज़ादी से पहले बहुत साफ़ सुथरा शहर था। रोज़ सुबह एवं शाम सड़के मशकों से धोई जाती थीं। हर स्थान कूड़े और गंदगी के ढेर पड़े हैं, और यहाँ की सड़कों पर फिर रहे आवारा सुवर और भी गंदगी फैलाते रहते हैं। अतिक्रमण इतना हो रहा है कि सडकें बेहद छोटी हो गई हैं, ओर उसी सडक पर फलों के और छुट-पुट सामान के ठेले खड़े रहते हैं। इसके कारण ग्रहकों की बड़ी भीड़ हो जाती है कि चलना भी कठिन हो जाता हे। .

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झालावाड़

झालावाड राजस्थान राज्य के दक्षिण-पूर्व में स्थित झालावाड़ जिला का मुख्यालय है। यह झालावाड के हाडौती क्षेत्र का हिस्सा है। झालावाड के अलावा कोटा, बारां एवं बूंदी हाडौती क्षेत्र में आते हैं। राजस्थान के झालावाड़ ने पर्यटन के लिहाज से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। राजस्थान की कला और संस्कृति को संजोए यह शहर अपने खूबसूरत सरोवरों, किला और मंदिरों के लिए जाना जाता है। झालावाड़ की नदियां और सरोवर इस क्षेत्र की दृश्यावली को भव्यता प्रदान करते हैं। यहां अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब होते हैं। झालावाड़ मालवा के पठार के एक छोर पर बसा जनपद है। इस जनपद के अंदर झालावाड़ और झालरापाटन नामक दो पर्यटन स्थल है। इन दोनों शहरों की स्थापना 18वीं शताब्दी के अन्त में झाला राजपूतों द्वारा की गई थी। इसलिए इन्हें 'जुड़वा शहर' भी कहा जाता है। इन दोनों शहरों के बीच 7 किमी की दूरी है। यह दोनों शहर झाला वंश के राजाओं की समृद्ध रियासत का हिस्सा था। .

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डूंगरपुर

डूंगरपुर राजस्थान के दक्षिण में बसा एक नगर है। इसकी स्थापना 1282 में रावल वीर सिंह ने की थी। उन्होंने यह क्षेत्र भील प्रमुख डुंगरिया को हरा कर किया था जिनके नाम पर इस जगह का नाम डूंगरपुर पड़ा था। 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने अधिकार में ले लिया। यह जगह डूंगरपुर प्रिंसली स्टेट की राजधानी थी। यहां से होकर बहने वाली सोम और माही नदियां इसे उदयपुर और बंसवाड़ा से अलग करती हैं। पहाड़ों का नगर कहलाने वाला डूंगरपुर में जीव-जन्तुओं और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। डूंगरपुर वास्तुकला की विशेष शैली के लिए जाना जाता है जो यहां के महलों और अन्य ऐतिहासिक इमारतों में देखी जा सकती है। .

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नागौर

नागौर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह नागौर जिला मुख्यालय है। नागौर राजस्थान का एक छोटा सा शहर है। ऐतिहासिक रूप से भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। नागौर बलबन की जागीर थी जिसे शेरशाह सूरी ने 1542 ने जीत लिया था। इसके अलावा महान मुगल सम्राट अकबर ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद का नाम अकबरी जामा मस्जिद है। यह मस्जिद शहर के बीचों बीच दड़ा मोहल्ला गिनाणी तालाब के पास स्थित है। इस मस्जिद के दो ऊंचे मीनार गुंबद मुगलकालीन निर्माण कला के गवाह हैं। इसके अलावा गिनाणी तालाब की उत्तरी दिशा की तरफ ही आलिशान दरगाह बनी हुई है। इस दरगाह को हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ कहा जाता है। इस दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मइनुद्दीन चिश्ती के खास खलीफा हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी की मजार शरीफ है। नागौर विशेष रूप में प्रत्येक वर्ष लगने वाले पशु मेले के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस मेले में हर साल काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां कई महत्वपूर्ण मंदिर और स्मारक भी है। .

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पाली

पाली राजस्थान में उपर्युक्त ज़िले में बाँडी नदी के दाहिने किनारे पर स्थित नगर है। पाली की पूर्वी सीमाएँ अरावली पर्वत श्रृंखला से जुड़ी हैं। पाली की सीमाएँ उत्तर में नागौर और पश्चिम में जालौर से मिलती हैं। पाली शहर पालीवाल ब्राह्मणों का निवास स्थान था जब मुग़लों ने क़त्लेआम मचा दिया तो उन्हें यह शहर छोड़ कर जाना पड़ा। वीर योद्धा महाराणा प्रताप का यहीं ननिहाल है | यह भी मान्यता है की महाराणा प्रताप का जन्म पाली में ही हुआ है। यह नगर तीन बार उजड़ा और बसा। पाली के प्रसिद्ध जैन मंदिर भक्तों के साथ-साथ इतिहासवेत्ताओं को भी आकर्षित करते हैं। पाली के मुख्य उद्योगों में सूती कपड़े की रँगाई, छपाई, ताँबे का काम आदि प्रमुख हैं। पाली नगर में स्कूल, अस्पताल तथा कई मंदिर भी हैं। सोमनाथ तथा नौलखा आदि प्रसिद्ध मंदिर हैं। श्रेणी:राजस्थान के शहर bpy:পালি (ললিতপুর) pi:पमुख पत्त Pamukha patta.

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बाड़मेर

बाड़मेर राजस्थान राज्य का दूसरा बड़ा जिला है। यह अपने स्थापत्य के साथ साथ देश के सबसे बड़े तेल और कोयला उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। यह बाड़मेर जिला का मुख्यालय है। इस शहर की स्थापना बहाड़ राव ने 13वीं शताब्दी में की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम बाड़मेर पड़ा यानि बार का पहाड़ी किला। एक समय 'मालानी' के नाम से जाना जाने वाला बाड़मेर अपनी जीवंतता के कारण सैलानियों को बहुत भाता है। बाड़मेर की यात्रा की एक विशेषता यह भी है कि यह हमें राजस्थान के ग्रामीण जीवन से रूबरू कराता है। यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव, पारंपरिक पोशाकें पहने लोगों और रेत पर पड़ती सुनहरी धूप, बाड़मेर की यह मनोरम छवि आंखों में बस जाती है। मार्च के महीने में पूरा बाड़मेर रंगों से भर जाता है क्योंकि वह वक्त बाड़मेर महोत्सव का होता है। यह समय यहां आने का सबसे सही समय है। .

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बाराँ जिला

बाराँ जिला पश्चिम भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। इसका जिला मुख्यालय बाराँ 3386306 है। संदर्भिका राजस्थान सुजस सन् 1948 में संयुक्त राजस्थान के निर्माण के समय भी बाराँ एक जिला था। 31 मार्च 1949 को राजस्थान का पुनर्निर्माण हुआ और बाराँ जिला मुख्यालय को कोटा जिले का उपखण्ड मुख्यालय बनाया गया। 10 अप्रैल 1991 को पूर्व कोटा जिले से बाराँ जिले का निर्माण किया गया। "'वराह नगरी" बारां चॉदहवी-पन्द्रहवीं शताब्दी में सोलंकी राजपुतों के अधीन था। उस समय इसके अन्तर्गत १२ गाँव आते थे, इसलिए यह नगर बारां कहलाया। बारां समुद्र तल से २६२ मीटर की उँचाई पर कालीसिंध, पार्वती व परवन नदियों के बीच स्थित हॅ। बारां जिला छ: उपखण्डों - बारां, मांगरोल, अटरु, किशनगंज, शाहाबाद एवं छबडा तथा आठ तहसीलों- अंता, बारां, मांगरोल, अटरु, किशनगंज, शाहाबाद छबड़ा एवं छीपाबडॉद में विभाजित हॅ। .

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बालोतरा

बालोतरा राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले का एक शहर है। (बालोतरा खुद ज़िला बनने को तैयार है।) बालोतरा को "वस्त्र नगरी" के नाम से जाना जाता है। .

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बांसवाड़ा जिला

बासंवाडा जिला राजस्थान के दक्षिणी भाग मे गुजरात/मध्य प्रदेश की सीमा से लगता हुआ जिला है। इसे राजस्थान का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहा का मुख्य आकर्षण माही नदी है, जो मध्य प्रदेश से होती हुई माही बांध तक आती हॆ, माही नदी बासंवाडा जिला की जीवन वाहिनी हॆ। यहां पे मुख्यतः वागडी भाषा बोली जाती हॆ, जिले के प्रमुख कस्बे कुशलगढ़, परतापुर, बागीदौरा, घाटोल, अरथुना हॆ.

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बूँदी

राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में स्थित बूँदी एक पूर्व रियासत एवं ज़िला मुख्यालय है। इसकी स्थापना सन 1242 ई. में राव देवाजी ने की थी। बूँदी पहाड़ियों से घिरा सघन वनाच्छादित सुरम्य नगर है। राजस्थान का महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। .

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बीकानेर

बीकानेर राजस्थान राज्य का एक शहर है। बीकानेर राज्य का पुराना नाम जांगल देश था। इसके उत्तर में कुरु और मद्र देश थे, इसलिए महाभारत में जांगल नाम कहीं अकेला और कहीं कुरु और मद्र देशों के साथ जुड़ा हुआ मिलता है। बीकानेर के राजा जंगल देश के स्वामी होने के कारण अब तक "जंगल धर बादशाह' कहलाते हैं। बीकानेर राज्य तथा जोधपुर का उत्तरी भाग जांगल देश था राव बीका द्वारा १४८५ में इस शहर की स्थापना की गई। ऐसा कहा जाता है कि नेरा नामक व्यक्ति गड़रिया था, जब राव बीका ने नेरा से एक शुभ जगह के बारे में पूछा तो उसने इस जगह के बारे में एक जवाब दिया उसने कहा की इस जगह पर मेरी एक भेड़ का मेमना ३ दिन तक भेड़ के साथ ७ सियारों के बीच एकला रहा और सियारों ने भेड़ और उसके बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुचायां और उसने इस बात के साथ एक शर्त रख दी की उसके नाम को नगर के नाम के साथ जोड़ा जाए। इसी कारण इसका नाम बीका+नेर, बीकानेर पड़ा। अक्षय तृतीया के यह दिन आज भी बीकानेर के लोग पतंग उड़ाकर स्मरण करते हैं। बीकानेर का इतिहास अन्य रियासतों की तरह राजाओं का इतिहास है। ने नवीन बीकानेर रेल नहर व अन्य आधारभूत व्यवस्थाओं से समृद्ध किया। बीकानेर की भुजिया मिठाई व जिप्सम तथा क्ले आज भी पूरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। यहां सभी धर्मों व जातियों के लोग शांति व सौहार्द्र के साथ रहते हैं यह यहां की दूसरी महत्वपूर्ण विशिष्टता है। यदि इतिहास की बात चल रही हो तो इटली के टैसीटोरी का नाम भी बीकानेर से बहुत प्रेम से जुड़ा हुआ है। बीकानेर शहर के ५ द्वार आज भी आंतरिक नगर की परंपरा से जीवित जुड़े हैं। कोटगेट, जस्सूसरगेट, नत्थूसरगेट, गोगागेट व शीतलागेट इनके नाम हैं। बीकानेर की भौगोलिक स्तिथि ७३ डिग्री पूर्वी अक्षांस २८.०१ उत्तरी देशंतार पर स्थित है। समुद्र तल से ऊंचाई सामान्य रूप से २४३मीटर अथवा ७९७ फीट है .

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भरतपुर

भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है। 29 वर्ग कि॰मी॰ में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। विश्‍व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना जाट शासक राजा सूरजमल ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व किले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है। लक्ष्मण इस राज परिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगडिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली .

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भवानीमंडी

भवानीमंडी राजस्थान के झालावाड़ जिले का एक शहर है। श्रेणी:राजस्थान के गाँव.

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भीलवाड़ा

भीलवाड़ा सिटी, राजस्थान का एक नगर है। .

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माउंट आबू

समुद्र तल से १२२० मीटर की ऊंचाई पर स्थित आबू पर्वत (माउण्ट आबू) राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है। यह अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर, जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थान तथा राज्य का ग्रीष्मकालीन शैलावास है। अरावली श्रेणियों के अत्यंत दक्षिण-पश्चिम छोर पर ग्रेनाइट शिलाओं के एकल पिंड के रूप में स्थित आबू पर्वत पश्चिमी बनास नदी की लगभग १० किमी संकरी घाटी द्वारा अन्य श्रेणियों से पृथक् हो जाता है। पर्वत के ऊपर तथा पार्श्व में अवस्थित ऐतिहासिक स्मारकों, धार्मिक तीर्थमंदिरों एवं कलाभवनों में शिल्प-चित्र-स्थापत्य कलाओं की स्थायी निधियाँ हैं। यहाँ की गुफा में एक पदचिहृ अंकित है जिसे लोग भृगु का पदचिह् मानते हैं। पर्वत के मध्य में संगमरमर के दो विशाल जैनमंदिर हैं। राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित अरावली की पहाड़ियों की सबसे ऊँची चोटी पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक खूबसूरती सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। माउंट आबू पहले चौहान साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेजों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन के दौरान माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान था। .

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सिरोही

सिरोही राजस्थान प्रान्त का एक शहर है। पहलें सिरोही रियासत बड़ी रियासतों में अपना स्थान रखती थी। इसका साम्राज्य बहुत फैला हुआ था। १२वी सदी में यहाँ देवड़ा ओ का राज था। देश आजाद होने के बाद इसे ज़िला बना दिया। इसका काफ़ी एरिया पाली, व जालौर ज़िले में चला गया। सिरोही जिले में कालंद्री गाँव में श्री ब्रह्माजी का १३५० वर्ष पुराना मंदिर है। इस मन्दिर का जीर्णोद्धार हो रहा हे। सिरोही- सिर और ओही का मतलब है सिर काटने कि हिम्मत रखने वाले। गुजराती के महान लेखक झवेरचन्द मेघाणी ने अपनी किताब सोराष्ट्र नी रसधार में लिखा है सिरोही की तलवार और लाहौर कि कटार। कहते हैं कि सिरोही में ऐसी तलवार बनती थी जिसको पानी के प्रपात से तलवार को धार दी जाती थी। आज भी सिरोही कि तलवार प्रसिद्ध है। सिरोही से 15 किमी की दूरी पर एक गाव है तेलपुर। कहते है पाडीव से कुछ देवडा राजपुतों ने आ कर तेलपुर बसाया था। वो लोग लड़ने में तेज थे अतः सिरोही के महाराजा उनको तेज कह कर बुलाते थे। इसी लिये उस समय तेलपुर का नाम तेजपुर रखा था। लेकिन धीरे-धीरे कालंतर में उस का नाम तेलपुर हो गया। .

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सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह जिला रणथम्‍भौर राष्‍ट्रीय उद्यान के लिए जाना जाता है, जो बाघों के लिए प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर जिले में निम्‍न तहसीलें हैं- गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर, चौथ का बरवाड़ा, बौंली, मलारना डूंगर, वजीरपुर, बामनवास और खण्डार.

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सीकर

सीकर भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह शहर शेखावाटी के नाम से जाना जाता है। सीकर एक एतिहासिक शहर है जहाँ पर कई हवेलियां (बड़े घर जो कि मुग़लकालीन वास्तुकला द्वारा बनाए गए हैं) है जो कि मुख्य पर्यटक आकर्षण हैं। .

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हनुमानगढ़

हनुमानगढ़ भारत के राजस्थान प्रान्त का एक शहर है। यह उत्तर राजस्थान में घग्घर नदी के दाऐं तट पर स्थित है। हनुमानगढ़ को 'सादुलगढ़' भी कहते हैं। यह बीकानेर से 144 मील उत्तर-पूर्व में बसा हुआ है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम 'भटनेर' था। भटनेर, 'भट्टीनगर' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ भट्टी अथवा भट्टियों का नगर है। .

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हिण्डौन

हिण्डौन राजस्थान राज्य का ऐतिहासिक व पौराणिक शहर है। यह शहर अरावली पहाड़ी के समीप स्थित है। प्राचीनकाल में हिण्डौन शहर मत्स्य के अंतर्गत आता था। मत्स्य शासन के दौरान बनाए गई प्राचीन इमारतें आज भी मौजूद हैं। भागवतपुराण के अनुसार हिण्डौन, भक्त प्रहलाद व हिरण्यकश्यप की कर्म भूमि रही है। महाभारतकाल की राक्षसी हिडिम्बा भी इसी शहर में रहा करती थी। हिण्डौन, ऐतिहासिक मंदिरों व इमारतों का गढ़ माना जाता है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर राजस्थान के पूर्व में हिण्डौन उपखण्ड में बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी जयपुर से 156 किलोमीटर पूर्व स्थित है। यह नगर देश में लाल पत्थरों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के बहुत मंदिर यहाँ स्थित है। यह शहर राजस्थान के करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र हिण्डौन विधानसभा क्षेत्र(राजस्थान) लगता है। यहाँ का नक्कश की देवी - गोमती धाम का मंदिर तथा महावीर जी का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! हिण्डौन शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ क्षेत्र है !यहाँ की आबादी लगभग 1.35 लाख है। अमृत योजना में 151 करोड़ राजस्थान सरकार द्वारा स्वीक्रत किये गये हैं। .

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जयपुर

जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली,आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शह के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ और २०१२ के बाद ३५ लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। .

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जालौर

जालौर राजस्थान राज्य का एक एतिहसिक शहर है। यह शहर प्राचीनकाल में 'जाबालिपुर' के नाम से जाना जाता था। जालौर जिला मुख्यालय यहाँ स्थित है। लूनी नदी की उपनदी सुकरी के दक्षिण में स्थित जालौर राजस्थान का ऐतिहासिक जिला है। पहलें बहुत बड़ी रियासतों मे ऐक थी। जालौर रियासत, चित्तौड़गढ़ रियासत के बाद मे अपना स्थान रखती थी। पच्चीमी राजस्थान (राजपुताना) मे प्रमुख रियासत थी। .

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जैसलमेर

जैसलमेर भारत के राजस्थान प्रांत का एक शहर है। भारत के सुदूर पश्चिम में स्थित धार के मरुस्थल में जैसलमेर की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के प्रारंभ में ११७८ ई. के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल द्वारा की गई थी। रावल जैसल के वंशजों ने यहाँ भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए ७७० वर्ष सतत शासन किया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है। जैसलमेर राज्य ने भारत के इतिहास के कई कालों को देखा व सहा है। सल्तनत काल के लगभग ३०० वर्ष के इतिहास में गुजरता हुआ यह राज्य मुगल साम्राज्य में भी लगभग ३०० वर्षों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सक्षम रहा। भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात यह भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया। भारतीय गणतंत्र के विलीनकरण के समय इसका भौगोलिक क्षेत्रफल १६,०६२ वर्ग मील के विस्तृत भू-भाग पर फैला हुआ था। रेगिस्तान की विषम परिस्थितियों में स्थित होने के कारण यहाँ की जनसंख्या बींसवीं सदी के प्रारंभ में मात्र ७६,२५५ थी। जैसलमेर जिले का भू-भाग प्राचीन काल में ’माडधरा’ अथवा ’वल्लभमण्डल’ के नाम से प्रसिद्ध था। महाभारत के युद्ध के बाद बड़ी संख्या में यादव इस ओर अग्रसर हुए व यहां आ कर बस गये। यहां अनेक सुंदर हवेलियां और जैन मंदिरों के समूह हैं जो 12वीं से 15वीं शताब्‍दी के बीच बनाए गए थे। .

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जोधपुर

जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "नीली नगरी" के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है। वर्ष २०१४ के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। एक तमिल फ़िल्म, आई, जो कि अब तक की भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फ़िल्मशोगी, की शूटिंग भी यहां हुई थी। .

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गंगापुर सिटी

गंगापुर सिटी (अंग्रेजी:Gangapur City), राजस्‍थान के सवाई माधोपुर जिले की सबसे बडी तहसील व उपकेन्‍द्र है। यह दिल्‍ली-मुंबई रेलमार्ग पर स्थित है। यहां राजस्‍थान की बडी अनाज मंडी है। शिक्षा का अच्‍छा माहौल है। यह एक स्‍वतंत्र विधानसभा क्षेत्र है तथा सवाई माधोपुर-टोंक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जनसंख्या के मामले में, यह राजस्थान में 18वा सबसे बड़ा शहर है। श्रेणी:सवाई माधोपुर जिले के शहर श्रेणी:सवाई माधोपुर जिले की तहसीलें.

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कोटा

कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक एवं शैक्षणिक शहर है। यह चम्बल नदी के तट पर बसा हुआ है। कोटा राजधानी जयपुर से सडक एवं रेलमार्ग से लगभग २४० किलोमीटर की दूरी पर है। यह नगर जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग १२ पर स्थित है। दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित कोटा उन शहरों में है जहां औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा अनेक किलों, महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण है। जहां एक तरफ शहर के स्मारक प्राचीनता का बोध कराते हैं वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लान्ट और न्यूक्लियर पावर प्लान्ट आधुनिकता का एहसास कराता है। .

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अलवर

अलवर भारत के राजस्थान प्रान्त का एक शहर है। यह नगर राजस्थान के मेवात अंचल के अंतर्गत आता है। दिल्ली के निकट होने के कारण यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब १६० कि॰मी॰ की दूरी पर है। अलवर अरावली की पहाडियों के मध्य में बसा है। अलवर का प्राचीन नाम 'शाल्वपुर' था। चारदीवारी और खाई से घिरे इस शहर में एक पर्वतश्रेणी की पृष्ठभूमि के सामने शंक्वाकार छन्द की पहाड़ी पर स्थित बाला क़िला इसकी विशिष्टता है। 1775 में इसे अलवर रजवाड़े की राजधानी बनाया गया था। वर्तमान में अलवर राजस्थान का महत्त्वपूर्ण औधोगिक नगर हैं तथा आठवाँ बड़ा नगर हैं। अलवर को राजस्थान का सिंह द्वार भी कहते हैं। अलवर यादव बाहुल्य जिला है। मतस्य प्रदेश अथवा अलवर का राठ क्षेत्र(बहरोड तथा नीमराना का क्षेत्र)पूरे जिले में अपना अलग ही प्रभाव रखता है। राठ के बारे में एक बात कही जाती है "ना राठ नवै, ना राठ मनै"। अर्थात राठ ना तो झुकाने से झुकता है और ना ही मनाने से मानता है,राठ क्षेत्र अपनी मर्जी से चलता है। .

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अजमेर

अजमेर राजस्थान प्रान्त में अजमेर जिले का मुख्यालय एवं मुख्य नगर है। यह अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है। यह नगर सातवीं शताब्दी में अजयराज सिंह नामक एक चौहान राजा द्वारा बसाया गया था। इस नगर का मूल नाम 'अजयमेरु' था। सन् १३६५ में मेवाड़ के शासक, १५५६ में अकबर और १७७० से १८८० तक मेवाड़ तथा मारवाड़ के अनेक शासकों द्वारा शासित होकर अंत में १८८१ में यह अंग्रेजों के आधिपत्य में चला गया। अजमेर में मेघवंशी, जाट, गुर्जर, रावत ब्राह्मण, गर्ग, भील व जैन समुदाय का बहुमत है नगर के उत्तर में अनासागर तथा कुछ आगे फ्वायसागर नामक कृत्रिम झीलें हैं। यहाँ का प्रसिद्ध मुसलमान फकीर मुइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा प्रसिद्ध है। ढाई दिन के झोपड़े में कुल ४० स्तंभ हैं और सब में नए-नए प्रकार की नक्काशी है; कोई भी दो स्तंभ नक्काशी में समान नहीं हैं। तारागढ़ पहाड़ी की चोटी पर एक दुर्ग भी है। इसका आधुनिक नगर एक प्रसिद्ध रेलवे केन्द्र भी है। यहाँ पर नमक का व्यापार होता है जो साँभर झील से लाया जाता है। यहाँ खाद्य, वस्त्र तथा रेलवे के कारखाने हैं। तेल तैयार करना भी यहाँ का एक प्रमुख व्यापार है। .

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उदयपुर

उदयपुर राजस्थान का एक नगर एवं पर्यटन स्थल है जो अपने इतिहास, संस्कृति एवम् अपने अाकर्षक स्थलों के लिये प्रसिद्ध है। इसे सन् 1559 में महाराणा उदय सिंह ने स्थापित किया था। अपनी झीलों के कारण यह शहर 'झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर शहर सिसोदिया राजवंश द्वारा ‌शासित मेवाड़ की राजधानी रहा है। .

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