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राजस्थान के पशु मेले

सूची राजस्थान के पशु मेले

भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर लगभग 250 से अधिक पशु मेला का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजनों में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों की ओर से पशुपालकों को पानी, बिजली पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। राजस्थान राज्य स्तरीय पशु मेला में अधिकांश मेले लोक देवी देवताओं एवं महान पुरुषों के नाम से जुड़े हुए हैं पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेले कुछ इस प्रकार है। .

54 संबंधों: ऊँट, एनडीटीवी खबर, झालरापाटन, झालावाड़, तेजाजी, द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, दैनिक भास्कर, देवता, नागौर, नगरपालिका, पचपदरा, पर्यटन, पशुपालन, पंचायत, पुराण, पुष्कर, पुष्कर झील, प्राणी, फाल्गुन, बाड़मेर, बीकानेर, भरतपुर, भारत, भारतीय, मध्य प्रदेश, मरुस्थल, महाशिवरात्रि, मेड़ता, यूट्यूब, राजस्थान, राजस्थान पत्रिका, लूणी नदी, श्रावण, सांचोर, संस्कृति, हड़ौती, हनुमानगढ़, हरियाणा, हिन्दुस्तान टाईम्स, हिन्दू, जोधपुर, घोड़ा, वैशाख, ग्रामीण क्षेत्र, गोगाजी, इण्डिया टुडे, करौली, कला, कार्तिक, कार्तिक पूर्णिमा, ..., अजमेर, उत्तर प्रदेश, १९४७, १९५८ सूचकांक विस्तार (4 अधिक) »

ऊँट

ऊँट कैमुलस जीनस के अंतर्गत आने वाला एक खुरधारी जीव है। अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते हैं। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहते हैं। यह रेतीले तपते मैदानों में इक्कीस इक्कीस दिन तक बिना पानी पिये चल सकता है। इसका उपयोग सवारी और सामान ढोने के काम आता है। यह 7 दिन बिना पानी पिए रह सकता है ऊँट शब्द का प्रयोग मोटे तौर पर ऊँट परिवार के छह ऊँट जैसे प्राणियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, इनमे दो वास्तविक ऊँट और चार दक्षिण अमेरिकी ऊँट जैसे जीव है जो हैं लामा, अलपाका, गुआनाको और विकुना। एक ऊँट की औसत जीवन प्रत्याशा चालीस से पचास वर्ष होती है। एक पूरी तरह से विकसित खड़े वयस्क ऊंट की ऊँचाई कंधे तक 1.85 मी और कूबड़ तक 2.15 मी होती है। कूबड़ शरीर से लगभग तीस इंच ऊपर तक बढ़ता है। ऊँट की अधिकतम भागने की गति 65 किमी/घंटा के आसपास होती है तथा लम्बी दूरी की यात्रा के दौरान यह अपनी गति 40 किमी/घंटा तक बनाए रख सकता है। जीवाश्म साक्ष्यों से पता चलता है कि आधुनिक ऊँट के पूर्वजों का विकास उत्तरी अमेरिका में हुआ था जो बाद में एशिया में फैल गये। लगभग 2000 ई.पू.

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एनडीटीवी खबर

एनडीटीवी खबर हिन्दी का एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल है।। .

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झालरापाटन

झालरापाटन राजस्थान का एक प्रमुख नगर एवं राजस्थान की एक प्राचीन रियासत। वर्तमान झालरापाटन नगर एक पर्वत उपत्यका में स्थित है। प्राचीन नगर कुछ दूर चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित था। नाम के मूल के संबंध में इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ का मत है कि झाला राजपूतों के बसने के कारण इसका नाम झालरापाटन प्रचलित हो गया। इसके विरुद्ध अन्य विद्वानों का विचार है कि निकटस्थित पर्वत से निरंतर जल निकलते रहने के कारण इसका यह नाम पड़ा। टाड के मतानुसार, यहाँ के प्राचीन मंदिरों मे, जिनका निर्माण ६०० ई० में हुआ, अधिक संख्या में घंटे होने के कारण झालरापाटन नाम प्रचलित हुआ। मन्दिरों की सुंदरता की प्रशंसा जनरल कनिंघम आदि अनेक लेखकों ने की है। झाम के हाथों इन मंदिरों का विनाश हुआ। जालिम सिंह नामक एक सरदार ने सन् १७९६ में वर्तमान झामपटन और झालरापाटन छावनी की स्थापना की। नगर और एक सड़क से जुड़े हैं। कालांतर में छावनी में बस्तियाँ बन गई। .

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झालावाड़

झालावाड राजस्थान राज्य के दक्षिण-पूर्व में स्थित झालावाड़ जिला का मुख्यालय है। यह झालावाड के हाडौती क्षेत्र का हिस्सा है। झालावाड के अलावा कोटा, बारां एवं बूंदी हाडौती क्षेत्र में आते हैं। राजस्थान के झालावाड़ ने पर्यटन के लिहाज से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। राजस्थान की कला और संस्कृति को संजोए यह शहर अपने खूबसूरत सरोवरों, किला और मंदिरों के लिए जाना जाता है। झालावाड़ की नदियां और सरोवर इस क्षेत्र की दृश्यावली को भव्यता प्रदान करते हैं। यहां अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब होते हैं। झालावाड़ मालवा के पठार के एक छोर पर बसा जनपद है। इस जनपद के अंदर झालावाड़ और झालरापाटन नामक दो पर्यटन स्थल है। इन दोनों शहरों की स्थापना 18वीं शताब्दी के अन्त में झाला राजपूतों द्वारा की गई थी। इसलिए इन्हें 'जुड़वा शहर' भी कहा जाता है। इन दोनों शहरों के बीच 7 किमी की दूरी है। यह दोनों शहर झाला वंश के राजाओं की समृद्ध रियासत का हिस्सा था। .

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तेजाजी

तेजाजी राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ। तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भादो शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है। तेजाजी का भारत के जाटों में महत्वपूर्ण स्थान है। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म - बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया। तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने जनसाधारण के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त विश्वास को पुन: जागृत किया। इस प्रकार तेजाजी ने अपने सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन - साधारण में नवचेतना जागृत की, लोगों की जात - पांत में आस्था कम हो गई। कर्म,शक्ति,भक्ति व् वैराग्य का एक साथ समायोजन दुनियां में सिर्फ वीर तेजाजी के जीवन में ही देखने को मिलता हैं। .

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द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया

द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया (The Times of India, TOI के रूप में संक्षेपाक्षरित) भारत में प्रकाशित एक अंग्रेज़ी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है। इसका प्रबन्धन और स्वामित्व बेनेट कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा किया जाता है। दुनिया में सभी अंग्रेजी भाषा के व्यापक पत्रों में इस अखबार की प्रसार संख्या सर्वाधिक है। 2005 में, अखबार ने रिपोर्ट दी कि (24 लाख से अधिक प्रसार के साथ) इसे ऑडिट बुरो ऑफ़ सर्क्युलेशन के द्वारा दुनिया के सबसे ज्यादा बिकने वाले अंग्रेजी भाषा के सामान्य समाचार पत्र के रूप में प्रमाणित किया गया है। इसके वावजूद भारत के भाषायी समाचार पत्रों (विशेषत: हिन्दी के अखबारों) की तुलना में इसका प्रसार बहुत कम है। टाइम्स ऑफ इंडिया को मीडिया समूह बेनेट, कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा प्रकाशित किया जाता है, इसे टाइम्स समूह के रूप में जाना जाता है, यह समूह इकॉनॉमिक टाइम्स, मुंबई मिरर, नवभारत टाइम्स (एक हिंदी भाषा का दैनिक), दी महाराष्ट्र टाइम्स (एक मराठी भाषा का दैनिक) का भी प्रकाशन करता है। .

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दैनिक भास्कर

दैनिक भास्‍कर भारत का एक प्रमुख हिंदी दैनिक समाचारपत्र है। भारत के 12 राज्‍यों (व संघ-क्षेत्रों) में इसके 37 संस्‍करण प्रकाशित हो रहे हैं। भास्कर समूह के प्रकाशनों में दिव्य भास्कर (गुजराती) और डीएनए (अंग्रेजी) और पत्रिका अहा ज़िंदगी भी शामिल हैं। 2015 में यह देश का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अखबार बना। .

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देवता

अंकोरवाट के मन्दिर में चित्रित समुद्र मन्थन का दृश्य, जिसमें देवता और दैत्य बासुकी नाग को रस्सी बनाकर मन्दराचल की मथनी से समुद्र मथ रहे हैं। देवता, दिव् धातु, जिसका अर्थ प्रकाशमान होना है, से निकलता है। अर्थ है कोई भी परालौकिक शक्ति का पात्र, जो अमर और पराप्राकृतिक है और इसलिये पूजनीय है। देवता अथवा देव इस तरह के पुरुषों के लिये प्रयुक्त होता है और देवी इस तरह की स्त्रियों के लिये। हिन्दू धर्म में देवताओं को या तो परमेश्वर (ब्रह्म) का लौकिक रूप माना जाता है, या तो उन्हें ईश्वर का सगुण रूप माना जाता है। बृहदारण्य उपनिषद में एक बहुत सुन्दर संवाद है जिसमें यह प्रश्न है कि कितने देव हैं। उत्तर यह है कि वास्तव में केवल एक है जिसके कई रूप हैं। पहला उत्तर है ३३ करोड़; और पूछने पर ३३३९; और पूछने पर ३३; और पूछने पर ३ और अन्त में डेढ और फिर केवल एक। वेद मन्त्रों के विभिन्न देवता है। प्रत्येक मन्त्र का ऋषि, कीलक और देवता होता है। .

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नागौर

नागौर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह नागौर जिला मुख्यालय है। नागौर राजस्थान का एक छोटा सा शहर है। ऐतिहासिक रूप से भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। नागौर बलबन की जागीर थी जिसे शेरशाह सूरी ने 1542 ने जीत लिया था। इसके अलावा महान मुगल सम्राट अकबर ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद का नाम अकबरी जामा मस्जिद है। यह मस्जिद शहर के बीचों बीच दड़ा मोहल्ला गिनाणी तालाब के पास स्थित है। इस मस्जिद के दो ऊंचे मीनार गुंबद मुगलकालीन निर्माण कला के गवाह हैं। इसके अलावा गिनाणी तालाब की उत्तरी दिशा की तरफ ही आलिशान दरगाह बनी हुई है। इस दरगाह को हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ कहा जाता है। इस दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मइनुद्दीन चिश्ती के खास खलीफा हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी की मजार शरीफ है। नागौर विशेष रूप में प्रत्येक वर्ष लगने वाले पशु मेले के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस मेले में हर साल काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां कई महत्वपूर्ण मंदिर और स्मारक भी है। .

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नगरपालिका

नगरपालिका (municipality) एक निश्चित भूभाग एवं जनसंख्या वाला प्रशासकीय संभाग (administrative division) होता है। यह किसी नगर, कस्बा या गाँव या उनके किसी भाग का द्योतक है। श्रेणी:प्रशासनिक विभाग.

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पचपदरा

पचपदरा भारत में राजस्थान राज्य के बाड़मेर जिले की एक तहसील है। पदपदरा नमक उत्पादक के लिए विश्व प्रसिद्ध है। राजस्थान में रिफायनरी यहां पर प्रस्तावित है। .

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पर्यटन

Cairo), मिस्र. Granada) (स्पेन) में है, यूरोप के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। Parthenon) जो एथेंस, में है ग्रीस यूरोप में एक ऐसा प्राचीन स्मारक है जिसे लोग सबसे ज्यादा देखने आते हैं। America) में दूसरा सबसे बड़ा देश है जहाँ लोग सबसे अधिक घूमने आते हैं, दुनिया में इसका १० वां स्थान है। क्रमशः ऐसे स्थान रहें है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। वेटिकन सिटी, दुनिया के ऐसे स्थानों में से एक है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। Niagara Falls), संयुक्त राज्य अमेरिका-कनाडा सीमा, दुनिया के ऐसे स्थानों में से एक है जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते हैं। Disneyland), टोक्यो, जापान, घूमने के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। Statue of Liberty), घूमने के लिए दुनिया के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। लंदन, युरोमोनिटर के अनुसार २००६ में एक ऐसा शहर था जहाँ लोग सबसे ज्यादा घूमने जाते थे। पर्यटन एक ऐसी यात्रा (travel) है जो मनोरंजन (recreational) या फुरसत के क्षणों का आनंद (leisure) उठाने के उद्देश्यों से की जाती है। विश्व पर्यटन संगठन (World Tourism Organization) के अनुसार पर्यटक वे लोग हैं जो "यात्रा करके अपने सामान्य वातावरण से बाहर के स्थानों में रहने जाते हैं, यह दौरा ज्यादा से ज्यादा एक साल के लिए मनोरंजन, व्यापार, अन्य उद्देश्यों से किया जाता है, यह उस स्थान पर किसी ख़ास क्रिया से सम्बंधित नहीं होता है। पर्यटन दुनिया भर में एक आरामपूर्ण गतिविधि के रूप में लोकप्रिय हो गया है। २००७ में, ९०३ मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन के साथ, २००६ की तुलना में ६.६ % की वृद्धि दर्ज की गई। २००७ में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक प्राप्तियां USD ८५६ अरब थी।खंड ६ नं २ विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं के बावजूद, २००८ के पहले चार महीनों में आगमन में ५ % की वृद्धि हुई, यह २००७ में समान अवधि में हुई वृद्धि के लगभग समान थी। कई देशों जैसे इजिप्ट, थाईलैंड और कई द्वीप राष्ट्रों जैसे फिजी के लिए पर्यटन बहुत महत्वपूर्ण है, क्यों कि अपने माल और सेवाओं के व्यापार से ये देश बहुत अधिक मात्रा में धन प्राप्त करते हैं और सेवा उद्योग (service industries) में रोजगार के अवसर पर्यटन से जुड़े हैं। इन सेवा उद्योगों में परिवहन (transport) सेवाएँ जैसे क्रूज पोत और टैक्सियाँ, निवास स्थान जैसे होटल और मनोरंजन स्थल और अन्य आतिथ्य उद्योग (hospitality industry) सेवाएँ जैसे रिज़ोर्ट शामिल हैं। .

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पशुपालन

भेड़ें और पशु चर रहे हैं। पशुपालन कृषि विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के विभिन्न पक्षों जैसे भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि का अध्ययन किया जाता है। पशुपालन का पठन-पाठन विश्व के विभिन्न विश्वविद्यालयों में एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में किया जा रहा है। .

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पंचायत

भारत की पंचायती राज प्रणाली में गाँव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अवयव है। सरपंच, ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सार्वजनिक जीवन का प्रत्येक पहलू इसी के द्वारा संचालित होता था। .

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पुराण

पुराण, हिंदुओं के धर्म संबंधी आख्यान ग्रंथ हैं। जिनमें सृष्टि, लय, प्राचीन ऋषियों, मुनियों और राजाओं के वृत्तात आदि हैं। ये वैदिक काल के बहुत्का बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं। भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति-ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएँ कही गई हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है। 'पुराण' का शाब्दिक अर्थ है, 'प्राचीन' या 'पुराना'।Merriam-Webster's Encyclopedia of Literature (1995 Edition), Article on Puranas,, page 915 पुराणों की रचना मुख्यतः संस्कृत में हुई है किन्तु कुछ पुराण क्षेत्रीय भाषाओं में भी रचे गए हैं।Gregory Bailey (2003), The Study of Hinduism (Editor: Arvind Sharma), The University of South Carolina Press,, page 139 हिन्दू और जैन दोनों ही धर्मों के वाङ्मय में पुराण मिलते हैं। John Cort (1993), Purana Perennis: Reciprocity and Transformation in Hindu and Jaina Texts (Editor: Wendy Doniger), State University of New York Press,, pages 185-204 पुराणों में वर्णित विषयों की कोई सीमा नहीं है। इसमें ब्रह्माण्डविद्या, देवी-देवताओं, राजाओं, नायकों, ऋषि-मुनियों की वंशावली, लोककथाएं, तीर्थयात्रा, मन्दिर, चिकित्सा, खगोल शास्त्र, व्याकरण, खनिज विज्ञान, हास्य, प्रेमकथाओं के साथ-साथ धर्मशास्त्र और दर्शन का भी वर्णन है। विभिन्न पुराणों की विषय-वस्तु में बहुत अधिक असमानता है। इतना ही नहीं, एक ही पुराण के कई-कई पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हुई हैं जो परस्पर भिन्न-भिन्न हैं। हिन्दू पुराणों के रचनाकार अज्ञात हैं और ऐसा लगता है कि कई रचनाकारों ने कई शताब्दियों में इनकी रचना की है। इसके विपरीत जैन पुराण जैन पुराणों का रचनाकाल और रचनाकारों के नाम बताए जा सकते हैं। कर्मकांड (वेद) से ज्ञान (उपनिषद्) की ओर आते हुए भारतीय मानस में पुराणों के माध्यम से भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई है। विकास की इसी प्रक्रिया में बहुदेववाद और निर्गुण ब्रह्म की स्वरूपात्मक व्याख्या से धीरे-धीरे मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुआ। पुराणों में वैदिक काल से चले आते हुए सृष्टि आदि संबंधी विचारों, प्राचीन राजाओं और ऋषियों के परंपरागत वृत्तांतों तथा कहानियों आदि के संग्रह के साथ साथ कल्पित कथाओं की विचित्रता और रोचक वर्णनों द्वारा सांप्रदायिक या साधारण उपदेश भी मिलते हैं। पुराण उस प्रकार प्रमाण ग्रंथ नहीं हैं जिस प्रकार श्रुति, स्मृति आदि हैं। पुराणों में विष्णु, वायु, मत्स्य और भागवत में ऐतिहासिक वृत्त— राजाओं की वंशावली आदि के रूप में बहुत कुछ मिलते हैं। ये वंशावलियाँ यद्यपि बहुत संक्षिप्त हैं और इनमें परस्पर कहीं कहीं विरोध भी हैं पर हैं बडे़ काम की। पुराणों की ओर ऐतिहासिकों ने इधर विशेष रूप से ध्यान दिया है और वे इन वंशावलियों की छानबीन में लगे हैं। .

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पुष्कर

पुष्कर राजस्थान में विख्यात तीर्थस्थान है जहाँ प्रतिवर्ष प्रसिद्ध 'पुष्कर मेला' लगता है। यह राजस्थान के अजमेर जिले में है। यहाँ ब्रह्मा का एक मन्दिर है। पुष्कर अजमेर शहर से १४ की.मी दूरी पर स्थित है। .

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पुष्कर झील

पुष्कर झील या पुष्कर सरोवर जो कि राजस्थान राज्य के अजमेर ज़िले के पुष्कर कस्बे में स्थित एक पवित्र हिन्दुओं की झील है। इस प्रकार हिन्दुओं के अनुसार यह एक तीर्थ है। पौराणिक दृष्टिकोण से इस झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा जी ने करवाया था इस कारण झील के निकट ब्रह्मा जी का मन्दिर भी बनाया गया है। पुष्कर झील में कार्तिक पूर्णिमा (अक्टूबर -नवम्बर) माह में पुष्कर मेला भरता है जहां पर हज़ारों की तादाद में तीर्थयात्री आते है तथा स्नान करते है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने पर त्वचा के सारे रोग दूर हो जाते है और त्वचा साफ सुथरी हो जाती है। झील के आसपास लगभग ५०० हिन्दू मन्दिर स्थित है। झील राजस्थान के अजमेर नगर से 11 किमी उत्तर में स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पुष्कर झील का निर्माण भगवान ब्रह्मा ने करवाया था। इसमें बावन स्नान घाट हैं। इन घाटों में वराह, ब्रह्म व गव घाट महत्त्वपूर्ण हैं। प्राचीनकाल से लोग यहाँ पर प्रतिवर्ष कार्तिक मास में एकत्रित हो भगवान ब्रह्मा की पूजा उपासना करते हैं। पुष्कर में आने वाले लोग अपने को पवित्र करने के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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फाल्गुन

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का बारहवाँ तथा अंतिम महीना जो ईस्वी कलेंडर के मार्च माह में पड़ता है। इसे वसंत ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्यों कि इस समय भारत में न अधिक गर्मी होती है और न अधिक सर्दी। इस माह में अनेक महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं जिसमें होली प्रमुख हैं। .

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बाड़मेर

बाड़मेर राजस्थान राज्य का दूसरा बड़ा जिला है। यह अपने स्थापत्य के साथ साथ देश के सबसे बड़े तेल और कोयला उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। यह बाड़मेर जिला का मुख्यालय है। इस शहर की स्थापना बहाड़ राव ने 13वीं शताब्दी में की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम बाड़मेर पड़ा यानि बार का पहाड़ी किला। एक समय 'मालानी' के नाम से जाना जाने वाला बाड़मेर अपनी जीवंतता के कारण सैलानियों को बहुत भाता है। बाड़मेर की यात्रा की एक विशेषता यह भी है कि यह हमें राजस्थान के ग्रामीण जीवन से रूबरू कराता है। यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांव, पारंपरिक पोशाकें पहने लोगों और रेत पर पड़ती सुनहरी धूप, बाड़मेर की यह मनोरम छवि आंखों में बस जाती है। मार्च के महीने में पूरा बाड़मेर रंगों से भर जाता है क्योंकि वह वक्त बाड़मेर महोत्सव का होता है। यह समय यहां आने का सबसे सही समय है। .

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बीकानेर

बीकानेर राजस्थान राज्य का एक शहर है। बीकानेर राज्य का पुराना नाम जांगल देश था। इसके उत्तर में कुरु और मद्र देश थे, इसलिए महाभारत में जांगल नाम कहीं अकेला और कहीं कुरु और मद्र देशों के साथ जुड़ा हुआ मिलता है। बीकानेर के राजा जंगल देश के स्वामी होने के कारण अब तक "जंगल धर बादशाह' कहलाते हैं। बीकानेर राज्य तथा जोधपुर का उत्तरी भाग जांगल देश था राव बीका द्वारा १४८५ में इस शहर की स्थापना की गई। ऐसा कहा जाता है कि नेरा नामक व्यक्ति गड़रिया था, जब राव बीका ने नेरा से एक शुभ जगह के बारे में पूछा तो उसने इस जगह के बारे में एक जवाब दिया उसने कहा की इस जगह पर मेरी एक भेड़ का मेमना ३ दिन तक भेड़ के साथ ७ सियारों के बीच एकला रहा और सियारों ने भेड़ और उसके बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुचायां और उसने इस बात के साथ एक शर्त रख दी की उसके नाम को नगर के नाम के साथ जोड़ा जाए। इसी कारण इसका नाम बीका+नेर, बीकानेर पड़ा। अक्षय तृतीया के यह दिन आज भी बीकानेर के लोग पतंग उड़ाकर स्मरण करते हैं। बीकानेर का इतिहास अन्य रियासतों की तरह राजाओं का इतिहास है। ने नवीन बीकानेर रेल नहर व अन्य आधारभूत व्यवस्थाओं से समृद्ध किया। बीकानेर की भुजिया मिठाई व जिप्सम तथा क्ले आज भी पूरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। यहां सभी धर्मों व जातियों के लोग शांति व सौहार्द्र के साथ रहते हैं यह यहां की दूसरी महत्वपूर्ण विशिष्टता है। यदि इतिहास की बात चल रही हो तो इटली के टैसीटोरी का नाम भी बीकानेर से बहुत प्रेम से जुड़ा हुआ है। बीकानेर शहर के ५ द्वार आज भी आंतरिक नगर की परंपरा से जीवित जुड़े हैं। कोटगेट, जस्सूसरगेट, नत्थूसरगेट, गोगागेट व शीतलागेट इनके नाम हैं। बीकानेर की भौगोलिक स्तिथि ७३ डिग्री पूर्वी अक्षांस २८.०१ उत्तरी देशंतार पर स्थित है। समुद्र तल से ऊंचाई सामान्य रूप से २४३मीटर अथवा ७९७ फीट है .

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भरतपुर

भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है। 29 वर्ग कि॰मी॰ में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। विश्‍व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है। भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना जाट शासक राजा सूरजमल ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व किले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है। लक्ष्मण इस राज परिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगडिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारतीय

भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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मरुस्थल

अटाकामा मरुस्थल मरुस्थल या रेगिस्तान ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों को कहा जाता है जहां जलपात (वर्षा तथा हिमपात का योग) अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कम होती है। प्रायः (गलती से) रेतीले रेगिस्तानी मैदानों को मरुस्थल कहा जाता है जोकि गलत है। यह बात और है कि भारत में सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र (थार) एक रेतीला मैदान है। मरूस्थल (कम वर्षा वाला क्षेत्र) का रेतीला होना आवश्यक नहीं। मरुस्थल का गर्म होना भी आवश्यक नहीं है। अंटार्कटिक, जोकि बर्फ से ढका प्रदेश है, विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है ! विश्व के अन्य देशों में कई ऐसे मरुस्थल हैं जो रेतीले नहीं है। .

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महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि (बोलचाल में शिवरात्रि) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। अधिक तर लोग यह मान्यता रखते है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवि पार्वति के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर शैव मत में इस त्यौहार को हर-रात्रि और बोलचाल में 'हेराथ' या 'हेरथ' भी जाता है। .

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मेड़ता

मेड़ता नगर राजस्थान राज्य के मध्यवर्ती नगर जोधपुर से 100 मील दूर है। लगभग 1480 में स्थापित यह शहर एक समय में महत्त्वपूर्ण व्यापार का केन्द्र था। मेड़ता प्रसिद्ध कृष्ण भक्त-कवयित्री मीरांबाई का जन्म स्थान माना जाता है। यहाँ राजपूत काल का एक क़िला है। 1562 ई. में इस दुर्ग को अकबर ने जीता था। नन्दलाल डे के अनुसार इसका प्राचीन भाग मार्तिकावत है। इसके आस-पास के क्षेत्रों में कई युद्ध हुए थे, जिनमें 1790 ई. में जयपुर और जोधपुर राज्यों की सेनाओं पर मराठों की विजय शामिल है। यहाँ पर कई स्मारक प्रस्तर स्तम्भ स्थित हैं। यहाँ अकबर द्वारा निर्मित एक मस्जिद भी स्थित है। श्रेणी:राजस्थान के शहर.

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यूट्यूब

यूट्यूब का मुख्यालय सैन ब्रूनो, कैलीफोर्निया में (२०१०) यूट्यूबएक साझा वेबसाइट (video sharing) है जहाँ उपयोगकर्ता वेबसाइट पर वीडियो देख सकता है, रेटिंग दे सकता है, टिप्पणियाँ छोड़ सकता है और वीडियॊ क्लिप साझा कर सकता है। पेपल के तीन पूर्व कर्मचारियॊं ने मध्य फरवरी (PayPal)२००५ यू ट़यूब बनायी थी।, USATODAY, October 11 (October 11), 2006.

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राजस्थान

राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। इसके पश्चिम में पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132139 वर्ग मील) है। 2011 की गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.11% हैं। जयपुर राज्य की राजधानी है। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात दिलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। पूर्वी राजस्थान में दो बाघ अभयारण्य, रणथम्भौर एवं सरिस्का हैं और भरतपुर के समीप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान है, जो सुदूर साइबेरिया से आने वाले सारसों और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजाति के अनेकानेक पक्षियों के संरक्षित-आवास के रूप में विकसित किया गया है। .

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राजस्थान पत्रिका

राजस्थान पत्रिका हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने वाला एक भारतीय समाचार पत्र है। यह अखबार भारत के सात राज्यों से प्रकाशित हो रहा है। यह जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, कोटा और सीकर सहित कई अन्य क्षेत्रों से राजस्थान से प्रकाशित होता है और राजस्थान के अलावा भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, रायपुर, अहमदाबाद, ग्वालियर, कोलकाता, चेन्नई, नई दिल्ली और बंगलौर से प्रकाशित होता है। .

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लूणी नदी

लूनी नदी भारत की एकमात्र अन्तर्वाही नदी हैं। यह नदी अरावली पर्वत के निकट आनासागर से उत्पन्न होकर दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए कच्छ के रन में जाकर मिलती है। .

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श्रावण

Rahman .

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सांचोर

सांचोर राजस्थान राज्य का एक एतिहसिक कस्बा है। यह कस्बा प्राचीनकाल मे 'सत्यपुर' के नाम से जाना जाता था। .

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संस्कृति

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र रूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने, खाने-पीने, बोलने, नृत्य, गायन, साहित्य, कला, वास्तु आदि में परिलक्षित होती है। संस्कृति का वर्तमान रूप किसी समाज के दीर्घ काल तक अपनायी गयी पद्धतियों का परिणाम होता है। ‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत भाषा की धातु ‘कृ’ (करना) से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ (मूल स्थिति), ‘संस्कृति’ (परिष्कृत स्थिति) और ‘विकृति’ (अवनति स्थिति)। जब ‘प्रकृत’ या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है। अंग्रेजी में संस्कृति के लिये 'कल्चर' शब्द प्रयोग किया जाता है जो लैटिन भाषा के ‘कल्ट या कल्टस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोतना, विकसित करना या परिष्कृत करना और पूजा करना। संक्षेप में, किसी वस्तु को यहाँ तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सके। यह ठीक उसी तरह है जैसे संस्कृत भाषा का शब्द ‘संस्कृति’। संस्कृति का शब्दार्थ है - उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है, सभ्यता और संस्कृति का अंग है। सभ्यता (Civilization) से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति (Culture) से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है। .

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हड़ौती

हाड़ौती (जिसे हाड़ौली, हाड़ावली, इत्यादि नाम से भी जाना जाता है) बूंदी राज्य था। यह पूर्वी राजस्थान में स्थित है। इसके बड़े शहरों में बूंदी और कोटा हैं। इसमें सम्मिलित जिले हैं.

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हनुमानगढ़

हनुमानगढ़ भारत के राजस्थान प्रान्त का एक शहर है। यह उत्तर राजस्थान में घग्घर नदी के दाऐं तट पर स्थित है। हनुमानगढ़ को 'सादुलगढ़' भी कहते हैं। यह बीकानेर से 144 मील उत्तर-पूर्व में बसा हुआ है। यहाँ एक प्राचीन क़िला है, जिसका पुराना नाम 'भटनेर' था। भटनेर, 'भट्टीनगर' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ भट्टी अथवा भट्टियों का नगर है। .

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हरियाणा

हरियाणा उत्तर भारत का एक राज्य है जिसकी राजधानी चण्डीगढ़ है। इसकी सीमायें उत्तर में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण एवं पश्चिम में राजस्थान से जुड़ी हुई हैं। यमुना नदी इसके उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश राज्यों के साथ पूर्वी सीमा को परिभाषित करती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हरियाणा से तीन ओर से घिरी हुई है और फलस्वरूप हरियाणा का दक्षिणी क्षेत्र नियोजित विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल है। यह राज्य वैदिक सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता का मुख्य निवास स्थान है। इस क्षेत्र में विभिन्न निर्णायक लड़ाइयाँ भी हुई हैं जिसमें भारत का अधिकत्तर इतिहास समाहित है। इसमें महाभारत का महाकाव्य युद्ध भी शामिल है। हिन्दू मतों के अनुसार महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ (इसमें भगवान कृष्ण ने भागवत गीता का वादन किया)। इसके अलावा यहाँ तीन पानीपत की लड़ाइयाँ हुई। ब्रितानी भारत में हरियाणा पंजाब राज्य का अंग था जिसे १९६६ में भारत के १७वें राज्य के रूप में पहचान मिली। वर्तमान में खाद्यान और दुध उत्पादन में हरियाणा देश में प्रमुख राज्य है। इस राज्य के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। समतल कृषि भूमि निमज्जक कुओं (समर्सिबल पंप) और नहर से सिंचित की जाती है। १९६० के दशक की हरित क्रान्ति में हरियाणा का भारी योगदान रहा जिससे देश खाद्यान सम्पन्न हुआ। हरियाणा, भारत के अमीर राज्यों में से एक है और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह देश का दूसरा सबसे धनी राज्य है। वर्ष २०१२-१३ में देश में इसकी प्रति-व्यक्ति १,१९,१५८ (अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर भारत के राज्य देखें) और वर्ष २०१३-१४ में १,३२,०८९ रही। इसके अतिरिक्त भारत में सबसे अधिक ग्रामीण करोड़पति भी इसी राज्य में हैं। हरियाणा आर्थिक रूप से दक्षिण एशिया का सबसे विकसित क्षेत्र है और यहाँ कृषि एवं विनिर्माण उद्योग ने १९७० के दशक से निरंतर वृद्धि का प्राप्त की है। भारत में हरियाणा यात्रि कारों, द्विचक्र वाहनों और ट्रैक्टरों के निर्माण में सर्वोपरी राज्य है। भारत में प्रति व्यक्ति निवेश के आधार पर वर्ष २००० से राज्य सर्वोपरी स्थान पर रहा है। .

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हिन्दुस्तान टाईम्स

हिन्दुस्तान टाईमज़ का दफ़तर नई दिल्ली में स्थित हिन्दुस्तान टाईमज़ हाउस हिन्दुस्तान टाईमज़ (अंग्रेज़ी: Hindustan Times (HT)) भारत का एक रोज़मर्रा अंग्रेज़ी अख़बार है। पाठकों की संख्या मुताबिक यह भारत के बड़े अख़बारों में से है। द टाईमज़ ऑफ़ इंडिया के बाद इसका दूसरा नंबर है। यह १९२४ में मास्टर सुन्दर सिंह लायलपुरी द्वारा कायम किया गया। .

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हिन्दू

शब्द हिन्दू किसी भी ऐसे व्यक्ति का उल्लेख करता है जो खुद को सांस्कृतिक रूप से, मानव-जाति के अनुसार या नृवंशतया (एक विशिष्ट संस्कृति का अनुकरण करने वाले एक ही प्रजाति के लोग), या धार्मिक रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ मानते हैं।Jeffery D. Long (2007), A Vision for Hinduism, IB Tauris,, pages 35-37 यह शब्द ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में स्वदेशी या स्थानीय लोगों के लिए एक भौगोलिक, सांस्कृतिक, और बाद में धार्मिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त किया गया है। हिन्दू शब्द का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है। प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए फारसी और ग्रीक संदर्भों के साथ, मध्ययुगीन युग के ग्रंथों के माध्यम से, हिंदू शब्द सिंधु (इंडस) नदी के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों के लिए भौगोलिक रूप में, मानव-जाति के अनुसार (नृवंशतया), या सांस्कृतिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त होने लगा था।John Stratton Hawley and Vasudha Narayanan (2006), The Life of Hinduism, University of California Press,, pages 10-11 16 वीं शताब्दी तक, इस शब्द ने उपमहाद्वीप के उन निवासियों का उल्लेख करना शुरू कर दिया, जो कि तुर्किक या मुस्लिम नहीं थे। .

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जोधपुर

जोधपुर भारत के राज्य राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसकी जनसंख्या १० लाख के पार हो जाने के बाद इसे राजस्थान का दूसरा "महानगर " घोषित कर दिया गया था। यह यहां के ऐतिहासिक रजवाड़े मारवाड़ की इसी नाम की राजधानी भी हुआ करता था। जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे "सूर्य नगरी" भी कहा जाता है। यहां स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे "नीली नगरी" के नाम से भी जाना जाता था। यहां के पुराने शहर का अधिकांश भाग इस दुर्ग को घेरे हुए बसा है, जिसकी प्रहरी दीवार में कई द्वार बने हुए हैं, हालांकि पिछले कुछ दशकों में इस दीवार के बाहर भी नगर का वृहत प्रसार हुआ है। जोधपुर की भौगोलिक स्थिति राजस्थान के भौगोलिक केन्द्र के निकट ही है, जिसके कारण ये नगर पर्यटकों के लिये राज्य भर में भ्रमण के लिये उपयुक्त आधार केन्द्र का कार्य करता है। वर्ष २०१४ के विश्व के अति विशेष आवास स्थानों (मोस्ट एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी प्लेसेज़ ऑफ़ द वर्ल्ड) की सूची में प्रथम स्थान पाया था। एक तमिल फ़िल्म, आई, जो कि अब तक की भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी फ़िल्मशोगी, की शूटिंग भी यहां हुई थी। .

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घोड़ा

घोड़ा, घोड़ी और उसका बच्चा घोड़े भी खेल में इस्तेमाल किया जाता है। घोड़ा या अश्व (Equus ferus caballus; ऐक़्वस फ़ेरस कैबेलस) ऐक़्वस फ़ेरस (Equus ferus) की दो अविलुप्त उपप्रजातियों में से एक हैं। वह एक विषम-उंगली खुरदार स्तनधारी हैं, जो अश्ववंश (ऐक़्वडी) कुल से ताल्लुक रखता हैं। घोड़े का पिछले ४५ से ५५ मिलियन वर्षों में एक छोटे बहु-उंगली जीव, ऐओहिप्पस (Eohippus) से आज के विशाल, एकल-उंगली जानवर में क्रम-विकास हुआ हैं। मनुष्यों ने ४००० ईसा पूर्व के आसपास घोड़ों को पालतू बनाना शुरू कर दिया, और उनका पालतूकरण ३००० ईसा पूर्व से व्यापक रूप से फैला हुआ माना जाता हैं। कैबेलस (caballus) उपप्रजाति में घोड़े पालतू बनाएँ जाते हैं, यद्यपि कुछ पालतू आबादियाँ वन में रहती हैं निरंकुश घोड़ो के रूप में। ये निरंकुश आबादियाँ असली जंगली घोड़े नहीं हैं, क्योंकि यह शब्द उन घोड़ो को वर्णित करने के लिए प्रयुक्त होता हैं जो कभी पालतू बनाएँ ही नहीं गएँ हो, जैसे कि विलुप्तप्राय शेवालस्की का घोड़ा, जो एक अलग उपप्रजाति हैं और बचा हुआ केवल एकमात्र असली जंगली घोड़ा हैं। वह मनुष्य से जुड़ा हुआ संसार का सबसे प्राचीन पालतू स्तनपोषी प्राणी है, जिसने अज्ञात काल से मनुष्य की किसी ने किसी रूप में सेवा की है। घोड़ा ईक्यूडी (Equidae) कुटुंब का सदस्य है। इस कुटुंब में घोड़े के अतिरिक्त वर्तमान युग का गधा, जेबरा, भोट-खर, टट्टू, घोड़-खर एवं खच्चर भी है। आदिनूतन युग (Eosin period) के ईयोहिप्पस (Eohippus) नामक घोड़े के प्रथम पूर्वज से लेकर आज तक के सारे पूर्वज और सदस्य इसी कुटुंब में सम्मिलित हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ईक्वस (Equus) लैटिन से लिया गया है, जिसका अर्थ घोड़ा है, परंतु इस कुटुंब के दूसरे सदस्य ईक्वस जाति की ही दूसरों छ: उपजातियों में विभाजित है। अत: केवल ईक्वस शब्द से घोड़े को अभिहित करना उचित नहीं है। आज के घोड़े का सही नाम ईक्वस कैबेलस (Equus caballus) है। इसके पालतू और जंगली संबंधी इसी नाम से जाने जातें है। जंगली संबंधियों से भी यौन संबंध स्थापति करने पर बाँझ संतान नहीं उत्पन्न होती। कहा जाता है, आज के युग के सारे जंगली घोड़े उन्ही पालतू घोड़ो के पूर्वज हैं जो अपने सभ्य जीवन के बाद जंगल को चले गए और आज जंगली माने जाते है। यद्यपि कुछ लोग मध्य एशिया के पश्चिमी मंगोलिया और पूर्वी तुर्किस्तान में मिलनेवाले ईक्वस प्रज़्वेलस्की (Equus przwalski) नामक घोड़े को वास्तविक जंगली घोड़ा मानते है, तथापि वस्तुत: यह इसी पालतू घोड़े के पूर्वजो में से है। दक्षिण अफ्रिका के जंगलों में आज भी घोड़े बृहत झुंडो में पाए जाते है। एक झुंड में एक नर ओर कई मादाएँ रहती है। सबसे अधिक 1000 तक घोड़े एक साथ जंगल में पाए गए है। परंतु ये सब घोड़े ईक्वस कैबेलस के ही जंगली पूर्वज है और एक घोड़े को नेता मानकर उसकी आज्ञा में अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करतेे है। एक गुट के घोड़े दूसरे गुट के जीवन और शांति को भंग नहीं करते है। संकटकाल में नर चारों तरफ से मादाओ को घेर खड़े हो जाते है और आक्रमणकारी का सामना करते हैं। एशिया में काफी संख्या में इनके ठिगने कद के जंगली संबंधी 50 से लेकर कई सौ तक के झुंडों में मिलते है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार उन्हे पालतू बनाता रहता है। .

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वैशाख

वैशाख भारतीय काल गणना के अनुसार वर्ष का दूसरा माह है। इस माह को एक पवित्र माह के रूप में माना जाता है। जिनका संबंध देव अवतारों और धार्मिक परंपराओं से है। ऐसा माना जाता है कि इस माह के शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीया के दिन विष्णु अवतारों नर-नारायण, परशुराम, नृसिंह और ह्ययग्रीव के अवतार हुआ और शुक्ल पक्ष की नवमी को देवी सीता धरती से प्रकट हुई। कुछ मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग की शुरुआत भी वैशाख माह से हुई। इस माह की पवित्रता और दिव्यता के कारण ही कालान्तर में वैशाख माह की तिथियों का सम्बंध लोक परंपराओं में अनेक देव मंदिरों के पट खोलने और महोत्सवों के मनाने के साथ जोड़ दिया। यही कारण है कि हिन्दू धर्म के चार धाम में से एक बद्रीनाथधाम के कपाट वैशाख माह की अक्षय तृतीया को खुलते हैं। इसी वैशाख के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को एक और हिन्दू तीर्थ धाम पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी निकलती है। वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या को देववृक्ष वट की पूजा की जाती है। यह भी माना जाता है कि भगवान बुद्ध की वैशाख पूजा 'दत्थ गामणी' (लगभग 100-77 ई. पू.) नामक व्यक्ति ने लंका में प्रारम्भ करायी थी। .

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ग्रामीण क्षेत्र

ग्रामीण क्षेत्र सामान्यतः उस भौगोलिक क्षेत्र के लिए प्रयुक्त शब्द है जो नगरों और कस्बों से बाहर होता है। .

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गोगाजी

गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं जिन्हे 'जाहरवीर गोग राणा के नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक शहर गोगामेड़ी है। यहां भादों शुक्लपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का मेला भरता है। इन्हें हिन्दू और मुसलमान दोनो पूजते हैं। वीर गोगाजी गुरुगोरखनाथ के परमशिष्य थे। उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गाँव में हुआ था। सिद्ध वीर गोगादेव के जन्मस्थान राजस्थान के चुरू जिले के दत्तखेड़ा ददरेवा में स्थित है जहाँ पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं तथा उक्त स्थान पर मत्‍था टेकने और मन्नत माँगने आते हैं। इस तरह यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है। मध्यकालीन महापुरुष गोगाजी हिंदू, मुस्लिम, सिख संप्रदायों की श्रद्घा अर्जित कर एक धर्मनिरपेक्ष लोकदेवता के नाम से पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगाजी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी का राज्य सतलुज सें हांसी (हरियाणा) तक था। लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गोगाजी को साँपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी, गुग्गा, जाहिर वीर व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं। यह गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को समय की दृष्टि से प्रथम माना गया है। जयपुर से लगभग 250 किमी दूर स्थित सादलपुर के पास दत्तखेड़ा (ददरेवा) में गोगादेवजी का जन्म स्थान है। दत्तखेड़ा चुरू के अंतर्गत आता है। गोगादेव की जन्मभूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है और सैकड़ों वर्ष बीत गए, लेकिन उनके घोड़े की रकाब अभी भी वहीं पर विद्यमान है। उक्त जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और वहीं है गोगादेव की घोड़े पर सवार मूर्ति। भक्तजन इस स्थान पर कीर्तन करते हुए आते हैं और जन्म स्थान पर बने मंदिर पर मत्‍था टेककर मन्नत माँगते हैं। आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है। गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकडी पर सर्प मूर्ती उत्कीर्ण की जाती है। लोक धारणा है कि सर्प दंश से प्रभावित व्यक्ति को यदि गोगाजी की मेडी तक लाया जाये तो वह व्यक्ति सर्प विष से मुक्त हो जाता है। भादवा माह के शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की नवमियों को गोगाजी की स्मृति में मेला लगता है। उत्तर प्रदेश में इन्हें जहर पीर तथा मुसलमान इन्हें गोगा पीर कहते हैं हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित गोगाजी का समाधि स्थल जन्म स्थान से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित है, जो साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा प्रतीक है, जहाँ एक हिन्दू व एक मुस्लिम पुजारी खड़े रहते हैं। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से लेकर भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक गोगा मेड़ी के मेले में वीर गोगाजी की समाधि तथा गोगा पीर व जाहिर वीर के जयकारों के साथ गोगाजी तथा गुरु गोरक्षनाथ के प्रति भक्ति की अविरल धारा बहती है। भक्तजन गुरु गोरक्षनाथ के टीले पर जाकर शीश नवाते हैं, फिर गोगाजी की समाधि पर आकर ढोक देते हैं। प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगा जी के मंदिर में मत्था टेक तथा छड़ियों की विशेष पूजा करते हैं। प्रदेश की लोक संस्कृति में गोगाजी के प्रति अपार आदर भाव देखते हुए कहा गया है कि गाँव-गाँव में खेजड़ी, गाँव-गाँव में गोगा वीर गोगाजी का आदर्श व्यक्तित्व भक्तजनों के लिए सदैव आकर्षण का केन्द्र रहा है। गोरखटीला स्थित गुरु गोरक्षनाथ के धूने पर शीश नवाकर भक्तजन मनौतियाँ माँगते हैं। विद्वानों व इतिहासकारों ने उनके जीवन को शौर्य, धर्म, पराक्रम व उच्च जीवन आदर्शों का प्रतीक माना है। लोक देवता जाहरवीर गोगाजी की जन्मस्थली ददरेवा में भादवा मास के दौरान लगने वाले मेले के दृष्टिगत पंचमी (सोमवार) को श्रद्धालुओं की संख्या में और बढ़ोतरी हुई। मेले में राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश व गुजरात सहित विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जातरु ददरेवा आकर न केवल धोक आदि लगाते हैं बल्कि वहां अखाड़े (ग्रुप) में बैठकर गुरु गोरक्षनाथ व उनके शिष्य जाहरवीर गोगाजी की जीवनी के किस्से अपनी-अपनी भाषा में गाकर सुनाते हैं। प्रसंगानुसार जीवनी सुनाते समय वाद्ययंत्रों में डैरूं व कांसी का कचौला विशेष रूप से बजाया जाता है। इस दौरान अखाड़े के जातरुओं में से एक जातरू अपने सिर व शरीर पर पूरे जोर से लोहे की सांकले मारता है। मान्यता है कि गोगाजी की संकलाई आने पर ऐसा किया जाता है। गोरखनाथ जी से सम्बंधित एक कथा राजस्थान में बहुत प्रचलित है। राजस्थान के महापुरूष गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था। गोगाजी की माँ बाछल देवी निःसंतान थी। संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिला। गुरू गोरखनाथ ‘गोगामेडी’ के टीले पर तपस्या कर रहे थे। बाछल देवी उनकी शरण मे गईं तथा गुरू गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया। प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और तदुपरांत गोगाजी का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा। .

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इण्डिया टुडे

इंडिया टुडे एक भारतीय पत्रिका है। .

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करौली

करौली राजस्‍थान का ऐतिहासिक नगर है। यह करौली जिला का मुख्यालय है। इसकी स्‍थापना 955 ई. के आसपास राजा विजय पाल ने की थी जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भगवान कृष्‍ण के वंशज थे। 1818 में करौली राजपूताना एजेंसी का हिस्‍सा बना। 1947 में भारत की आजादी के बाद यहां के शासक महाराज गणेश पाल देव ने भारत का हिस्‍सा बनने का निश्‍चय किया। 7 अप्रैल 1949 में करौली भारत में शामिल हुआ और राजस्‍थान राज्‍य का हिस्‍सा बना।करौली का सिटी पेलेस राजस्‍थान के प्रमुख पर्यटक स्‍थलों में से एक है। मदन मोहन जी का मंदिर देश-विदेश में बसे श्रृद्धालुओं के बीच बहुत लोकप्रिय है। अपने ऐतिहासिक किलों और मंदिरों के लिए मशहूर करौली दर्शनीय स्‍थल है। .

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कला

राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित 'गोपिका' कला (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती हैं। कला का अर्थ अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है, यद्यपि इसकी हजारों परिभाषाएँ की गयी हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला में कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। .

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कार्तिक

हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के आठवें माह का नाम कार्तिक हैं। .

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कार्तिक पूर्णिमा

हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर १3 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फाल मिलता है। .

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अजमेर

अजमेर राजस्थान प्रान्त में अजमेर जिले का मुख्यालय एवं मुख्य नगर है। यह अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित है। यह नगर सातवीं शताब्दी में अजयराज सिंह नामक एक चौहान राजा द्वारा बसाया गया था। इस नगर का मूल नाम 'अजयमेरु' था। सन् १३६५ में मेवाड़ के शासक, १५५६ में अकबर और १७७० से १८८० तक मेवाड़ तथा मारवाड़ के अनेक शासकों द्वारा शासित होकर अंत में १८८१ में यह अंग्रेजों के आधिपत्य में चला गया। अजमेर में मेघवंशी, जाट, गुर्जर, रावत ब्राह्मण, गर्ग, भील व जैन समुदाय का बहुमत है नगर के उत्तर में अनासागर तथा कुछ आगे फ्वायसागर नामक कृत्रिम झीलें हैं। यहाँ का प्रसिद्ध मुसलमान फकीर मुइनुद्दीन चिश्ती का मकबरा प्रसिद्ध है। ढाई दिन के झोपड़े में कुल ४० स्तंभ हैं और सब में नए-नए प्रकार की नक्काशी है; कोई भी दो स्तंभ नक्काशी में समान नहीं हैं। तारागढ़ पहाड़ी की चोटी पर एक दुर्ग भी है। इसका आधुनिक नगर एक प्रसिद्ध रेलवे केन्द्र भी है। यहाँ पर नमक का व्यापार होता है जो साँभर झील से लाया जाता है। यहाँ खाद्य, वस्त्र तथा रेलवे के कारखाने हैं। तेल तैयार करना भी यहाँ का एक प्रमुख व्यापार है। .

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उत्तर प्रदेश

आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .

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१९४७

1947 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९५८

1958 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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