सन् 1960 से 2010 के छः दशक राजस्थान की आधुनिक कला के लिए दो कारणों से महत्त्वपूर्ण कहे जा सकते हैं। एक तो यह कि इस अन्तराल में बहुतेरे उल्लेखनीय चित्रकारों का काम सामने आया और दूसरे यह कि यहाँ के कुछ चित्रकारों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए निहायत मौलिक, अपनी निजी चित्रभाषा भी ईजाद की। इन्हीं वर्षों के दौरान विश्वविद्यालय-स्तर पर कला के अध्ययन-अध्यापन की भी शुरुआत हुई। कला के क्षेत्र में शोध और अनुसन्धान भी इसी अवधि में ज्यादा सामने आ पाए। आज राजस्थान में छोटे-बड़े ‘आधुनिक‘ शैली के शायद तीन सौ से भी अधिक चित्रकार हैं, किन्तु सरसरे तौर पर ऐसे कलाकारों का उल्लेख किया जा सकता है, जिनकी रचनाओं में अपनी चैत्रिक-निजता है अगर 'कथ्य' में नहीं, तो अंकन में तो अवश्य ही। .
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