लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

योगिनी एकादशी

सूची योगिनी एकादशी

योगिनी एकादशी व्रतकथा पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में प्राप्त होती है। आषाढ़ मास की कृष्ण एकादशी को "योगनी" अथवा "शयनी" एकादशी कहते है। इस व्रतकथा के वक्ता श्रीकृष्ण एवं मार्कण्डेय हैं। श्रोता युधिष्ठिर एवं हेममाली हैं। जब युधिष्ठिर आषाढकृष्ण एकादशी का नाम एवं महत्त्व पूछते हैं, तब वासुदेव जी इस कथा को कहते हैं। मेघदूत में महाकवि कालिदास जी ने किसी शापित यक्ष के विषय में उल्लेख किया है। मेघदूत में वह यक्ष मेघ को हि दूत स्वीकार कर उसके माध्यम से अपनी पत्नी के लिए सन्देश भेजता है, यह कथानक वहाँ प्राप्त होता है। कालिदास जी की वह मेघदूत की कथा इस कथा से प्रभावित है ऐसा माना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। उनमें ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। आषाढ़ कृष्ण एकादशी का नाम योगिनी है। इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाली है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। .

15 संबंधों: एकादशी, एकादशी तिथि, देवशयनी एकादशी, पद्म पुराण, बादल, भारतीय, मेघदूतम्, यक्ष, युधिष्ठिर, हिन्दू धर्म, ज्येष्ठ, आषाढ़, कालिदास, कृष्ण, कृष्ण पक्ष

एकादशी

कोई विवरण नहीं।

नई!!: योगिनी एकादशी और एकादशी · और देखें »

एकादशी तिथि

हिंदू पंचांग की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। इन दोने प्रकार की एकादशियों का भारतीय सनातन संप्रदाय में बहुत महत्त्व है। .

नई!!: योगिनी एकादशी और एकादशी तिथि · और देखें »

देवशयनी एकादशी

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर २६ हो जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को 'पद्मनाभा' भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। उस दिन को देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा गया है। .

नई!!: योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी · और देखें »

पद्म पुराण

महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित संस्कृत भाषा में रचे गए अठारह पुराणों में से एक पुराण ग्रंथ है। सभी अठारह पुराणों की गणना के क्रम में ‘पद्म पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी यह द्वितीय स्थान पर है। पहला स्थान स्कन्द पुराण को प्राप्त है। पद्म का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’। चूँकि सृष्टि-रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान् नारायण के नाभि-कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पद्म पुराण की संज्ञा दी गयी है। इस पुराण में भगवान् विष्णु की विस्तृत महिमा के साथ भगवान् श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के चरित्र, विभिन्न तीर्थों का माहात्म्य शालग्राम का स्वरूप, तुलसी-महिमा तथा विभिन्न व्रतों का सुन्दर वर्णन है। .

नई!!: योगिनी एकादशी और पद्म पुराण · और देखें »

बादल

कपासी बादल, हवाई जहाज की खिड़की से लिया गया चित्र वायुमण्डल में मौज़ूद जलवाष्प के संघनन से बने जलकणों या हिमकणों की दृश्यमान राशि बादल कहलाती है। मौसम विज्ञान में बादल को उस जल अथवा अन्य रासायनिक तत्वों के मिश्रित द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो द्रव रूप में बूंदों अथवा ठोस रवों के रूप में किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड के वायुमण्डल में दृश्यमान हो। बादल वर्षण (वर्षा और हिमपात इत्यादि) का प्रमुख स्रोत होते हैं। बादलों का विधिवत वैज्ञानिक अध्ययन मौसम विज्ञान की बादल भौतिकी नामक शाखा में किया जाता है। .

नई!!: योगिनी एकादशी और बादल · और देखें »

भारतीय

भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.

नई!!: योगिनी एकादशी और भारतीय · और देखें »

मेघदूतम्

कालिदास रचित मेघदूतम् मेघदूतम् महाकवि कालिदास द्वारा रचित विख्यात दूतकाव्य है। इसमें एक यक्ष की कथा है जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है। निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास करता है। वर्षा ऋतु में उसे अपनी प्रेमिका की याद सताने लगती है। कामार्त यक्ष सोचता है कि किसी भी तरह से उसका अल्कापुरी लौटना संभव नहीं है, इसलिए वह प्रेमिका तक अपना संदेश दूत के माध्यम से भेजने का निश्चय करता है। अकेलेपन का जीवन गुजार रहे यक्ष को कोई संदेशवाहक भी नहीं मिलता है, इसलिए उसने मेघ के माध्यम से अपना संदेश विरहाकुल प्रेमिका तक भेजने की बात सोची। इस प्रकार आषाढ़ के प्रथम दिन आकाश पर उमड़ते मेघों ने कालिदास की कल्पना के साथ मिलकर एक अनन्य कृति की रचना कर दी। मेघदूत की लोकप्रियता भारतीय साहित्य में प्राचीन काल से ही रही है। जहाँ एक ओर प्रसिद्ध टीकाकारों ने इस पर टीकाएँ लिखी हैं, वहीं अनेक संस्कृत कवियों ने इससे प्रेरित होकर अथवा इसको आधार बनाकर कई दूतकाव्य लिखे। भावना और कल्पना का जो उदात्त प्रसार मेघदूत में उपलब्ध है, वह भारतीय साहित्य में अन्यत्र विरल है। नागार्जुन ने मेघदूत के हिन्दी अनुवाद की भूमिका में इसे हिन्दी वाङ्मय का अनुपम अंश बताया है। मेघदूतम् काव्य दो खंडों में विभक्त है। पूर्वमेघ में यक्ष बादल को रामगिरि से अलकापुरी तक के रास्ते का विवरण देता है और उत्तरमेघ में यक्ष का यह प्रसिद्ध विरहदग्ध संदेश है जिसमें कालिदास ने प्रेमीहृदय की भावना को उड़ेल दिया है। कुछ विद्वानों ने इस कृति को कवि की व्यक्तिव्यंजक (आत्मपरक) रचना माना है। "मेघदूत" में लगभग ११५ पद्य हैं, यद्यपि अलग अलग संस्करणों में इन पद्यों की संख्या हेर-फेर से कुछ अधिक भी मिलती है। डॉ॰ एस.

नई!!: योगिनी एकादशी और मेघदूतम् · और देखें »

यक्ष

यह लेख यक्ष नामक पौराणिक चरित्रों पर है। अन्य यक्ष लेखों के लिए देखें: यक्ष (बहुविकल्पी) यक्षों एक प्रकार के पौराणिक चरित्र हैं। यक्षों को राक्षसों के निकट माना जाता है, यद्यपि वे मनुष्यों के विरोधी नहीं होते, जैसे राक्षस होते है। माना जाता है कि प्रारम्भ में दो प्रकार के राक्षस होते थे; एक जो रक्षा करते थे वे यक्ष कहलाये तथा दूसरे यज्ञों में बाधा उपस्थित करने वाले राक्षस कहलाये। यक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है 'जादू की शक्ति'। हिन्दू धर्मग्रन्थो में एक अच्छे यक्ष का उदाहरण मिलता है जिसे कुबेर कहते हैं तथा जो धन-सम्पदा में अतुलनीय थे। एक अन्य यक्ष का प्रसंग महाभारत में भी मिलता है। जब पाण्डव दूसरे वनवास के समय वन-वन भटक रहे थे तब एक यक्ष से उनकी भेंट हुई जिसने युधिष्ठिर से विख्यात यक्ष प्रश्न किए थे। .

नई!!: योगिनी एकादशी और यक्ष · और देखें »

युधिष्ठिर

प्राचीन भारत के महाकाव्य महाभारत के अनुसार युधिष्ठिर पांच पाण्डवों में सबसे बड़े भाई थे। वह पांडु और कुंती के पहले पुत्र थे। युधिष्ठिर को धर्मराज (यमराज) पुत्र भी कहा जाता है। वो भाला चलाने में निपुण थे और वे कभी झूठ नहीं बोलते थे। महाभारत के अंतिम दिन उसने अपने मामा शलय का वध किया जो कौरवों की तरफ था। .

नई!!: योगिनी एकादशी और युधिष्ठिर · और देखें »

हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

नई!!: योगिनी एकादशी और हिन्दू धर्म · और देखें »

ज्येष्ठ

कोई विवरण नहीं।

नई!!: योगिनी एकादशी और ज्येष्ठ · और देखें »

आषाढ़

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का चौथा महीना, जो ईस्वी कलेंडर के जून या जुलाई माह में पड़ता है। इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्यों कि इस समय भारत में काफ़ी वर्षा होती है। *.

नई!!: योगिनी एकादशी और आषाढ़ · और देखें »

कालिदास

कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं। अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है। यह नाटक कुछ उन भारतीय साहित्यिक कृतियों में से है जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था। यह पूरे विश्व साहित्य में अग्रगण्य रचना मानी जाती है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति और अभिव्यंजनावादभावाभिव्यन्जना शक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है और प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत रखंडकाव्ये से खंडकाव्य में दिखता है। कालिदास वैदर्भी रीति के कवि हैं और तदनुरूप वे अपनी अलंकार युक्त किन्तु सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनके प्रकृति वर्णन अद्वितीय हैं और विशेष रूप से अपनी उपमाओं के लिये जाने जाते हैं। साहित्य में औदार्य गुण के प्रति कालिदास का विशेष प्रेम है और उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है। कालिदास के परवर्ती कवि बाणभट्ट ने उनकी सूक्तियों की विशेष रूप से प्रशंसा की है। thumb .

नई!!: योगिनी एकादशी और कालिदास · और देखें »

कृष्ण

बाल कृष्ण का लड्डू गोपाल रूप, जिनकी घर घर में पूजा सदियों से की जाती रही है। कृष्ण भारत में अवतरित हुये भगवान विष्णु के ८वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर हैं। कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की ८वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। १२५ वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। .

नई!!: योगिनी एकादशी और कृष्ण · और देखें »

कृष्ण पक्ष

हिन्दू समय मापन, लघुगणकीय पैमाने पर कृष्ण पक्ष हिन्दू काल गणना अनुसार पूर्णिमांत माह के उत्तरार्ध पक्ष (१५ दिन) को कहते हैं। यह पक्ष पूर्णिमा से अमावस्या तक होता है। श्रेणी:हिन्दू काल गणना श्रेणी:समय मापन.

नई!!: योगिनी एकादशी और कृष्ण पक्ष · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »