लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

सूची यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

बास्तीय के किले पर आक्रमण ज्यूसेपे मेत्सिनी: इटली के एकीकरण का अग्रदूत 18वीं सदी में कई देश जैसे जर्मनी, इटली तथा स्विटजरलैण्ड आदि उस रूप में नहीं थे जैसा कि आज हम इन्हें देखते हैं। ये छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित थे जिनका अपना स्वतन्त्र शासक था। 1789 ई॰ की फांसीसी क्रान्ति से पहले फांस एक ऐसा राज्य था जिनके सम्पूर्ण भू-भाग पर एक निरकुंश राजा का शासन था। नेपोलियन की संहिता - इसे 1804 में लागू किया गया। इसने जन्म पर आधरित विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया इसनें न केवल न्याय के समक्ष समानता स्थापित की बल्कि सम्पत्ति के अध्किर को भी सुरक्षित किया। १९वीं शताब्दी में यूरोपीय महाद्वीप में राष्ट्रवाद की एक लहर चली जिसने यूरोपीय देशों का कायाकल्प कर दिया। जर्मनी, इटली, रोमानिया आदि नवनिर्मित देश कई क्षेत्रीय राज्यों को मिलाकर बने जिनकी राष्ट्रीय पहचान 'समान' थी। यूनान, पोलैण्ड, बल्गारिया आदि स्वतंत्र होकर राष्ट्र बन गये। यूरोप के राजनीतिक विकास में राष्ट्रवाद की प्रमुख भूमिका थी। .

21 संबंधों: पोलैंड, फ़्रान्सीसी क्रान्ति, बर्लिन कांग्रेस, बुल्गारिया, बेल्जियम का ध्वज, यूनान, यूरोप, राष्ट्रवाद, राष्ट्रवाद का इतिहास, रोमानिया, सर्बिया, स्विट्ज़रलैण्ड, हंगरी, जर्मनी, जर्मनी का एकीकरण, विधि का इतिहास, वियना कांग्रेस, आयरलैण्ड, इटली, इतालवी एकीकरण, अल्बानिया

पोलैंड

पोलैंड आधिकारिक रूप से पोलैंड गणराज्य एक मध्य यूरोप राष्ट्र है। पोलैंड पश्चिम में जर्मनी, दक्षिण में चेक गणराज्य और स्लोवाकिया, पूर्व में युक्रेन, बेलारूस और लिथुआनिया एवं उत्तर में बाल्टिक सागर व रूस के कालिनिनग्राद ओब्लास्ट के द्वारा घिरा हुआ है। पोलैंड का कुल क्षेत्रफ़ल ३ लगभग लाख वर्ग कि.मि. (1.20 लाख वर्ग मील) है, जिससे ये दुनिया का ६९वां व युरोप का ९वां विशालतम राष्ट्र बन जाता है। लगभग 4 करोड़ की जनसंख्या के साथ यह दुनिया का ३३वां सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाता है। एक राष्ट्र के रूप में पोलैंड की स्थापना को इसके शासक मिस्जको प्रथम द्वारा ९६६ इसवी में इसाई धर्म को राष्ट्रधर्म बनाने के साथ जोड़ कर देखा जाता है। तत्कालीन समय में पोलैंड का आकार वर्तमान पोलैंड के जैसा ही था। १०२५ में पोलैंड राजाओं के अधीन आया और १५६९ में पोलैंड ने लिथुआनिया के ग्रैंड डचि के साथ मिलकर पोलिश-लिथुआनियन कामनवेल्थ की स्थापना करते हुए एक लंबे रिश्ते की नींव डाली। ये कामनवेल्थ १७९५ में तोड़ दिया गया और पोलैंड को आस्ट्रिया, रूस और प्रुसिया के बीच बांट लिया गया। पोलैंड ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद १९१८ में अपनी स्वाधीनता पुनः हसिल की मगर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय फ़िर से पराधीन होकर नाजी जर्मनी और सोवियत संघ के अधीन चला गया। द्वितीय विश्वयुद्ध में पोलैंड ने अपने साठ लाख नागरिकों को खो दिया। कई साल बाद पोलैंड रूस से प्रभावित एक साम्यवादी गणराज्य के रूप में ईस्टर्न ब्लॉक में उभरा। १९८९ में साम्यवादी शासन का पतन हुआ और पोलैंड एक नये राष्ट्र के रूप में उभरा जिसे सांविधानिक तौर पे "तृतीय पोलिश गणतंत्र" कहा जाता है। पोलैंड एक स्वयंशासित स्वतंत्र राष्ट्र है जो कि सोलह अलग-अलग वोइवोदेशिप या राज्यों (पोलिश: वोयेवुद्ज़त्वो) को मिलाकर गठित हुआ है। पोलैंड यूरोपीय संघ, नाटो एवं ओ.ई.सि.डी का सदस्य राष्ट्र है। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और पोलैंड · और देखें »

फ़्रान्सीसी क्रान्ति

बेसिल दिवस: १४ जुलाई १७८९ फ्रांसीसी क्रांति (फ्रेंच: Révolution française / रेवोलुस्योँ फ़्राँसेज़; 1789-1799) फ्रांस के इतिहास की राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल एवं आमूल परिवर्तन की अवधि थी जो 1789 से 1799 तक चली। बाद में, नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांसीसी साम्राज्य के विस्तार द्वारा कुछ अंश तक इस क्रांति को आगे बढ़ाया। क्रांति के फलस्वरूप राजा को गद्दी से हटा दिया गया, एक गणतंत्र की स्थापना हुई, खूनी संघर्षों का दौर चला, और अन्ततः नेपोलियन की तानाशाही स्थापित हुई जिससे इस क्रांति के अनेकों मूल्यों का पश्चिमी यूरोप में तथा उसके बाहर प्रसार हुआ। इस क्रान्ति ने आधुनिक इतिहास की दिशा बदल दी। इससे विश्व भर में निरपेक्ष राजतन्त्र का ह्रास होना शुरू हुआ, नये गणतन्त्र एव्ं उदार प्रजातन्त्र बने। आधुनिक युग में जिन महापरिवर्तनों ने पाश्चात्य सभ्यता को हिला दिया उसमें फ्रांस की राज्यक्रांति सर्वाधिक नाटकीय और जटिल साबित हुई। इस क्रांति ने केवल फ्रांस को ही नहीं अपितु समस्त यूरोप के जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। फ्रांसीसी क्रांति को पूरे विश्व के इतिहास में मील का पत्थर कहा जाता है। इस क्रान्ति ने अन्य यूरोपीय देशों में भी स्वतन्त्रता की ललक कायम की और अन्य देश भी राजशाही से मुक्ति के लिए संघर्ष करने लगे। इसने यूरोपीय राष्ट्रों सहित एशियाई देशों में राजशाही और निरंकुशता के खिलाफ वातावरण तैयार किया। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और फ़्रान्सीसी क्रान्ति · और देखें »

बर्लिन कांग्रेस

बर्लिन कांग्रेस बर्लिन कांग्रेस (13 जून – 13 जुलाई 1878) बर्लिन में सम्पन्न एक सम्मेलन था जिसमें उस समय की महाशक्तियाँ (रूस, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रिया-हंगरी, इटली तथा जर्मनी), चार बाल्कन राज्य (ग्रीस, सर्बिया, रोमानिया, मान्टीनिग्रो) और उस्मानी साम्राज्य ने भाग लिया था। इसका उद्देश्य १८७७-७८ के रूस-तुर्की युद्ध के बाद बाल्कन प्रायद्वीप के राज्यों की सीमायें तय करना था। इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप बर्लिन की संधि पर हस्ताक्षर हुए जिसने रूस और उस्मानी साम्राज्य में मात्र तीन माह पूर्व सम्पन्न सान स्टिफानों की संधि का स्थान ग्रहण किया। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और बर्लिन कांग्रेस · और देखें »

बुल्गारिया

बुल्गारिया दक्षिण-पूर्व यूरोप में स्थित देश है, जिसकी राजधानी सोफ़िया है। देश की सीमाएं उत्तर में रोमानिया से, पश्चिम में सर्बिया और मेसेडोनिया से, दक्षिण में ग्रीस और तुर्की से मिलती हैं। पूर्व में देश की सीमाएं काला सागर निर्धारित करती है। कला और तकनीक के अलावा राजनैतिक दृष्टि से भी बुल्गारिया का वजूद पाँचवीं सदी से नजर आने लगता है। पहले बुल्गारियन साम्राज्य (632/681 - 1018) ने न केवल बाल्कन क्षेत्र बल्कि पूरे पूर्वी यूरोप को अनेक तरह से प्रभावित किया। बुल्गारियन साम्राज्य के पतन के बाद इसे ओटोमन शासन के अधीन कर दिया। 1877-78 में हुए रुस-तुर्की युद्ध ने बुल्गारिया राज्य को पुन: स्थापित करने में मदद की। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बुल्गारिया साम्यवादी राज्य और पूर्वी ब्लाक का हिस्सा बन गया। 1989 में क्रांति के बाद 1990 में साम्यवादियों का सत्ता से एकाधिकार समाप्त हो गया और देश संसदीय गणराज्य के रूप में आगे बढ़ने लगा। यह देश 2004 से नाटो का और 2007 से यूरोपियन यूनियन का सदस्य है। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और बुल्गारिया · और देखें »

बेल्जियम का ध्वज

बेल्जियम का ध्वज बेल्जियम का राष्ट्रीय ध्वज है। श्रेणी:बेल्जियम श्रेणी:ध्वज.

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और बेल्जियम का ध्वज · और देखें »

यूनान

यूनान यूरोप महाद्वीप में स्थित देश है। यहां के लोगों को यूनानी अथवा यवन कहते हैं। अंग्रेजी तथा अन्य पश्चिमी भाषाओं में इन्हें ग्रीक कहा जाता है। यह भूमध्य सागर के उत्तर पूर्व में स्थित द्वीपों का समूह है। प्राचीन यूनानी लोग इस द्वीप से अन्य कई क्षेत्रों में गए जहाँ वे आज भी अल्पसंख्यक के रूप में मौज़ूद है, जैसे - तुर्की, मिस्र, पश्चिमी यूरोप इत्यादि। यूनानी भाषा ने आधुनिक अंग्रेज़ी तथा अन्य यूरोपीय भाषाओं को कई शब्द दिये हैं। तकनीकी क्षेत्रों में इनकी श्रेष्ठता के कारण तकनीकी क्षेत्र के कई यूरोपीय शब्द ग्रीक भाषा के मूलों से बने हैं। इसके कारण ये अन्य भाषाओं में भी आ गए हैं।ग्रीस की महिलाएं देह व्यापार के धंधे में सबसे आगे है.

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और यूनान · और देखें »

यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और यूरोप · और देखें »

राष्ट्रवाद

राष्ट्रवाद एक जटिल, बहुआयामी अवधारणा है, जिसमें अपने राष्ट्र से एक साझी साम्प्रदायिक पहचान समावेशित है। यह एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में अभिव्यक्त होता है, जो किसी समूह के लिए ऐतिहासिक महत्व वाले किसी क्षेत्र पर साम्प्रदायिक स्वायत्तता, और कभी-कभी सम्प्रभुता हासिल करने और बनाए रखने की ओर उन्मुख हैं। इसके अतिरिक्त, साझी विशेषताओं, जिनमें आम तौर पर संस्कृति, भाषा, धर्म, राजनीतिक लक्ष्य और/अथवा आम पितरावली में एक आस्था सम्मिलित हैं, पर आधारित एक आम साम्प्रदायिक पहचान के विकास और रखरखाव की ओर, यह और उन्मुख हैं। एक व्यक्ति की राष्ट्र के भीतर सदस्यता, और सम्बन्धित राष्ट्रवाद का उसका समर्थन, उसके सहगामी राष्ट्रीय पहचान द्वारा चित्रित होता हैं। किसी राजनीतिक या समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, राष्ट्रवाद के उद्गमों और आधारों को समझने के लिए लगभग तीन मुख्य रूपावलियाँ हैं। पहली, जो वैकल्पिक रूप से आदिमवाद या स्थायित्ववाद जानी जाती हैं, एक दृष्टिकोण है जो राष्ट्रवाद को एक प्राकृतिक दृग्विषय के रूप में वर्णित करता है। इस मत की यह धारणा है कि यद्यपि राष्ट्रत्व अवधारणा का औपचारिक ग्रंथन आधुनिक हो, पर राष्ट्र हमेशा से अस्तित्व में रहें हैं। दूसरी रूपावली संजातिप्रतीकवाद की है जो एक जटिल दृष्टिकोण हैं जो, राष्ट्रवाद को पूरे इतिहास में एक गत्यात्मक, उत्क्रन्तिकारी दृग्विषय के रूप में प्रसंगीकृत करके, और एक सामूहिक राष्ट्र के, ऐतिहासिक अर्थ से ओतप्रोत राष्ट्रीय प्रतीकों से, व्यक्तिपरक सम्बन्धों के एक परिणाम के रूप में राष्ट्रवाद की ताक़त का आगे परिक्षण करके, राष्ट्रवाद को समझाने का प्रयास करता हैं। तीसरी, और सबसे हावी रूपावली हैं आधुनिकतावाद, जो राष्ट्रवाद को एक हाल के दृग्विषय के रूप में वर्णित करती हैं, जिसे अस्तित्व के लिए आधुनिक समाज की संरचनात्मक परिस्थितियों की आवश्यकता होती हैं। क्या गठित करता हैं एक राष्ट्र को, इसके लिए कई परिभाषाएँ हैं, हालाँकि, जो राष्ट्रवाद की अनेक विभिन्न किस्मों की ओर ले जाती हैं। यह वह आस्था हो सकती हैं कि एक राज्य में नागरिकता किसी एक संजातीय, सांस्कृतिक, धार्मिक या पहचान समूह तक सीमित होनी चाहिएँ, या वह हो सकती हैं कि किसी अकेले राज्य में बहुराष्ट्रीयता में आवश्यक रूप से अल्पसंख्यकों द्वारा भी राष्ट्रीय पहचान को अभिव्यक्त करने और प्रयोग करने का अधिकार सम्मिलित होना चाहिएँ। The adoption of national identity in terms of historical development has commonly been the result of a response by influential groups unsatisfied with traditional identities due to inconsistency between their defined social order and the experience of that social order by its members, resulting in a situation of anomie that nationalists seek to resolve.

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और राष्ट्रवाद · और देखें »

राष्ट्रवाद का इतिहास

राष्ट्रवाद और आधुनिक राज्य के इतिहास के बीच एक संरचनागत संबंध है। सोलहवीं और सत्रहवीं सदी के आस-पास यूरोप में आधुनिक राज्य का उदय हुआ जिसने राष्ट्रवाद के उभार में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। राज्य का यह रूप अपने पहले के रूपों से भिन्न था। इसकी सत्ता केंद्रीकृत, सम्प्रभु और अविभाजित थी। इसके विपरीत मध्ययुगीन यूरोप में राजसत्ता किसी एक सम्प्रभु शासक या सरकार के पास रहने के बजाय बँटी हुई थी। आधुनिक राज्य ने सत्ता का यह बँटवारा ख़त्म कर दिया जिसके आधार पर राष्ट्रवाद का विचार पनप सका। राष्ट्रवाद के सिद्धांत को समझने के लिए उस घटनाक्रम को समझना आवश्यक है जिसने आधुनिक राजसत्ता के जन्म के हालात बनाये। मध्य युग में सम्राटों और राजवंशों का अस्तित्व था, पर उन्हें क्षैतिज रूप से चर्च के साथ और स्तम्भीय रूप से सामंतों और सूबेदारों के साथ सत्ता में साझेदारी करनी पड़ती थी। चर्च इतना ताकतवर था कि वह हुक्मरानों जितना और कभी-कभी उनसे भी ज़्यादा ताकतवर हुआ करता था। चौथी सदी में रोमन सम्राट कॉन्स्टेटाइन द्वारा ईसाई धर्म अपना लेने के बाद से चर्च की शक्ति में लगातार बढ़ोतरी होती चली गयी थी।  राजकीय धर्म हो जाने के कारण ईसाइयत का प्रसार न केवल यूरोप के कोने-कोने में हो गया, बल्कि पूर्व में तुर्की और रूस तक फैलता चला गया। छठीं सदी तक यूरोप में जगह-जगह कैथॅलिक चर्च और हुक्मरानों के बीच परस्परव्यापी सत्ता की संरचनाएँ विकसित हो गयीं। राजाओं का दावा यह था कि वे दैवी आदेश से हुकूमत कर रहे हैं और दूसरी तरफ़ चर्च ग़ैर-धार्मिक अर्थों में एक हद तक राजनीतिक बागडोर अपने हाथ में रखता था। चर्च के पास प्रजा पर टैक्स लगाने तक के अधिकार थे। चर्च और राजा के बीच का यह असहज संबंध एक सर्वशक्तिमान किस्म की राजसत्ता के उदय में बाधक था। दूसरी तरफ़ सम्राट को श्रेणीक्रम के आधार पर संचालित प्रणाली के आधार पर ताकतवर कुलीनों और सामंतों के साथ भी सत्ता में साझेदारी करनी पड़ती थी। राजनीतिक और आर्थिक स्तरों पर काम करने वाली यह जटिल प्रणाली जनसाधारण और मालिक वर्ग को लार्ड्स और भू-दासों में बाँट देती थी। स्थानीय स्तर पर लार्ड अपने जागीरदार पर और जागीरदार अपने अधीनस्थ जागीरदार पर हुक्म चलाता था। दरअसल, यूरोप की तत्कालीन परिस्थितियाँ कई कारणों से एक निश्चित भू-क्षेत्र और आबादी के दायरे में केंद्रीकृत राजनीतिक समुदाय बनने से रोकती थीं। परिवहन और संचार के नेटवर्कों का अभाव भी एक वजह थी जिसके कारण सत्ता में हिस्सेदारी करना एक मजबूरी थी। लगातार युद्धों, जीत-हार और अलग राज्य बना लेने की प्रवृत्तियों के कारण हुकूमतों की सीमाएँ लगातार बनती-बिगड़ती रहती थीं। शाही ख़ानदानों के बीच होने वाली शादियों में पूरे-पूरे के भू-क्षेत्र दहेज़ और तोहफ़ों के तौर पर दे दिये जाते थे जिससे एक इलाके की जनता रातों-रात दूसरे राज्य की प्रजा बन जाती थी। लेकिन इस राजनीतिक परिवर्तन से जनता के रोज़मर्रा के जीवन पर कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ता था। लोगों की एक इलाके से दूसरे में आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं थी। कोई कहीं भी जा कर काम शुरू कर सकता  था, कहीं भी विवाह कर सकता था। राजनीति, प्रशासन, कानून और संस्कृति इसी तरह से विकेंद्रीकृत ढंग से चलते रहते थे। पूरा यूरोप बोलचाल, रीति-रिवाज और आचार-व्यवहार में बेहद विविधतापूर्ण था। संस्कृति में कोई समरूपता नहीं थी। इस विकेंद्रीकृत स्थिति में परिवर्तन की शुरुआत इंग्लैण्ड में ट्यूडर और फ़्रांस में बोरबन राजवंशों के सुदृढ़ीकरण से हुई। इन दोनों वंशों ने तिजारती पूँजीपतियों की मदद से अपनी सत्ता मज़बूत की। व्यापार से कमायी गयी धन-दौलत के बदौलत ये राजवंश आमदनी के लिए अपने जागीरदारों पर उतने निर्भर नहीं रह गये।  धीरे-धीरे सामंती गवर्नरों से उनकी सत्ता छिनने लगी। सामंतों की जगह तिजारती पूँजीपति आ गये। दूसरी तरफ़ पंद्रहवीं सदी के दौरान चर्च में हुए धार्मिक सुधारों ने कैथॅलिक चर्च की ताकत को काफ़ी हद तक घटा दिया। इन दोनों परिवर्तनों ने सम्राटों को पूरे क्षेत्र पर सम्पूर्ण और प्रत्यक्ष शासन करने का मौका प्रदान किया। भू-क्षेत्रीय सीमाओं का अनुपालन होने लगा। धर्म, शिक्षा और भाषा के मामले में जनसाधारण को मानकीकरण के दौर से गुज़रना पड़ा। नागरिकों के आवास और यात्रा पर भी नियम-कानून आरोपित किये जाने लगे। स्थाई शाही सेनाओं की भरती और रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। परिवहन, संचार और शासन की प्रौद्योगिकियों का विकास हुआ जिनके कारण नरेशों और सम्राटों को अपने राजनीतिक लक्ष्य प्रभावी ढंग से वेधने में आसानी होने लगी। इस घटनाक्रम के दूरगामी प्रभाव पड़े। एक सर्वसत्तावादी राज्य का उदय हुआ जो सम्प्रभुता, केंद्रीकृत शासन और स्थिर भू-क्षेत्रीय सीमाओं के लक्षणों से सम्पन्न था। आज के आधुनिक राज्य में भी यही ख़ूबियाँ हैं।  फ़र्क यह है कि तत्कालीन राज्य पर ऐसे राजा का शासन था जो घमण्ड से कह सकता था कि मैं ही राज्य हूँ। लेकिन, इसी सर्वसत्तावादी चरित्र के भीतर सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय समरूपता वाले ‘राष्ट्र’ की स्थापना की परिस्थितियाँ मौजूद थीं। सामंती वर्ग को प्रतिस्थापित करने वाला वणिक बूर्ज़्वा (जो बाद में औद्योगिक बूर्ज़्वा में बदल गया) राजाओं का अहम राजनीतिक सहयोगी बन चुका था। एक आत्मगत अनुभूति के तौर पर राष्ट्रवाद का दर्शन इसी वर्ग के अभिजनों के बीच पनपना शुरू हुआ। जल्दी ही ये अभिजन अधिक राजनीतिक अधिकारों और प्रतिनिधित्व के लिए बेचैन होने लगे। पूरे पश्चिमी यूरोप में विधानसभाओं और संसदों में इनका बोलबाला स्थापित होने लगा। इसका नतीजा यूरोपीय आधुनिकता की शुरुआत में राजशाही और संसद के बीच टकराव की घटनाओं में निकला। 1688 में इंग्लैण्ड में हुई ग्लोरियस रेवोल्यूशन इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। इस द्वंद्व में पूँजीपति वर्ग के लिए लैटिन भाषा का शब्द ‘नेशियो’ महत्त्वपूर्ण बन गया। इसका मतलब था जन्म या उद्गम या मूल। इसी से ‘नेशन’ बना। अट्ठारहवीं सदी में जब सामंतवाद चारों तरफ़ पतनोन्मुख था और यूरोप औद्योगिक क्रांति के दौर से गुज़र रहा था, पूँजीपति वर्ग के विभिन्न हिस्से राष्ट्रवाद की विचारधारा के तले एकताबद्ध हुए। उन्होंने ख़ुद को एक समरूप और घनिष्ठ एकता में बँधे राजनीतिक समुदाय के प्रतिनिधियों के तौर पर देखा। नेशन की इस भावना पर प्राचीनता आरोपित करने का कार्यभार जर्मन रोमानी राष्ट्रवाद के हाथों पूरा हुआ। ख़ुद को नेशन कह कर यह वर्ग आधुनिक राज्य से राजनीतिक सौदेबाज़ी कर सकता था। दूसरी तरफ़ इस वर्ग से बाहर का साधारण जनता ने राष्ट्रवाद के विचार का इस्तेमाल राजसत्ता के आततायी चरित्र के ख़िलाफ़ ख़ुद को एकजुट करने में किया। जनता को ऐसा इसलिए करना पड़ा कि पूँजीपति वर्ग के समर्थन से वंचित होती जा रही राजशाहियाँ अधिकाधिक निरंकुश और अत्याचारी होने लगी थीं। जनता बार-बार मजबूरन सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर थी जिसका नतीजा फ़्रांसीसी क्रांति जैसी युगप्रवर्तक घटनाओं में निकला। कहना न होगा कि हुक्मरानों के ख़िलाफ़ जन-विद्रोहों का इतिहास बहुत पुराना था, पर अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के यूरोप में यह गोलबंदी राष्ट्रवाद के झण्डे तले हो रही थी।  इनका नेतृत्व अभिजनों के हाथ में रहता था और लोकप्रिय तत्त्व घटनाक्रम में ज्वार- भाटे का काम करते थे। किसी भी स्थानीय विद्रोह का लाभ उठा कर पूँजीपति वर्ग  राजशाही के ख़िलाफ़ सम्पूर्ण राष्ट्रवादी आंदोलन की शुरुआत कर देता था। यह इतिहास बताता है कि प्राक्-आधुनिक यूरोपीय राज्य की विकेंद्रीकृत सत्ता किस प्रकार सर्वसत्तावादी राज्य में बदली। फिर वह राज्य धीरे-धीरे राष्ट्रवादी आंदोलनों के दबाव में सीमित किस्म के संवैधानिक राज्य में विकसित हुआ। उन्नीसवीं सदी के आख़िर तक राष्ट्रवाद पूँजीपति वर्ग के लिए और साथ में आम जनता के लिए भी राजनीतिक अधिकारों हेतु गोलबंदी का बहुत बड़ा कारक बन गया।  यह मानना ग़लत होगा कि राष्ट्रवाद का विचार पूरे यूरोप में एक ही तरह से फैला। फ़्रांस में इसकी अभिव्यक्ति हिंसक जन-भागीदारी से हुई, जबकि इंग्लैण्ड में इसने स्वयं को अपेक्षाकृत शांतिपूर्वक संसदीय ढंग से व्यक्त किया। जो साम्राज्य बहुजातीय और बहुभाषी थे, वे पहले बहुराष्ट्रीय राज्य बने और बाद में कई हिस्सों में टूट गये। लेकिन, दूसरी तरफ़ राष्ट्रवाद ने कुछ बहुभाषी और बहुजातीय राज्यों को एकजुट रखने का तर्क  भी प्रदान किया। राष्ट्रवादी विचार जैसे-जैसे यूरोपीय ज़मीन से आगे बढ़ कर एशिया, अफ़्रीका और लातीनी अमेरिकी में पहुँचा, उसकी यूरोप से भिन्न किस्में विकसित होने लगीं। इन क्षेत्रों में उपनिवेशवाद विरोधी मुक्ति संघर्षों को राष्ट्रवादी भावनाओं ने जीत के मुकाम तक पहुँचाया। परिणामस्वरूप अ-उपनिवेशीकरण और राष्ट्रवाद का अनूठा संश्रय बना। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और राष्ट्रवाद का इतिहास · और देखें »

रोमानिया

रोमानिया (प्राचीन: Rumania (रूमानिया), Roumania (रौमानिया);România) काले सागर की सीमा पर, कर्पेथियन चाप के बाहर और इसके भीतर, निचले डेन्यूब पर, बाल्कन प्रायद्वीप के उत्तर में, दक्षिणपूर्वी और मध्य यूरोप में स्थित एक देश है.

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और रोमानिया · और देखें »

सर्बिया

सर्बिया का झंडा सर्बिया (सर्बियाई: या) एक देश है। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और सर्बिया · और देखें »

स्विट्ज़रलैण्ड

स्विट्जरलैंड (जर्मन: (die) Schweiz (डी) श्वाइत्स, फ़्रांसिसी: (la) Suisse (ला) सुईस, लातिनी: Helvetia हेल्वेतिया) मध्य यूरोप का एक देश है। इसकी 60 % सरज़मीन ऐल्प्स पहाड़ों से ढकी हुई है, सो इस देश में बहुत ही ख़ूबसूरत पर्वत, गाँव, सरोवर (झील) और चारागाह हैं। स्विस लोगों का जीवनस्तर दुनिया में सबसे ऊँचे जीवनस्तरों में से एक है। स्विस घड़ियाँ, चीज़, चॉकलेट, बहुत मशहूर हैं। इस देश की तीन राजभाषाएँ हैं: जर्मन (उत्तरी और मध्य भाग की मुख्य भाषा), फ़्रांसिसी (पश्चिमी भाग) और इतालवी (दक्षिणी भाग) और एक सह-राजभाषा है: रोमांश (पूर्वी भाग)। इसके प्रान्त कैण्टन कहे जाते हैं। स्विट्स़रलैण्ड एक लोकतन्त्र है जहाँ आज भी प्रत्यक्ष लोकतन्त्र देखने को मिल सकता है। यहाँ कई बॉलीवुड फ़िल्म के गानों की शूटिंग होती है। लगभग 20 % स्विस लोग विदेशी मूल के हैं। इसके मुख्य शहर और पर्यटक स्थल हैं: ज़्यूरिख, जनीवा, बर्न (राजधानी), बासल, इंटरलाकेन, लोज़ान, लूत्सर्न, इत्यादि। यहाँ एक तरफ बर्फ के सुंदर ग्लेशियर हैं। ये ग्लेशियर साल में आठ महीने बर्फ की सुंदर चादर से ठके रहते हैं। तो वहीँ दूसरी तरफ सुंदर वादियाँ हैं जो सुंदर फूलों और रंगीन पत्तियों वाले पेड़ों से ढकीं रहती हैं। भारतीय निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्मों में इस खूबसूरत देश के कई नयनाभिराम दृश्य देखने को मिलते हैं। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और स्विट्ज़रलैण्ड · और देखें »

हंगरी

हंगरी (हंगेरियाई: Magyarország), आधिकारिक तौर पर हंगरी गणराज्य (हंगेरियाई: Magyar Köztársaság, शाब्दिक अर्थ "हंगरी गणराज्य"), मध्य यूरोप के पैनोनियन बेसिन में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है। इसके उत्तर में स्लोवाकिया, पूर्व में यूक्रेन और रोमानिया, दक्षिण में सर्बिया और क्रोएशिया, दक्षिण पश्चिम में स्लोवेनिया और पश्चिम में ऑस्ट्रिया स्थित है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर बुडापेस्ट है। हंगरी, यूरोपीय संघ, नाटो, ओईसीडी और विसेग्राद समूह का सदस्य है और एक शेंगन राष्ट्र है। इसकी आधिकारिक भाषा हंगेरियाई है, जो फिन्नो-उग्रिक भाषा परिवार का हिस्सा है और यूरोप में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली गैर भारोपीय भाषा है। हंगरी दुनिया के तीस सबसे अधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है और प्रति वर्ष लगभग 8.6 लाख पर्यटकों (2007 के आँकड़े) को आकर्षित करता है। देश में विश्व की सबसे बड़ी गर्म जल की गुफा प्रणाली स्थित है और गर्म जल की सबसे बड़ी झीलों में से एक हेविज़ झील यहीं पर स्थित है। इसके साथ मध्य यूरोप की सबसे बड़ी झील बलातोन झील भी यहीं पर है और यूरोप के सबसे बड़े प्राकृतिक घास के मैदान होर्टोबैगी भी हंगरी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। हंगरी की सरकार एक संसदीय गणतंत्र है, जिसे 1989 में स्थापित किया गया था। हंगरी की अर्थव्यवस्था एक उच्च-आय अर्थव्यवस्था है और कुछ क्षेत्रों में यह एक क्षेत्रीय अगुआ है। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और हंगरी · और देखें »

जर्मनी

कोई विवरण नहीं।

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और जर्मनी · और देखें »

जर्मनी का एकीकरण

एकीकृत जर्मनी (१८७१ में) १८ जनवरी १८७१ को वर्सेली के 'हॉल ऑफ मिरर्स' में जर्मन साम्राज्य की स्थापना मध्य यूरोप के स्वतंत्र राज्यों (प्रशा, बवेरिआ, सैक्सोनी आदि) को आपस में मिलाकर १८७१ में एक राष्ट्र-राज्य व जर्मन साम्राज्य का निर्माण किया गया। इसी ऐतिहासिक प्रक्रिया का नाम जर्मनी का एकीकरण है। इसके पहले यह भूभाग (जर्मनी) ३९ राज्यों में बंटा हुआ था। इसमें से ऑस्ट्रियाई साम्राज्य तथा प्रशा राजतंत्र अपने आर्थिक तथा राजनीतिक महत्व के लिये प्रसिद्ध थे। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और जर्मनी का एकीकरण · और देखें »

विधि का इतिहास

विधिक इतिहास (या, विधि का इतिहास) के अन्तर्गत विधि की उत्पत्ति, उसके क्रमिक-विकास एवं उसमें कालक्रम में आये परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। विधिक इतिहास का सभ्यताओं के विकास से निकट का सम्बन्ध रहा है। यह सामाजिक इतिहास का भाग है। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और विधि का इतिहास · और देखें »

वियना कांग्रेस

वियना कांग्रेस (Jean-Baptiste Isabey द्वारा निर्मित चित्र, 1819) वियना की कांग्रेस (Viena Congress) यूरोपीय देशों के राजदूतों का एक सम्मेलन था, जो सितंबर 1814 से जून 1815 को वियना में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता ऑस्ट्रियाई राजनेता मेटरनिख ने की। कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य फ्रांसीसी क्रांतिकारी युद्ध, नेपोलियन युद्ध और पवित्र रोमन साम्राज्य के विघटन से उत्पन्न होने वाले कई मुद्दों एवं समस्याओं को हल करने का था। नैपोलियन को वाटरलू की पराजय के पश्चात् सेंट हेलेना द्वीप निर्वासित कर दिया गया, तत्पश्चात् आस्ट्रिया की राजधानी वियना में यूरोप की विजयी शक्तियां 1815 में एकत्रित हुई। उद्देश्य था, यूरोप के उस मानचित्र को पुनर्व्यवस्थित करना जिसे नेपोलियन ने अपने युद्ध और विजयों से उलट-पटल दिया था। वस्तुतः आस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिख ने नेपोलियन के विरूद्ध मोर्चा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसीलिए उसकी पहल पर आस्ट्रिया की राजधानी वियना में कांगे्रस बुलाई गई थी। इस सम्मेलन में यूरोप के कई छोटे-छोटे देश शामिल हुए किन्तु नीति निर्माण के संबंध में चार मुख्य देशों के प्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही। ये नेता थे- आस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिक, रूस का जार एलेक्जेंडर, इंग्लैंड का विदेश मंत्री लॉर्ड कैसलरे तथा फ्रांसीसी विदेश मंत्री तैलरा। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और वियना कांग्रेस · और देखें »

आयरलैण्ड

आयरलैण्ड (Éire एक द्वीप है उत्तर पश्चिम यूरोप में। यूरोप का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है और दुनिया में बीसवां सबसे बड़ा द्वीप है। पुर्व में संजयुक्त राजशाही है। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और आयरलैण्ड · और देखें »

इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और इटली · और देखें »

इतालवी एकीकरण

इतालवी एकीकरण को दर्शाता हुआ नक़्शा, जिसमें विभिन्न राज्यों के संगठित इतालवी साम्राज्य में सम्मिलित होने के वर्ष दिए गए हैं इतालवी एकीकरण, जिसे इतालवी भाषा में इल रिसोरजिमेंतो (Il Risorgimento, अर्थ: पुनरुत्थान) कहते हैं, १९वीं सदी में इटली में एक राजनैतिक और सामाजिक अभियान था जिसने इतालवी प्रायद्वीप के विभिन्न राज्यों को संगठित करके एक इतालवी राष्ट्र बना दिया। इस अभियान की शुरुआत और अंत की तिथियों पर इतिहासकारों में विवाद है लेकिन अधिकतर के मत में यह सन् १८१५ में इटली पर नेपोलियन बोनापार्ट के राज के अंत पर होने वाले वियना सम्मलेन के साथ आरम्भ हुआ और १८७० में राजा वित्तोरियो इमानुएले की सेनाओं द्वारा रोम पर क़ब्ज़ा होने तक चला।, Jeffrey Thompson Schnapp, Olivia E. Sears, Maria G. Stampino, pp.

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और इतालवी एकीकरण · और देखें »

अल्बानिया

अल्बानिया गणराज्य (अल्बानियाई: Republika e Shqipërisë) उत्तरपूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है। इसकी भूसीमाएं उत्तर में कोसोवो, उत्तरपश्चिम में मोन्टेनेग्रो, पूर्व में भूतपूर्व यूगोस्लाविया और दक्षिण में यूनान से मिलती हैं। तटीय सीमाएं दक्षिण पश्चिम में आड्रियाटिक सागर और आयोनियन सागर से मिलती हैं। अल्बानिया एक संसदीय लोकतंत्र और अवस्थांतर अर्थव्यवस्था है। अल्बानिया की राजधानी, तिराना, लगभग ८,९५,००० निवासियों वाला नगर है जो देश की ३६ लाख की जनसंख्या का चौथाई भाग है और यह नगर अल्बानिया का वित्तीय केन्द्र भी है। मुक्त बाजार सुधारों के कारण विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यस्था खोल दी गई है मुख्यतः ऊर्जा के विकास और परिवहन आधारभूत ढांचे में। अल्बानिया संयुक्त राष्ट्र, नाटो, यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन, यूरोपीय परिषद, विश्व व्यापार संगठन, इस्लामिक सम्मेलन संगठन इत्यादि का सदस्य है और भूमध्य क्षेत्र संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक था। अल्बानिया जनवरी २००३ से यूरोपीय संघ में विलय के लिए एक संभावित प्रत्याशी रहा है और इसने औपचारिक रूप से २८ अप्रैल, २००९ को यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिए आवेदन किया। .

नई!!: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय और अल्बानिया · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »