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यूनियन कार्बाइड

सूची यूनियन कार्बाइड

यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूनियन कार्बाइड) संयुक्त राज्य अमेरिका की रसायन और बहुलक बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और वर्तमान में कम्पनी में 3,800 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। 1984 में कम्पनी के भारत के राज्य मध्य प्रदेश के शहर भोपाल स्थित संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस के रिसाव को अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है, जिसने कम्पनी को इसकी अब तक की सबसे बड़ी बदनामी दी है। यूनियन कार्बाइड को इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार पाया गया, लेकिन कम्पनी ने इस त्रासदी के लिए खुद को जिम्मेदार मानने से साफ इंकार कर दिया जिसके परिणामस्वरूप लगभग 15000 लोगों की मृत्यु हो गयी और लगभग 500000 व्यक्ति इससे प्रभावित हुए। 6 फ़रवरी 2001 को यूनियन कार्बाइड, डाउ केमिकल कंपनी की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गयी। इसी वर्ष कम्पनी के गैस पीड़ितों के साथ हुए एक समझौते और भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के शुरुआत के साथ भारत में इसका अध्याय समाप्त हो गया। यूनियन कार्बाइड अपने उत्पादों का अधिकांश डाउ केमिकल को बेचती है। यह डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज का एक पूर्व घटक भी है। सन 1920 में, इसके शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक गैस द्रवों जैसे कि इथेन और प्रोपेन से इथिलीन बनाने की एक किफायती विधि विकसित की जिसने आधुनिक पेट्रोरसायन उद्योग को जन्म दिया। आज, यूनियन कार्बाइड के पास इस उद्योग से जुड़ी सबसे उन्नत प्रक्रियायें और उत्प्रेरक प्रौद्योगिकियां हैं और यह विश्व की कुछ सबसे किफायती और बड़े पैमाने की उत्पादन सुविधाओं का प्रचालन करती है। विनिवेश से पहले विभिन्न उत्पाद जैसे कि एवरेडी और एनर्जाइज़र बैटरीज़, ग्लैड बैग्स एंड रैप्स, सिमोनिज़ कार वैक्स और प्रेस्टोन एंटीफ्रीज़ आदि कम्पनी के स्वामित्व के आधीन थे। डाउ केमिकल कंपनी द्वारा कम्पनी के अधिगहण से पहले इसके इलेक्ट्रॉनिक रसायन, पॉलीयूरेथेन इंटरमीडिएट औद्योगिक गैसों और कार्बन उत्पादों जैसे व्यवसायों का विनिवेश किया गया। .

26 संबंधों: टेक्सस, एथिलीन, दुर्घटना, परियोजना, प्रोपेन, पॉलीमर, भारत, भोपाल, मध्य प्रदेश, मिथाइल आइसोसाइनेट, रसायन, सिलिका, संयुक्त राज्य, सुरंग, ह्युस्टन, विद्युत कोष, विनिर्माण, वेस्ट वर्जीनिया, खनन, खनिज, खनिक, इथेन, इस्पात, उद्योग, उपक्रम, १९८४

टेक्सस

thumbnail टेक्सास (Texas) संयुक्त राज्य अमेरिका का एक दक्षिणी प्रान्त है। स्थिति: 31 डिग्री 40 मिनट उ. अ. तथा 98 डिग्री 30 मिनट पं॰ दे.। यह संयुक्त राज्य अमरीका के दक्षिणी मध्य राज्यों में से एक राज्य है। इसके पूर्व में लुइज़िऐना (Louisiana) और आरकैनसस (Arkansas), पश्चिम में न्यूमेक्सिको, उत्तर में आरकैनसस तथा ओक्लाहोमा (Oklahoma) तथा दक्षिण में मेक्सिको एवं मेक्सिको की खाड़ी स्थित है। इस राज्य का क्षेत्रफल 2,67,339 वर्ग मील है जिसमें से 3,695 वर्ग मील क्षेत्र जल से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी ऑस्टिन (Austin) है। टक्सैस की ढाल गल्फ कोस्ट से उत्तर, उत्तर-पश्चिम और पश्चिम की ओर है। सुदूर उत्तर-पश्चिम तथा पश्चिम में इसकी ऊँचाई 4,000 फुट है। सुदूर पश्चिम में रॉकी पर्वतमाला की पूर्वी शाखा इसे पार करती है, जिसकी मुख्य चोटियाँ ग्वॉडलूप (Guadalupe) 8,715 फुट, लिवरमूर (Livermore) 8,382 फुट तथा ऐमॉरी (Emory) 7,835 फुट ऊँची हैं। यहाँ की मुख्य नदियाँ रीओग्रैंड, न्यूएसेस, सैन ऐनटोनिओ, ग्वॉडलूप, कॉलोरॉडो, ब्रैजस, ट्रिनिटी, नेचेज तथा साबीन हैं। टेक्सैस के निम्नलिखित चार प्राकृतिक भाग हैं: 1.

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एथिलीन

एथिलीन (Ethylene; (IUPAC नाम: एथीन/ethene) एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र or H2C.

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दुर्घटना

१) अप्रशिक्षित चालक(untrained driver)- भारत में आये दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण यह भी हैं की यहाँ वास्तव में ही बिना किसी परीक्षा पास किये ही ज्यादातर शहरों,कस्बों और गावों में लोगों को लाइसेंस दे दिया जाता, सच तो यहाँ तक हैं की कभी-कभी जो आर.टी.ओ.(R.T.O.) के दलाल हैं वोह लोगों को कह देते हैं की आपको वहाँ जाना भी नहीं पड़ेगा और हम सब कुछ करवा देंगे आपको लाइसेंस आपके घर पर दे जाएंगे ज्यादातर यह भारत में महिलाओं के साथ हो रहा हैं वैसे पुरुष भी इस मामले में बहुत ज्यादा पीछे नहीं हैं, लेकिन भारत सरकार के ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने लाइसेंस देने की प्रक्रिया को काफी मजबूती दी हुई हैं, विभाग के अनुसार जब तक आप स्वयं जा कर अपना पेपर नहीं देंगे और आपको ट्रायल भी देना पड़ेगा तब तक आपको ड्राविंग लाइसेंस नहीं दिया जाएगा, लेकिन यह सब केवल मंत्रालय के कागजों और कार्यालयों के अंदर ही होता हैं, वास्तव में आर.टी.ओ.(R.T.O.)के ऑफिस में जहाँ पर यह पूरी प्रक्रिया होती हैं वहां पर यह सब काम केवल आर.टी.ओ.(R.T.O.) के सिपाही ही करते हैं वही आपकी परीक्षा देते हैं, वही बाकी की प्रक्रिया करते हैं आप अगर गए हैं तो बुत बनके बैठे रहिये बस, तो यहाँ भी जिम्मेदारी सरकार की ही निकल के आती हैं.. २) शराब -: दुर्घटनाओं का दूसरा सबसे बड़ा कारण शराब पीकर गाडी चलाना, हमारे देश में ज्यादातर ड्राइवर(गाडी चालक) शराब के नशे में गाडी चलाते हैं उसका मुख्य कारण उनकी चौबीस घंटे की ड्यूटी होती हैं, उनका मानना होता हैं की अगर हम नशा कर लेते हैं तो हमें नींद नहीं आएगी जो की बिलकुल गलत होता हैं, नशा करने के बाद उनका शरीर तो जगा हुआ रहता हैं लेकिन नशा करने के बाद ब्यक्ति का दिमाग अपने आप शो जाता हैं और तभी हादशे(हत्या) हो जाती हैं, इसमें भी सरकार ने बहुत अच्छा नियम बना दिया हैं, शराब पीकर या फिर नशे में गाडी चलाने वाले ब्यक्ति को सजा का प्रावधान किया गया हैं लेकिन यह सजा ज्यादातर लोगों को मिलती नहीं हैं क्यू की पकड़ें जाने पर यह पुलिस को कुछ न कुछ ले देकर निकल जाते हैं, तो यहाँ पर लापरवाही सरकार की निकल कर ही आई। ३) क्षमता से अधिक सामान का होना -: भारत में हो रही सड़क दुर्घटनाओं का एक यह भी मुख्य कारण हैं की वाहन के अंदर उसकी क्षमता से दो गुना तीन गुना चार-चार गुना अधिक सामान लाद दिया जाता हैं जिसके कारण उन मालवाहक वाहनों के टायर फट जाते हैं और दुर्घटनाये हो जाती हैं जिससे सामान और ब्यक्ति यानी की जन और धन दोनों का ही नुकशान होता हैं, अब सवाल यह उठता हैं की जब हर किसी को पता हैं तो लोग ऐसा क्यू करते हैं, क्यू मोटर मालिक या फिर ड्राइवर अपनी जान और माल दोनों का नुकशान उठाने के लिए तैयार हो जाते हैं, इसके मुख्य कारण निम्न हैं १) पुलिस- हमारे देश की पुलिस यहाँ पर उत्तरदायी इसलिए हैं क्यू की यह ज्यादातर मामलों रक्षक (हीरो) नहीं बल्कि भक्षक(गुंडों) की तरह काम करती हैं,आप अपनी गाडी को लेकर जिस सड़क जिस शहर से गुजरेंगे हर मोड़, हर टोल नाके या फिर कही भी जहाँ भी पुलिस आपको मिल जायेगी आपको कुछ न कुछ देना ही पड़ेगा नहीं तो बिना मतलब के भी पुलिस आपको कुछ न कुछ देर के लिए परेशान करेगी, इस से बचने के लिए लोग पुलिस को पैसा देते हैं और ओवर लोडिंग में गाडी चलाते हैं उस पैसे की बराबरी करने के लिए, यहाँ भी जिम्मेदार प्रशासन ही हैं ड्राइवर की तनख्वाह का कम होना – पहले ही दिन से जब से मैंने इस ड्राइवरों और मोटर की दुनिया को समझने की कोशिस की हैं तब से मैंने केवल एक बात देखी हैं की मोटर मालिकों को एक बात लगती हैं की ड्राइवर के पास एक्स्ट्रा इनकम होती हैं इसलिए इन्हे तनख्वाह कम दी जाए, मालिक यह सोचकर तनख्वाह कम देते हैं और ड्राइवर इसकी भरपाई के लिए फिर एक्स्ट्रा माल गाड़ी में लोड करवाते हैं जिसे बेचकर वोह अपना पैसा बराबर करते हैं, जिसकी वजह से भी दुर्घटनाओं का जन्म होता हैं। ४) लचीली कानून ब्यवस्था -: हमारे देश का संविधान भले ही लिखित तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा और आदर्श संविधान हैं लेकिन वास्तव में यह बहुत ही लचीला या फिर यूँ कहें तो जर्जर कानून हैं, हमारे यहाँ हर किसी को पता हैं की अगर हमारे पास लाइसेंस हैं और गाडी का बीमा हैं तो किसी को भी ठोक दो भले ही वोह भारत का राष्ट्रपति ही क्यू न हो कोई फर्क नहीं पड़ेगा 7 दिन के अंदर आपको जमानत मिल जाएगी और फिर लड़ते रहो मुकदमा आजीवन और जो बाकी का नुकशान हैं वोह बीमा कंपनी भरेगी ही, तो कही भी ड्राइवर या फिर मोटर मालिक को कोई फर्क ही नहीं पड़ता दुर्घटनाओं से वोह आराम से रहते हैं और अपने प्रतिदिन की ही तरह जीवन चलता हैं उनका फर्क केवल किसी को पड़ता हैं तो उसमें उस पार्टी को जिसे क्षति पहुचती हैं, इसके अलावा इस पूरे मामले में हमारी दूसरी पार्टी भी जिम्मेदार कही न कही होती हैं क्यू की दुर्घटना होने के बाद यह दंड के तौर पर काफी मामलों में पैसा लेकर मामले को रफा-दफा कर देते हैं और बाद में कहते हैं की जिसको जाना था वोह तो चला गया अब और क्या कर सकते हैं कम से कम पैसा मिल रहा हैं यही ठीक हैं और अंततः जिसने गलती की हैं वोह बरी, आज़ाद हो जाता हैं और जिन्दा मौत बन कर सड़क पर फिर से घूमने लगता हैं। ५) खराब सड़कें – हमारे देश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं का एक यह भी अहम कारण हैं की हमारे यहाँ की सड़कें हद से ज्यादा ख़राब हैं, सड़क ख़राब होने से मेरा मतलब केवल सड़क पर गड्ढे होने से नहीं हैं सड़क का डिजाइन भी सड़क ख़राब होने में अहम भूमिका निभाता हैं और सड़क ख़राब होने का मुख्य कारण हैं ठेकेदारी प्रथा, हमारे देश में ज्यादातर सड़कें या फिर यूँ कहे तो हर सड़क सरकार नहीं बल्कि रसूक दार लोग या फिर इस विभाग से जुडी हुई प्राइवेट कंपनिया बनाती हैं, वोह अपना डिजाइन तैयार करके भारत सरकार से अप्रूवल ले लेते हैं या फिर उन्हें डिजाइन मिल जाता हैं और सड़क बनाने का ठेका मिल जाता हैं और फिर उसके बाद वोह अपना काम सुरु कर देते हैं, उनको कोई फर्क नहीं पड़ता की वोह सड़क दस दिन चलेगी या फिर पंद्रह दिन कोई मतलब नहीं होता उनका उनका काम केवल तब तक का होता हैं जब तक की उनको पैसा नहीं मिल जाता, सबसे घटिया सामान प्रयोग किया जाता हैं और सड़क का पैसा पास करवाने के लिए विभाग के मंत्री से लेकर चपरासी तक को ठेकेदार लोग पैसा खिलाते हैं, उसके बाद हम उस सड़क पर चलते हैं तो सड़क तो खराब होगी ही, क्यू की हमारे देश में सड़क लोगों के आवागमन और ब्यापार के लिए नहीं बल्कि पैसा कमाने के लिए बनाई जाती हैं। .

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परियोजना

किसी व्यापार, विज्ञान या इंजीनियरिंग में किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जो विस्तृत कार्य-योजना बनायी और कार्यान्वित की जाती है उसे परियोजना (project) कहते हैं। इसके अन्तर्गत पूरे कार्य को छोटे-छोटे कार्यों के रूप में विभक्त करके उनका समयबद्ध क्रम प्रस्तुत किया जाता है। कौन सा काम कब आरम्भ होगा; कब समाप्त हो जायेगा; कितना धन और अन्य संसाधन लगेगा; समाप्ति पर मिलने वाला परिणाम क्या है; आदि का उल्लेख किया जाता है। परियोजना में कार्य की समयसीमा (डेडलाइन) तय करना जरूरी है। इसके साथ ही हर परियोजना के लिये एक निश्चित राशि (बजट) निर्धारित होता है। .

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प्रोपेन

प्रोपेन प्रोपेन प्रोपेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। प्रोपेन आणविक फार्मूला C3H8, आम तौर पर एक गैस है, लेकिन एक परिवहनीय तरल करने के लिए सिकुड़ाया के साथ एक तीन कार्बन alkane है। प्राकृतिक गैस प्रसंस्करण और पेट्रोलियम शोधन के उत्पाद द्वारा, यह आमतौर पर इंजन, ऑक्सी - गैस जलाकर, बारबेक्यू की अनुमति, पोर्टेबल स्टोव और आवासीय केंद्रीय हीटिंग के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। प्रोपेन और ब्यूटेन का एक मिश्रण, वाहन ईंधन के रूप में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया, आमतौर पर द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी या एल.पी. गैस) के रूप में जाना जाता है। यह भी propylene और / या butylene की छोटी मात्रा में शामिल कर सकते हैं। Thiophene ethanethiol या जैसे एक odorant, इतना है कि लोगों को आसानी से एक दरार के मामले में गैस की गंध कर सकते हैं जोड़ा है। .

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पॉलीमर

रिअल लीनिअर पॉलीमर कड़ियां, जो परमाणिव्क बल सूक्ष्मदर्शी द्वारा तरल माध्यम के अधीन देखी गयी हैं। इस बहुलक की चेन लंबाई ~२०४ नैनो.मीटर; मोटाई is ~०.४ नै.मी.वाई.रोइटर एवं एस.मिंको, http://dx.doi.org/10.1021/ja0558239 ईफ़एम सिंगल मॉलिक्यूल एक्स्पेरिमेंट्स ऐट सॉलिड-लिक्विड इंटरफ़ेस, अमरीकन कैमिकल सोसायटी का जर्नल, खण्ड १२७, ss. 45, pp. 15688-15689 (2005) वहुलक या पाॅलीमर बहुत अधिक अणु मात्रा वाला कार्बनिक यौगिक होता है। यह सरल अणुओं जिन्हें मोनोमर कहा जाता; के बहुत अधिक इकाईयों के पॉलीमेराइजेशन के फलस्वरूप बनता है।। नैनोविज्ञान। वर्ल्डप्रेस पर पॉलीमर में बहुत सारी एक ही तरह की आवर्ती संरचनात्मक इकाईयाँ यानि मोनोमर संयोजी बन्ध (कोवैलेन्ट बॉण्ड) से जुड़ी होती हैं। सेल्यूलोज, लकड़ी, रेशम, त्वचा, रबर आदि प्राकृतिक पॉलीमर हैं, ये खुली अवस्था में प्रकृति में पाए जाते हैं तथा इन्हें पौधों और जीवधारियों से प्राप्त किया जाता है। इसके रासायनिक नामों वाले अन्य उदाहरणों में पालीइथिलीन, टेफ्लान, पाॅली विनाइल क्लोराइड प्रमुख पाॅलीमर हैं। कृत्रिम या सिंथेटिक पॉलीमर मानव निर्मित होते हैं। इन्हें कारखानों में उत्पादित किया जा सकता है। प्लास्टिक, पाइपों, बोतलों, बाल्टियों आदि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली पोलीथिन सिंथेटिक पॉलीमर है। बिजली के तारों, केबलों के ऊपर चढ़ाई जाने वाली प्लास्टिक कवर भी सिंथेटिक पॉलीमर है। फाइबर, सीटकवर, मजबूत पाइप एवं बोतलों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली प्रोपाइलीन भी सिंथेटिक पॉलीमर है। वाल्व सील, फिल्टर क्लॉथ, गैस किट आदि टेफलॉन से बनाए जाते हैं। सिंथेटिक रबर भी पॉलीमर है जिससे मोटरगाड़ियों के टायर बनाए जाते हैं। हॉलैंड के वैज्ञानिकों के अनुसार मकड़ी में उपस्थित एक डोप नामक तरल पदार्थ उसके शरीर से बाहर निकलते ही एकप प्रोटीनयुक्त पॉलीमर के रूप में जाला बनाता है। पॉलीमर शब्द का प्रथम प्रयोग जोंस बर्जिलियस ने १८३३ में किया था। १९०७ में लियो बैकलैंड ने पहला सिंथेटिक पोलीमर, फिनोल और फॉर्मएल्डिहाइड की प्रक्रिया से बनाया। उन्होंने इसे बैकेलाइट नाम दिया। १९२२ में हर्मन स्टॉडिंगर को पॉलीमर के नए सिद्धांत को प्रतिपादित करने के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले यह माना जाता था कि ये छोटे अणुओं का क्लस्टर है, जिन्हें कोलाइड्स कहते थे, जिसका आण्विक भार ज्ञात नहीं था। लेकिन इस सिद्धांत में कहा गया कि पाॅलीमर एक शृंखला में कोवेलेंट बंध द्वारा बंधे होते हैं। पॉलीमर शब्द पॉली (कई) और मेरोस (टुकड़ों) से मिलकर बना है। एक ही प्रकार की मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को होमोपॉलीमर कहते हैं। जैसे पॉलीस्टायरीन का एकमात्र मोनोमर स्टायरीन ही है। भिन्न प्रकार की मोनोमर इकाईयों से बनने वाले बहुलक को कोपॉलीमर कहते हैं। जैसे इथाइल-विनाइल-एसीटेट भिन्न प्रकार के मोनोमरों से बनता है। भौतिक व रासायनिक गुणों के आधार पर इन्हें दो वर्गों में बांटा जा सकता है: right.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भोपाल

भोपाल भारत देश में मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। भोपाल को झीलों की नगरी भी कहा जाता है,क्योंकि यहाँ कई छोटे-बड़े ताल हैं। यह शहर अचानक सुर्ख़ियों में तब आ गया जब १९८४ में अमरीकी कंपनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग बीस हजार लोग मारे गये थे। भोपाल गैस कांड का कुप्रभाव आज तक वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण के अलावा जैविक विकलांगता एवं अन्य रूपों में आज भी जारी है। इस वजह से भोपाल शहर कई आंदोलनों का केंद्र है। भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसिलटी' स्थापित की है। भोपाल में ही भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है जो भारत में वन प्रबंधन का एकमात्र संस्थान है। साथ ही भोपाल उन छह नगरों में से एक है जिनमे २००३ में भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोलने का निर्णय लिया गया था तथा वर्ष २०१५ से यह कार्यशील है। इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विश्वविद्यालय जैसे राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय,अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय,माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय,भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय संस्थान जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,भारतीय वन प्रबंधन संस्थान,भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान मानित विश्वविद्यालय भोपाल इंजीनियरिंग महाविद्यालय,गाँधी चिकित्सा महाविद्यालय तथा अनेक शासकीय एवं पब्लिक स्कूल हैं। .

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .

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मिथाइल आइसोसाइनेट

मिथाइल आइसोसाइनेट एक कार्बनिक यौगिक है। मिथाईल आइसोसाइनेट यौगिक फोसजीन (COCL२) एवं मिथायेल ऐमीन विलियन के संयोग से बनता है। इसका प्रयोग कार्बोनेट कीटनाशियों के उत्पादन के लिए किया जाता है। .

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रसायन

रसायन, आयुर्वेद के आठ भागों में से का एक विभाग है। आधुनिक रसायन शास्त्र में उन सभी द्रव्यों को रसायन को कहते हैं जो किसी अभिक्रिया में भाग लेते हैं।;टिप्पणी.

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सिलिका

बालू या रेत सिलिका या सिलिकॉन डाईऑक्साइड (Silica, SiO2), खनिज सिलिकन और ऑक्सीजन के योग से बना है। यह निम्नलिखित खनिजों के रूप में मिलता है: १. क्रिस्टलीय: जैसे क्वार्ट्ज २. गुप्त क्रिस्टलीय: जैसे चाल्सीडानी, ऐगेट और फ्लिंट ३. अक्रिस्टली: जैसे ओपल। .

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.

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सुरंग

भूमिगत रेलवे की सुरंग भूमि के अंदर क्षैतिज मार्ग, जो ऊपरी चट्टान या मिट्टी हटाए बिना ही बनाया जाए, सुरंग (Tunnel) कहलाता है। कोई चट्टान या भूखंड तोड़ने के उद्देश्य से विस्फोटक पदार्थ भरने के लिए कोई छेद बनाना भी 'सुरंग लगाना' कहलाता है। प्राचीन काल में सुरंग मुख्यतया तात्पर्य किसी भी ऐसे छेद या मार्ग से होता था जो जमीन के नीचे हो, चाहे वह किसी भी प्रकार बनाया गया हो, जैसे कोई नाली खोदकर उसमें किसी प्रकार की डाट या छत लगाकर ऊपरी मिट्टी से भर देने से सुरंग बन जाया करती थी। किंतु बाद में इसके लिए जलसेतु (यदि वह पानी ले जाने के लिए है), तलमार्ग या छादित पथ नाम अधिक उपयुक्त समझे जाने लगे। इनके निर्माण की क्रिया को सुरंग लगाना नहीं, बल्कि सामान्य खुदाई और भराई ही कहते हैं। बाद में चौड़ी करके सुरंग बड़ी करने के उद्देश्य से प्रारंभ में छोटी सुरंग लगाना अग्रचालन कहलाता है। खानों में छोटी सुरंगें गैलरियाँ, दीर्घाएँ या प्रवेशिकाएँ कहलाती हैं। ऊपर से नीचे सुरंगों तक जाने का मार्ग, यदि यह ऊर्ध्वाधर है तो कूपक और यदि तिरछा हो तो ढाल या ढालू कूपक कहलाता है। प्राकृतिक बनी हुई सुरंगें भी बहुत देखी जाती हैं। बहुधा दरारों से पानी नीचे जाता है, जिसमें चट्टान का अंश भी घुलता है। इस प्रकार प्राकृतिक कूपक और सुरंगें बन जाती हैं। अनेक नदियाँ इसी प्रकार अंतभौम बहती हैं। अनेक जीव भूमि में बिल बनाकर रहते हैं, जो छोटे-छोटे पैमाने पर सुरंगें ही हैं। .

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ह्युस्टन

270px ह्युस्टन संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सास राज्य का सबसे बड़ा नगर है। यह संरा अमेरिका के भी सबसे बड़े नगरों में से एक है, चौथा सबसे बड़ा। ह्युस्टन के महापौर हैं बिल व्हाइट। इस नगर में २० लाख के लगभग लोग रहते हैं। इस नगर का नाम सैम ह्युस्टन के नाम पर रखा गया जिसने १८३६ में टेक्सास की स्वतन्त्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। यह नगर मुख्यतः नासा का मुख्यालय नगर होने के लिए जाना जाता है। इस नगर के लिए एक उपनाम भी प्रयुक्त किया जाता है, स्पेस सिटी अर्थात 'अन्तरिक्ष नगर'। .

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विद्युत कोष

विभिन्न प्रकार की विद्युत कोष (बांयी तरफ् नीचे से दक्षिणावर्त): दो 9-वोल्ट; दो AA; दो AAA; एक D विद्युत कोष; एक C विद्युत कोष; एक हैम-रेडियो की विद्युत कोष; कार्डलेस फोन की विद्युत कोष; और एक कैमराकार्डर विद्युत कोष (लेटी हुई) विद्युत कोष (Battery) विद्युत ऊर्जा का स्रोत है जिसे रासायनिक उर्जा से प्राप्त किया जाता है। वैद्युत अभियांत्रिकी एवं एलेक्ट्रानिक्स में दो या दो से अधिक विद्युतरासायनिक सेलों के संयोजन को विद्युत कोष कहते हैं। ये रासायनिक उर्जा भण्डारित करते हैं एवं इस उर्जा को विद्युत उर्जा के रूप में उपलब्ध करते हैं। सन १८०० में अलेसान्द्रो वोल्टा द्वारा sabse पहले बैटरी का आविष्कार हुआ। आजकल अधिकांश घरेलू एवं औद्योगिक उपयोगों के लिये विद्युत कोष ही विद्युत उर्जा का प्रमुख साधन है। सन २००५ के एक अनुमान के अनुसार विश्व भर में विद्युत कोष की बिक्री लगभग ४८ बिलियन अमेरिकी डालर के बराबर होता है। .

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विनिर्माण

उत्पाद का जीवनचक्र मशीनों, औजारों और श्रम का उपयोग करके सामान बनाने की क्रिया को विनिर्माण (Manufacturing) कहते हैं। विनिर्मित सामान स्वयं प्रयोग के लिये हो सकते हैं, या बेचने के लिये। विनिर्माण के अन्तर्गत हस्तकला से लेकर उच्च तकनीकी तक बहुत सी मानवी गतिविधियाँ आ जाती हैं किन्तु इस शब्द का उपयोग प्रायः औद्योगिक उत्पादन के अर्थ में किया जाता है जिसमें कच्चा माल बड़े पैमाने पर तैयार माल में बदला जाता है। विनिर्माण से तैयार माल उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किया जा सकता है या इसका प्रयोग अधिक जटिल वस्तुओं के विनिर्माण में किया जा सकता है। .

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वेस्ट वर्जीनिया

पश्चिमी वर्जीनिया या वेस्ट वर्जीनिया (अंग्रेजी:West Virginia), संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिण में अपालाचिया क्षेत्र में स्थित एक अमेरिकी राज्य है। इसकी सीमाएं दक्षिण-पूर्व में वर्जीनिया, दक्षिण पश्चिम में केंटकी, पूर्वोत्तर में ओहायो, उत्तर में पेंसिल्वेनिया और उत्तर पश्चिम में मेरीलैंड से मिलती हैं। पश्चिमी वर्जीनिया संयुक्त राज्य अमेरिका का 38 वां सबसे अधिक आबादी वाला और क्षेत्रफल के हिसाब से 41 वां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर चार्ल्सटन है। संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका विलय २० जून १८६३ को ३५वें राज्य के रूप में हुआ। .

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खनन

सरलीकृत विश्व खनन मानचित्र पृथ्वी के गर्भ से धातुओं, अयस्कों, औद्योगिक तथा अन्य उपयोगी खनिजों को बाहर निकोलना खनिकर्म या खनन (mining) हैं। आधुनिक युग में खनिजों तथा धातुओं की खपत इतनी अधिक हो गई है कि प्रति वर्ष उनकी आवश्यकता करोड़ों टन की होती है। इस खपत की पूर्ति के लिए बड़ी-बड़ी खानों की आवश्यकता का उत्तरोत्तर अनुभव हुआ। फलस्वरूप खनिकर्म ने विस्तृत इंजीनियरों का रूप धारण कर लिया है। इसको खनन इंजीनियरी कहते हैं। संसार के अनेक देशों में, जिनमें भारत भी एक है, खनिकर्म बहुत प्राचीन समय से ही प्रचलित है। वास्तव में प्राचीन युग में धातुओं तथा अन्य खनिजों की खपत बहुत कम थी, इसलिए छोटी-छोटी खान ही पर्याप्त थी। उस समय ये खानें 100 फुट की गहराई से अधिक नहीं जाती थीं। जहाँ पानी निकल आया करता था वहाँ नीचे खनन करना असंभव हो जाता था; उस समय आधुनिक ढंग के पंप आदि यंत्र नहीं थे। .

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खनिज

विभिन्न प्रकार के खनिज खनिज ऐसे भौतिक पदार्थ हैं जो खान से खोद कर निकाले जाते हैं। कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम हैं - लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट (जिससे अलुमिनियम बनता है), नमक (पाकिस्तान व भारत के अनेक क्षेत्रों में खान से नमक निकाला जाता है!), जस्ता, चूना पत्थर इत्यादि। .

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खनिक

खदानों या खानों में खनन कार्य करने वाले श्रमिकों को खनिक कहते हैं। श्रेणी:खनिकी श्रेणी:खनिज.

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इथेन

इथेन इथेन इथेन इथेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। श्रेणी:अल्केन.

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इस्पात

इस्पात (Steel), लोहा, कार्बन तथा कुछ अन्य तत्वों का मिश्रातु है। इसकी तन्य शक्ति (tensile strength) अधिक होती है जबकि प्रति टन मूल्य कम होने के कारण यह भवनों, अधोसंरचना, औजार, जलयान, वाहन, और मशीनों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। 'इस्पात' शब्द इतने विविध प्रकार के परस्पर अत्यधिक भिन्न गुणोंवाले पदार्थो के लिए प्रयुक्त होता है कि इस शब्द की ठीक-ठीक परिभाषा करना वस्तुत: असंभव है। परंतु व्यवहारत: इस्पात से लोहे तथा कार्बन (कार्बन) की मिश्र धातु ही समझी जाती है (दूसरे तत्व भी साथ में चाहे हों अथवा न हों)। इसमें कार्बन की मात्रा साधारणतया 0.002% से 2.14% तक होती है। किसी अन्य तत्व की अपेक्षा कार्बन, लोहे के गुणों को अधिक प्रभावित करता है; इससे अद्वितीय विस्तार में विभिन्न गुण प्राप्त होते हैं। वेसे तो कई अन्य साधारण तत्व भी मिलाए जाने पर लोहे तथा इस्पात के गुणों को बहुत बदल देते हैं, परंतु इनमें कार्बन ही प्रधान मिश्रधातुकारी तत्व है। यह लोहे की कठोरता तथा पुष्टता समानुपातिक मात्रा में बढ़ाता है, विशेषकर उचित उष्मा उपचार के उपरांत। इस्पात एक मिश्रण है जिसमें अधिकांश हिस्सा लोहा का होता है। इस्पात में 0.2 प्रतिशत से 2.14 प्रतिशत के बीच कार्बन होता है। लोहा के साथ कार्बन सबसे किफायत मिश्रक होता है, लेकिन जरूरत के अनुसार, इसमें मैंगनीज, क्रोमियम, वैंनेडियम और टंग्सटन भी मिलाए जाते हैं। कार्बन और दूसरे पदार्थ मिश्र-धातु को कठोरता प्रदान करते हैं। लौहे के साथ, उचित मात्रा में मिश्रक मिलाकर लोहे को आवश्यक कठोरता, तन्यता और सुघट्यता प्रदान किया जाता है। लौहे में जितना ज्यादा कार्बन मिलाते हैं इस्पात उतना ही कठोर बनता जाता है, कठोरता बढ़ने के साथ ही उसकी भंगुरता भी बढ़ती जाती है। 1149 डिग्री सेल्सियस पर लौहे में कार्बन की अधिकतम घुल्यता 2.14 प्रतिशत है। कम तापमान पर अगर लौहे में ज्यादा मात्रा में कार्बन हो तो इससे सिमेंटाइट का निर्माण होगा। लौहे में अगर इससे ज्यादा कार्बन हो तो यह कास्ट आयरन कहलाता है, क्योंकि इसका गलनाक कम हो जाता है। इस्पात, कास्ट आयरन से इसलिए भी अलग होता है क्योंकि इसमें दूसरे तत्वों की मात्रा अत्यंत कम होती है यानी 1 से तीन प्रतिशत के करीब.

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उद्योग

एक औद्योगिक क्षेत्र का दृश्य किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का निर्माण/उत्पादन या वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग (industry) कहते हैं। उद्योगों के कारण गुणवत्ता वाले उत्पाद सस्ते दामों पर प्राप्त होते है जिससे लोगों का रहन-सहन के स्तर में सुधार होता है और जीवन सुविधाजनक होता चला जाता है। औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में नये-नये उद्योग-धन्धे आरम्भ हुए। इसके बाद आधुनिक औद्योगीकरण ने पैर पसारना अरम्भ किया। इस काल में नयी-नयी तकनीकें एवं उर्जा के नये साधनों के आगमन ने उद्योगों को जबर्दस्त बढावा दिया। उद्योगों के दो मुख्य पक्ष हैं: १) भारी मात्रा में उत्पादन (मॉस प्रोडक्सन) उद्योगों में मानक डिजाइन के उत्पाद भारी मात्रा में उत्पन्न किये जाते हैं। इसके लिये स्वतः-चालित मशीनें एवं असेम्बली-लाइन आदि का प्रयोग किया जाता है। २) कार्य का विभाजन (डिविजन ऑफ् लेबर) उद्योगों में डिजाइन, उत्पादन, मार्कटिंग, प्रबन्धन आदि कार्य अलग-अलग लोगों या समूहों द्वारा किये जाते हैं जबकि परम्परागत कारीगर द्वारा निर्माण में एक ही व्यक्ति सब कुछ करता था/है। इतना ही नहीं, एक ही काम (जैसे उत्पादन) को छोटे-छोटे अनेक कार्यों में बांट दिया जाता है। सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product/GDP) हरा - कृषि, लाल - उद्योग, नीला - सेवा क्षेत्र .

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उपक्रम

किसी भी काम को करने की कोशिश या प्रक्रिया उपक्रम कहलाती है।.

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१९८४

१९८४ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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