लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान

सूची इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान

यू॰के॰कथा सम्मान का प्रतीक चिह्नयू के कथा सम्मान इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा दिया जाने वाला साहित्य सम्मान है। यह सम्मान १९९५ से प्रतिवर्ष कहानी संग्रह या उपन्यास की एक उत्कृष्ट कृति को दिया जाता है। उत्कृष्ट कृति का निर्णय एक निर्णायक मंडल करता है। इस सम्मान के निर्णय की प्रक्रिया में संस्था के भारतीय प्रतिनिधि सूरज प्रकाश करीब २५० साहित्य प्रेमियों, संपादकों एवं लेखकों को पत्र लिख कर उनसे संस्तुतियाँ मँगवाते हैं, एक सर्वसामान्य सूची बनती है, पुस्तकें ख़रीदी जाती हैं, उनकी छटनी होती है और अंत में १० से १२ किताबें रह जाती हैं जो निर्णायक मंडल को पढ़ने के लिये भेजी जाती हैं। निर्णायक मंडल के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं। इस पुरस्कार के अंतर्गत दिल्ली - लंदन - दिल्ली आने जाने का हवाई टिकट (एअर इंडिया द्वारा प्रायोजित) इंगलैंड के लिये वीसा शुल्क, एक स्मृति चिह्न, लंदन में एक सप्ताह तक रहने की सुविधा तथा लंदन के प्रमुख दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि शामिल होता है। यह पुरस्कार साहित्यकार को लंदन में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाता है। .

52 संबंधों: चित्रा मुद्गल, एस॰आर॰ हरनोट, डर हमारी जेबों में, तबादला, दफ़न और अन्य कहानियाँ, दारोश तथा अन्य कहानियाँ, देवेन्द्र, धीरेन्द्र अस्थाना, नासिरा शर्मा, नीलम अहमद बशीर, पवन कुमार वर्मा, पंकज सुबीर, प्रमोद कुमार तिवारी, बारामासी, भगवानदास मोरवाल, मनोहर श्याम जोशी, मनोज रूपड़ा, महुआ माझी, मैं बोरिशाइल्ला, मैकलुस्कीगंज, राजेन्द्र यादव, रवीन्द्र कालिया, रेत, शहर कोतवाल की कविता, शापग्रस्त, संजीव, सूरज प्रकाश, हृषीकेश सुलभ, जगदम्बा प्रसाद दीक्षित, जंगल जहाँ शुरू होता है, ज्ञान चतुर्वेदी, ज्ञानरंजन, विभूति नारायण राय, गोविन्द मिश्र, गीतांजलिश्री, आवां, इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट, कन्हैयालाल नन्दन, कमलेश्वर, कहानी, कामतानाथ, कुइयाँजान, कैसी आगी लगाई, अनुगूँज, असगर वजाहत, अखिलेश, उपन्यास, उस रात की गंध, २००९, २०१३, ..., २०१४, ६ अप्रैल सूचकांक विस्तार (2 अधिक) »

चित्रा मुद्गल

चित्रा मुद्गल हिन्दी की वरिष्ठ कथालेखिका हैं। उनका जीवन किसी रोमांचक प्रेम-कथा से कम नहीं है। उन्नाव के जमींदार परिवार में जन्मी किसी लड़की के लिए साठ के दशक में अंतरजातीय प्रेमविवाह करना आसान काम नहीं था। लेकिन चित्रा जी ने तो शुरू से ही कठिन मार्ग के विकल्प को अपनाया। पिता का आलीशान बंगला छोड़कर 25 रुपए महीने के किराए की खोली में रहना और मजदूर यूनियन के लिए काम करना - चित्रा ने हर चुनौती को हँसते-हँसते स्वीकार किया। १० दिसम्बर १९४४ को जनमी चित्रा मुद्गल की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक ग्राम निहाली खेड़ा (जिला उन्नाव, उ.प्र.) से लगे ग्राम भरतीपुर के कन्या पाठशाला में। हायर सेकेंडरी पूना बोर्ड से की और शेष पढ़ाई मुंबई विश्वविद्यालय से। बहुत बाद में स्नातकोत्तर पढ़ाई पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से एस.एन.डी.टी.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और चित्रा मुद्गल · और देखें »

एस॰आर॰ हरनोट

२००३ में अपने कहानी संग्रह दारोश तथा अन्य कहानियाँ के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित हिन्दी लेखक.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और एस॰आर॰ हरनोट · और देखें »

डर हमारी जेबों में

श्रेणी:उपन्यास.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और डर हमारी जेबों में · और देखें »

तबादला

श्रेणी:उपन्यास.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और तबादला · और देखें »

दफ़न और अन्य कहानियाँ

श्रेणी:कहानी संग्रह श्रेणी:यू के कथा सम्मान.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और दफ़न और अन्य कहानियाँ · और देखें »

दारोश तथा अन्य कहानियाँ

श्रेणी:कहानी संग्रह.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और दारोश तथा अन्य कहानियाँ · और देखें »

देवेन्द्र

१९९८ में अपने कहानी संग्रह शहर कोतवाल की कविता के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित हिन्दी लेखक.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और देवेन्द्र · और देखें »

धीरेन्द्र अस्थाना

१९९६ में अपने कहानी संग्रह उस रात की गंध के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित हिन्दी लेखक.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और धीरेन्द्र अस्थाना · और देखें »

नासिरा शर्मा

नासिरा शर्मा (जन्म: १९४८) हिन्दी की प्रमुख लेखिका हैं। सृजनात्मक लेखन के साथ ही स्वतन्त्र पत्रकारिता में भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है। वह ईरानी समाज और राजनीति के अतिरिक्त साहित्य कला व सांस्कृतिक विषयों की विशेषज्ञ हैं। वर्ष २०१६ का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनके उपन्यास पारिजात के लिए दिया जायेगा। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और नासिरा शर्मा · और देखें »

नीलम अहमद बशीर

नीलम अहमद बशीर उर्दू की जानीमानी साहित्यकार हैं। श्रेणी:उर्दू साहित्यकार.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और नीलम अहमद बशीर · और देखें »

पवन कुमार वर्मा

पवन कुमार वर्मा लेखक एवं राजनीतिज्ञ हैं। वो भूटान में भारत के राजदूत और भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद के निदेशक रह चुके हैं। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और पवन कुमार वर्मा · और देखें »

पंकज सुबीर

परिचय पंकज सुबीर शिक्षा: एम.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और पंकज सुबीर · और देखें »

प्रमोद कुमार तिवारी

२००५ में अपने उपन्यास डर हमारी जेबों में के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित हिन्दी लेखक.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और प्रमोद कुमार तिवारी · और देखें »

बारामासी

श्रेणी:उपन्यास.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और बारामासी · और देखें »

भगवानदास मोरवाल

भगवानदास मोरवाल (जन्म २३ जनवरी १९६०) नगीना, मेवात में जन्मे भारत के सुप्रसिद्ध कहानी व उपन्यास लेखक हैं। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल की। उन्हें पत्रकारिता में डिप्लोमा भी हासिल है। मोरवाल के अन्य प्रकाशित उपन्यास हैं काला पहाड़ (१९९९) एवं बाबल तेरा देस में (२००४)। इसके अलावा उनके चार कहानी संग्रह, एक कविता संग्रह और कई संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल्ली हिन्दी अकादमी के सम्मानों के अतिरिक्त मोरवाल को बहुत से अन्य सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उनके लेखन में मेवात क्षेत्र की ग्रामीण समस्याएं उभर कर सामने आती हैं। उनके पात्र हिन्दू-मुस्लिम सभ्यता के गंगा जमुनी किरदार होते हैं। कंजरों की जीवन शैली पर आधारित उपन्यास रेत को लेकर उन्हें मेवात में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, किंतु इसके लिए उन्हें २००९ में यू के कथा सम्मान द्वारा सम्मानित भी किया गया है। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और भगवानदास मोरवाल · और देखें »

मनोहर श्याम जोशी

मनोहर श्याम जोशी 1935- (देहांत: मार्च ३०, २००६) आधुनिक हिन्दी साहित्य के श्रेष्ट गद्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार, दूरदर्शन धारावाहिक लेखक, जनवादी-विचारक, फिल्म पट-कथा लेखक, उच्च कोटि के संपादक, कुशल प्रवक्ता तथा स्तंभ-लेखक थे। दूरदर्शन के प्रसिद्ध और लोकप्रिय धारावाहिकों- ' बुनियाद' 'नेताजी कहिन', 'मुंगेरी लाल के हसीं सपने', 'हम लोग' आदि के कारण वे भारत के घर-घर में प्रसिद्ध हो गए थे। वे रंग-कर्म के भी अच्छे जानकार थे। उन्होंने धारावाहिक और फिल्म लेखन से संबंधित ' पटकथा-लेखन' नामक पुस्तक की रचना की है। दिनमान' और 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' के संपादक भी रहे। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और मनोहर श्याम जोशी · और देखें »

मनोज रूपड़ा

१९९९ में अपने कहानी संग्रह दफ़न और अन्य कहानियाँ के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित हिन्दी लेखक.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और मनोज रूपड़ा · और देखें »

महुआ माझी

२००७ में अपने उपन्यास मैं बोरिशाइल्ला के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित हिन्दी लेखिका.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और महुआ माझी · और देखें »

मैं बोरिशाइल्ला

महुआ माझी का उपन्यास मैं बोरिशाइल्ला बांग्लादेश की मुक्ति-गाथा पर केंद्रित है। यह उपन्यास बहुत ही कम समय में खासा चर्चित हुआ है और इस कृति को सम्मानित भी किया गया है। इस उपन्यास के असामान्य शीर्षक के बारे में स्पष्टीकरण देती हुई वे, उपन्यास के प्राक्कथन में कहती हैं - “...जिस तरह बिहार के लोगों को बिहारी तथा भारत के लोगों को भारतीय कहा जाता है, उसी प्रकार बोरिशाल के लोगों को यहाँ की आंचलिक भाषा में बोरिशाइल्ला कहा जाता है। उपन्यास का मुख्य पात्र केष्टो, बोरिशाल का है। इसीलिए वह कह सकता है - मैं बोरिशाइल्ला।” इस उपन्यास में १९४८ से १९७१ तक के बांग्ला देश के ऐतिहासिक तथ्यों, पाकिस्तानी हुकूमत द्वारा बांग्लादेशी जनता पर किए अत्याचारों की घटनाओं तथा मुक्तिवाहिनी के संघर्ष गाथाओं को कथा सूत्र में पिरोया गया है। इस उपन्यास की रचना प्रक्रिया के विषय में वे कहती हैं कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को अपने पहले ही उपन्यास का विषय बनाने का कारण था कि मैं नई पीढ़ी के लिए उसे एक दृष्टांत के रूप में पेश करना चाहती थी कि आज बेशक पूरी दुनिया में सारी लड़ाइयाँ धर्म के नाम पर ही लड़ी जा रही हैं, लेकिन सच तो ये हैं कि सारा खेल सत्ता का है। ये लड़ाइयाँ अब बंद होनी चाहिये। भाषा और शैली की दृष्टि से इस उपन्यास के अति साधारण व नीरस होने बात कही जाती है। आलोचकों का मानना है कि उपन्यास की भाषा अत्यंत साधारण है और समूचे उपन्यास में कहीं भी कोई भाषाई शिल्प दिखाई नहीं देता। कथन में प्रवाह नहीं है और उपन्यास घटना-प्रधान होते हुए भी आमतौर पर बोझिल-सा बना रहता है। जिसके कारण इसके कई खण्ड घोर अपठनीय ही बने रहते हैं। लेखिका ने शायद पाकिस्तानी सैनिकों तथा उर्दूभाषी नागरिकों द्वारा बांग्लाभाषियों पर किए गए अत्याचारों तथा मुक्तिवाहिनी के कार्यों के बहुत प्रामाणिक विवरण देने के लोभ में उपन्यास को बिखरा सा दिया है। घटना प्रधान कथानक में रहस्य का सर्वथा अभाव भी आगे पढ़ने की जिज्ञासा बनाए रखने में सहायक नहीं होता। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और मैं बोरिशाइल्ला · और देखें »

मैकलुस्कीगंज

पुरा नाम अर्नेस्ट टिमोथी मैकलुस्की (McCluskie) था। पेशे से मैकलुस्की कलकत्ता में एक संपत्ति डीलर था। वह शिकार के लिए इस क्षेत्र में कुछ गांवों का दौरा करता था और उसनें हरहु नामक स्थान पर एक अस्थायी मकान बनाया। उनके दोस्त पीपी साहिब रातू महाराजा संपत्ति के प्रबंधक के रूप में काम किया और यह पीपी, जो महाराजा को आश्वस्त कर मैकलुस्की के लिए भूमि पट्टे का इंतजाम करवाया। रातू महाराजा से पट्टे पर 10,000 एकड़ जमीन अर्नेस्ट टिमोथी मैकलुस्की को मिली। इस क्रम में 1933 में, मैकलुस्की ने कोलोनोईजेशन सोसायटी ऑफ इंडिया लिमिटेड का गठन किया गया था और महाराजा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह निर्णय लिया गया कि एंग्लो भारतीयों नौ गांवों में उन गांवों के मूलवासियों के जमीनों और संपत्ति पर कब्जा नही करेगें और नदी, नालों, पहाडो़ पर एंग्लो भारतीयों का कोई हक नही होगा। Colonisation सोसायटी Harhu, Duli, Ramdagga, Konka, Lapra, Hesalong, Mayapur, Mohulia और Baseria के गांवों में भूमि प्रसार के 10,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। समाज के एक कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था और एंग्लो भारतीयों को नई कॉलोनी में बसने की कामना के लिए शेयरों की बिक्री शुरू कर दिया.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और मैकलुस्कीगंज · और देखें »

राजेन्द्र यादव

राजेन्द्र यादव (अंग्रेजी: Rajendra Yadav, जन्म: 28 अगस्त 1929 आगरा – मृत्यु: 28 अक्टूबर 2013 दिल्ली) हिन्दी के सुपरिचित लेखक, कहानीकार, उपन्यासकार व आलोचक होने के साथ-साथ हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय संपादक भी थे। नयी कहानी के नाम से हिन्दी साहित्य में उन्होंने एक नयी विधा का सूत्रपात किया। उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द द्वारा सन् 1930 में स्थापित साहित्यिक पत्रिका हंस का पुनर्प्रकाशन उन्होंने प्रेमचन्द की जयन्ती के दिन 31 जुलाई 1986 को प्रारम्भ किया था। यह पत्रिका सन् 1953 में बन्द हो गयी थी। इसके प्रकाशन का दायित्व उन्होंने स्वयं लिया और अपने मरते दम तक पूरे 27 वर्ष निभाया। 28 अगस्त 1929 ई० को उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में जन्मे राजेन्द्र यादव ने 1951 ई० में आगरा विश्वविद्यालय से एम०ए० की परीक्षा हिन्दी साहित्य में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान के साथ उत्तीर्ण की। उनका विवाह सुपरिचित हिन्दी लेखिका मन्नू भण्डारी के साथ हुआ था। वे हिन्दी साहित्य की सुप्रसिद्ध हंस पत्रिका के सम्पादक थे। हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा राजेन्द्र यादव को उनके समग्र लेखन के लिये वर्ष 2003-04 का सर्वोच्च सम्मान (शलाका सम्मान) प्रदान किया गया था। 28 अक्टूबर 2013 की रात्रि को नई दिल्ली में 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और राजेन्द्र यादव · और देखें »

रवीन्द्र कालिया

हिंदी साहित्य में रवींद्र कालिया की ख्याति उपन्यासकार, कहानीकार और संस्मरण लेखक के अलावा एक ऐसे बेहतरीन संपादक के रूप में है, जो मृतप्राय: पत्रिकाओं में भी जान फूंक देते हैं। रवींद्र कालिया हिंदी के उन गिने-चुने संपादकों में से एक हैं, जिन्हें पाठकों की नब्ज़ और बाज़ार का खेल दोनों का पता है। 11 नवम्बर, 1939 को जालंधर में जन्मे रवीन्द्र कालिया हाल ही में भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्होंने ‘नया ज्ञानोदय’ के संपादन का दायित्व संभालते ही उसे हिंदी साहित्य की अनिवार्य पत्रिका बना दिया। धर्मयुग में रवींद्र कालिया के योगदान से सारा साहित्य-जगत परिचित है। रवीन्द्र कालिया ग़ालिब छुटी शराब में लिखते हैं “मोहन राकेश ने अपने मोटे चश्‍मे के भीतर से खास परिचित निगाहों से देखते हुए उनसे पूछा / ‘बम्‍बई जाओगे?' / ‘बम्बई ?' कोई गोष्‍ठी है क्‍या?' / ‘नहीं, ‘धर्मयुग' में।' / ‘धर्मयुग' एक बड़ा नाम था, सहसा विश्‍वास न हुआ। / उन्‍होंने अगले रोज़ घर पर बुलाया और मुझ से सादे काग़ज़ पर ‘धर्मयुग' के लिए एक अर्ज़ी लिखवायी और कुछ ही दिनों में नौकरी ही नहीं, दस इन्‍क्रीमेंट्‌स भी दिलवा दिये....” रवीन्द्रजी ने वागर्थ, गंगा जमुना, वर्ष का प्रख्यात कथाकार अमरकांत पर एकाग्र अंक, मोहन राकेश संचयन, अमरकांत संचयन सहित अनेक पुस्तकों का संपादन किया है। हाल ही में उन्होंने साहित्य की अति महत्वपूर्ण ३१ वर्षों से प्रकशित हो रही ‘वर्तमान साहित्य’ में सलाहकार संपादक का कार्यभार सम्हाला है। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और रवीन्द्र कालिया · और देखें »

रेत

रेत के कई अर्थ हो सकते हैं.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और रेत · और देखें »

शहर कोतवाल की कविता

श्रेणी:कहानी संग्रह श्रेणी:यू के कथा सम्मान.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और शहर कोतवाल की कविता · और देखें »

शापग्रस्त

श्रेणी:कहानी संग्रह श्रेणी:यू के कथा सम्मान.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और शापग्रस्त · और देखें »

संजीव

संजीव (6 जुलाई, 1947 से वर्तमान) हिन्दी साहित्य की जनवादी धारा के प्रमुख कथाकारों में से एक हैं। कहानी एवं उपन्यास दोनों विधाओं में समान रूप से रचनाशील। प्रायः समाज की मुख्यधारा से कटे विषयों, क्षेत्रों एवं वर्गों को लेकर गहन शोधपरक कथालेखक के रूप में मान्य। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और संजीव · और देखें »

सूरज प्रकाश

सूरज प्रकाश (जन्म १४ मार्च, १९५२; देहरादून) हिंदी और गुजराती के लेखक और कथाकार हैं। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और सूरज प्रकाश · और देखें »

हृषीकेश सुलभ

हृषीकेश सुलभ (जन्म फ़रवरी १५, १९५५) हिन्दी के समकालीन शीर्ष लेखकों में हैं, जो कि कहानी और नाटक-लेखन की विधाओं के लिये जाने जाते हैं। आप ऑल इण्डिया रेडियो में कार्यरत भी हैं। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और हृषीकेश सुलभ · और देखें »

जगदम्बा प्रसाद दीक्षित

जगदम्बा प्रसाद दीक्षित (१९३३-२०१४) हिंदी के जानेमाने साहित्यकार थे। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और जगदम्बा प्रसाद दीक्षित · और देखें »

जंगल जहाँ शुरू होता है

श्रेणी:उपन्यास.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और जंगल जहाँ शुरू होता है · और देखें »

ज्ञान चतुर्वेदी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भोपाल द्वारा संचालित एक अस्पताल में ह्रदय विशेषज्ञ डॉ ज्ञान चतुर्वेदी जानेमाने व्यंग्यकार हैं। 2002 में अपने उपन्यास बारामासी के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित किये गये। श्रेणी:हिन्दी व्यंग्यकार श्रेणी:यू के कथा सम्मान श्रेणी:हिन्दी गद्यकार.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और ज्ञान चतुर्वेदी · और देखें »

ज्ञानरंजन

ज्ञानरंजन हिन्दी साहित्य के एक शीर्षस्थ कहानीकार तथा हिन्दी की सुप्रसिद्ध पत्रिका पहल के संपादक हैं। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और ज्ञानरंजन · और देखें »

विभूति नारायण राय

विभूति नारायण राय(अंग्रेजी: Vibhuti Narain Rai) (२८ नवम्बर १९५१) आज़मगढ़(उत्तर प्रदेश) में जन्मे| विभूति नारायण राय १९७५ बैच के यू.पी.कैडर के आई.पी.एस.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और विभूति नारायण राय · और देखें »

गोविन्द मिश्र

गोविन्द मिश्र (जन्म- १ अगस्त १९३९) हिन्दी के जाने-माने कवि और लेखक हैं। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, भारतीय भाषा परिषद कलकत्ता, साहित्य अकादमी दिल्ली तथा व्यास सम्मान द्वारा गोविन्द मिश्र को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए सम्मानित किया जा चुका है। अभी तक उनके १० उपन्यास और १२ कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त यात्रा-वृत्तांत, बाल साहित्य, साहित्यिक निबंध और कविता-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। अनेक विश्वविद्यालयों में उनकी रचनाओं पर शोध हुए हैं। वे पाठ्यक्रम की पुस्तकों में शामिल किए गए हैं, रंगमंच पर उनकी रचनाओं का मंचन किया गया है और टीवी धारावाहिकों में भी उनकी रचनाओं पर चलचित्र प्रस्तुत किए गए हैं। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और गोविन्द मिश्र · और देखें »

गीतांजलिश्री

गीतांजलिश्री (जन्म 12 जून 1957) हिन्दी का जानी मानी कथाकार और उपन्यासकार हैं। उत्तर-प्रदेश के मैनपुरी नगर में जन्मी गीतांजलि की प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई। बाद में उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. किया। महाराज सयाजी राव विवि, वडोदरा से प्रेमचंद और उत्तर भारत के औपनिवेशिक शिक्षित वर्ग विषय पर शोध की उपाधि प्राप्त की। कुछ दिनों तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि में अध्यापन के बाद सूरत के सेंटर फॉर सोशल स्टडीज में पोस्ट-डॉ टरल रिसर्च के लिए गईं। वहीं रहते हुए उन्होंने कहानियाँ लिखनी शुरू कीं। उनकी पहली कहानी बेलपत्र १९८७ में हंस में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद उनकी दो और कहानियाँ एक के बाद एक 'हंस` में छपीं। अब तक उनकी 'माई`, 'हमारा शहर उस बरस`, 'तिरोहित` (उपन्यास); 'अनुगूंज` और 'वैराग्य` (कथा संग्रह) कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। 'माई` का अंग्रेजी रूपांतरण हाल ही में प्रकाशित हुआ था, जो 'क्रॉसवर्ड अवार्ड` के लिए नामित अंतिम चार किताबों में शामिल था। अपने लेखन में वैचारिक रूप से स्पष्ट और प्रौढ़ अभिव्यिक्ति के जरिए उन्होंने एक विशिष्ट स्थान बनाया है। दिल्ली की हिंदी अकादमी ने उन्हें 2000-2001 के साहित्यकार सम्मान से अलंकृत किया है। १९९५ में उन्हें अपने कहानी संग्रह अनुगूँज के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित किया गया। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और गीतांजलिश्री · और देखें »

आवां

सुपरिचित हिन्दी लेखिका चित्रा मुद्गल का बृहद उपन्यास 'आवां' स्त्री-विमर्श का बृहद आख्यान है। जिसका देश-काल तो उनके पहले उपन्यास 'एक ज़मीन अपनी' की तरह साठ के बाद का मुंबई ही है, लेकिन इसके सरोकार उससे कहीं ज़्यादा बड़े हैं, श्रमिकों के जीवन और श्रमिक राजनीति के ढेर सारे उजले-काले कारनामों तक फैले हुए, जिसकी ज़मीन भी मुंबई से लेकर हैदराबाद तक फैल गई है। उसमें दलित जीवन और दलित-विमर्श के भी कई कथानक अनायास ही आ गए हैं। 'आवां' का बीज चाहे मुंबई ने रोपा, लेकिन खाद-पानी उसे हैदराबाद से मिला और श्रमिकों के शहर कोलकाता में बैठकर वह लिखा गया तो दिल्ली ने आधार कैंप का काम किया। इस रूप में यह लगभग पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला हिन्दी उपन्यास है। सही अर्थों में एक बड़ा उपन्यास, जिसमें लेखिका की अकूत अनुभव-संपदा काम आई है। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और आवां · और देखें »

इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट

इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना मई १९९५ में इन्दु शर्मा के असामयिक निधन के बाद उनके नाम पर की गई थी। इसका पंजीकरण मुंबई में हुआ और इसके न्यासी विश्वनाथ सचदेव, राहुल देव एवं नवीन निश्चल हैं। तेजेन्द्र शर्मा इसके सचिव हैं जो स्वर्गीय इंदु शर्मा के पति है। सूरज प्रकाश इसके भारतीय प्रतिनिधि हैं। इस न्यास का उद्देश्य हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करना है। इसके लिए संस्था द्वारा यूके कथा सम्मान दिया जाता है, स्थानीय गोष्ठियाँ की जाती हैं छात्रों को प्रोत्साहित किया जाता है तथा पुस्तकों का प्रकाशन व अनुवाद का काम किया जाता है। श्रेणी:यू के कथा सम्मान.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और इंदु शर्मा मेमोरियल ट्रस्ट · और देखें »

कन्हैयालाल नन्दन

कन्हैयालाल एक जानेमाने भारतीय साहित्यकार,पत्रकार और गीतकार थे। डाक्टर कन्हैयालाल नंदन (१ जुलाई १९३३ - २५ सितम्बर १०१०) हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, मंचीय कवि और गीतकार थे। पराग, सारिका और दिनमान जैसी पत्रिकाओं में बतौर संपादक अपनी छाप छोड़ने वाले नंदन ने कई किताबें भी लिखीं। कन्हैयालाल नंदन को भारत सरकार के पद्मश्री पुरस्कार के अलावा भारतेन्दु पुरस्कार और नेहरू फेलोशिप पुरस्कार से भी नवाजा गया। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और कन्हैयालाल नन्दन · और देखें »

कमलेश्वर

कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी। कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथाएँ तो लिखी ही, उनके उपन्यासों पर फिल्में भी बनी। `आंधी', 'मौसम (फिल्म)', 'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'छोटी सी बात', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सौतन', 'लैला', 'रामबलराम' की पटकथाएँ उनकी कलम से ही लिखी गईं थीं। लोकप्रिय टीवी सीरियल 'चन्द्रकांता' के अलावा 'दर्पण' और 'एक कहानी' जैसे धारावाहिकों की पटकथा लिखने वाले भी कमलेश्वर ही थे। उन्होंने कई वृतचित्रों और कार्यक्रमों का निर्देशन भी किया। १९९५ में कमलेश्वर को 'पद्मभूषण' से नवाज़ा गया और २००३ में उन्हें 'कितने पाकिस्तान'(उपन्यास) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे 'सारिका' 'धर्मयुग', 'जागरण' और 'दैनिक भास्कर' जैसे प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं के संपादक भी रहे। उन्होंने दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक जैसा महत्वपूर्ण दायित्व भी निभाया। कमलेश्वर ने अपने ७५ साल के जीवन में १२ उपन्यास, १७ कहानी संग्रह और क़रीब १०० फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखीं। कमलेश्वर की अंतिम अधूरी रचना अंतिम सफर उपन्यास है, जिसे कमलेश्वर की पत्नी गायत्री कमलेश्वर के अनुरोध पर तेजपाल सिंह धामा ने पूरा किया और हिन्द पाकेट बुक्स ने उसे प्रकाशित किया और बेस्ट सेलर रहा। २७ जनवरी २००७ को उनका निधन हो गया। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और कमलेश्वर · और देखें »

कहानी

कथाकार (एक प्राचीन कलाकृति)कहानी हिन्दी में गद्य लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे कहानी के नाम से जाना गया। बंगला में इसे गल्प कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी गद्य कथा साहित्य का एक अन्यतम भेद तथा उपन्यास से भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। वेदों, उपनिषदों तथा ब्राह्मणों में वर्णित 'यम-यमी', 'पुरुरवा-उर्वशी', 'सौपणीं-काद्रव', 'सनत्कुमार- नारद', 'गंगावतरण', 'श्रृंग', 'नहुष', 'ययाति', 'शकुन्तला', 'नल-दमयन्ती' जैसे आख्यान कहानी के ही प्राचीन रूप हैं। प्राचीनकाल में सदियों तक प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाएँ, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं। 'गुणढ्य' की "वृहत्कथा" को, जिसमें 'उदयन', 'वासवदत्ता', समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं का बाहुल्य है, प्राचीनतम रचना कहा जा सकता है। वृहत्कथा का प्रभाव 'दण्डी' के "दशकुमार चरित", 'बाणभट्ट' की "कादम्बरी", 'सुबन्धु' की "वासवदत्ता", 'धनपाल' की "तिलकमंजरी", 'सोमदेव' के "यशस्तिलक" तथा "मालतीमाधव", "अभिज्ञान शाकुन्तलम्", "मालविकाग्निमित्र", "विक्रमोर्वशीय", "रत्नावली", "मृच्छकटिकम्" जैसे अन्य काव्यग्रंथों पर साफ-साफ परिलक्षित होता है। इसके पश्‍चात् छोटे आकार वाली "पंचतंत्र", "हितोपदेश", "बेताल पच्चीसी", "सिंहासन बत्तीसी", "शुक सप्तति", "कथा सरित्सागर", "भोजप्रबन्ध" जैसी साहित्यिक एवं कलात्मक कहानियों का युग आया। इन कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होता है। प्रायः कहानियों में असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई गई हैं। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और कहानी · और देखें »

कामतानाथ

कामतानाथ हिन्दी के लेखक थे। 22 सितम्बर 1935 को लखनऊ में उनका जन्म हुआ। उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने साहित्य भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था। 25 मई 2015 को लगभग 80 वर्ष की आयु में उनका शरीर पूरा हुआ। उन्होंने कई लेख लिखे, उपन्यास: समुद्र तट पर खुलने वाली खिड़की, सुबह होने तक, एक और हिंदुस्तान, तुम्हारे नाम, काल-कथा (दो खंड), पिघलेगी बर्फ कहानी संग्रह: छुट्टियाँ, तीसरी साँस, सब ठीक हो जाएगा, शिकस्त, रिश्ते-नाते, आकाश से झाँकता वह चेहरा, सोवियत संघ का पतन क्यों हुआ नाटक: दिशाहीन, फूलन, कल्पतरु की छाया, दाखला डॉट काम, संक्रमण, वार्ड नं एक (एकांकी), भारत भाग्य विधाता (प्रहसन), औरतें (गाइ द मोपांसा की कहानियों पर आधारित) अनुवाद: प्रेत (घोस्ट: हेनरिक इब्सन) संपादन: कथांतर .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और कामतानाथ · और देखें »

कुइयाँजान

कुइयाँजान नासिरा शर्मा का एक प्रसिद्ध उपन्यास है। कुइयाँ अर्थात वह जलस्रोत जो मनुष्य की प्यास आदिम युग से ही बुझाता आया है। आमतौर पर हिंदी के लेखकों पर आरोप लगता रहा है कि वे जीवन की कड़वी सच्चाइयों और गंभीर विषयों की अनदेखी करते रहे हैं। हालांकि यदाकदा इसका अपवाद भी मिलता रहा है। लेकिन नासिरा शर्मा की नई पुस्तक कुइयाँजान इन आरोपों का जवाब देने की कोशिश के रूप में सामने आती है। पानी इस समय हमारे जीवन की एक बड़ी समस्या है और उससे बड़ी समस्या है हमारा पानी को लेकर अपने पारंपरिक ज्ञान को भूल जाना। फिर इस बीच सरकारों ने पानी को लेकर कई नए प्रयोग शुरू किए हैं जिसमें नदियों को जोड़ना प्रमुख है। बाढ़ की समस्या है और सूखे का राक्षस हर साल मुँह बाये खड़ा रहता है। इन सब समस्याओं को एक कथा में पिरोकर शायद पहली बार किसी लेखक ने गंभीर पुस्तक लिखने का प्रयास किया है। यह तकनीकी पुस्तक नहीं है, बाक़ायदा एक उपन्यास है लेकिन इसमें पानी और उसकी समस्या को लेकर एक गंभीर विमर्श चलता रहता है। श्रेणी:कहानी संग्रह श्रेणी:यू के कथा सम्मान श्रेणी:उपन्यास श्रेणी:नासिरा शर्मा श्रेणी:यू के कथा सम्मान.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और कुइयाँजान · और देखें »

कैसी आगी लगाई

श्रेणी:उपन्यास श्रेणी:यू के कथा सम्मान.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और कैसी आगी लगाई · और देखें »

अनुगूँज

अनुगूँज गीतांजलि श्री का पहला कहानी संग्रह है। इसमें संकलित दस कहानियों में जो संवेदना जो विद्रोह और प्रतिरोध है वह स्वयं को उजागर करते वक्त पात्रों की कमजोर होते स्वाभिमान अनदेखा नहीं करती, इशारों और बिम्बों के सहारे चित्रण करने वाला शिल्प और शिक्षित वर्ग की आधुनिक मानसिकता को दिखाती उनकी बोलचाल की भाषा, गीतांजलि श्री की विशेष लेखकीय पहचान बनाती है। यूँ तो इन कहानियों का केन्द्र लगभग हर बार-एक ‘दरार’ को छोड़कर- बनता है शिक्षित मध्यमवर्गीय नारियों से, पर इसमें वर्णित होते हैं हमारे आधुनिक नागरिक जीवन के विभिन्न पक्ष। जैसे वैवाहिक तथा विवाहेत्तर स्त्री-पुरुष सम्बन्ध, पारिवारिक परिस्थितियाँ, सामाजिक रूढ़ियाँ, हिन्दू-मुस्लिम समस्या, स्त्रियों का पारस्परिक मैत्री इत्यादि। यहाँ सीधा, सपाट कुछ भी नहीं है। हर स्थिति, हर सम्बन्ध, हर संघर्ष में व्याप्त रहते हैं परस्पर विरोधी स्वर। यही विरोधी स्वर रचते हैं हर एक कहानी का एक अलग राग। श्रेणी:कहानी संग्रह श्रेणी:यू के कथा सम्मान.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और अनुगूँज · और देखें »

असगर वजाहत

असग़र वजाहत (जन्म - 5 जुलाई, 1946) हिन्दी के प्रोफ़ेसर तथा रचनाकार हैं। इन्होंने नाटक, कथा, उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत तथा अनुवाद के क्षेत्र में रचा है। ये दिल्ली स्थित जामिला मिलिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और असगर वजाहत · और देखें »

अखिलेश

अखिलेश १९९७ में अपने कहानी संग्रह शापग्रस्त के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित हिन्दी लेखक रहे हैं। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और अखिलेश · और देखें »

उपन्यास

उपन्यास गद्य लेखन की एक विधा है। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और उपन्यास · और देखें »

उस रात की गंध

श्रेणी:कहानी संग्रह श्रेणी:यू के कथा सम्मान.

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और उस रात की गंध · और देखें »

२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और २००९ · और देखें »

२०१३

२०१३ ग्रेगोरियन कैलेंडर के मंगलवार को शुरू होने वाला एक वर्ष है। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और २०१३ · और देखें »

२०१४

कोई विवरण नहीं।

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और २०१४ · और देखें »

६ अप्रैल

6 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 96वॉ (लीप वर्ष मे 97 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 269 दिन बाकी है। .

नई!!: इन्दु शर्मा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान और ६ अप्रैल · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

यू के कथा सम्मान, इन्दु शर्मा पुरस्कार, इंदु शर्मा सम्मान

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »