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यांगून

सूची यांगून

रंगून का रेलवे स्टेशन यांगून म्यानमार देश की पुराना राजधानी है। इसका पुराना नाम रंगून था। (आधुनिक बर्मी में 'र' के स्थान पर 'य' का उच्चारण होता है।)। बहादुर शाह ज़फ़र यहीं दफ़न हैं। आजाद हिन्द फौज जिसके सर्वोच्च कमाण्डर नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे उस फौज का मुख्यालय यहीं था। रंगून दक्षिणी वर्मा के मध्यवर्ती भाग में, रंगून नदी के किनारे, मर्तबान की खाड़ी तथा इरावदी नदी के मुहाने से ३० किमी उत्तर, सागरतल से केवल २० फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह बर्मा की राजधानी, सबसे बड़ा नगर तथा प्रमुख बंदरगाह है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा १०० इंच होती है। समीपवर्ती क्षेत्र में धान की कृषि अधिक होती है। बंदरगाह से चावल, टीक तथा अन्य लकड़ियाँ, खालें, पेट्रोलियम से निर्मित पदार्थ तथा चाँदी, सीसा, जस्ता, ताँबे की वस्तुओं का निर्यात होता है। वायुमार्ग, नदीमार्ग तथा रेलमार्ग यातायात के प्रमुख साधन हैं। विद्युत् संस्थान, रेशमी एवं ऊनी कपड़े, लकड़ी चिराई का काम, रेलवे के सामान, जलयाननिर्माण तथा मत्स्य उद्योग में काफी उन्नति हो गई है। यहाँ पर सभी आधुनिक वस्तुएँ जैसे बड़े बड़े होटल, सिनेमाघर, भंडार (storage), पगोडा, गिरजाघर, पार्क, वनस्पतिक उद्यान, अजायबघर तथा विश्वविद्यालय आदि हैं। यहाँ की सबसे प्रमुख इमारत श्वेड्रैगन पगोडा है, जो सागरतल से १६८ फुट की ऊँचाई पर बना है। यह पगोडा ३६८ फुट ऊँचा, ९०० फुट लंबा तथा ६८५ फुट चौड़ा है तथा इसके ऊपर सोने की पन्नी चढ़ी हुई है। नगर को युद्ध तथा ज्वालामुखी से काफी हानि उठानी पड़ी है। .

11 संबंधों: देश, धान, बन्दरगाह, बहादुर शाह ज़फ़र, म्यान्मार, यांगून, राजधानी, सुभाष चन्द्र बोस, वर्मा, आज़ाद हिन्द फ़ौज, इरावती नदी

देश

एक देश किसी भी जगह या स्थान है जिधर लोग साथ-साथ रहते है, और जहाँ सरकार होती है। संप्रभु राज्य एक प्रकार का देश है। संयुक्त राष्ट्र १९३ देशों को मानती है। .

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धान

बांग्लादेश में धान (चावल) के खेत धान की बाली (अनाज वाला भाग) धान (Paddy / ओराय्ज़ा सैटिवा) एक प्रमुख फसल है जिससे चावल निकाला जाता है। यह भारत सहित एशिया एवं विश्व के बहुत से देशों का मुख्य भोजन है। विश्व में मक्का के बाद धान ही सबसे अधिक उत्पन्न होने वाला अनाज है। ओराय्ज़ा सैटिवा (जिसका प्रचलित नाम 'एशियाई धान' है) एक पादप की जाति है। इसका सबसे छोटा जीनोम होता है (मात्र ४३० एम.बी.) जो केवल १२ क्रोमोज़ोम में सीमित होता है। इसे सरलता से जेनेटिकली अंतरण करने लायक होने की क्षमता हेतु जाना जाता है। यह अनाज जीव-विज्ञान में एक मॉडल जीव माना जाता है। .

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बन्दरगाह

जापान का कोबे बन्दरगाह भारत के विशाखापत्तनम का बन्दरगाह एक प्राकृतिक बन्दरगाह है। बन्दरगाह (हार्बर) समुद्री जहाजों के ठहरने की जगह हैं। विश्व में कई विशाल व छोटे बंदरगाह हैं। .

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बहादुर शाह ज़फ़र

बहादुर शाह ज़फ़र बहादुर शाह ज़फर (1775-1862) भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह थे और उर्दू के माने हुए शायर थे। उन्होंने १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया। युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई। .

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म्यान्मार

म्यांमार यो ब्रह्मदेश दक्षिण एशिया का एक देश है। इसका आधुनिक बर्मी नाम 'मयन्मा' (မြန်မာ .

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यांगून

रंगून का रेलवे स्टेशन यांगून म्यानमार देश की पुराना राजधानी है। इसका पुराना नाम रंगून था। (आधुनिक बर्मी में 'र' के स्थान पर 'य' का उच्चारण होता है।)। बहादुर शाह ज़फ़र यहीं दफ़न हैं। आजाद हिन्द फौज जिसके सर्वोच्च कमाण्डर नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे उस फौज का मुख्यालय यहीं था। रंगून दक्षिणी वर्मा के मध्यवर्ती भाग में, रंगून नदी के किनारे, मर्तबान की खाड़ी तथा इरावदी नदी के मुहाने से ३० किमी उत्तर, सागरतल से केवल २० फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह बर्मा की राजधानी, सबसे बड़ा नगर तथा प्रमुख बंदरगाह है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा १०० इंच होती है। समीपवर्ती क्षेत्र में धान की कृषि अधिक होती है। बंदरगाह से चावल, टीक तथा अन्य लकड़ियाँ, खालें, पेट्रोलियम से निर्मित पदार्थ तथा चाँदी, सीसा, जस्ता, ताँबे की वस्तुओं का निर्यात होता है। वायुमार्ग, नदीमार्ग तथा रेलमार्ग यातायात के प्रमुख साधन हैं। विद्युत् संस्थान, रेशमी एवं ऊनी कपड़े, लकड़ी चिराई का काम, रेलवे के सामान, जलयाननिर्माण तथा मत्स्य उद्योग में काफी उन्नति हो गई है। यहाँ पर सभी आधुनिक वस्तुएँ जैसे बड़े बड़े होटल, सिनेमाघर, भंडार (storage), पगोडा, गिरजाघर, पार्क, वनस्पतिक उद्यान, अजायबघर तथा विश्वविद्यालय आदि हैं। यहाँ की सबसे प्रमुख इमारत श्वेड्रैगन पगोडा है, जो सागरतल से १६८ फुट की ऊँचाई पर बना है। यह पगोडा ३६८ फुट ऊँचा, ९०० फुट लंबा तथा ६८५ फुट चौड़ा है तथा इसके ऊपर सोने की पन्नी चढ़ी हुई है। नगर को युद्ध तथा ज्वालामुखी से काफी हानि उठानी पड़ी है। .

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राजधानी

राजधानी वह नगरपालिका होती है, जिसे किसी देश, प्रदेश, प्रान्त या अन्य प्रशासनिक ईकाई अथवा क्षेत्र में सरकार की गद्दी होने का प्राथमिक दर्जा हासिल होता है। राजधानी मिसाली तौर पर एक शहर होता है, जहाँ संबंधित सरकार के दफ़्तर और सम्मेलन -टिकाने स्थित होते हैं और आम तौर पर अपने क़ानून या संविधान द्वारा निर्धारित होती है। .

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सुभाष चन्द्र बोस

सुभाष चन्द्र बोस (बांग्ला: সুভাষ চন্দ্র বসু उच्चारण: शुभाष चॉन्द्रो बोशु, जन्म: 23 जनवरी 1897, मृत्यु: 18 अगस्त 1945) जो नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था। नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था। इस युद्ध में जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं। नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से सम्बंधित दस्तावेज़ अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये? 16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये स्पेशल बेंच के गठन का आदेश दिया। .

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वर्मा

वर्मा (अंग्रेजी: Varma, (अन्य नाम) वर्मन या बर्मन) हिन्दू धर्म का एक जाति सूचक उपनाम है जिसे वर्तमान भारतवर्ष एवं दक्षिण पूर्व एशिया में निवास करने वाले सभी हिन्दू अपने नाम के आगे गर्व से लिखते हैं। मुख्यत: क्षत्रिय वर्ण से उत्पन्न जाति के लोग ही वर्मा लिखते हैं परन्तु आधुनिकता के इस दौर में अन्य जातियों के लोग भी इस उपनाम को अपने नाम के आगे लगाने लगे हैं। .

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आज़ाद हिन्द फ़ौज

आज़ाद हिन्द फौज़ का ध्वज आज़ाद हिन्द फ़ौज सबसे पहले राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने 29 अक्टूबर 1915 को अफगानिस्तान में बनायी थी। मूलत: यह 'आजाद हिन्द सरकार' की सेना थी जो अंग्रेजों से लड़कर भारत को मुक्त कराने के लक्ष्य से ही बनायी गयी थी। किन्तु इस लेख में जिसे 'आजाद हिन्द फौज' कहा गया है उससे इस सेना का कोई सम्बन्ध नहीं है। हाँ, नाम और उद्देश्य दोनों के ही समान थे। रासबिहारी बोस ने जापानियों के प्रभाव और सहायता से दक्षिण-पूर्वी एशिया से जापान द्वारा एकत्रित क़रीब 40,000 भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन शुरू किया था और उसे भी यही नाम दिया अर्थात् आज़ाद हिन्द फ़ौज। बाद में उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को आज़ाद हिन्द फौज़ का सर्वोच्च कमाण्डर नियुक्त करके उनके हाथों में इसकी कमान सौंप दी। .

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इरावती नदी

इरावती या इरावदी बर्मा की एक प्रमुख नदी है। यह नदी बर्मा के उत्तर से दक्षिण की दिशा मे बहते हुए बर्मा को दो भाग मे विभाजित करती है। इस नदी की लंबाई २१७० किलोमीटर है और यह बर्मा मे बहने वाली सबसे लंबी नदी है। इरावती नदी एक प्रमुख व्यापारिक नौका मार्ग भी है। .

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