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यंग मापांक

सूची यंग मापांक

यांत्रिकी के सन्दर्भ में यंग गुणांक या यंग मापांक (Young's modulus), किसी समांग प्रत्यास्थ पदार्थ की प्रत्यास्थता का मापक है। यह एकअक्षीय प्रतिबल एवं विकृति के अनुपात के रूप में परिभाषित है। कभी-कभी गलती से इसे प्रत्यास्थता मापांक (modulus of elasticity) भी कह दिया जाता है क्योंकि सभी प्रत्यास्थता गुणांकों में यंग गुणांक ही सबसे प्रचलितेवं सबसे अधिक प्रयुक्त मापांक है। इसके अतिरिक्त दो और 'प्रत्यास्थता मापांक' हैं - आयतन प्रत्यास्थता मापांक एवं अपरूपण गुणांक। .

15 संबंधों: प्रतिबल, प्रत्यास्थ ऊर्जा, प्रत्यास्थता, प्रत्यास्थता मापांक, प्वासों अनुपात, बल, यांत्रिकी, यंग मापांक, रबड़, समाकलन, संरचना इंजीनियरी, हुक का नियम, विकृति, आयतन प्रत्यास्थता मापांक, अपरूपण गुणांक

प्रतिबल

विभिन्न प्रकार के प्रतिबल सतत यांत्रिकी में प्रतिबल (stress) से आशय ईकाई क्षेत्रफल पर आरोपित उस आन्तरिक बल से है जो दूसरे कणों द्वारा अपने पड़ोसी कणों पर लगाया जाता है। इसकी इकाई न्यूटन/वर्ग मीटर या पासकल या किलोग्राम/मीटर/वर्ग सेकेण्ड होता है। किसी बिन्दु के आसपास एक अत्यन्त छोटे से क्षेत्र \Delta A पर \Delta\vec F बल लगा हो तो कुल प्रतिबल \vec s निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया जाता है- कुल प्रतिबल को निम्नलिखित दो प्रतिबलों के सदिश योग के रूप में भी लिखा जा सकता है: जहाँ: तीन विमाओं में प्रतिबल के घटक .

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प्रत्यास्थ ऊर्जा

प्रत्यास्थ ऊर्जा (Elastic energy) वह स्थितिज यांत्रिक ऊर्जा है जो उस पदार्थ के आयतन या आकार को विकृत करने के कारण उस पदार्थ के अन्दर संगृहीत हो जाता है। इसे निम्नलिखित सूत्र से अभिव्यक्त किया जा सकता है- जहाँ k पदार्थ का नियतांक है और x विकृति का माप है। .

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प्रत्यास्थता

यांत्रिकी में प्रत्यास्थता (elasticity) पदार्थों के उस गुण को कहते हैं जिसके कारण उस पर वाह्य बल लगाने पर उसमें विकृति (deformation) आती है परन्तु बल हटाने पर वह अपनी मूल स्थिति में आ जाता है। यदि वाह्यबल के परिमाण को धीरे-धीरे बढ़ाया जाय तो विकृति समान रूप से बढ़ती जाती है, साथ ही साथ आंतरिक प्रतिरोध भी बढ़ता जाता है। किन्तु किसी पदार्थ पर एक सीमा से अधिक बल लगाया जाय तो उस वाह्य बल को हटा लेने के बाद भी पदार्थ पूर्णत: अपनी मूल अवस्था में नहीं लौट पाता; बल्कि उसमें एक स्थायी विकृति शेष रह जाती है। पदार्थ की इसी सीमा को प्रत्यास्थता सीमा (Limit of elasticity या Elastic limit) कहते हैं। आंकिक रूप से स्थायी परिवर्तन लानेवाला, इकाई क्षेत्र पर लगनेवाला, न्यूनतम बल ही "प्रत्यास्थता सीमा" (Elastic limit) कहलाता है। प्रत्यास्थता की सीमा पार चुके पदार्थ को सुघट्य (Plastic) कहते हैं। प्रत्यास्थता सीमा के भीतर, विकृति वस्तु में कार्य करनेवाले प्रतिबल की समानुपाती होती है। यह एक प्रायोगिक तथ्य है एवं हुक के नियम (Hooke's law of elasticity) के नाम से विख्यात है। .

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प्रत्यास्थता मापांक

तन्य पदार्थ का प्रतिबल-विकृति वक्र यंग मापांक (Young's modulus) या प्रत्यास्थता मापांक (modulus of elasticity) एक संख्या है जो बताती है कि किसी वस्तु या पदार्थ पर बल लगाकर उसका आकार बदलना कितना कठिन है। इसका मान वस्तु के प्रतिबल-विकृति वक्र (stress–strain curve) के प्रवणता के बराबर होता है। परिभाषा के रूप में, .

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प्वासों अनुपात

किसी वस्तु पर अक्षीय दिशा में बल लगाने से अक्षीय दिशा में लम्बाई में परिवर्तन तो होता ही है, बल के लम्बवत दिशा (पार्श्व दिशा) में भी परिवर्तन होता है। किसी वस्तु की पार्श्व विकृति (transverse strain) तथा प्रत्यक्ष विकृति (अक्षीय विकृति) के अनुपात के ऋणात्मक मान को प्वासों अनुपात (Poisson's ratio) कहते हैं। यह नाम साइमन प्वासों (Siméon Poisson) के नाम पर रखा गया है। .

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बल

भौतिकि संबंधी बल के लिए देखें बल (भौतिकी) बल, जिसे ताकत भी कहा जाता है, कार्य करने की शक्ति है। परंपरागत रूप से इसे शरीर से जोड़कर देखा जाता रहा है। इसलिए प्रायः यह शारिरिक बल का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन इसके अतिरिक्त मानसिक एवं आध्यात्मिक बल की संकल्पना भी की गई है। .

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यांत्रिकी

यांत्रिकी (Mechanics) भौतिकी की वह शाखा है जिसमें पिण्डों पर बल लगाने या विस्थापित करने पर उनके व्यवहार का अध्ययन करती है। यांत्रिकी की जड़ें कई प्राचीन सभ्यताओं से निकली हैं। .

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यंग मापांक

यांत्रिकी के सन्दर्भ में यंग गुणांक या यंग मापांक (Young's modulus), किसी समांग प्रत्यास्थ पदार्थ की प्रत्यास्थता का मापक है। यह एकअक्षीय प्रतिबल एवं विकृति के अनुपात के रूप में परिभाषित है। कभी-कभी गलती से इसे प्रत्यास्थता मापांक (modulus of elasticity) भी कह दिया जाता है क्योंकि सभी प्रत्यास्थता गुणांकों में यंग गुणांक ही सबसे प्रचलितेवं सबसे अधिक प्रयुक्त मापांक है। इसके अतिरिक्त दो और 'प्रत्यास्थता मापांक' हैं - आयतन प्रत्यास्थता मापांक एवं अपरूपण गुणांक। .

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रबड़

रबर के वृछ का चित्रांकन रबड़ के वृक्ष भूमध्य रेखीय सदाबहार वनों में पाए जाते हैं, इसके दूध, जिसे लेटेक्स कहते हैं से रबड़ तैयार किया जाता हैं। सबसे पहले यह अमेजन बेसिन में जंगली रूप में उगता था, वहीं से यह इंगलैण्ड निवासियों द्वारा दक्षिणी-पूर्वी एशिया में ले जाया गया। पहले इसका प्रयोग पेन्सिल के निशान मिटाने के लिये किया जाता था। आज यह विश्व की महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से है। इसका प्रयोग मोटर के ट्यूब, टायर, वाटर प्रूफ कपड़े, जूते तथा विभिन्न प्रकार के दैनिक उपयोग की वस्तुओं में होता है। थाईलैंड, इण्डोनेशिया, मलेशिया, भारत, चीन तथा श्रीलंका प्रमुख उत्पादक देश है। भारत का विश्व उत्पादन में चौथा स्थान है परन्तु घरेलु खपत अधिक होने के कारण यह रबर का आयात करता है। रबर का आदिमस्थान अमरीका है। अमरीका की एक आदि जाति 'माया' थी, जिसमें रबर के गेंद प्रचलित थे। कोलंबस ने सन्‌ 1493 ई. में वहाँ के आदिवासियों को रबर के बने गेदों से खेलते देखा था। ऐसा मालूम होता है कि दक्षिण पूर्व एशिया के आदिवासी भी रबर से परिचित थे और उससे टोकरियाँ, घड़े और इसी प्रकार की व्यवहार की अन्य चीजें तैयार करते थे। धीरे-धीरे रबर का प्रचार सारे संसार में हो गया और आज रबर आधुनिक सभ्यता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है। रबर के बने सामानों की संख्या और उपयोगिता आज इतनी बढ़ गई है कि उसके अभाव में काम चलाना असंभव समझा जाता है। रबर का उपयोग शांति और युद्धकाल में, घरेलू और औद्योगिक कार्मों में समान रूप से होता है। संसार के समस्त रबर के उत्पादन का प्राय: 78 प्रतिशत गाड़ियों के टायरों और ट्यूबों के बनाने में तथा शेष जूतों के तले और एड़ियाँ, बिजली के तार, खिलौने, बरसाती कपड़े, चादरें, खेल के सामान, बोतलों और बरफ के थैलों, सरजरी के सामान इत्यादि, हजारों चीजों के बनाने में लगता है। अब तो रबर की सड़के भी बनने लगी हैं, जो पर्याप्त टिकाऊ सिद्ध हुई है। रबर का व्यवसाय आज दिनोंदिन बढ़ रहा है। .

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समाकलन

किसी फलन का निश्चित समाकल (definite integral) उस फलन के ग्राफ से घिरे क्षेत्र का चिह्नसहित क्षेत्रफल द्वारा निरूपित किया जा सकता है। समाकलन (जर्मन; अंग्रेज़ी; स्पेनिश; पुर्तगाली: Integral) यह एक विशेष प्रकार की योग क्रिया है जिसमें अत्यणु (infinitesimal) मान वाली किन्तु गिनती में अत्यधिक चर राशियों को जोड़ा जाता है। इसका एक प्रमुख उपयोग वक्राकार क्षेत्रों का क्षेत्रफल निकालने में होता है। समाकलन को अवकलन की व्युत्क्रम संक्रिया की तरह भी समझा जा सकता है। .

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संरचना इंजीनियरी

विश्व की सबसे बड़ी इमारत - '''बुर्ज दुबई''' संरचना इंजीनियरी, इंजीनियरी की वह शाखा है जो लोड (बल) सहन करने या बल का प्रतिरोध करने के के लिये बनायी जाने वाली संरचनाओं (structures) के विश्लेषण एवं डिजाइन से सम्बन्ध रखती है। इसे प्रायः सिविल इंजीनियरी के अन्दर एक विशेषज्ञता का क्षेत्र समझा जाता है। संरचना इंजीनियर का काम प्रायः भवनों तथा विशाल गैर-भवन संरचनाओं की डिजाइन करना होता है किन्तु वे मशीनरी, चिकित्सा उपकरण, वाहनों आदि के डिजाइन से भी जुड़े हो सकते हैं। संरचना इंजीनियरी का सिद्धान्त भौतिक नियमों तथा विभिन्न पदार्थों/ज्यामितियों के गुणधर्म से सम्बन्धित अनुभवजन्य ज्ञान पर आधारित है। अनेकों छोटे छोटे संरचनात्मक अवयवों के योग से जटिल संरचनाएँ निर्मित की जातीं हैं। संरचना इंजीनियर को लोहे और इस्पात का ही नहीं, बल्कि लकड़ी, ईंट, पत्थर, चूना और सीमेंट का भी आधुनिकतम ज्ञान तथा यांत्रिक एवं विद्युत् इंजीनियरी के कामों में भी दक्ष होना चाहिए, क्योंकि इन्हें अपने ढाँचे यांत्रिकी तथा भौतिकी के सिद्धांतों के अनुसार निरापद ढंग से बनाने पड़ते हैं। भूमि, जल और वायु की प्रकृति का भी पूर्ण ज्ञान सिविल इंजीनियर के समान ही होना चाहिए। .

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हुक का नियम

हुक का नियम स्प्रिंग पर भी लागू होता है। हुक का नियम आम जीवन में उपयोग आने वाले स्प्रिंग आदि यांत्रिक युक्तियों की लम्बाई में लघु परिवर्तन को ठीक से मॉडेल करने में समर्थ है ब्रिटिश भौतिकशास्त्री रॉबर्ट हुक ने 1676 में यांत्रिक युक्तियों को किसी बल द्वारा विकृत करने के बारे में एक सामान्य बात कही जो लम्बाई में परिवर्तन (विकृति) और लगाये गये बल के सम्बन्ध में है। इसके अनुसार, इसका नियम का आधुनिक रूप इस प्रकार है: '''कम कार्बन वाले इस्पात का प्रतिबल-विकृति वक्र''' (Stress–strain curve)। ध्यातव्य है कि हुक का नियम इस वक्र के केवल रेखीय भाग में ही वैध है। (मूल बिन्दु से यील्ड-बिंदु तक) 1. Ultimate strength 2. Yield strength-corresponds to yield point. 3. Rupture 4. Strain hardening region 5. Necking region. A: Apparent stress (F/A0) B: Actual stress (F/A) यदि किसी प्रत्यास्थ पदार्थ की L लम्बाई एवं A अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाली छड़ पर F बल लगाने पर उसकी लम्बाई में \Delta L की वृद्धि होती है तो इकाई लम्बाई में वृद्धि \Delta L/L को विकृति (strain) तथा प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल F/A को प्रतिबल (stress) कहते हैं। विकृति को ε से तथा प्रतिबल को σ से प्रदर्शित किया जाता है। अत: हुक के नियमानुसार, अथवा, जहाँ E को पदार्थ की यंग प्रत्यास्थता गुणांक (Young's Modulus of Elasticity) कहते हैं। हुक का नियम एक सामान्य प्रेक्षण ही था किन्तु यांत्रिक प्रौद्योगिकी और सिविल प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में इसका अत्यधिक उपयोग होता है। .

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विकृति

विकृति ' यह वस्तु या पदार्थ मे होने वाले विरूपण (deformation) को प्रदर्शित करती हैं| बाह्य बल(external force) के कारण वस्तु की लंबाई मे होने वाली परिवर्तन एवं उसकी प्रारंभिक लंबाई के अनुपात को विकृति (strain) कहते हैं | अतः नोट:- यह दो लंबाई का अनुपात हैं अर्थात इसकी कोई इकाई नहीं होती हैं | ' .

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आयतन प्रत्यास्थता मापांक

एकसमान संपीड़न का चित्रण किसी पदार्थ का अथवा बल्क मोड्यूलस (bulk modulus; K या B) एकसमान संपीड़न के मापन को व्यक्त करता है। इसे अत्यल्प दाब बढ़ाने के परिणामस्वरूप आयतन में होने वाली सापेक्षिक कमी के अनुपात से परिभाषित किया जाता है। इसकी अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली इकाई पास्कल है और इसकी विमीय रूप M1L−1T−2 है। .

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अपरूपण गुणांक

अपरूपण विकृति पदार्थ विज्ञान में, अपरूपण प्रतिबल और अपरूपण विकृति के अनुपात को अपरूपण गुणांक (shear modulus' या modulus of rigidity) कहते हैं। इसे G (कभी-कभी S याr μ) से निरूपित किया जाता है।: जहाँ अपरूपण गुणांक की एस आई इकाई पास्कल (Pa) है। इसकी विमा (dimension) M1L−1T−2 है। अपरूपण गुणांक सदा धनात्मक होता है।.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

यंग प्रत्यास्थता गुणांक, यंग गुणांक

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