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मोहर (चिन्ह)

सूची मोहर (चिन्ह)

मोहर (seal) किसी मोम, काग़ज़ या अन्य वस्तु पर चिन्ह लगाने के लिए बनी एक वस्तु को कहते हैं। ऐसी वस्तु से लगाए गए चिन्ह को भी मोहर कहा जाता है। इसका मक्सद किसी दस्तावेज़, लिफ़ाफ़े, ताले या अन्य प्रकार की वस्तु को प्रमाणित करना होता है। जब किसी ताले, लिफ़ाफ़े या अन्य बन्द करने वाली चीज़ पर मोहर लगाई जाती है तो उसके अंदर बन्द चीज़ों को प्रमाणित करा जा रहा होता है और मोहर ऐसे ढंग से लगाई जाती है कि उसे खोलते ही मोहर टूट जाए। उच्चाधिकारियों के लिए कभी-कभी ऐसी मोहरों को अंगूठियाँ में बना दिया जाता था ताकि वे समय-समय पर आसानी से जहाँ चाहे अपने अधिकारानुसार दस्तावेज़ों व अन्य चीज़ों को प्रमाणित कर सकें। .

4 संबंधों: दस्तावेज़, प्रमाणन, मोम, काग़ज़

दस्तावेज़

पासपोर्ट नागरिकता प्रमाणीत करने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है - ब्रिटिश राज के ज़माने का एक भारतीय पासपोर्ट दस्तावेज़ या प्रलेख या डॉक्यूमेंट (document) ऐसी वस्तु को कहते हैं जिसमें काग़ज़, कम्प्यूटर फ़ाइल या किसी अन्य माध्यम पर किसी मानव या मानवों द्वारा बनाए गए चिह्नों, शब्दों, विचारों, चित्रों या अन्य अर्थपूर्ण जानकारी को दर्ज किया गया हो। कानूनी व्यवस्था में किसी समझौते, सम्पति-अधिकार, घोषणा या अन्य महत्वपूर्ण बात का प्रमाण देने के लिए दस्तावेज़ों का विशेष प्रयोग होता है।, Jerry Iannacci, Ron Morris, pg.

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प्रमाणन

प्रमाणन किसी वस्तु, व्यक्ति अथवा संगठन, की कुछ विशेषताओं की पुष्टि करने से सन्दर्भित है। यह पुष्टिकरण अक्सर, पर हमेशा नहीं, कुछ फार्म द्वारा बाहरी समीक्षा, शिक्षा, या मूल्यांकन के आधार पर प्रदान किया जाता है। .

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मोम

मोमबत्तीमोम या सिक्थ, हाइड्रोकार्बनों का एक वर्ग है जो सामान्य तापमान पर सुघट्य (आघातवर्ध्य) होता है। मोम 45 °C (113 °F) से ऊपर के तापमान पर पिघल कर एक निम्न श्यानता के द्रव में का निर्माण करते हैं। मोम जल में अघुलनशील लेकिन पेट्रोलियम आधारित विलायक में घुलनशील होते हैं। मोम कई पौधों और जीवों द्वारा भी स्रावित किये जाते हैं, जैसे मधुमक्खी का मोम और कार्नौबा मोम (पादप मोम)। अधिकांश औद्योगिक मोम जीवाश्म ईंधनों के घटक होते हैं या फिर पेट्रोलियम यौगिकों के संश्लेषण से व्युत्पन्न होते हैं, जैसे पैराफिन। कान का मैल या मोम, मानव कान में पाया जाने वाला एक तैलीय पदार्थ है। कई पदार्थ जैसे कि सिलिकॉन मोम के गुण मोम के समान होते हैं इसलिए इन्हें मोम की श्रेणी में ही रखा जाता है। .

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काग़ज़

कागज का पुलिन्दा चीन में कागज का निर्माण कागज एक पतला पदार्थ है जिस पर लिखा या प्रिन्ट किया जाता है। कागज मुख्य रूप से लिखने और छपाई के लिए प्रयुक्त होता है। यह वस्तुओं की पैकेजिंग करने के काम भी आता है। मानव सभ्यता के विकास में कागज का बहुत बड़ा योगदान है। गीले तन्तुओं (फाइबर्स्) को दबाकर एवं तत्पश्चात सुखाकर कागज बनाया जाता है। ये तन्तु प्राय: सेलुलोज की लुगदी (पल्प) होते हैं जो लकड़ी, घास, बांस, या चिथड़ों से बनाये जाते हैं। पौधों में सेल्यूलोस नामक एक कार्बोहाइड्रेट होता है। पौधों की कोशिकाओं की भित्ति सेल्यूलोज की ही बनी होतीं है। अत: सेल्यूलोस पौधों के पंजर का मुख्य पदार्थ है। सेल्यूलोस के रेशों को परस्पर जुटाकर एकसम पतली चद्दर के रूप में जो वस्तु बनाई जाती है उसे कागज कहते हैं। कोई भी पौधा या पदार्थ, जिसमें सेल्यूलोस अच्छी मात्रा में हो, कागज बनाने के लिए उपयुक्त हो सकता है। रुई लगभग शुद्ध सेल्यूलोस है, किंतु कागज बनाने में इसका उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि यह महँगी होती है और मुख्य रूप से कपड़ा बनाने के काम में आती है। परस्पर जुटकर चद्दर के रूप में हो सकने का गुण सेल्यूलोस के रेशों में ही होता है, इस कारण कागज केवल इसी से बनाया जा सकता है। रेशम और ऊन के रेशों में इस प्रकार परस्पर जुटने का गुण न होने के कारण ये कागज बनाने के काम में नहीं आ सकते। जितना अधिक शुद्ध सेल्यूलोस होता है, कागज भी उतना ही स्वच्छ और सुंदर बनता है। कपड़ों के चिथड़े तथा कागज की रद्दी में लगभग शतप्रतिशत सेल्यूलोस होता है, अत: इनसे कागज सरलता से और अच्छा बनता है। इतिहासज्ञों का ऐसा अनुमान है कि पहला कागज कपड़ों के चिथड़ों से ही चीन में बना था। पौधों में सेल्यूलोस के साथ अन्य कई पदार्थ मिले रहते हैं, जिनमें लिग्निन और पेक्टिन पर्याप्त मात्रा में तथा खनिज लवण, वसा और रंग पदार्थ सूक्ष्म मात्राओं में रहते हैं। इन पदार्थों को जब तक पर्याप्त अंशतक निकालकर सूल्यूलोस को पृथक रूप में नहीं प्राप्त किया जाता तब तक सेल्यूलोस से अच्छा कागज नहीं बनाया जा सकता। लिग्निन का निकालना विशेष आवश्यक होता है। यदि लिग्निन की पर्याप्त मात्रा में सेल्यूलोस में विद्यमान रहती है तो सेल्यूलोस के रेशे परस्पर प्राप्त करना कठिन होता है। आरंभ में जब तक सेल्यूलोस को पौधों से शुद्ध रूप में प्राप्त करने की कोई अच्छी विधि ज्ञात नहीं हो सकी थी, कागज मुख्य रूप से फटे सूती कपड़ों से ही बनाया जाता था। चिथड़ों तथा कागज की रद्दी से यद्यपि कागज बहुत सरलता से और उत्तम कोटि का बनता है, तथापि इनकी इतनी मात्रा का मिल सकना संभव नहीं है कि कागज़ की हामरी पूरी आवश्यकता इनसे बनाए गए कागज से पूरी हो सके। आजकल कागज बनाने के लिए निम्नलिखित वस्तुओं का उपयोग मुख्य रूप से होता है: चिथड़े, कागज की रद्दी, बाँस, विभिन्न पेड़ों की लकड़ी, जैसे स्प्रूस और चीड़, तथा विविध घासें जैसे सबई और एस्पार्टो। भारत में बाँस और सबई घास का उपयोग कागज बनाने में मुख्य रूप से होता है। .

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