लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

आंग्ल-मैसूर युद्ध

सूची आंग्ल-मैसूर युद्ध

कोई विवरण नहीं।

2 संबंधों: द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध, प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध

द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध

द्वितीय मैसूर युद्ध 1780 से 1784 ई. तक चला। अंग्रेज़ों ने 1769 ई. की 'मद्रास की सन्धि' की शर्तों के अनुसार आचरण नहीं किया और 1770 ई. में हैदर अली को, समझौते के अनुसार उस समय सहायता नहीं दी, जब मराठों ने उस पर आक्रमण किया। अंग्रेज़ों के इस विश्वासघात से हैदर अली को अत्यधिक क्षोभ हुआ था। उसका क्रोध उस समय और भी बढ़ गया, जब अंग्रेज़ों ने हैदर अली की राज्य सीमाओं के अंतर्गत 'माही' की फ़्राँसीसी बस्तीयों पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया। उसने मराठा और निज़ाम के साथ 1780 ई. में 'त्रिपक्षीय सन्धि' कर ली, जिससे 'द्वितीय मैसूर युद्ध' प्रारंभ हो गया। .

नई!!: आंग्ल-मैसूर युद्ध और द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध · और देखें »

प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध

प्रथम मैसूर युद्ध अंग्रेजो और हैदर अली के बीच 1767 से 1769 ई. तक हुआ,जिसका कारण मद्रास में अंग्रेज़ों की आक्रामक नीतियाँ थीं। मैसूर राज्य वर्तमान कर्नाटक का राज्य था। मैसूर राज्य में चकियाँ कृ्ष्णराय नाम के शासक का राज्य था जो कि वोडियार वंश से था। मैसूर में चकियाँ कृष्णराय के समय में दो अधिकारी नन्नराज व देवराज थे। इनहोने राजा को अपने वश में कर रखा था और प्रशासन को अपने तरीके से चलाते थे। इसी समय 1721 ई. में हैदर अली का जन्म हुआ और घुड़साला में काम करने के लिए भर्ती हुआ। वहाँ पर रहते हुये उसने युद्ध के कर्त्तव्य सीखे जैसे- घुड़सवारी करना, तलबार चलाना आदि सीखा और फिर एक सैनिक के रुप में भर्ती हुआ। यह एक योग्य और ऊर्जावान कमान्डर बना और कुछ ही समय में यह सेना का यह प्रधान सेनापति बन गया। सारी सेनायें इसके नियन्त्रण में आ गयी उस समय मैसूर के शासक को एक योग्य, ऊर्जावान व अनुभवी व्यक्ति की आवश्यकता थी जो हैदर अली मेें दिखायी दिये तब राजा ने हैदर अली को मैसूर का शाषक घोषित कर दिया। और तब हैदर अली ने वहाँ का विकास करना शुरू किया। 1766 ई. में जब हैदर अली मराठों से एक युद्ध में उलझा था, मद्रास के अंग्रेज़ अधिकारियों ने निज़ाम की सेवा में एक ब्रिटिश सैनिक टुकड़ी भेज दी थी, और ईस्ट इंडिया कंपनी ने हैदर अली के विरुद्ध उत्तरी सरकारों के समर्पण के लिए हैदराबाद के निज़ाम से गठबंधन कर लिया। जिसकी सहायता से निज़ाम ने मैसूर के भू-भागों पर आक्रमण कर दिया था। अंग्रेज़ों की इस अकारण शत्रुता से हैदर-अली को बड़ा क्रोध आया। उसने मराठों से संधि कर ली, अस्थिर बुद्धि निज़ाम को अपनी ओर मिला लिया और निज़ाम की सहायता से कर्नाटक पर, जो उस समय अंग्रेज़ों के नियंत्रण में था, आक्रमण कर दिया। 1768 ई. में निज़ाम युद्ध से हट गया और उसने अकेले हैदर अली को अंग्रेज़ों का सामना करने के लिए छोड़ दिया। इस प्रकार प्रथम मैसूर युद्ध का सूत्रपात हुआ। यह युद्ध दो वर्षों तक चलता रहा और 1769 ई. में जब हैदर अली का अचानक धावा मद्रास के क़िले की दीवारों तक पहुँच गया, उसका अंत हुआ। मद्रास कौंसिल के सदस्य भयाकुल हो उठे और उन्होंने हैदर-अली द्वारा सुलह की शर्तें स्वीकार कर लीं। संधि की शर्तें संधि की शर्तों के अनुसार दोनों पक्षों ने जीते गए भू-भाग लौटा दिए और अंग्रेज़ों ने विवशता में हैदर अली की शर्तों पर 4 अप्रैल, 1769 को 'मद्रास की संधि' कर ली। संधि की शर्तों के अनुसार यह एक प्रतिरक्षात्मक संधि थी। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के जीते हुए क्षेत्रों को वापस किया, परन्तु हैदर अली ने 'करुर' के क्षेत्र को वापस नहीं किया। अंग्रेज़ों ने हैदर अली पर किसी और के आक्रमण के समय रक्षा करने का वायदा किया। श्रेणी:भारत के युद्ध.

नई!!: आंग्ल-मैसूर युद्ध और प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

मैसूर युद्ध

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »