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मैग्ना कार्टा

सूची मैग्ना कार्टा

मैग्ना कार्टा मैग्ना कार्टा (Magna Carta) या मैग्ना कार्टा लिबरटैटम् (Great Charter of Freedoms या आजादी का महान चार्टर) इंग्लैण्ड का एक कानूनी परिपत्र है जो सबसे पहले सन् १२१५ ई में जारी हुआ था। यह लैटिन भाषा में लिखा गया था। मैग्ना कार्टा में इंग्लैण्ड के राजा जॉन ने सामन्तों (nobles and barons) को कुछ अधिकार दिये; कुछ कानूनी प्रक्रियाओं के पालन का वचन दिया; और स्वीकार किया कि उनकी इच्छा कानून के सीमा में बंधी रहेगी। मैग्ना कार्टा ने राजा की प्रजा के कुछ अधिकारों की रक्षा की स्पष्ट रूप से पुष्टि की, जिनमें से बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका (habeas corpus) उल्लेखनीय है। चार्टर की महत्ता इस तथ्य में निहित है कि प्रत्येक पीढ़ी ने इसकी वैधानिक व्याख्या कर इस सिद्धांत पर जोर दिया कि राजा को कानून का सम्मान अनिवार्य करना चाहिए। यह सामंतों तथा साधारण जनता दोनों के लिये वैधानिकता का प्रतीक बना तथा ब्रिटिश वैधानिक अधिनियमन का श्रीगणेश भी यहीं से हुआ माना जाता है। .

8 संबंधों: चार्टर आन्दोलन, पोप, फ़्रान्स, बन्दी प्रत्यक्षीकरण, बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९, लातिन भाषा, लोकतंत्र का इतिहास, इंग्लैण्ड

चार्टर आन्दोलन

चार्टवादी दंगे ब्रिटेन में सन् १८३८ और १८४८ के बीच राजनीतिक सुधारों के लिये श्रमिक वर्ग द्वारा किये गये आन्दोलन चार्टर आन्दोलन (Chartism) कहलाते हैं। यह नाम सन् १८३८ में निर्मित 'पीपल्स चार्टर' से आया है। यह आन्दोलन विश्व के श्रमिक वर्ग का पहला विशाल आन्दोलन था। 'चार्टिज्म' नाम बहुत से स्थानीय समूहों का सामूहिक नाम था जिन्होने १८३७ से विभिन्न शहरों में अपने विरोध की आवाज बुलन्द की। .

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पोप

बेनेडिक्ट सोलहवें - २६५वें तथा वर्तमान पोप रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्म गुरु, रोम के बिशप एवं वैटिकन के राज्याध्यक्ष को पोप कहते हैं। 'पोप' का शाब्दिक अर्थ 'पिता' होता है। यह लैटिन के "पापा" (papa) से व्युत्पन्न हा है जो स्वयं ग्रीक के पापास् (πάπας, pápas) से व्युत्पन्न है। इस समय (फरवरी, २००९) बेनेडिक्ट सोलहवें (Benedict XVI) इस पद पर आसीन हैं जिन्हें १९ अप्रैल २००५ को चुना गया था। वे २६५वें पोप हैं। रोमन काथलिक चर्च के परमाधिकारी को संत पापा (पिता) 'होली फादर' अथवा पोप कहते हैं। ईसा से अपने महाशिरूय संत पीटर को अपने चर्च का आधार तथा प्रधान 'चरवाहा' नियुक्त किया था और उनको यह भी सुस्पष्ट आश्वासन दिया था कि उनपर आधारित चर्च शताब्दियों तक बना रहेगा। अत: ईसा के विधान से संत पीटर का देहांत रोम में हुआ था, इसलिये प्रारंभ ही से संत पीटर के उत्तराधिकारी होने के कारण रोम के बिशप समूचे चर्च के अध्यक्ष तथा पृथ्वी पर ईसा के प्रतिनिधि माने गए थे। इतिहास इसका साक्षी है कि रोम के बिशप के अतिरिक्त किसी ने कभी संत पीटर का उत्तराधिकारी होने का दावा नहीं किया। किंतु प्राच्य चर्च के अलग होते जाने से तथा प्रोटेस्टैंट धर्म के उद्भव से पोप के अधिकारी के विषय में शताब्दियों तक वाद विवाद होता रहा, अंततोगत्वा वैटिकन की प्रथम अधिकार रखते हैं। वे ईसा की शिक्षा के सर्वोच्च व्याख्याता हैं और चर्च के परमाधिकारी की हैसियत से धर्मशिक्षा की व्याख्या करते समय भ्रमातीत अर्थात्‌ अचूक हैं। पोप वैटिकन राज्य के अध्यक्ष हैं तथा उनके देहांत पर कार्डिनल उनके उत्तराधिकारी को चुनते हैं .

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फ़्रान्स

फ़्रान्स,या फ्रांस (आधिकारिक तौर पर फ़्रान्स गणराज्य; फ़्रान्सीसी: République française) पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है किन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। पेरिस इसकी राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर में बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, पूर्व में जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, इटली, दक्षिण-पश्चिम में स्पेन, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्यसागर तथा उत्तर पश्चिम में इंग्लिश चैनल द्वारा घिरा है। इस प्रकार यह तीन ओर सागरों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से इसकी स्थिति उत्तम नहीं है। लौह युग के दौरान, अभी के महानगरीय फ्रांस को कैटलिक से आये गॉल्स ने अपना निवास स्थान बनाया। रोम ने 51 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया। फ्रांस, गत मध्य युग में सौ वर्ष के युद्ध (1337 से 1453) में अपनी जीत के साथ राज्य निर्माण और राजनीतिक केंद्रीकरण को मजबूत करने के बाद एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। पुनर्जागरण के दौरान, फ्रांसीसी संस्कृति विकसित हुई और एक वैश्विक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुआ, जो 20 वीं सदी तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थी। 16 वीं शताब्दी में यहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट (ह्यूजेनॉट्स) के बीच धार्मिक नागरिक युद्धों का वर्चस्व रहा। फ्रांस, लुई चौदहवें के शासन में यूरोप की प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति बन कर उभरा। 18 वीं शताब्दी के अंत में, फ्रेंच क्रांति ने पूर्ण राजशाही को उखाड़ दिया, और आधुनिक इतिहास के सबसे पुराने गणराज्यों में से एक को स्थापित किया, साथ ही मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा के प्रारूप का मसौदा तैयार किया, जोकि आज तक राष्ट्र के आदर्शों को व्यक्त करता है। 19वीं शताब्दी में नेपोलियन ने वहाँ की सत्ता हथियाँ कर पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की स्थापना की, इसके बाद के नेपोलियन युद्धों ने ही वर्तमान यूरोप महाद्वीपीय के स्वरुप को आकार दिया। साम्राज्य के पतन के बाद, फ्रांस में 1870 में तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई, हलाकि आने वाली सभी सरकार लचर अवस्था में ही रही। फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भागीदार था, जहां वह विजयी हुआ, और द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र में से एक था, लेकिन 1940 में धुरी शक्तियों के कब्जे में आ गया। 1944 में अपनी मुक्ति के बाद, चौथे फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई जिसे बाद में अल्जीरिया युद्ध के दौरान पुनः भंग कर दिया गया। पांचवां फ्रांसीसी गणतंत्र, चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में, 1958 में बनाई गई और आज भी यह कार्यरत है। अल्जीरिया और लगभग सभी अन्य उपनिवेश 1960 के दशक में स्वतंत्र हो गए पर फ्रांस के साथ इसके घनिष्ठ आर्थिक और सैन्य संबंध आज भी कायम हैं। फ्रांस लंबे समय से कला, विज्ञान और दर्शन का एक वैश्विक केंद्र रहा है। यहाँ पर यूरोप की चौथी सबसे ज्यादा सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद है, और दुनिया में सबसे अधिक, सालाना लगभग 83 मिलियन विदेशी पर्यटकों की मेजबानी करता है। फ्रांस एक विकसित देश है जोकि जीडीपी में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता में नौवीं सबसे बड़ा है। कुल घरेलू संपदा के संदर्भ में, यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। फ्रांस का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन प्रत्याशा और मानव विकास की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन है। फ्रांस, विश्व की महाशक्तियों में से एक है, वीटो का अधिकार और एक आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है। यह यूरोपीय संघ और यूरोजोन का एक प्रमुख सदस्यीय राज्य है। यह समूह-8, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और ला फ्रैंकोफ़ोनी का भी सदस्य है। .

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बन्दी प्रत्यक्षीकरण

बंदी प्रत्यक्षीकरण (लातिनी: habeas corpus, हेबियस कॉर्पस, "(हमारा आदेश है कि) आपके पास शरीर है") एक प्रकार का क़ानूनी आज्ञापत्र (writ, रिट) होता है जिसके द्वारा किसी ग़ैर-क़ानूनी कारणों से गिरफ़्तार व्यक्ति को रिहाई मिल सकती है। बंदी प्रत्यक्षीकरण आज्ञापत्र अदालत द्वारा पुलिस या अन्य गिरफ़्तार करने वाली राजकीय संस्था को यह आदेश जारी करता है कि बंदी को अदालत में पेश किया जाए और उसके विरुद्ध लगे हुए आरोपों को अदालत को बताया जाए। यह आज्ञापत्र गिरफ़्तार हुआ व्यक्ति स्वयं या उसका कोई सहयोगी (जैसे कि उसका वकील) न्यायलय से याचना करके प्राप्त कर सकता है। पुराने ज़माने में पुलिस पर कोई लगाम नहीं थी और वे किसी भी साधारण नागरिक को गिरफ़्तार कर लें तो किसी को भी जवाबदेह नहीं होते थे। बंदी प्रत्यक्षीकरण का सिद्धांत ऐसी मनमानियों पर रोक लगाकर साधारण नागरिकों को सुरक्षा देता है। मूलतः यह अंग्रेज़ी कानून में उत्पन्न हुई एक सुविधा थी जो अब विश्व के कई देशों में फैल गई है। ब्रिटिश विधिवेत्ता अल्बर्ट वेन डाईसी ने लिखा है कि बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिनियमों "में कोई सिद्धांत घोषित नहीं और कोई अधिकार परिभाषित नहीं, लेकिन वास्तव में ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता की ज़मानत देने वाले सौ संवैधानिक अनुच्छेदों की बराबरी रखते हैं।" अधिकांश देशों में बंदी प्रत्यक्षीकरण की प्रक्रिया को राष्ट्रीय आपातकाल के समय में निलंबित किया जा सकता है। अधिकांश नागरिक कानून न्यायालयों में, तुलनीय प्रावधान मौजूद हैं, परन्तु उन्हें "बंदी प्रत्यक्षीकरण" नहीं कहा जा सकता है। बंदी प्रत्यक्षीकरण का प्रादेश "असाधारण", "आम कानून", या "परमाधिकार प्रादेश" कहे जाने वालों में से एक है, जो न्यायालय द्वारा राष्ट्र के भीतर अधीन न्यायालयों और सार्वजनिक अधिकारियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से राजा के नाम पर ऐतिहासिक रूप से जारी किया जाता था। अन्य ऐसे परमाधिकार प्रादेशों में सबसे आम है क्वो वारंटो (अधिकारपृच्छा प्रादेश), प्रोहिबिटो (निषेधादेश), मेंडेमस (परमादेश), प्रोसिडेंडो और सरोरि (उत्प्रेषणादेश).

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बिल ऑफ़ राइट्स, १६८९

बिल ऑफ़ राइट्स, यानि अधिकाओं का विधेयक, इंग्लैंड की संसद द्वारा १६ दिसंबर १६८९ में पारित एक अधिनियम था, जो संवैधानिक मामलों और नागरिक अधिकारों को स्थापित करता है। यह विधेयक मूलतः, कन्वेन्शन पार्लियामेंट(अनधिकृत-आहूत संसद) द्वारा राजा विलियम और रानी मैरी द्वितीय के समक्ष, फ़रवरी १६८९ को पेश किये गए डिक्लेरेशन ऑफ़ राइट्स(अधिकारों का घोषणापत्र) का ही एक सांविधिक रूप में पुनःकथित अवतार था। इसे इंग्लैंड के गौरवशाली क्रांति के बाद लाया गया था। इस डिक्लेरेशन द्वारा कन्वेंशन पार्लियामेंट ने विलियम और मैरी को इंग्लैंड पर साँझा रूप से शासन करने के लिए आमंत्रित किया था। बिल ऑफ़ राइट्स, संप्रभु के अधिकारों की सीमाएं तय करती है, और साथ ही संसद के अधिकारों को भी अंकित करती है। संसद के लिए निर्धारित किये गए अधिकारों में, नियमित संसदीय सत्र, मुक्त चुनाव और संसद में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अदिकार शामिल किये गए थे। इसके अलावा यह कई नागरिक अधिकारों को भी स्थापित करता है, जिनमें, क्रूर और असामान्य दण्ड प्रदान करने पर रोक, और न्यायिक दायरे में प्रोटोस्टेंट लोगों को आत्मरक्षा हेतु शस्त्र रखने की अनुमति शामिल हैं। इसके अलावा यह, निष्कासित शासक, इंग्लैंड के जेम्स द्वितीय के अनेक "दुष्कर्मों" को अंकित करता है, और उनकी निंदा करता है। इस विधेयक में दिए गए प्रावधान, प्रसिद्ध राजनीतिक दार्शनिक, जॉन लॉक के विचारों को प्रदर्शित करते हैं, और पारित होने के साथ ही यह विचार, शीघ्र ही पूरे इंग्लैंड में लोकप्रिय हो गए। साथ ही यह राजमुकुट पर, संसद द्वारा प्रतिनिधित, जनता की मनोकामना के समकक्ष कार्य करने हेतु कई संवैधानिक आवश्यक्ताओं को अंकित करता है। ब्रिटेन में, मैगन कार्टा और कुछ अन्य अधिनियमों समेत, ब्रिटेन के असंहितबद्ध संविधान के मूल एवम् सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों में से एक माना जाता है। साथ ही इस बिल को अमेरिकी अधिकार विधेयक की प्रेरणा भी माना जाता है। ऍक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१ के साथ, बिल ऑफ़ राइट्स, ब्रिटेन समेत, तमाम १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में आज की तिथि तक लागू है। २०११ के पर्थ समझौते के बाद, इन दोनों को संशोधित करने हेतु विधान, सारे राष्ट्रमण्डल प्रदेशों में २६ मार्च २०१५ से पारित किया गया। इस अधिनियम का पूरा शीर्षक मूल में इस प्रकार दिया हुआ है- प्रजा के अधिकारों और स्वतंत्रता की घोषणा तथा सिंहासन का उत्तराधिकार व्यवस्थित करने वाला अधिनियम। ब्रिटिश लोकसभा द्वारा नियुक्त एक समिति ने अधिकार की घोषणा नामक जो पत्रक प्रस्तुत किया था और जिसे राजदंपति ने 19 फ़रवरी 1689 को अपनी स्वीकृति दी थी वही घोषणा इस अधिनियम की पूर्ववर्ती थी और इसकी धाराएँ प्रायः पूर्णतः उसके अनुरूप थीं। अधिकार की घोषणा में उन शर्तों का भी परिगणन था जिनके अनुसार राजदंपति को उत्तराधिकार मिला था और जिनका पालन करने की उन्होंने शपथ ली थी। इन दोनों अधिनियमों का प्रधान महत्व अंग्रेजी संविधान में राजकीय उत्तराधिकार निश्चित करने में है। .

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लातिन भाषा

लातीना (Latina लातीना) प्राचीन रोमन साम्राज्य और प्राचीन रोमन धर्म की राजभाषा थी। आज ये एक मृत भाषा है, लेकिन फिर भी रोमन कैथोलिक चर्च की धर्मभाषा और वैटिकन सिटी शहर की राजभाषा है। ये एक शास्त्रीय भाषा है, संस्कृत की ही तरह, जिससे ये बहुत ज़्यादा मेल खाती है। लातीना हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की रोमांस शाखा में आती है। इसी से फ़्रांसिसी, इतालवी, स्पैनिश, रोमानियाई और पुर्तगाली भाषाओं का उद्गम हुआ है (पर अंग्रेज़ी का नहीं)। यूरोप में ईसाई धर्म के प्रभुत्व की वजह से लातीना मध्ययुगीन और पूर्व-आधुनिक कालों में लगभग सारे यूरोप की अंतर्राष्ट्रीय भाषा थी, जिसमें समस्त धर्म, विज्ञान, उच्च साहित्य, दर्शन और गणित की किताबें लिखी जाती थीं। .

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लोकतंत्र का इतिहास

एथेंस के एक्रोपोलिस का चित्रण लोकतंत्र के उपयोग का इतिहास लंबा और ऊंचनीच से भरा हुआ है। भारत के प्राचीन गणतंत्रों अथवा यूरोप के एथेन्सी लोकतंत्र का इतिहास ही दो हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है और हम देखते हैं कि उस काल के मानव समाज में भी लोकतंत्रीय संस्थाएं किसी-न-किसी रूप में विद्यमान थीं। मानवीय गतिविधि जैसे-जैसे व्यापक रूप लेती गई, मानव दृष्टि में भी व्यापकता आती गई। नागरिक समाज निर्माण करने की आकांक्षा ने मनुष्य को लोकतंत्र की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया क्योंकि यही ऐसी व्यवस्था है जिसमें सर्वसाधारण को अधिकतम भागीदारी का अवसर मिलता है। इससे केवल निर्णय करने की प्रक्रिया ही में नहीं अपितु कार्यकारी क्षेत्र में भी भागीदारी उपलब्ध होती है। अपने विकास क्रम के विभिन्न चरणों में लोकतंत्र ने भिन्न-भिन्न परिस्थितियों को अन्यान्य मात्रा में सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। .

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इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .

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