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मेरोस्टोमाटा

सूची मेरोस्टोमाटा

मेरोस्टोमाटा (Merostomata) केलीसेराटा संघ के आर्थ्रोपोड प्राणियों का एक वर्ग है जिसमें ज़िफ़ोसुरा (अश्वनाल केंकड़ा) और विलुप्त युरिप्टेरिडा (समुद्री बिच्छु) के दो गण आते हैं। .

11 संबंधों: एक्डीसोज़ोआ, प्राणी, युरिप्टेरिडा, सन्धिपाद, संघ (जीवविज्ञान), ज़िफ़ोसुरा, वर्ग (जीवविज्ञान), विलुप्ति, गण (जीवविज्ञान), केलीसेराटा, अश्वनाल केकड़ा

एक्डीसोज़ोआ

एक्डीसोज़ोआ (Ecdysozoa) प्रोटोस्टोम प्राणियों की एक श्रेणी है जिसमें आर्थ्रोपोडा (कीट, केलीसेराटा, क्रस्टेशिया, मिरियापोडा), नेमाटोडा (सूत्रकृमि) और कई अन्य छोटे जीववैज्ञानिक संघ शामिल हैं। इस श्रेणी को सन् 1997 में कई प्राणियों के राइबोसोम आर एन ए के अनुवांशिक अध्ययन में मिली समानताओं के आधार पर प्रस्तावित करा गया था। सन् 2008 में हुई एक जाँच में यह साबित हो गया कि यह एक क्लेड है, यानि इसकी सभी सदस्य जातियाँ अतिप्राचीन काल में एक ही सांझी पूर्वज जाति से क्रमविकसित हुई हैं। .

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प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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युरिप्टेरिडा

युरिप्टेरिडा या समुद्री बिच्छु आर्थ्रोपोडा का एक विलुप्त जीववैज्ञानिक गण है जो अरैकनिडा (मकड़ी और सम्बन्धित प्राणी) से सम्बन्धित है और जिसमें विश्व के सबसे बड़े ज्ञात आर्थ्रोपोड थे। हालांकि इनका नाम "समुद्री बिच्छु" है, यह बिच्छु नहीं थे और इनकी केवल सबसे पहली उत्पन्न हुई जातियाँ ही सागर में रहती थीं (बाद में विकसित हुई जातियाँ मीठे पानी या अर्ध-खारे पानी में रहती थीं)। इसकी अधिकांश जातियाँ 20 सेंटीमीटर से कम थी लेकिन सबसे बड़ी जाति की लम्बाई 2.5 मीटर (8 फ़ुट 2 इंच) थी। .

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सन्धिपाद

आर्थ्रोपोडा संघ के प्राणी सन्धिपाद (अर्थोपोडा) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। पृथ्वी पर सन्धिपाद की लगभग दो तिहाई जातियाँ हैं, इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। इनका शरीर सिर, वक्ष और उदर में बँटा रहता है। शरीर के चारों ओर एक खोल जैसी रचना मिलती है। प्रायः सभी खंडों के पार्श्व की ओर एक संधियुक्त शाखांग होते हैं। सिर पर दो संयुक्त नेत्र होते हैं। ये जन्तु एकलिंगी होते हैं और जल तथा स्थल दोनों स्थानों पर मिलते हैं। तिलचट्टा, मच्छर, मक्खी, गोजर, झिंगा, केकड़ा आदि इस संघ के प्रमुख जन्तु हैं। .

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संघ (जीवविज्ञान)

वर्ग आते हैं संघ (अंग्रेज़ी: phylum, फ़ायलम) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी वर्गों (क्लासों) से ऊपर और जगत (किंगडम) के नीचे आता है, यानि एक संघ में बहुत से वर्ग होते हैं और बहुत से संघों को एक जीववैज्ञानिक जगत में संगठित किया जाता है। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक संघ में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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ज़िफ़ोसुरा

ज़िफ़ोसुरा (Xiphosura) केलीसेराटा संघ के मेरोस्टोमाटा वर्ग में आर्थ्रोपोड प्राणियों का एक गण है। इसकी अधिकांश जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं लेकिन लिम्युलिडाए कुल में चार जातियाँ अभी-भी अस्तित्व में हैं। इन अस्तित्ववान जातियों में से एक अश्वनाल केंकड़ा है, जिसमें करोड़ों वर्षों से कोई परिवर्तन न होने के कारण उसे एक जीवित जीवाश्म समझा जाता है। .

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वर्ग (जीवविज्ञान)

गण आते हैं वर्ग (अंग्रेज़ी: class, क्लास) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। आधुनिक जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में यह श्रेणी गणों (ओर्डरों) से ऊपर और संघों (फ़ायलमों) के नीचे आती है, यानि एक वर्ग में बहुत से गण होते हैं और बहुत से वर्गों को एक फ़ायलम में संगठित किया जाता है। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक वर्ग में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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विलुप्ति

मॉरीशस का डोडो पक्षी मानव शिकार के कारण विलुप्त हो गया जीव विज्ञान में विलुप्ति (extinction) उस घटना को कहते हैं जब किसी जीव जाति का अंतिम सदस्य मर जाता है और फिर विश्व में उस जाति का कोई भी जीवित जीव अस्तित्व में नहीं होता। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। अंतिम सदस्य की मृत्यु के साथ ही उस जाति में प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि की संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। पारिस्थितिकी में कभी कभी विलुप्ति शब्द का प्रयोग क्षेत्रीय स्तर पर किसी जीव प्रजाति की विलुप्ति से भी लिया जाता है। अध्ययन से पता चला है कि अपनी उत्पत्ति के औसतन १ करोड़ वर्ष बाद जाति विलुप्त हो जाती है, हालांकि कुछ जातियाँ दसियों करोड़ों वर्षों तक जारी रहती हैं। पृथ्वी पर मानव के विकसित होने से पहले विलुप्तियाँ प्राकृतिक वजहों से हुआ करती थीं। माना जाता है कि पूरे इतिहास में जितनी भी जातियाँ पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं उनमें से लगभग ९९.९% विलुप्त हो चुकी हैं।, Denise Walker, Evans Brothers, 2006, ISBN 978-0-237-53010-5,...

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गण (जीवविज्ञान)

कुल आते हैं गण (अंग्रेज़ी: order, ऑर्डर; लातिनी: ordo, ओर्दो) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक गण में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के कुल आते हैं। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक कुल में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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केलीसेराटा

केलीसेराटा (Chelicerata) एक प्राणी उपसंघ है जो आर्थ्रोपोडा संघ का एक मुख्य उपविभाग है। इसमें अश्वनाल केकड़ा, समुद्री मकड़ी और अष्टपाद (मसलन बिच्छु और मकड़ी) शामिल हैं। .

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अश्वनाल केकड़ा

अश्वनाल केकड़ा (Horseshoe crab) समुद्री आर्थ्रोपोड हैं जो ज़िफ़ोसुरा गण के लिम्युलिडाए कुल में श्रेणीकृत हैं। यह तटों के पास सागरों व महासागरों के कम गहराई वाले क्षेत्रों में रहते हैं और के लिए बाहर भूमि पर आते हैं। क्रमविकास द्वारा इनकी उत्पत्ति लगभग ४५ करोड़ वर्ष पहले हुई थी और, क्योंकि तब से इनमें बहुत कम बदलाव आया है, इन्हें जीवित जीवाश्म बुलाया जाता है। अपने नाम और रूप के बावजूद यह केकड़ों से कम और मकड़ियों से अधिक अनुवांशिक सम्बन्ध रखते हैं। .

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