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मेघालय

सूची मेघालय

मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसका अर्थ है बादलों का घर। २०१६ के अनुसार यहां की जनसंख्या ३२,११,४७४ है। मेघालय का विस्तार २२,४३० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में है, जिसका लम्बाई से चौडाई अनुपात लगभग ३:१ का है। IBEF, India (2013) राज्य का दक्षिणी छोर मयमनसिंह एवं सिलहट बांग्लादेशी विभागों से लगता है, पश्चिमी ओर रंगपुर बांग्लादेशी भाग तथा उत्तर एवं पूर्वी ओर भारतीय राज्य असम से घिरा हुआ है। राज्य की राजधानी शिलांग है। भारत में ब्रिटिश राज के समय तत्कालीन ब्रिटिश शाही अधिकारियों द्वारा इसे "पूर्व का स्काटलैण्ड" की संज्ञा दी थी।Arnold P. Kaminsky and Roger D. Long (2011), India Today: An Encyclopedia of Life in the Republic,, pp.

209 संबंधों: चाय, चावल, चौदहवीं लोकसभा, चूना पत्थर, चेरापूंजी, चीनी मिट्टी, एकसदनीयता, एअर इंडिया क्षेत्रीय, झूम कृषि, ढाका विभाग, तापविद्युत प्रभाव, तारकोल, तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार, तिल, तिलहन, तुरा, तुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, तीवा भाषा, दाल, दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स जिला, दक्षिण पश्चिम गारो हिल्स जिला, दक्षिण गारो हिल्स जिला, धनेश, धान, नरवानर गण, नाशपाती, नागालैण्ड, नवपाषाण युग, नेपाली भाषा, नेपाली संस्कृति, नोंगथईममाय विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, नोंगपो, नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य, नोंग्सटोइन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान, नीबू, पठार, पपीता, पश्चिम बंगाल, पश्चिम जयन्तिया हिल्स जिला, पश्चिम खासी हिल्स जिला, पश्चिम गारो हिल्स जिला, पान, पाइपर(पौधे), पंचायती राज, प्नार भाषा, प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन विश्वविद्यालय, पूर्व जयन्तिया हिल्स जिला, पूर्वोत्तर भारत, पूर्वोत्तर भारतीय खाना, ..., पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान, पूर्वोत्‍तर पर्वतीय विश्‍वविद्यालय, पूर्वी खासी हिल्स जिला, पूर्वी गारो हिल्स जिला, फर्न, फूल गोभी, बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान, बादल, बाघमारा, मेघालय, बाङ्ला भाषा, बियाट भाषा, बंद गोभी, बंगाल का विभाजन (1905), बंगाली लोग, ब्रिटिश राज, बौद्ध धर्म, भारत का संविधान, भारत का विभाजन, भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश, भारत के ज़िले, भारत के उच्च न्यायालयों की सूची, भारत की आधिकारिक भाषाएँ, भारतीय चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिलांग, भारतीय मानक समय, भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, मदनर्टिंग, मय़मनसिंह विभाग, मराठी भाषा, मसाला, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मेघालय, मातृवंश, मानव विकास सूचकांक, मिज़ो लोग, मिज़ोरम, मवलाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, मवक्यर्वत, मक्का, मौसिनराम, मैरांग विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, मूली, मेघालय शिक्षा बोर्ड, मेघालय विधानसभा, मेघालय के नगर, मेघालय के मुख्यमंत्रियों की सूची, मेघालय के राज्यपालों की सूची, मेघालय के जिले, मेघालय के जिलों की सूची, मेघालय उच्च न्यायालय, यूरेनियम, राभा, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मेघालय, राष्ट्रीय फैशन टेक्नालॉजी संस्थान, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, राष्ट्रीय राजमार्ग ४०, रासू, राज्य सभा, रंगपुर विभाग, रेसुबेलपाड़ा, री भोई जिला, लुप्तप्राय प्रजातियां, लॉर्ड कर्जन, लोक सभा, लीची, शिलांग, शिलांग लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, शिलांग विमानक्षेत्र, शिलांग छावनी, सरसों, सलेटी मयूर-तीतर, सार्वजनिक-निजी साझेदारी, साक्षरता, सिलचर, सिलहट विभाग, सिलीमैनाइट, सिलीगुड़ी, सिख, संस्कृत भाषा, सकल घरेलू उत्पाद, सुपारी, स्तनधारी, सूरण कुल, सोयाबीन, सीएमजे विश्वविद्यालय, सीमेंट, हल्दी, हिन्द-आर्य भाषाएँ, हिन्दू, हिन्दी, हैजोंग लोग, हैजोंग जाति, जलविद्युत ऊर्जा, जैन धर्म, जैव विविधता, जोवाई, जीवित जड़ सेतु, ईसाई, घटपर्णी, घाटी, वाइपरिडाए, विलियमनगर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय, खनिजों की सूची, खलीहृयत, खाद्यान्न, खासी, खासी एवं जयंतिया पहाड़ियाँ, खासी भाषा, गारो, गारो पहाड़ियाँ, गारो भाषा, गुवाहाटी उच्च न्यायालय, ग्रेनाइट, गेहूँ, गोपीनाथ बोरदोलोई, गोवालपारा जिला, ऑर्किड, आड़ू, आर्द्रता, आर्कीअन, आलू, आलू बुख़ारा, आग्नेय भाषापरिवार, इस्लाम, कटहल, कलकत्ता विश्वविद्यालय, काली मिर्च, काजू, काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस, कुकुरमुत्ता (कवक), कुकी भाषाएँ, कुकी जनजाति, क्लाउड कम्प्यूटिंग, कैथोलिक धर्म, कैनोला, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, केला, कॉफ़ी, कोच भाषा, कोयला, अदरक, अधिपादप, अनानास, अमरूद, अम्पति, अरण्डी, अलसी, असम, असमिया भाषा, अगरतला, अंग्रेज़ी भाषा, अइज़ोल, उत्तर गारो हिल्स जिला, उत्तर-पूर्वी राज्य, उपोष्णकटिबन्ध, उमरोई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उमियम झील, उष्णकटिबन्धीय जलवायु सूचकांक विस्तार (159 अधिक) »

चाय

चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है।भारतीय.

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चावल

मिश्रित चावल: सफेद चावल, भूरा चावल, लाल चावल और जंगली चावल चावल विभिन्न आकार, रंग, रूप में आते हैं। धान से लेकर सफेद चावल बनाने की प्रक्रिया धान के बीज को चावल कहते हैं। यह धान से ऊपर का छिलका हटाने से प्राप्त होता है। चावल सम्पूर्ण पूर्वी जगत में प्रमुख रूप से खाए जाने वाला अनाज है। भारत में भात, खिचड़ी सहित काफी सारे पक्वान्न बनते हैं। चावल का चलन दक्षिण भारत और पूर्वी-दक्षिणी भारत में उत्तर भारत से अधिक है। इसे संस्कृत में 'तण्डुल' कहा जाता है और तमिल में 'अरिसि' कहा जाता है। इसे कभी-कभार 'षड्रस' भी कहा जाता है, क्योंकि में स्वाद के छहों प्रमुख रस मौजूद हैं। सांस्कृतिक हिंदी में पके हुए चावल को भात कहा जाता है, किन्तु अधिकतर हिन्दी भाषी 'भात' शब्द का प्रयोग कम ही करते हैं। चावल की फ़सल को धान कहते हैं। बासमती चावल भारत का प्रसिद्ध चावल जो विदेशों को निर्यात भी किया जाता है। .

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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चूना पत्थर

thumb चूना पत्थर (Limestone) एक अवसादी चट्टान है जो, मुख्य रूप से कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) के विभिन्न क्रिस्टलीय रूपों जैसे कि खनिज केल्साइट और/या एरेगोनाइट से मिलकर बनी होती है। चूना पत्थर वस्तुत: कैलसियम कार्बोनेट है, पर इसमें सिलिका, ऐल्यूमिना और लोहे इत्यादि सदृश अपद्रव्य अंतर्मिश्रित रहते हैं। गृहनिर्माण के लिये चूनापत्थर बहुत अच्छा होता है और भारत के विभिन्न भागों की स्तरित चट्टानों से सुविधापूर्वक यह उत्खनित होता है। चूना पत्थर अनेक किस्मों में उपलब्ध है। यह रंग, विन्यास, कठोरता और टिकाऊपन में विभिन्न गुणों का होता है। सघन कणवाले गहन ओर मणिभीय पत्थर गृहनिर्माण के लिये उत्कृष्ट होते हैं। ये कार्यसाधक, दृढ़ और टिकाऊ होते हैं। चूना पत्थर पर तनु अम्ल की क्रिया बड़ी सरलता से होती है, अत: औद्योगिक नगरों के निकट गृहनिर्माण के लिये यह पत्थर ठीक नहीं होता। बनावट और अन्य गुणों की विभिन्नता के कारण चूना पत्थर की दृढ़ता विभिन्न होती है। इसलिये गृहनिर्माण के पूर्व पत्थर की परीक्षा कर लेनी चाहिए। बहुत बड़ी मात्रा में चूना पत्थर का चूने के निर्माण में उपयोग होता है। १०० किलोग्राम चूने के पत्थर से लगभग ६५ किलोग्राम चूना प्राप्त होता है। शुद्ध चूना पत्थर या खड़िया से, जिसमें छ: प्रतिशत से अधिक सिलिका, ऐल्यूमिना तथा अन्य अपद्रव्य न हों, उत्कृष्ट चूना प्राप्त होता है। चार से सात प्रतिशत संयुक्त सिलिका ऐल्यूमिना वाले मिट्टीयुक्त चूना पत्थर से मध्यम श्रेणी का जलचूना और ११-२५ प्रतिशत संयुक्त सिलिकावाले चूनापत्थर से सर्वोत्कृष्ट श्रेणी का जलचूना प्राप्त होता है। .

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चेरापूंजी

चेरापुंजी भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का एक शहर है। यह शिलांग से 53 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान दुनिया भर में मशहूर है। हाल ही में इसका नाम चेरापूंजी से बदलकर सोहरा रख दिया गया है। वास्तव में स्थानीय लोग इसे सोहरा नाम से ही जानते हैं। .

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चीनी मिट्टी

चीनी मिट्टी के टुकड़े चीनी मिट्टी (या, केओलिनाइट / Kaolinite) एक प्रकार की सफेद और सुघट्य मिट्टी हैं, जो प्राकृतिक अवस्था में पाई जाती है। इसका रासायनिक संघटन जलयुक्त ऐल्यूमिनो-सिलिकेट (Al2O3. 2SiO2. 2H2O) है। चीनी मिट्टी को 'केओलिन' भी कहते हैं। चीनी भाषा में केओलिन का अर्थ 'पहाड़ी डाँडा' होता है। डांडे बहुधा फेल्सपार खनिज के होते हैं और इस फेल्सपार का रासायनिक विघटन होने के कारण चीन मिट्टी या केओलिन इन्हीं डाँडों में पाई जाती है, बल्कि उस सफेद और सुघट्य मिट्टी को भी कहते हैं जो विघटन के स्थान से बहकर किसी अन्य स्थान में जमा हो जाती है। इसलिये चीनी मिट्टी दो प्रकार की होती है: .

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एकसदनीयता

सरकारी व्यवथाओं में एकसदनीयता (unicameralism) उस विधि को कहते हैं जिसमें विधायिका (legislature) में एक सदन हो। उदाहरण के लिये भारत के गुजरात राज्य में एक-सदन की विधान सभा ही है (यानि विधान परिषद है ही नहीं)। राष्ट्रीय स्तर पर भारत में द्विसदनीयता (bicameralism) है क्योंकि भारतीय संसद में लोक सभा व राज्य सभा को अलग रखा गया है, लेकिन फ़िलिपीन्स जैसे कुछ देशों में एकसदनीय संसदें हैं। .

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एअर इंडिया क्षेत्रीय

अलायंसेयर का विमान नई दिल्ली विमानक्षेत्र में अलायंस एयर (एलायंस एयर), नाम से चली थी, एयर इंडिया की एक कम-कीमत वायु सेवा है।.

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झूम कृषि

फिनलैण्ड में झूम खेती के लिये वन जलाया जा रहा है।(१८९३ में) झूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। फसल पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर होती है और उत्पादन बहुत कम हो पाता है। कुछ वर्षों तक (प्रायः दो या तीन वर्ष तक) जब तक मिट्टी में उर्वरता विद्यमान रहती है इस भूमि पर खेती की जाती है। इसके पश्चात् इस भूमि को छोड़ दिया जाता है जिस पर पुनः पेड़-पौधें उग आते हैं। अब अन्यत्र जंगली भूमि को साफ करके कृषि के लिए नई भूमि प्राप्त की जाती है और उस पर भी कुछ ही वर्ष तक खेती की जाती है। इस प्रकार यह एक स्थानानंतरणशील कृषि (shifting cultivation) है जिसमें थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर खेत बदलते रहते हैं। भारत की पूर्वोत्तर पहाड़ियों में आदिम जातियों द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की कृषि को झूम कृषि कहते हैं। इस प्रकार की स्थानांतरणशील कृषि को श्रीलंका में चेना, हिन्देसिया में लदांग और रोडेशिया में मिल्पा कहते हैं। यह खेती मुख्यतः उष्णकटिबंधीय वन प्रदेशों में की जाती है। .

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ढाका विभाग

ढाका बांग्लादेश का एक उपक्षेत्र है इसका मुख्यालय ढाका है। इस उपक्षेत्र या प्रान्त में १७ जिले हैं। ढाका, गाजीपुर, नरसिंगडी, मानिकगंज, मुंशीगंज, नारायणगंज, मैमनसिंह, शेरपुर, जमालपुर, नेत्रोकोना, किशोरगंज, टंगाइल, फरीदपुर, मदारीपुर, शरियतपुर, राजबाड़ी, गोपालगंज। श्रेणी:बांग्लादेश के विभाग श्रेणी:ढाका विभाग.

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तापविद्युत प्रभाव

तापविद्युत का मापन तापविद्युत् (thermoelectricity) वह विद्युत है जो दो असमान धातुओं के तारों की संधि को गर्म करने पर इन तारों के परिपथ में प्रवाहित होने लगती है। इस तथ्य को सर्वप्रथम सीबेक (Seebeck) ने सन् 1821 में ताँबे एवं बिस्मथ के तारों की संधि को गर्म कर आविष्कृत किया। उपर्युक्त परिपथ में उत्पन्न विद्युतवाहक बल (Electromotive force) न्यून होता है और इसकी तीव्रता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है-.

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तारकोल

उत्तरी केरोलिना के केप फियर संग्राहलय प्रदर्शनीय में प्रदर्शित तारकोल की एक बोतल। तारकोल कार्बनिक पदार्थों के भंजक आसवन द्वारा बनाय जाने वाला पदार्थ है। .

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तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार

बर्मा के भाषा-परिवार भारतीय उपमहाद्वीप के भाषा-परिवार चीन के भाषा-परिवार तिब्बती-बर्मी भाषा परिवार पूर्वी एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया के पहाड़ी इलाक़ों और भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली लगभग ४०० भाषाओं का एक भाषा-परिवार है। इसका नाम इस परिवार की दो सब से ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाओं पर रखा गया है - तिब्बती भाषा (जो ८० लाख से अधिक लोग बोलते हैं) और बर्मी भाषा (जो ३.२ करोड़ से अधिक लोग बोलते हैं)। यह भाषा-परिवार चीनी-तिब्बती भाषा परिवार की एक उपशाखा है, लेकिन चीनी भाषा और इन भाषाओँ में बहुत अंतर है।, Austin Hale, Walter de Gruyter, 1982, ISBN 978-90-279-3379-9 .

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तिल

तिल (Sesamum indicum) एक पुष्पिय पौधा है। इसके कई जंगली रिश्तेदार अफ्रीका में होते हैं और भारत में भी इसकी खेती और इसके बीज का उपयोग हजारों वर्षों से होता आया है। यह व्यापक रूप से दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पैदा किया जाता है। तिल के बीज से खाद्य तेल निकाला जाता है। तिल को विश्व का सबसे पहला तिलहन माना जाता है और इसकी खेती ५००० पहले शुरू हुई थी। तिल वार्षिक तौर पर ५० से १०० सेøमीø तक बढता है। फूल ३ से ५ सेøमीø तथा सफेद से बैंगनी रंग के पाये जाते हैं। तिल के बीज अधिकतर सफेद रंग के होते हैं, हालांकि वे रंग में काले, पीले, नीले या बैंगनी रंग के भी हो सकते हैं। तिल प्रति वर्ष बोया जानेवाला लगभग एक मीटर ऊँचा एक पौधा जिसकी खेती संसार के प्रायः सभी गरम देशों में तेल के लिये होती है। इसकी पत्तियाँ आठ दस अंगुल तक लंबी और तीन चार अंगुल चौड़ी होती हैं। ये नीचे की ओर तो ठीक आमने सामने मिली हुई लगती हैं, पर थोड़ा ऊपर चलकर कुछ अंतर पर होती हैं। पत्तियों के किनारे सीधे नहीं होते, टेढे़ मेढे़ होते हैं। फूल गिलास के आकार के ऊपर चार दलों में विभक्त होते हैं। ये फूल सफेद रंग के होते है, केवल मुँह पर भीतर की ओर बैंगनी धब्बे दिखाई देते हैं। बीजकोश लंबोतरे होते हैं जिनमें तिल के बीज भरे रहते हैं। ये बीज चिपटे और लंबोतरे होते हैं। भारत में तिल दो प्रकार का होता है— सफेद और काला। तिल की दो फसलें होती हैं— कुवारी और चैती। कुवारी फसल बरसात में ज्वार, बाजरे, धान आदि के साथ अधिकतर बोंई जाती हैं। चैती फसल यदि कार्तिक में बोई जाय तो पूस-माघ तक तैयार हो जाती है। वनस्पतिशास्त्रियों का अनुमान है कि तिल का आदिस्थान अफ्रीका महाद्वीप है। वहाँ आठ-नौ जाति के जंगली तिल पाए जाते हैं। पर 'तिल' शब्द का व्यवहार संस्कृत में प्राचीन है, यहाँ तक कि जब अन्य किसी बीज से तेल नहीं निकाला गया था, तव तिल से निकाला गया। इसी कारण उसका नाम ही 'तैल' (.

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तिलहन

जर्मनी में सरसों के तेल का उपयोग जैव ईंधन के रूप में भी किया जाता है। तिलहन उन फसलों को कहते हैं जिनसे वनस्पति तेल का उत्पादन होता है। जिसमें महत्वपूर्ण हैं तिल, सरसों, मूँगफली, सोया और सूरजमुखी। भारत में तिलहनों की उपाज बढ़ाने के लिये पीत क्रांति की संकल्पना दी गयी। श्रेणी:कृषि श्रेणी:फ़सलें.

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तुरा

तुरा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का एक शहर है। .

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तुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

तुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मेघालय राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। श्रेणी:मेघालय के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र.

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तीवा भाषा

तीवा भाषा भारत की संकटग्रस्त भाषाओं में से एक है। यह निश्चित रूप से खतरे में है। आईएसओ कोड: lax .

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दाल

भारत में कई प्रकार की दालें प्रयोग की जाती हैं। दालें अनाज में आतीं हैं। इन्हें पैदा करने वाली फसल को दलहन कहा जाता है। दालें हमारे भोजन का सबसे महत्वपूर्ण भाग होती हैं। दुर्भाग्यवश आज आधुनिकता की दौड़ में फास्ट फूड के प्रचलन से हमारे भोजन में दालों का प्रयोग कम होता जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव लोगों, विशेषकर बच्चों एवं युवा वर्ग के स्वास्थ्य पर पड़रहा है। दालों की सर्व प्रमुख विशेषता यह होती है कि आँच पर पकने के बाद भी उनके पौष्टिक तत्व सुरक्षित रहते हैं। इनमें प्रोटीन और विटामिन बहुतायत में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख दालें हैं.

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दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स जिला

दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स जिला भारतीय राज्य मेघालय का एक प्रशासनिक जिला है। मवक्यर्वत इसका जिला मुख्यालय है। .

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दक्षिण पश्चिम गारो हिल्स जिला

दक्षिण पश्चिम गारो हिल्स मेघालय का एक प्रशासनिक जिला है। अम्पति इसका जिला मुख्यालय है। .

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दक्षिण गारो हिल्स जिला

दक्षिण गारो हिल्स भारतीय राज्य मेघालय का एक जिला है। जिले का मुख्यालय बाघमारा है। क्षेत्रफल - 1,850 वर्ग कि.मी.

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धनेश

धनेश एक पक्षी प्रजाति है जिनकी चोंच लंबी और नीचे की ओर घूमी होती है और अमूमन ऊपर वाली चोंच के ऊपर लंबा उभार होता है जिसकी वजह से इसका अंग्रेज़ी नाम Hornbill (Horn.

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धान

बांग्लादेश में धान (चावल) के खेत धान की बाली (अनाज वाला भाग) धान (Paddy / ओराय्ज़ा सैटिवा) एक प्रमुख फसल है जिससे चावल निकाला जाता है। यह भारत सहित एशिया एवं विश्व के बहुत से देशों का मुख्य भोजन है। विश्व में मक्का के बाद धान ही सबसे अधिक उत्पन्न होने वाला अनाज है। ओराय्ज़ा सैटिवा (जिसका प्रचलित नाम 'एशियाई धान' है) एक पादप की जाति है। इसका सबसे छोटा जीनोम होता है (मात्र ४३० एम.बी.) जो केवल १२ क्रोमोज़ोम में सीमित होता है। इसे सरलता से जेनेटिकली अंतरण करने लायक होने की क्षमता हेतु जाना जाता है। यह अनाज जीव-विज्ञान में एक मॉडल जीव माना जाता है। .

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नरवानर गण

नरवानर गण (Primate) नरवानर स्तनी वर्ग का एक गण है, जिसके अंतर्गत मानव, वानर, कपि, कूर्चमर्कट (tarsier) तथा निशाकपि या लीमर (lemur) आते हैं। .

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नाशपाती

नाशपाती (अंग्रेजी: Pear; वानस्पतिक नाम) एक फल है। नाशपाती भी सेब से जुड़ा एक उप-अम्लीय फल है, लेकिन इसमें शर्करा अधिक तथा अम्ल कम पाया जाता है। यह मूल रूप से उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप का निवासी था और पूर्वी जंबुद्वीप तक इसका विस्तार हुआ करता था। यह एक मध्यम ऊंचाई का पेड़ होता है जो तक पहुंचता है, प्रायः ऊपर ऊंचा, संकरा किरीट आकार होता है। इसकी कुछ प्रजातियां झाड़ रूपी भी होती हैं, जिनकी ऊंचाई अधिक नहीं होती। इसकी पत्तियां एक एक करके दायें बाएं व्यवस्थित होती हैं व सीधी लम्बी, कुछ प्रजातियों में चमकदार हरी, तो कुछ अन्य प्रजातियों में घने रजतवर्णी रोयें से ढंकी हरी होती हैं। इनका आकार चौड़ा ओवल से लेकर संकरा भालानुमा भी होता है। अधिकतर नाश्पाती की प्रजातियाँ पर्णपाती होती हैं, किन्तु दक्षिण-पूर्वी एशिया में एक-दो प्रजातियां सदाबहार भी पायी जाती हैं। अधिकतर ठंड सहने वाली कुछ सख्त होती हैं, जिनमें शीत ऋतु में शून्य के नीचे से शून्य के नीचे तापमान सहने की क्षमता होती है। जो सदाबहार प्रजातियाँ होती हैं, उनकी क्षमता मात्र शून्य के नीचे ही होती है। .

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नागालैण्ड

नागालैण्ड भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। इसकी राजधानी कोहिमा है, जबकि दीमापुर राज्य का सबसे बड़ा नगर है। नागालैण्ड की सीमा पश्चिम में असम से, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश से, पूर्व मे बर्मा से और दक्षिण मे मणिपुर से मिलती है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार, इसका क्षेत्रफल १६,५७९ वर्ग किलोमीटर है, और जनसंख्या १९,८०,६०२ है, जो इसे भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक बनाती है। Govt of India नागालैण्ड राज्य में कुल १६ जनजातियां निवास करती हैं। प्रत्येक जनजाति अपने विशिष्ट रीति-रिवाजों, भाषा और पोशाक के कारण दूसरी से भिन्न है। United Nations Development Programme (2005) हालांकि, भाषा और धर्म दो सेतु हैं, जो इन जनजातियों को आपस में जोड़ते हैं। अंग्रेजी राज्य की आधिकारिक भाषा है। यह शिक्षा की भाषा भी है, और अधिकांश निवासियों द्वारा बोली जाती है। नागालैंड भारत के उन तीन राज्यों में से एक है, जहां ईसाई धर्म के अनुयायी जनसंख्या में बहुमत में हैं। Census of India, 2001, Govt of India.

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नवपाषाण युग

अनेकों प्रकार की निओलिथिक कलाकृतियां जिनमें कंगन, कुल्हाड़ी का सिरा, छेनी और चमकाने वाले उपकरण शामिल हैं नियोलिथिक युग, काल, या अवधि, या नव पाषाण युग मानव प्रौद्योगिकी के विकास की एक अवधि थी जिसकी शुरुआत मध्य पूर्व: फस्ट फार्मर्स: दी ओरिजंस ऑफ एग्रीकल्चरल सोसाईटीज़ से, पीटर बेल्वुड द्वारा, 2004 में 9500 ई.पू.

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नेपाली भाषा

नेपाली भाषा के क्षेत्र नेपाली भाषा या खस कुरा नेपाल की राष्ट्रभाषा था। यह भाषा नेपाल की लगभग ४४% लोगों की मातृभाषा भी है। यह भाषा नेपाल के अतिरिक्त भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्वी राज्यों (आसाम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय) तथा उत्तराखण्ड के अनेक भारतीय लोगों की मातृभाषा है। भूटान, तिब्बत और म्यानमार के भी अनेक लोग यह भाषा बोलते हैं। .

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नेपाली संस्कृति

नेपाल की संस्कृति समृद्ध और अनन्य है। इसकी सांस्कृतिक विरासत शताब्दियों से क्रमशः विकसित हुई है। नेपाल की संस्कृति पर भारतीय, तिब्बती और मंगोली संस्कृतियों का प्रभाव है। नेपाल की संस्कृति, विश्व की सबसे समृद्ध संस्कृतियों में से एक है। संस्कृति को 'संपूर्ण समाज के लिए जीवन का मार्ग' कहा जाता है। यह बयान नेपाल के मामले में विशेष रूप से सच है, जहां जीवन, भोजन, कपड़े और यहाँ तक कि व्यवस्सायों के हर पहलू सांस्कृतिक दिशा निर्देशित है। नेपाल कि संस्कृति में शिष्टाचार, पोशाक,भाषा,अनुष्टान, व्यवहारके नियम और मानदंडो के नियम शामिल है और यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। नेपाल कि संस्कृति, परंपरा और नवनीता का एक अद्वतीय संयोजन है। नेपाल में संस्कृतिक संगीत, वास्तुकला, धर्म और सांकृतिक समूहों के साथ सामुध्र है। नेपाली पोशाक, दौरा-सुरुवाल, जिसे आमतौर पर 'लाबडा-सुरुवाल' कहा जाता है, में कई धार्मिक विश्वास हैं जो अपने डिजाइनों कि पहचान करते हैं और इसलिए यह वर्षो से एक समान रहा है। दौरा में आठ तार हैं जो शरीर के चारों ओर बाँधा जाता है। दौरो का बंद गर्दन भगवान शिव की गर्दन के चारों ओर सांप का प्रतीक है। महिलाओं के लिए नेपाली पोशाक एक कपास साड़ी (गुनु) है, जो फैशन की दुनिया में बहुत लोकप्रिय हो रही है। नेपाल में मुख्य अनुष्टानों का नामकरण समारोह, चावल का भोजन समारोह, मण्डल का समारोह, विवाह और अन्तिम संस्कार है। अनुष्ठान अभी भी समाज में प्रचलित हैं और उत्साह से किया जाता है। कहा जाता है इस देश में नृत्य,भगवान शिव के निवास-हिमालय से प्रकट हुआ है। इससे पता चलता है कि नेपाल की नृत्य परंपराएं बहुत द्वितीय हैं। फसलों की फसल, शादी के संस्कार, युद्ध की कहानियों, एक अकेली लड़की का प्रेम और कई अन्य विषयों पर नृत्य किया जाता है। नेपाल में त्यौहार और उत्सव देश के संस्कृति का पर्याय है क्योकि नेपाली, त्यौहार केवल वार्षिक व्यवस्ता नहीं है, बल्कि उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक जीवित हिस्सा भी है। त्योहारों ने विभिन्न राष्ट्रों के सान्स्क्रिथिक पृष्टभूमि और विश्वासों के नेपाली लोगो को प्रभावी रूप से एक्जुट कर लिया है। अधिकांश नेपाली त्योहार विभिन्न हिंदू और बौद्ध देवताओं से संबंधित हैं। वे धर्म और परंपरा द्वारा उनके लिए पवित्रा दिन पर मनाया जाता है। दश्न और तिहार धर्म पर आधारित सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय त्यौहार हैं। कुछ और मनाये त्योहार,बुद्ध-जयंती,गाड़ी-जत्रा,जानई-पूर्णिमा,तीज है। नेपाली लोग सबसे मेहमाननवाज मेजबानों में से एक हैं और यही कारण है कि पर्यटकों नेपाल में बार-बार आते हैं और आनंद उठाया है। स्थानीय नेपाली आम तौर पर ग्रामीण लोग हैं जो चाय, कॉफी या रात के खाने के लिए अपने घरों में पर्यटकों का स्वागत करते हैं। नेपाली सांस्कृतिक रूप से गर्म, मेहमाननवाज और स्नेही मेजबान हैं जो अपने दिल को अपने सिर से ऊपर रखते हैं। श्रेणी:नेपाल.

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नोंगथईममाय विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र

भारतीय राज्य मेघालय का एक विधानसभा क्षेत्र है। यहाँ से वर्तमान विधायक चार्ल्स प्यंगरोप हैं। .

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नोंगपो

नोंगपो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का एक शहर है जो री भोई जिले का मुख्यालय भी है। .

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नोंगखाइलेम वन्य जीवन अभयारण्य

नोंगखाईलेम वन्य जीवन अभयारण्य मेघालय राज्य के री भोई जिले में लाईलाड ग्राम के निकट स्थित एक अभयारण्य है। यह पूर्वोत्तर भारत के सबसे सुन्दर एवं लोकप्रिय अभयारण्यों में से एक है। इसका विस्तार २९ किमी के क्षेत्र में है और यह यहां के पर्यटक गंतव्यों में अत्यन्त प्रसिद्ध स्थान है। यहां के वन्य जीवन में विविध प्रकार के पशु एवं पक्षी हैं जिनमें स्तनधारियों, एवियन, कृंतक, सरीसृप और कई अन्य प्रजातियां दिखाई देती हैं। वन्य जीवन के अलावा यहां का वन प्रदेश हरियाली एवं पादपों की ढेरों प्रजातियों से भी परिपूर्ण है। क्षेत्र के सबसे नीचे भूभाग लाइलाड ग्राम के निकट हैं जो सागर सतह से मात्र २०० मी पर स्थित हैं जबकि सबसे ऊंचे भाग पूर्वी एवं दक्षिणी हैं जिनकी अधिकतम ऊंचाई ९५० मी तक भी है। इस क्षेत्र को १९८१ मेंअभयारण्य घोषित किया गया था। .

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नोंग्सटोइन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र

भारतीय राज्य मेघालय का एक विधानसभा क्षेत्र है। यहाँ से वर्तमान विधायक मैकमिलन बिरसत हैं। .

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नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान

नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान भारत के मेघालय राज्य में पश्चिम गारो हिल्स ज़िले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसका क्षेत्रफल ४७.४८ वर्ग कि॰मी॰ है। श्रेणी:राष्ट्रीय उद्यान, भारत श्रेणी:भारत के अभयारण्य श्रेणी:मई २०१३ के लेख जिनमें स्रोत नहीं हैं श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय उद्यान.

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नीबू

नीबू का वृक्ष नीबू (Citrus limon, Linn.) छोटा पेड़ अथवा सघन झाड़ीदार पौधा है। इसकी शाखाएँ काँटेदार, पत्तियाँ छोटी, डंठल पतला तथा पत्तीदार होता है। फूल की कली छोटी और मामूली रंगीन या बिल्कुल सफेद होती है। प्रारूपिक (टिपिकल) नीबू गोल या अंडाकार होता है। छिलका पतला होता है, जो गूदे से भली भाँति चिपका रहता है। पकने पर यह पीले रंग का या हरापन लिए हुए होता है। गूदा पांडुर हरा, अम्लीय तथा सुगंधित होता है। कोष रसयुक्त, सुंदर एवं चमकदार होते हैं। नीबू अधिकांशत: उष्णदेशीय भागों में पाया जाता है। इसका आदिस्थान संभवत: भारत ही है। यह हिमालय की उष्ण घाटियों में जंगली रूप में उगता हुआ पाया जाता है तथा मैदानों में समुद्रतट से 4,000 फुट की ऊँचाई तक पैदा होता है। इसकी कई किस्में होती हैं, जो प्राय: प्रकंद के काम में आती हैं, उदाहरणार्थ फ्लोरिडा रफ़, करना या खट्टा नीबू, जंबीरी आदि। कागजी नीबू, कागजी कलाँ, गलगल तथा लाइम सिलहट ही अधिकतर घरेलू उपयोग में आते हैं। इनमें कागजी नीबू सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसके उत्पादन के स्थान मद्रास, बंबई, बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र हैदराबाद, दिल्ली, पटियाला, उत्तर प्रदेश, मैसूर तथा बड़ौदा हैं। नीबू की उपयोगिता जीवन में बहुत अधिक है। इसका प्रयोग अधिकतर भोज्य पदार्थों में किया जाता है। इससे विभिन्न प्रकार के पदार्थ, जैसे तेल, पेक्टिन, सिट्रिक अम्ल, रस, स्क्वाश तथा सार (essence) आदि तैयार किए जाते हैं। .

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पठार

भूमि पर मिलने वाले द्वितीय श्रेणी के स्थल रुपों में पठार अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और सम्पूर्ण धरातल के ३३% भाग पर इनका विस्तार पाया जाता हैं।अथवा धरातल का विशिष्ट स्थल रूप जो अपने आस पास की जमींन से प्रयाप्त ऊँचा होता है,और जिसका ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट हो पठार कहलाता है। सागर तल से इनकी ऊचाई ३०० मीटर तक होती हैं लेकिन केवल ऊचाई के आधार पर ही पठार का वर्गिकरण नही किया जाता हैं। .

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पपीता

पपीते के पके फल अन्य पौधों के साथ पपीते का फल लगा पेड़ पपीता एक फल है। कच्ची अवस्था में यह हरे रंग का होता है और पकने पर पीले रंग का हो जाता है। इसके कच्चे और पके फल दोनों ही उपयोग में आते हैं। कच्चे फलों की सब्जी बनती है। इन कारणों से घर के पास लगाने के लिये यह बहुत उत्तम फल है। इसके कच्चे फलों से दूध भी निकाला जाता है, जिससे पपेइन तैयार किया जाता है। पपेइन से पाचन संबंधी औषधियाँ बनाई जाती हैं पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है। अत: इसके पक्के फल का सेवन उदरविकार में लाभदायक होता है। पपीता सभी उष्ण समशीतोष्ण जलवायु वाले प्रदेशों में होता है। .

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पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल (भारतीय बंगाल) (बंगाली: পশ্চিমবঙ্গ) भारत के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। इसके पड़ोस में नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, ओडिशा, झारखंड और बिहार हैं। इसकी राजधानी कोलकाता है। इस राज्य मे 23 ज़िले है। यहां की मुख्य भाषा बांग्ला है। .

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पश्चिम जयन्तिया हिल्स जिला

जयंतिया हिल्स भारतीय राज्य मेघालय का एक जिला है। जिले का मुख्यालय जोवाई है। २२ फ़रवरी १९७२ को जयन्तिया हिल जिला सृजित किया गया था। इसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफ़ल है और यहां की जनसंख्या २,९५,६९२ है। यहां का जिला मुख्यालय जोवाई में स्थित है। जयन्तिया हिल्स जिला राज्य में कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक जिला है। जिले भर में कोयले की खानें दिखाई देती हैं। इसके अलावा यहां चूनेपत्थर का खनन भी वृद्धि पर है क्योंकि सीमेण्ट उद्योग यहां जोरों पर है और उसमें चूनेपत्थर की ऊंची मांग है। हाल के कुछ वर्षों में ही एक बड़े जिले को दो छोटे जिलों: पश्चिम जयतिया एवं पूर्वी जयन्तिया हिल्स में बांट दिया गया था क्षेत्रफल - 3,819 वर्ग कि.मी.

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पश्चिम खासी हिल्स जिला

पश्चिम खासी हिल्स भारतीय राज्य मेघालय का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नोंग्सतोंई है। क्षेत्रफल - 5,247 वर्ग कि.मी.

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पश्चिम गारो हिल्स जिला

भारतीय राज्य मेघालय का एक जिला है। जिले का मुख्यालय तुरा है। क्षेत्रफल - 3,714 वर्ग कि.मी.

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पान

पान भारत के इतिहास एवं परंपराओं से गहरे से जुड़ा है। इसका उद्भव स्थल मलाया द्वीप है। पान विभिन्न भारतीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे ताम्बूल (संस्कृत), पक्कू (तेलुगू), वेटिलाई (तमिल और मलयालम) और नागुरवेल (गुजराती) आदि। पान का प्रयोग हिन्दू संस्कार से जुड़ा है, जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत आदि। वेदों में भी पान के सेवन की पवित्रता का वर्णन है। यह तांबूली या नागवल्ली नामक लता का पत्ता है। खैर, चूना, सुपारी के योग से इसका बीड़ा लगाया जाता है और मुख की सुंदरता, सुगंधि, शुद्धि, श्रृंगार आदि के लिये चबा चबाकर उसे खाया जाता है। इसके साथ विभिन्न प्रकार के सुगंधित, असुगंधित तमाखू, तरह तरह के पान के मसाले, लवंग, कपूर, सुगंधद्रव्य आदि का भी प्रयोग किया जाता है। मद्रास में बिना खैर का भी पान खाया जाता है। विभिन्न प्रदेशों में अपने अपने स्वाद के अनुसार इसके प्रयोग में तरह तरह के मसालों के साथ पान खाने का रिवाज है। जहाँ भोजन आदि के बाद, तथा उत्सवादि में पान बीड़ा लाभकर और शोभाकर होता है वहीं यह एक दुर्व्यसन भी हो जाता है। तम्बाकू के साथ अधिक पान खानेवाले लोग प्राय: इसके व्यसनी हो जाते हैं। अधिक पान खाने के कारण बहुतों के दाँत खराब हो जाते हैं- उनमें तरह तरह के रोग लग जाते हैं और मुँह से दुर्गंध आने लगती है। इस लता के पत्ते छोटे, बड़े अनेक आकार प्रकार के होते हैं। बीच में एक मोटी नस होती है और प्राय: इस पत्ते की आकृति मानव के हृदय (हार्ट) से मिलती जुलती होती है। भारत के विभिन्न भागों में होनेवाले पान के पत्तों की सैकड़ों किस्में हैं - कड़े, मुलायम, छोटे, बड़े, लचीले, रूखे आदि। उनके स्वाद में भी बड़ा अंतर होता है। कटु, कषाय, तिक्त और मधुर-पान के पत्ते प्राय: चार स्वाद के होते हैं। उनमें औषधीय गुण भी भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं। देश, गंध आदि के अनुसार पानों के भी गुणर्धममूलक सैकड़ों जातिनाम हैं जैसे- जगन्नाथी, बँगाली, साँची, मगही, सौंफिया, कपुरी (कपूरी) कशकाठी, महोबाई आदि। गर्म देशों में, नमीवाली भूमि में ज्यादातर इसकी उपज होती है। भारत, बर्मा, सिलोन आदि में पान की अघिक पैदायश होती है। इसकी खेती कि लिये बड़ा परिश्रम अपेक्षित है। एक ओर जितनी उष्णता आवश्यक है, दूसरी ओर उतना ही रस और नमी भी अपेक्षित है। देशभेद से इसकी लता की खेती और सुरक्षा में भेद होता है। पर सर्वत्र यह अत्यंत श्रमसाध्य है। इसकी खेती के स्थान को कहीं बरै, कहीं बरज, कहीं बरेजा और कहीं भीटा आदि भी कहते हैं। खेती आदि कतरनेवालों को बरे, बरज, बरई भी कहते हैं। सिंचाई, खाद, सेवा, उष्णता सौर छाया आदि के कारण इसमें बराबर सालभर तक देखभाल करते रहना पड़ता है और सालों बाद पत्तियाँ मिल पानी हैं और ये भी प्राय: दो तीन साल ही मिलती हैं। कहीं कहीं 7-8 साल तक भी प्राप्त होती हैं। कहीं तो इस लता को विभिन्न पेड़ों-मौलसिरी, जयंत आदि पर भी चढ़ाया जाता है। इसके भीटों और छाया में इतनी ठंढक रहती है कि वहाँ साँप, बिच्छू आदि भी आ जाते हैं। इन हरे पत्तों को सेवा द्वारा सफेद बनाया जाता है। तब इन्हें बहुधा पका या सफेद पान कहते हैं। बनारस में पान की सेवा बड़े श्रम से की जाती है। मगह के एक किस्म के पान को कई मास तक बड़े यत्न से सुरक्षित रखकर पकाते हैं जिसे "मगही पान" कहा जाता है और जो अत्यंत सुस्वादु एवं मूल्यवान् जाता है। समस्त भारत में (विशेषत: पश्चिमी भाग को छोड़कर) सर्वत्र पान खाने की प्रथा अत्यधिक है। मुगल काल से यह मुसलमानों में भी खूब प्रचलित है। संक्षेप में, लगे पान को भारत का एक सांस्कृतिक अंग कह सकते हैं। पान के पौधे वैज्ञानिक दृष्टि से पान एक महत्वपूर्ण वनस्पति है। पान दक्षिण भारत और उत्तर पूर्वी भारत में खुली जगह उगाया जाता है, क्योंकि पान के लिए अधिक नमी व कम धूप की आवश्यकता होती है। उत्तर और पूर्वी प्रांतों में पान विशेष प्रकार की संरक्षणशालाओं में उगाया जाता है। इन्हें भीट या बरोज कहते हैं। पान की विभिन्न किस्मों को वैज्ञानिक आधार पर पांच प्रमुख प्रजातियों बंगला, मगही, सांची, देशावरी, कपूरी और मीठी पत्ती के नाम से जाना जाता है। यह वर्गीकरण पत्तों की संरचना तथा रासायनिक गुणों के आधार पर किया गया है। रासायनिक गुणों में वाष्पशील तेल का मुख्य योगदान रहता है। ये सेहत के लिये भी लाभकारी है। खाना खाने के बाद पान का सेवन पाचन में सहायक होता है। पान की दुकान पर बिकते पान पान में वाष्पशील तेलों के अतिरिक्त अमीनो अम्ल, कार्बोहाइड्रेट और कुछ विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। पान के औषधीय गुणों का वर्णन चरक संहिता में भी किया गया है। ग्रामीण अंचलों में पान के पत्तों का प्रयोग लोग फोड़े-फुंसी उपचार में पुल्टिस के रूप में करते हैं। हितोपदेश के अनुसार पान के औषधीय गुण हैं बलगम हटाना, मुख शुद्धि, अपच, श्वांस संबंधी बीमारियों का निदान। पान की पत्तियों में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है। प्रात:काल नाश्ते के उपरांत काली मिर्च के साथ पान के सेवन से भूख ठीक से लगती है। ऐसा यूजीनॉल अवयव के कारण होता है। सोने से थोड़ा पहले पान को नमक और अजवायन के साथ मुंह में रखने से नींद अच्छी आती है। यही नहीं पान सूखी खांसी में भी लाभकारी होता है।। वेब दुनिया .

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पाइपर(पौधे)

पाइपर, (जिन्हें पैपर प्लांट या पैपर वाइन भी कहा जाता है), पाइपरेशियाई परिवार का एक महत्त्वपूर्ण वंश है। इसमें लगभग १०००-२००० पौधों, बूटियों आदि की किस्में होती हैं। पैपर पौधे मैग्नोलिड में आते हैं, जो एन्जियोस्पर्म होते हैं, किन्तु न तो एकबीजपत्री ना ही द्विबीजपत्री होते हैं। इनका वैज्ञानिक नाम पाइपर एवं अंग्रेज़ी का सामान्य नाम पैपर संस्कृत के मूल नाम पिप्पली से व्युत्पन्न है। .

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पंचायती राज

पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम, तालुका और जिला आते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई। .

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प्नार भाषा

प्नार (Pnar), पनार, जयंतिया (Jaintia) या सिन्तेंग (Synteng) भारत के पूर्वोत्तरी मेघालय राज्य व बांग्लादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की खसिक शाखा की एक भाषा है। माना जाता है कि यह आदि-खसी भाषा की सबसे समीपी जीवित भाषा है। .

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प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन विश्वविद्यालय

प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन विश्वविद्यालय भारत के शिलांग शहर में स्थित एक डीम्ड विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 2010 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा 2 (च) के अनुसार की गई। .

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पूर्व जयन्तिया हिल्स जिला

पूर्व जयन्तिया हिल्स जिला भारतीय राज्य मेघालय का एक जिला है। खलीहृयत इसका जिला मुख्यालय है। 31 जुलाई 2012 को यह जयन्तिया हिल्स जिला से अलग होकर अस्तित्व में आया। खलीहृयत और साईपुंग इसके दो सामुदायिक एवं ग्रामीण विकास खंड हैं। .

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पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत से आशय भारत के सर्वाधिक पूर्वी क्षेत्रों से है जिसमें एक साथ जुड़े 'सात बहनों' के नाम से प्रसिद्ध राज्य, सिक्किम तथा उत्तरी बंगाल के कुछ भाग (दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार के जिले) शामिल हैं। पूर्वोत्तर भारत सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के अन्य राज्यों से कुछ भिन्न है। भाषा की दृष्टि से यह क्षेत्र तिब्बती-बर्मी भाषाओँ के अधिक प्रचलन के कारण अलग से पहचाना जाता है। इस क्षेत्र में वह दृढ़ जातीय संस्कृति व्याप्त है जो संस्कृतीकरण के प्रभाव से बची रह गई थी। इसमें विशिष्ट श्रेणी के मान्यता प्राप्त आठ राज्य भी हैं। इन आठ राज्यों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए 1971 में पूर्वोतर परिषद (नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल / NEC) का गठन एक केन्द्रीय संस्था के रूप में किया गया था। नॉर्थ ईस्टर्न डेवेलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (NEDFi) का गठन 9 अगस्त 1995 को किया गया था और उत्तरपूर्वीय क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) का गठन सितम्बर 2001 में किया गया था। उत्तरपूर्वीय राज्यों में सिक्किम 1947 में एक भारतीय संरक्षित राज्य और उसके बाद 1975 में एक पूर्ण राज्य बन गया। पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसकी औसत चौड़ाई 21 किलोमीटर से 40 किलोमीटर के बीच है, उत्तरपूर्वीय क्षेत्र को मुख्य भारतीय भू-भाग से जोड़ता है। इसकी सीमा का 2000 किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र अन्य देशों: नेपाल, चाइना, भूटान, बर्मा और बांग्लादेश के साथ लगती है। .

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पूर्वोत्तर भारतीय खाना

पूर्वोत्तर भारत के खानपान में पूर्व भारतीय खानपान का कुछ टच मिलता अवश्य है, किंतु उसकी अलग विशेषताएं भी हैं। .

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पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान

उत्तर पूर्वी संस्थान के आयुर्वेद एंड होमियोपैथी (NEIAH), एक स्वायत्त संस्थान है जो आयुष मंत्रालय, भारत सरकार  के तहत कार्य करता है। यह मावडियांगडियांग, शिलांग, मेघालय में स्थित है। संस्थान का औपचारिक रूप से उद्घाटन केंद्रीय राज्य मंत्री (आयुष विभाग) श्रीपद येस्सो नाइक द्वारा २२ दिसंबर २०१६ को किया गया था। संस्थान में साढे चार वर्ष के बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक चिकित्सा और शल्य चिकित्सा और बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन और सर्जरी में स्नातक पाठ्यक्र्म शैक्षणिक सत्र २०१६-१७ से चालू हैं। .

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पूर्वोत्‍तर पर्वतीय विश्‍वविद्यालय

पूर्वोत्‍तर पर्वतीय विश्वविद्यालय भारत का एक केन्द्रीय विश्‍वविद्यालय है। विश्वविद्यालय की स्थापना संसदीय अधिनियम के तहत की गई जिसे १९ जुलाई १९७३ को अधिसूचित किया गया। विश्वविद्यालय का मुख्य कार्यालय एवं स्थाई परिसर शिलांग है तथा दूसरा परिसर तुरा में स्थित है। विश्वविद्यालय के अंतर्गत ८ अध्ययन संकाय हैं, जिनके अंतर्गत ३४ विभाग एवं २ अध्ययन केंद्र हैं। ६६ महाविद्यालय भी इसके अंतर्गत अंगीभूत किये गये हैं। .

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पूर्वी खासी हिल्स जिला

पूर्वी खासी हिल्स भारतीय राज्य मेघालय का एक जिला है। जिले का मुख्यालय शिलांग है जो मेघालय की राजधानी भी है। पूर्वी खासी हिल्स जिले को खासी हिल्स में से २८ अक्तूबर १९७६ को निकाल कर नया जिला बनाया गया था। जिले का विस्तार में है और यहां की जनसंख्या ६,६०,९२३ है। ईस्ट खासी हिल्स जिले का मुख्यालय राज्य की राजधानी शिलांग में है। क्षेत्रफल - 2,752 वर्ग कि.मी.

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पूर्वी गारो हिल्स जिला

पूर्वी गारो हिल्स भारतीय राज्य मेघालय का एक जिला है। जिले का मुख्यालय विलियमनगर है। क्षेत्रफल - 2,603 वर्ग कि॰मी॰ जनसंख्या - 2,47,555 (2001 जनगणना) .

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फर्न

फर्न पर्णांग या फर्न एक अपुष्पक पौधा है। इसको जड़, तना, पत्ती तीन-भागों में बाँटा जा सकता है। यह बीजाणुधानियों से बीजाणु उत्पन्न करता है। इसीसे नये पौधों की उत्पत्ति होती है। वे बीजाणुधानियाँ पत्तियों में पाई जाती हैं जो ध्यानपूर्वक देखने पर दिखाई देती हैं। .

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फूल गोभी

फूलगोभी एक लोकपिय सब्जी है। उत्त्पति स्थान साइप्रस या इटली का भूमध्यसागरीय क्षेत्र माना जाता है। भारत में इसका आगमन मुगल काल में हुआ माना जाता है। भारत में इसकी कृषि के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल लगभग 3000 हेक्टर है, जिससे तकरीबन 6,85,000 टन उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश तथा अन्य शीतल स्थानों में इसका उत्पादन व्यपाक पैमाने पर किया जाता है। वर्तमान में इसे सभी स्थानों पर उगाया जाता है। फूलगोभी, जिसे हम सब्जी के रूप में उपयोग करते है, के पुष्प छोटे तथा घने हो जाते हैं और एक कोमल ठोस रूप निर्मित करते हैं। फूल गोभी में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ‘ए’, ‘सी’ तथा निकोटीनिक एसिड जैसे पोषक तत्व होते है। गोभी को पकाकर खाया जाता है और अचार आदि भी तैयार किया जाता है। पौध रोपण के 3 से 3½ माह में सब्जी योग्य फूल तैयार हो जाते है। फ़सल की अवधि 60 से 120 दिन की होती है। प्रति हेक्टेयर 100 से 250 क्विंटल फुल प्राप्त हो जाते है। उपज पौधे लगने के समय के ऊपर निर्भर करती है। .

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बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान

बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान समुद्र स्तर से  लगभग ३,००० मीटर ऊपर भारत के मेघालय राज्य में गारो हिल्स में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसका क्षेत्रफल २२० वर्ग कि॰मी॰ का है। यह राष्ट्रीय उद्यान काकड़ (Barking Deer) और जंगली बिल्ली का घर है। .

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बादल

कपासी बादल, हवाई जहाज की खिड़की से लिया गया चित्र वायुमण्डल में मौज़ूद जलवाष्प के संघनन से बने जलकणों या हिमकणों की दृश्यमान राशि बादल कहलाती है। मौसम विज्ञान में बादल को उस जल अथवा अन्य रासायनिक तत्वों के मिश्रित द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो द्रव रूप में बूंदों अथवा ठोस रवों के रूप में किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड के वायुमण्डल में दृश्यमान हो। बादल वर्षण (वर्षा और हिमपात इत्यादि) का प्रमुख स्रोत होते हैं। बादलों का विधिवत वैज्ञानिक अध्ययन मौसम विज्ञान की बादल भौतिकी नामक शाखा में किया जाता है। .

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बाघमारा, मेघालय

बाघमारा (IPA: ˌbægˈmɑ:rə) भारतीय राज्य मेघालय के दक्षिण गारो हिल्स जिलें का मुख्यालय है। यह स्थान बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ है तथा तुरा से 113 कि॰मी॰ दूर है। बाघमारा नाम बोंग लस्कर और जंगली बंगाल बाघ की लड़ाई के कारण पड़ा जहाँ बोंग ने बाघ को मार डाला था। .

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बियाट भाषा

बियाट (अंग्रेशी:Biete या Biate) भारत की सबसे प्राचीन भाषाॐ में से एक है। इसके बोलने वाले लोगों को बियाट ही बोला जाता है और ये भारत के पूर्वोत्तर राज्यों जैसे मेघालय, असम, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा में पाये जाते हैं। .

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बंद गोभी

बंद गोभी (पात गोभी या करमकल्ला; अंग्रेजी: कैबेज) एक प्रकार का शाक (सब्जी) है, जिसमें केवल कोमल पत्तों का बँधा हुआ संपुट होता है। इसे बंदगोभी और पातगोभी भी कहते हैं। यह जंगली करमकल्ले (ब्रेसिका ओलेरेसिया, Brassica oleracea) से विकसित किया गया है। शाक के लिए उगाया जानेवाला करमकल्ला मूल प्रारूप से बहुत भिन्न हो गया, यद्यपि फूल और बीज में विशेष अंतर नहीं पड़ा है। करमकल्ले के लिए पानी और ठंडे वातावरण की आवश्यकता है। इसको खाद भी खूब चाहिए। बीच में दो चार दिन गर्मी पड़ जाने से भी करमकल्ले का संपुट अच्छा नहीं बन पाता। संपुट बनने के बदले इसमें से शाखाएँ निकल पड़ती हैं, जिनमें फूल तथा बीज उगने लगते हैं। करमकल्ला पाला नहीं सहन कर सकता। पाले से यह मर जाता है। यद्यपि ऋतु ठंडी होनी चाहिए, तो भी करमकल्ले के पौधों को दिन में धूप मिलना आवश्यक है। छाँह में अच्छे पौधे नहीं उगते। जैसा ऊपर कहा गया है, करमकल्ले के लिए खूब खाद चाहिए, परंतु किसी विशेष प्रकार की खाद की आवश्यकता नहीं है; यहाँ तक कि ताजे गोबर से भी यह काम चला लेता है, किंतु सड़ा गोबर और रासायनिक खाद इसके लिए अधिक उपयोगी है। अन्य पौधों में अधिक खाद देने से फूल अथवा फल देर में तैयार होते हैं। इसके विपरीत करमकल्ला अधिक खाद पाने पर कम समय में ही खाने योग्य हो जाता है। पानी में थोड़ी भी कमी होने से पौधा मुरझाने लगता है और उसकी वृद्धि रुक जाती है। पर इसकी जड़ में पानी लगने से पौध सड़ने लगता है। भूमि से पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए। जिसमें पानी जड़ों के पास एकत्र न होने पाए। भूमि दोरसी हो, अर्थात् उसमें चिकनी मिट्टी की भाँति बँधने की प्रवृत्ति न हो। जो भूमि पानी मिलने के पश्चात् बँधकर कड़ी हो जाती है वह करमकल्ले के लिए उपयुक्त नहीं होती। मिट्टी कुछ बलुई हो। इतने पर भी भूमि की गुड़ाई बार-बार करनी चाहिए, परंतु गुड़ाई इतनी गहरी न की जाए जड़ ही कट जाए। करमकल्ले की गई जातियाँ हैं। कुछ तो लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती हें और कुछ के तैयार होने में छह महीने तक समय लग सकता है। भारत के मैदानों के लिए शीघ्र तैयार होनेवाली जातियाँ ही उपयुक्त होती हैं, क्योंकि यहाँ जाड़ा अधिक दिनों तक नहीं पड़ता। आकृतियों में भी बहुत अंतर होता है। कुछ का पत्ता इतना छोटा और सिर इतना चपटा रहता है कि वे भूमि पर बिठे हुए जान पड़ते हैं। कुछ के तने १६ से २० इंच तक लंबे होते हैं। इनका सिर गोल, अंडाकार या शंक्वाकार हो सकता है। पत्तियों का रंग पिलछाँव, हरा, धानी (गाढ़ा हरा), अथवा इतना गहरा लाल होता है कि वे काली दिखाई पड़ती हैं। भारत के मैदानों में हलके रंग के करमकल्ले ही उगाए जाते हैं। कुछ के पत्ते चिकने और कुछ के झालरदार होते हैं। अमरीका के बीज बेचनेवाले पाँच सौ से अधिक जातियों के बीज बेचते हैं। यद्यपि कुछ स्थानों में खेत में ही बीज बो दिया जाता है और उनके उगने पर अवांछित पाधों को निकालकर फेंक दिया जाता है, तो भी सुविधा इसी में होती है कि बीजों को छिछले गमलों में बोया जाए। १०-१५ दिन के बाद इनको अन्य बड़े गमलों में दो से चार इंच तक की दूरी पर रोप दिया जाता है। कुछ समय और बीतने पर इन्हें खेतों में आरोपित कर देते हैं। रद्दी बीज, पौधों को बहत पास-पास आरोपित करना, आरोपण में असावधानी, शरद ऋतु से पूर्व ही उन्हें खेतों में लगा देना अथवा खेतों में आरोपित करने में विलंब करना, भूमि का अनुपयुक्त होना, अथवा पानी की कमी, इन सबके कारण करमकल्लों में बहुधा अच्छा संपुट (सर) नहीं बन पाता और वे शीघ्र फूल और बीज देने लगते हैं। भारत में पौधे ७-८ से लेकर २०-२२ इंच तक की दूरी पर लगाए जाते हैं और गोड़ने का काम हाथ से किया जाता है, परंतु अमरीका में पंक्तियों के बीच बहुधा ३०-३६ इंच तक की दूरी छोड़ दी जाती है और मशीन से गुड़ाई की जाती है। संपुट बन जाने पर भी गोड़ाई और सिंचाई करते रहना चाहिए, क्योंकि इससे संपुट का भार बढ़ता रहता है। तैयार पौधों को काटकर बाहर की कुछ पत्तियाँ तोड़कर फेंक दी जाती हैं। भारत में उन्हें खाँचे में भरकर, सिर पर उठाकर अथवा इक्कों में लादकर बाजार पहुँचाया जाता है, पर विदेशों में इस काम के लिए मोटर गाड़ियों का उपयोग होता है। जर्मन सावरक्राउट विदेश में करमकल्ले की नरम पत्तियों पर नमक छिड़ककर और कुछ समय तक उसे रखकर एक प्रकार का अचार बनाया जाता है, जिसे सावर क्राउट (Sauerkraut) कहते हैं। भूमि में रहनेवाला एक परजीवी करमकल्ले में रोग उत्पन्न करता है। अधिकतर यह भूमि के अम्ल में पनपता है और मिट्टी में चूना तथा राख मिलाने से नष्ट होता है, परंतु यदि पौधों में यह परजीवी (प्लैस्मोडायोफ़ोरा ब्रैसिका, Plasmodiphora Brassica) लग ही जाए तो उन पौधों को जला देना चाहिए और उस भूमि में चार पाँच वर्षों तक करमकल्ला नहीं बोना चाहिए। करमकल्ले में तने के सड़ने की प्रवृत्ति एक संक्रामक रोग से उत्पन्न होती है, जो आक्रांत बीज तथा रोगग्रस्त करमकल्ला खानेवाले चौपायों के गोबर आदि में फैलता है। रोगग्रस्त पौधों को जला डालना चाहिए और अगली बार बीज बोते समय गमले की मिट्टी को फ़ॉरमैल्डिहाइड (Formaldehyde) के फीके विलयन से (एक भाग को २६० भाग जल में मिलाकर) कुछ समय तक तर रखना चाहिए। बीज को भी १५ मिनट तक इसी विलयन में भिगो रखना चाहिए। कभी-कभी करमकल्ला खानेवाले पतिंगों से फसल की रक्षा करनी पड़ती है। यह काम पौधों से कुछ ऊंचाई पर मसहरी तानकर किया जाता है, किंतु भारत में इसकी आवश्यकता कदाचित् ही कहीं पड़ती है। तना काटनेवाले कीड़ों को मारने के लिए आटे या चोकर में थोड़ा चोटा और पेरिस ग्रीन ताजे घास में मिलाकर खेत में छोड़ देना चाहिए। करमकल्ले के सिरों में घुसनेवाले कीड़ों को मिट्टी के तेल, साबुन, पानी और पेरिस ग्रीन का मिश्रण छिड़ककर नष्ट किया जाता है। .

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बंगाल का विभाजन (1905)

पूर्वी बंगाल और असम प्रांत के मानचित्र बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा की गयी थी। विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ। विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए। .

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बंगाली लोग

भारत के बंगाल प्रांत के निवासियों को बंगाली कहते हैं। भारत के साहित्यिक सांस्कृतिक व साहित्यिक विकास में बंगाल प्रांत के निवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1947 में भारत विभाजन के पश्चात जब बंगाल का विभाजन हुआ तब पूर्वी बंगाल पाकिस्तान का अंग बन गया लेकिन जब यह भूभाग स्वतंत्र बांगला देश बना तब इसके निवासियों को भी बंगाली या बांगलादेशी कहा जाने लगा। श्रेणी:भारत के लोग श्रेणी:बंगाल.

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ब्रिटिश राज

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .

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बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .

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भारत का संविधान

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। .

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भारत का विभाजन

माउण्टबैटन योजना * पाकिस्तान का विभाजन * कश्मीर समस्या .

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भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश

भारत राज्यों का एक संघ है। इसमें उन्तीस राज्य और सात केन्द्र शासित प्रदेश हैं। ये राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश पुनः जिलों और अन्य क्षेत्रों में बांटे गए हैं।.

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भारत के ज़िले

तालुकों में बंटे हैं ज़िला भारतीय राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश का प्रशासनिक हिस्सा होता है। जिले फिर उप-भागों में या सीधे तालुकों में बंटे होते हैं। जिले के अधिकारियों की गिनती में निम्न आते हैं.

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भारत के उच्च न्यायालयों की सूची

भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल २४ उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं। उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद २१४, अध्याय ५ भाग ६ के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं .

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भारत की आधिकारिक भाषाएँ

भारत की आधिकारिक भाषा, हिन्दी है और अंग्रेज़ी सहायक या गौण आधिकारिक भाषा है; भारत के राज्य अपनी आधिकारिक भाषा (एँ) विधिक रूप से घोषित कर सकते हैं। नाही भारतीय संविधान और ना कोई भारतीय कानून किसी राष्ट्रभाषा को परिभाषित करता है। जिस समय संविधान लागू किया जा रहा था, उस समय अंग्रेज़ी आधिकारिक रूप से केन्द्र और राज्य दोनो स्तरों पर उपयोग में थी। संविधान द्वारा यह परिकल्पित किया गया था कि अगले १५ वर्षों में अंग्रेज़ी को चरणबद्ध रूप से हटा कर विभिन्न भारतीय भाषाओं, विशेषकर हिन्दी, को उपयोग में लाया जाएगा, लेकिन तब भी संसद को यह अधिकार दिया गया था की वह विधिक रूप से उसके बाद भी अंग्रेज़ी का उपयोग हिन्दी के साथ केन्द्र स्तर पर और अन्य भाषाओं के साथ राज्य स्तर पर चालू रख सकती है। .

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भारतीय चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक संस्थान

भारतीय चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक संस्थान की स्थापना १९८४ में छात्रों, कामकाज़ी इग्ज़ेक्यटिवों और व्यवसायियों को वित्त और प्रबन्धन में उच्च गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से खोला गया था। यह विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड, त्रिपुरा, सिक्किम, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैण्ड और झारखण्ड राज्यों में क्रमशः विधायिकाओं के अधीन है। राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ की राज्य सरकारों ने विश्वविद्यालय को अपने राज्यों में इसकी शाखाएँ खोलने के लिए इच्छा पत्र जारी किए हैं। प्रत्येक राज्य का विश्वविद्यालय पृथक और स्वतन्त्र वैध संस्था है। श्रेणी:उत्तराखण्ड के विश्वविद्यालय.

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भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिलांग

भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिलांग के अलावा बीस अन्य स्थानों में स्थित है। यह प्रबंधन शिक्षा का उच्च श्रेणी का संस्थान है। इन्हें सम्मिलित रूप से भारतीय प्रबंधन संस्थान कहा जाता है। श्रेणी:भारतीय प्रबंधन संस्थान श्रेणी:शिलांग.

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भारतीय मानक समय

मिर्ज़ापुर और 82.5° पू के स्थान, जो भारतीय मानक समय के संदर्भ लम्बाई के लिए व्यवहार होता है भारतीय मानक समय (संक्षेप में आइएसटी) (अंग्रेज़ी: Indian Standard Time इंडियन् स्टैंडर्ड् टाइम्, IST) भारत का समय मंडल है, एक यूटीसी+5:30 समय ऑफ़सेट के साथ में। भारत में दिवालोक बचत समय (डीएसटी) या अन्य कोइ मौसमी समायोग नहीं है, यद्यपि डीएसटी 1962 भारत-चीन युद्ध, 1965 भारत-पाक युद्ध और 1971 भारत-पाक युद्ध में व्यवहार था। सामरिक और विमानन समय में, आइएसटी का E* ("गूंज-सितारा") के साथ में नामित होता है। --> .

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भारतीय रिज़र्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना १ अप्रैल सन १९३५ को रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ऐक्ट १९३४ के अनुसार हुई। बाबासाहेब डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई हैं, उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धांत के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक बनाई गई थी। बैंक कि कार्यपद्धती या काम करने शैली और उसका दृष्टिकोण बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब 1926 में ये कमीशन भारत में रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फिनांस के नाम से आया था तब इसके सभी सदस्यों ने बाबासाहेब ने लिखे हुए ग्रंथ दी प्राब्लम ऑफ दी रुपी - इट्स ओरीजन एंड इट्स सोल्यूशन (रुपया की समस्या - इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की। ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 का नाम दिया गया। प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन १९३७ में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन १९४९ से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है। उर्जित पटेल भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने ४ सितम्बर २०१६ को पदभार ग्रहण किया। पूरे भारत में रिज़र्व बैंक के कुल 22 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। मुद्रा परिचालन एवं काले धन की दोषपूर्ण अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करने के लिये रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया ने ३१ मार्च २०१४ तक सन् २००५ से पूर्व जारी किये गये सभी सरकारी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है। .

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भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण एक संगठन / प्राधिकरण है, जो कि भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है। निगमित मुख्यालय राजीव गाँधी भवन सफदरजंग विमानक्षेत्र, नई दिल्ली में स्थित है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (ए ए आई) कुल 125 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं। सुरक्षित विमान प्रचालन हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सभी विमानपत्तनों एवं 25 अन्य‍ स्थानों पर जमीनी अधिष्ठापनों के साथ संपूर्ण भारतीय वायु क्षेत्र एवं समीपवर्ती महासागरीय क्षेत्रों में वायु ट्रैफिक प्रबंधन सेवाएं (ए टी एम एस) भी प्रदान करता है। इलाहाबाद, अमृतसर, कालीकट, गुवाहाटी, जयपुर, त्रिवेंद्रम, कोलकाता एवं चेन्नई के विमानपत्तन, जो आज अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन के रूप में स्थापित हैं, विदेशी अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों द्धारा भी प्रचालन के लिए खुले हैं। कोयबंटूर, त्रिचुरापल्ली, वाराणसी एवं गया के हवाई अड्डों से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के अलावा राष्ट्रीय ध्‍वज वाहक भी प्रचालन करते हैं। केवल इतना ही नहीं अपितु आज आगरा, कोयबंटूर, जयपुर, लखनऊ, पटना आदि के विमानपत्तनों तक टूरिस्‍ट चार्टर भी जाते हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने मुम्ब्ई, दिल्ली, हैदराबाद, बंगलौर एवं नागपुर के विमानपत्त्नों के उन्नयन के लिए तथा विश्वस्तरीय मानकों से बराबरी करने के लिए पर एक संयुक्त उद्यम भी स्थापित किया है। भारतीय भू क्षेत्र के ऊपर सभी प्रमुख वायुमार्ग वीओआर / डीवीओआर कवरेज (89 अधिष्ठापन) के साथ रडार द्धारा कवर्ड हैं (11 स्थानों पर 29 रडार अधिष्ठापन) जो दूरी मापन उपकरण के साथ सह-स्थित हैं (90 अधिष्ठापन)। 52 रनवे पर आईएलएस अधिष्ठापन की सुविधा है तथा इनमें से अधिकांश विमानपत्तनों पर नाइट लैंडिंग की सुविधाएं हैं और 15 विमानपत्तनों पर आटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्ट‍म लगा है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्धारा कोलकाता एवं चेन्नई के वायु ट्रैफिक नियंत्रण केंद्रों पर देशज प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके आटोमेटिक डिपेंडेंस सर्विलांस सिस्टम (ए डी एस एस) के सफल कार्यान्‍वयन ने भारत को दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में इस उन्‍नत प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने वाला पहला देश होने का गौरव प्रदान किया जिससे उपग्रह आधारित संचार प्रणाली का प्रयोग करके महासागरीय क्षेत्रों के ऊपर वायु ट्रैफिक का प्रभावी नियंत्रण संभव हुआ है। उपग्रह संचार लिंक के साथ रिमोट कंट्रोल्ड वी एच एफ कवरेज के प्रयोग ने हमारे ए टी एम एस को और मजबूती प्रदान की है। वी-सैट अधिष्‍ठापनों द्धारा 80 स्थाननों को जोड़ने से बड़े पैमाने पर वायु ट्रैफिक प्रबंधन में वृद्धि होगी और बदले में एयरक्राफ्ट के प्रचालन की सुरक्षा में वृद्धि होगी। इसके अलावा, हमारे वृहद एयरपोर्ट नेटवर्क पर प्रशासनिक एवं प्रचालनात्मक नियंत्रण संभव होगा। मुम्‍बई, दिल्‍ली एवं इलाहाबाद के विमानपत्तनों पर निष्पादन आधारित नेविगेशन (पीएनबी) प्रक्रिया पहले ही कार्यान्वित की जा चुकी है तथा अन्य विमानपत्तनों पर चरणबद्ध ढंग से इसको लागू करने की संभावना है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान केंद्र (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकीय सहयोग से गगन परियोजना शुरू की है जहां नेविगेशन के लिए उपग्रह आधारित प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रकार जीपीएस से प्राप्‍त नेविगेशन के संकेतों को हवाई जहाजों की नेविगेशन संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उन्नत किया जाएगा। प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रणाली का पहला चरण फरवरी 2008 में पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। प्रचालनात्मक चरण में इस प्रणाली को स्‍तरोन्‍नत करने के लिए विकास टीम को सक्षम बनाया गया है। भारतीय विमानपत्त‍न प्राधिकरण ने दिल्ली एवं मुम्‍बई के विमानपत्‍तनों पर ग्राउंड बेस्ड ऑगमेंटेशन सिस्टम (जी बी ए एस) उपलब्ध् कराने की भी योजना बनाई है। यह जीबीएएस उपकरण हवाई जहाजों को श्रेणी-2 (वक्र एप्रोच) लैंडिंग सिगनल उपलब्ध कराने और इस प्रकार आगे चलकर लैंडिंग सिस्टम के विद्यमान उपकरण को प्रतिस्थापित करने में समर्थ होगा, जिसकी रनवे के प्रत्येक छोर पर जरूरत होती है। दिल्ली में अधिष्ठापित एडवांस्ड सर्फेस मूवमेंट गाइडेंस एंड कंट्रोल सिस्टम (ए एस एम जी सी एस) ने रनवे 28 के प्रचालन को कैट-3 ए स्तर से कैट-3 बी स्तर तक स्‍तरोन्‍नत किया है। कैट-3 ए सिस्‍टम 200 मीटर की विजिबिलिटी तक हवाई जहाजों की लैंडिंग को अनुमत करता है। तथापि, कैट-3 बी 200 मीटर से कम किंतु 50 मीटर से अधिक की विजिबिलिटी पर हवाई जहाजों की सुरक्षित लैंडिंग को अनुमत करेगा। ‘ग्राहकों की अपेक्षाएं’ पर अधिक बल के साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के प्रयास को उस स्वतंत्र एजेंसी से उत्‍साहवर्धक प्रत्युत्तर मिला है जिसने 30 व्‍यस्‍त विमानपत्तनों पर ग्राहक संतुष्टि सर्वेक्षण संचालित किया है। इन सर्वेक्षणों ने हमें विमानपत्तनों के प्रयोक्‍ताओं द्धारा सुझाए गए पहलुओं पर सुधार करने में समर्थ बनाया है। विमानपत्तनों पर हमारे ‘व्यवसाय उत्तर पत्र’ के लिए रिसेप्टुकल लोकप्रिय हुए हैं; इन प्रत्‍युत्‍तरों ने हमें विमानपत्तनों के प्रयोक्ताओं की बदलती महत्‍वाकांक्षाओं को समझने में समर्थ बनाया है। सहस्राब्दि के पहले वर्ष के दौरान, भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण अपने प्रचालन को अधिक पारदर्शी बनाने तथा अधुनातन सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ग्राहकों को तत्काल सूचना उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रहा है। विशिष्ट प्रशिक्षण, कर्मचारी प्रत्‍युत्‍तर में सुधार तथा व्यावसायिक कौशल के उन्नयन पर फोकस स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई दे रहा है। भारतीय विमानपत्त‍न प्राधिकरण के चार प्रशिक्षण स्थापनाओं अर्थात नागरिक विमानन प्रशिक्षण कॉलेज (सी ए टी सी), इलाहाबाद; राष्ट्रीय विमानन प्रबंधन एवं अनुसंधान संस्‍थान (एन आई ए एम ए आर), दिल्ली और दिल्ली एवं कोलकाता स्थि‍त अग्नि प्रशिक्षण केंद्र (एफ टी सी) के बारे में ऐसी अपेक्षा है कि वे पहले से अधिक व्‍यस्‍त रहेंगे। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने सीएटीसी, इलाहाबाद एवं हैदराबाद एयरपोर्ट पर प्रशिक्षण सुविधाओं को स्तरोन्नत करने की भी पहल की है। हाल ही में सीएटीसी पर एयरपोर्ट विजुअल सिमुलेटर (ए वी एस) उपलब्ध कराया गया है तथा सीएटीसी, इलाहाबाद एवं हैदराबाद एयरपोर्ट को गैर रडार प्रक्रियात्‍मक एटीसी सिमुलेटर उपकरण की आपूर्ति की जा रही है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की एक समर्पित उड़ान निरीक्षण यूनिट (एफ आई यू) है तथा इसके बेड़े में तीन हवाई जहाज हैं जो निरीक्षण में समर्थ अधुनातन एवं पूर्णत: स्‍वचालित उड़ान निरीक्षण प्रणाली से सुसज्जित हैं।.

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मदनर्टिंग

मदनर्टिंग भारतीय राज्य के मेघालय में पूर्वी खासी हिल्स जिले में एक जनगणना शहर है।  .

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मय़मनसिंह विभाग

मयमनसिंह विभाग, बांग्लादेश का एक विभाग है। मयमनसिंह विभाग में कुल चार जिले हैं:मैमनसिंह शेरपुर जमालपुर नेत्रोकोना। श्रेणी:बांग्लादेश के विभाग.

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मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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मसाला

गोवा की एक दुकान में मसाले इस्तानबुल की एक दुकान में मसाले भोजन को सुवास बनाने, रंगने या संरक्षित करने के उद्देश्य से उसमें मिलाए जाने वाले सूखे बीज, फल, जड़, छाल, या सब्जियों को मसाला (spice) कहते हैं। कभी-कभी मसाले का प्रयोग दूसरे फ्लेवर को छुपाने के लिए भी किया जाता है। मसाले, जड़ी-बूटियों से अलग हैं। पत्तेदार हरे पौधों के विभिन्न भागों को जड़ी-बूटी (हर्ब) कहते हैं। इनका भी उपयोग फ्लेवर देने या अलंकृत करने (garnish) के लिए किया जाता है। बहुत से मसालों में सूक्ष्मजीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। .

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महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, मेघालय

महात्मा गांधी विश्वविद्यालय री-भोई और तूरा, पूर्वोत्तर भारत के दो नगरों में स्थित है। यह मेघालय राज्य के विधान अधिनियम, 2010 द्वारा स्थापित किया गया था। .

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मातृवंश

उत्तर अफ़्रीका के त्वारेग लोगों का समाज मातृवंशीय है मातृवंश पूर्वजों का ब्यौरा देने की उस प्रणाली को कहते हैं जिसमें माता और फिर उसकी स्त्री पूर्वजाओं को देखते हुए वंश खींचा जाए। मातृवंशीय व्यवस्था किसी उस सामाजिक प्रणाली को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति पारिवारिक रूप से अपनी माता और उसके मातृवंश का भाग माना जाता है। आम तौर से मातृवंश व्यवस्था में कुल पुत्रियों के द्वारा चलता है और परिवार का नेतृत्व उस परिवार में पैदा हुई सबसे अधिक उम्र की महिला करती है। ऐसे समाजों में सम्पत्ति और उपाधियाँ भी बेटियों को मिला करती है। .

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मानव विकास सूचकांक

मानव विकास सूचकांक (HDI) एक सूचकांक है, जिसका उपयोग देशों को "मानव विकास" के आधार पर आंकने के लिए किया जाता है। इस सूचकांक से इस बात का पता चलता है कि कोई देश विकसित है, विकासशील है, अथवा अविकसित है। मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और प्रति व्यक्ति आय संकेतकों का एक समग्र आंकड़ा है, जो मानव विकास के चार स्तरों पर देशों को श्रेणीगत करने में उपयोग किया जाता है। जिस देश की जीवन प्रत्याशा, शिक्षा स्तर एवं जीडीपी प्रति व्यक्ति अधिक होती है, उसे उच्च श्रेणी प्राप्त होती हैं। एचडीआई का विकास पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब उल हक द्वारा किया गया था। इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित किया जाता हैं। .

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मिज़ो लोग

मिज़ो पूर्वोत्तरी भारत, पश्चिमी बर्मा व पूर्वी बांग्लादेश में जड़े रखने वाला एक जातीय समूह है। वे मिज़ो भाषा और कुकी भाषा-परिवार की कुछ अन्य भाषाओं के मातृभाषी हैं। वर्तमानकाल में मिज़ो समुदाय पूर्ण भारत के लगभग सभी मुख्य नगरों में पाये जाते हैं। अधिकांश मिज़ो ईसाई मत के अनुयायी हैं हालांकि उनकी कुछ परम्परागत आस्थाएँ भी हैं। मिज़ो लोगों का साक्षरता दर ९१% है, जो भारत के सभी समुदायों में सबसे ऊँची श्रेणी पर है। .

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मिज़ोरम

मिजोरम भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है। २००१ में यहाँ की जनसंख्या लगभग ८,९०,००० थी। मिजोरम में साक्षरता का दर भारत में सबसे अधिक ९१.०३% है। यहाँ की राजधानी आईजोल है। .

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मवलाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र

भारतीय राज्य मेघालय का एक विधानसभा क्षेत्र है। यहाँ से वर्तमान विधायक प्रोसेस टी॰ सावकमी हैं। .

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मवक्यर्वत

मवक्यर्वत भारतीय राज्य मेघालय के दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स जिले का मुख्यालय है। दक्षिण पश्चिम खासी हिल्स जिला पश्चिम खासी हिल्स जिले से 3 अगस्त 2012 को अलग हुआ। .

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मक्का

*मक्का (शहर)- सउदी अरब पवित्र शहर.

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मौसिनराम

मौसिनराम या मॉसिनराम, भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के पूर्वी खासी पर्वतीय जिले में बसा एक गाँव है। शिलांग से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गाँव अपनी 11,872 मिलीमीटर (467.4 इंच) वार्षिक वर्षा के साथ पृथ्वी पर स्थित सबसे नम स्थान है, लेकिन इस दावे को कोलम्बिया स्थित दो स्थान लॉरो जिसका औसत वार्षिक वर्षण 1952 और 1989 के बीच 12,717 मिलीमीटर (500.7 इंच) और लोपेज़ डेल मिकाए जिसका औसत वार्षिक वर्षण 1960 और 2012 के बीच 12,717 मिलीमीटर (500.7 इंच) था, विवादित बनाते हैं।.

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मैरांग विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र

भारतीय राज्य मेघालय का एक विधानसभा क्षेत्र है। यहाँ से वर्तमान विधायक मेतबाह लिंगदोह हैं। .

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मूली

मूली मूली वा मूलक भूमी के अन्दर पैदा होने वाली सब्ज़ी है। वस्तुतः यह एक रूपान्तिरत प्रधान जड़ है जो बीच में मोटी और दोनों सिरों की ओर क्रमशः पतली होती है। मूली पूरे विश्व में उगायी एवं खायी जाती है। मूली की अनेक प्रजातियाँ हैं जो आकार, रंग एवं पैदा होने में लगने वाले समय के आधार पर भिन्न-भिन्न होती है। कुछ प्रजातियाँ तेल उत्पादन के लिये भी उगायी जाती है। .

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मेघालय शिक्षा बोर्ड

मेघालय विद्यालय शिक्षा बोर्ड (जिसे मेघालय बोर्ड आफ़ स्कूल एडुकेशन भी कहते हैं) मेघालय शिक्षा वोर्ड अधिनियम १९७३ के तहत मेघालय राज्य में विद्यालयी शिक्षा के नियन्त्रण, पर्यवेक्षण एवं नियमन हेतु सृजित किया गया था वर्तमान में लगभग १४०० विद्यालय राज्य पर्यन्त इस बोर्ड से सम्बद्ध हैं। .

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मेघालय विधानसभा

मेघालय विधान सभा भारत के मेघालय राज्य की एक विधायिका हैं | .

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मेघालय के नगर

मेघालय भारत के उत्तर पूर्व में स्थित एक राज्य है। २०११ की भारत की जनगणना के अनुसार इस राज्य में कुल २२ नगर हैं, जिनमें से २ नगर नगरपालिका, ४ नगर नगरपालिका परिषद्, ३ नगर नगर पंचायत, १ नगर छावनी परिषद् और १२ नगर जनगणना नगर के रूप में वर्गीकृत हैं। निम्न सूची मेघालय के नगरों की है: .

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मेघालय के मुख्यमंत्रियों की सूची

मेघालय के मुख्यमंत्री उत्तर-पुर्व भारत के मेघालय राज्य के सरकार के प्रमुख हैं। भारत के संविधान के मुताबिक, मेघालय के राज्यपाल राज्य के न्यायपालिक है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी प्राधिकारी मुख्यमंत्री है। मेघालय विधान सभा के चुनावों के बाद, राज्यपाल आम तौर पर सरकार बनाने के लिए बहुसंख्य पक्ष (या गठबंधन) को आमंत्रित करता है। राज्यपाल मुख्यमंत्री को नियुक्त करता है, जिनके मंत्रिमंडल में सामूहिक रूप से विधानसभा के लिए जिम्मेदार है। यह देखते हुए कि उन्हें विधानसभा का विश्वास है, मुख्यमंत्री का कार्यकाल पांच साल के लिए है और यह कोई अवधि सीमा नहीं है। १९७० से, बारह लोगों ने मेघालय के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। इनमें से छह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के थे, जिनमें पहले पदाधिकारी विलियमसन ए संगमा और सबसे लम्बे समय तक पदधारी मुकुल संगमा शामिल है, जो कार्यालय में २० अप्रैल २०१० से ६ मार्च २०१८ तक रहे। वर्तमान पदधारी कॉनराड संगमा हैं जो ६ मार्च २०१८ से इस पद पर हैं। .

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मेघालय के राज्यपालों की सूची

मेघालय के राज्यपाल जो भारत के राज्य मेघालय की सरकार का मुखिया होता हैं | .

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मेघालय के जिले

मेघालय राज्य के तीन मंडलों में कुल ११ जिले हैं। .

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मेघालय के जिलों की सूची

मेघालय भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक राज्य है। राज्य में वर्तमान में ११ जिले हैं। .

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मेघालय उच्च न्यायालय

मेघालय उच्च न्यायालय भारत के मेघालय राज्य का उच्च न्यायालय हैं | .

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यूरेनियम

यूरेनियम आवर्त सारणी की एक अंतर्वर्ती श्रेणी, ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series), का तृतीय तत्व है। इस श्रेणी में आंतरिक इलेक्ट्रॉनीय परिकक्षा (5 परिकक्षा) के इलेक्ट्रॉन स्थान लेते हैं। प्रकृति में पाए गए तत्वों में यह सबसे भारी तत्व है। कुछ समय पहले तक इस तत्व को छठे अंतर्वर्ती समूह का अंतिम तत्व माना जाता था। .

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राभा

जलपाईगुड़ी के एक गाँव में अपने घर के सामने खड़े एक राभा सज्जन राभा भारत के पश्चिम बंगाल तथा असम में रहने वाली एक जनजाति है जिसके बारे में लोगों को बहुत कम पता है। ये लोग जिस भाषा का प्रयोग करते हैं उसे भी 'राभा' ही कहा जाता है। पश्चिम बंगाल में राभा लोग प्रायः जलपाईगुड़ी तथा कूच बिहार में निवास करते हैं। असम के गोयालपाड़ा और कामरूप जिलों में राभा पाए जाते हैं। राभा लोग अपने को 'कोच' कहते हैं तथा ऐतिहासिक कोच राज्य से अपना सम्बन्ध बताते हैं। श्रेणी:भारत की जनजातियाँ श्रेणी:असम के सामाजिक समुदाय राभा जनजाति राभा पश्चिम बंगाल और असम के एक अल्पज्ञात अनुसूचित जनजाति समुदाय है। राभा लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा / बोली में एक ही नाम की भी है। पश्चिम बंगाल में राभा लोग मुख्य रूप से जलपाईगुड़ी जिले और कूचबिहार में रहते हैं। इसके अलावा, लगभग, उनमें से 70 फीसदी जलपाईगुड़ी जिले में रहते हैं। असम में राभा कामरूप जिलों में ज्यादातर रहते हैं। पूर्वी और पश्चिमी दोअर, के पूरे क्षेत्र राभा के पालने भूमि के रूप में कहा जा सकता है। राभा कोच के रूप में खुद को देखें और ऐतिहासिक कोच किंगडम के लिए एक कनेक्शन पर जोर है। नस्ल और भाषा राभा लोगों की इंडो मंगोल समूह के हैं और इस तरह के गारोस, कछारी, मैक्, कोच,हजोग और दोअर भि राभा के हे। ज्यादातर रूप में बोडो समूह के अन्य सदस्यों के साथ समानता है राभा के रूप में खुद को देखें, लेकिन उनमें से कुछ अक्सर कोचा के रूप में स्वयं की घोषणा। डॉ फ्रांसिस बुकानन-हैमिल्टन के अनुसार, राभा के सामाजिक-धार्मिक और भौतिक जीवन के पहलुओं पाणि-कॉख के उन लोगों के साथ समानता है। दूसरी ओर ई डाल्टन, राभा कछारी जाति की शाखाएं हैं और गारो के साथ जुड़ा हुआ है कि तर्क है। हॉजसन के अनुसार राभा ग्रेट बोडो या मैक् फुट पानी-कोच के हैं और राभा एक ही वंश है और बाद गारो के साथ उनके संबंध नहीं है। एक प्लेफेयर्(1909) भी राभा और गारो के बीच कुछ भाषाई और सांस्कृतिक समानताएं बाहर बताया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि तोग भाषा और रगदानिया (राभा) बोलियों के बीच एक हड़ताली भाषाई समानता है कि वहां मौजूद टिप्पणी। इस समय के कुछ बिंदु पर वे एक दूसरे के साथ संपर्क में रहते थे, को लगता है कि उसे नेतृत्व किया। पश्चिम बंगाल और असम के राभा आम तौर पर स्थानीय बंगाली और असमिया बोलियां बोलते हैं। वन ग्रामों में रहने वाले राभा काफी हद तक उनके मूल राभा बोली बरकरार रखा है। राभा बोली, जॉर्ज अब्राहम ने कहा कि असम-बर्मी शाखा की भाषाओं के समूह बोडो के अंतर्गत आता है। अर्थव्यवस्था और समाज सामान्य रूप में राभा के परंपरागत अर्थव्यवस्था, कृषि, वन आधारित गतिविधियों और बुनाई पर आधारित है। अतीत में, राभा खेती स्थानांतरण अभ्यास करने के लिए प्रयोग किया जाता है। वे गोगो या बिल-हुक के साथ जमीन पर खेती करने के लिए जारी रखा। बाद में वे बसे खेती का काम हाथ में लिया और हल के साथ खेती शुरू कर दिया। खेती के अलावा, शिकार भी राभा लोगों की एक पुरानी प्रथा थी। बुन राभा महिलाओं के एक पारंपरिक व्यवसाय था। एक बार जंगल और व्यवहार बदलता खेती में रहते थे जो राभा, वन सीमाओं की खेती और सीमांकन स्थानांतरण पर प्रतिबंध लगाने, वन विभाग के गठन के बाद से, औपनिवेशिक शासकों द्वारा जंगल में उनके अधिकारों से वंचित थे। नतीजतन, औपनिवेशिक भूमि निपटान प्रणाली के साथ, या तो अपनाया विस्थापित राभा के सबसे खेती बसे या बागान मजदूरों के रूप में वन गांवों में शरण ली। आजादी के बाद भारत सरकार ने और अधिक या कम राभा जैसे समुदायों के जंगल में उनके अधिकार हासिल नहीं कर सका है, जहां वन प्रबंधन, का एक ही औपनिवेशिक प्रणाली जारी रखा। सफेद कॉलर नौकरियों में उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं होगा हालांकि आज, एक, स्कूल के शिक्षकों और सरकारी पदाधिकारियों आदि जैसे सभी आधुनिक व्यवसायों के लिए वन श्रमिकों और किसानों से विविध व्यवसायों में राभा पाता है। धर्म और संस्कृति राभा लोग पारंपरिक रूप से कुछ पशु अनुष्ठानों का अभ्यास करेंगे। बहरहाल, आज वे अधिक बार कुछ हिंदू और कुछ जानवर अनुष्ठानों का एक मिश्रण है, जो एक विश्वास है, का पालन करें। अभी भी किसान के रूप में गांवों में रहते हैं कि जंगल के गांवों और राभा में रहने वाले वन राभा के बीच पूजा पद्धतियों में काफी मतभेद हैं। वन राभा मुख्यधारा हिंदू धर्म के कुछ अनुष्ठानों के साथ मिश्रित परंपरागत पशु प्रथाओं का पालन करें। दूसरी ओर गांव पर राभा के रूप में अभी तक उनकी धार्मिक प्रथाओं का संबंध है स्थानीय हिंदुओं के साथ विलय कर दिया है। राभा लोगों की धार्मिक दुनिया विभिन्न आत्माओं और प्राकृतिक वस्तुओं के साथ व्याप्त है। राभा के मुख्य देवता ऋषि कहा जाता है। ऋषि, वन राभा के साथ ही गांव राभा के लिए, एक पुरुष देवता है। उन्होंने यह भी महाकाल के रूप में जाना जाता है। वन राभा सभी महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठानों में उसे पूजा करते हैं। दुकान के उत्तरी किनारे पर रखा चावल की दो मिट्टी के बर्तन के प्रतिनिधित्व वाले देवताओं रुगतुक और बासेक, वहाँ रहे हैं। इन दो देवताओं ऋषि या महाकाल की बेटियों के रूप में माना जाता है। रुगतुक और बासेक घर के देवताओं और हिंदू देवी लक्ष्मी की तरह धन की देवी-देवताओं के रूप में माना जाता है। रुगतुक और बासेक, परिवार की उत्तराधिकारिणी से विरासत में मिला रहे हैं। अपने पारंपरिक पुजारी डीओसी, इन देवताओं की नींव के लिए शुभ दिन गिना जाता है। वे रखा जाता है, जहां कमरे में परिवार के मुखिया के कब्जे में है। देवताओं किसी भी मूर्तियों के लिए नहीं है। चावल के साथ भरा एक लाल रंग का मिट्टी का घड़ा देवता रुगतुक का प्रतिनिधित्व करता है। एक अंडा घड़े की गर्दन पर रखा जाता है। जैसे अधिकांश आदिवासी समुदायों, नृत्य और संगीत में राभा के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हर रस्म के बाद वे अपने देवताओं अनुग्रहभाजन करने के लिए विभिन्न नृत्यों प्रदर्शन करते हैं। राभा ज्यादातर महिलाएं गाना और नृत्य कर सकते हैं दोनों। सबसे जनजातीय नृत्यों की तरह, राभा के उन कुछ दैनिक कृषि गतिविधि से जुड़े हैं। वे जंगल नाले में मछली पकड़ने का जश्न मनाने के लिए "नाकचुग रेनी" नाम की एक अनोखी नृत्य शैली है। सभी उम्र के राभा महिलाओं को इस नृत्य पूरे दिल में भाग लेते हैं। आज हिंदू धर्म और ईसाई धर्म राभा समुदाय के आकार का है कि दो अन्य प्रमुख धार्मिक ताकतों हैं। ईसाई धर्म के प्रभाव शायद अधिक है। हाल के वर्षों में राभा मिशनरियों के माध्यम से शिक्षा प्राप्त की है लेकिन शायद उनकी स्वदेशी संस्कृति और मान्यताओं से दूर चले गए हैं। लेकिन उत्तर बंगाल राभा के कुछ इलाकों में अभी भी जीवन के अपने पारंपरिक तरीकों से संरक्षित करने के लिए कोशिश कर रहे हैं। यह आधुनिकता के फल से दूर मोड़ के बिना उनके पूर्वजों की सदियों पुरानी प्रथाओं को बनाए रखने के लिए एक संघर्ष है। केवल समय ही उत्तर बंगाल के आदिवासी गढ़ में इस सामाजिक कायापलट-जगह लेने के परिणाम को प्रकट कर सकते हैं। en.wikipedia.org/wiki/Rabha_tribe#mediaviewer/File:Crafts_Museum_New_Delhi_3_Sep_2010-14.JPG.

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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,मेघालय

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मेघालय शिलांग स्थित भारत का एक प्रमुख तकनीकी संस्थान है। इसका आरम्भ सन २०१० में हुआ था। अस्थाई रूप से संस्थान की कक्षाएं सरदार बल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरत में चल रही हैं। .

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राष्ट्रीय फैशन टेक्नालॉजी संस्थान

राष्ट्रीय फैशन टेक्नालॉजी संस्थान (National Institute of fashion Technology / NIFT) भारत में फैशन डिजाइन, प्रबंधन और तकनीकी के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान हैं। वर्ष 1986 में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय फैशन टैक्नालॉजी संस्थान की एक शीर्ष निकाय के रूप में स्थापना की गई थी। भारत की संसद द्वारा पारित निफ्ट अधिनियम 2006 के माध्यम से निफ्ट को अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की भांति फैशन प्रौद्योगिकी में शिक्षा के विकास और अनुसंधान के लिए सांविधिक दर्जा प्रदान किया गया है जिससे यह संस्थान अपने विद्यार्थियों को डिग्री और अन्य शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रदान कर सकेगा। इस संस्थान ने भारतीय फैशन उद्योग को विश्व के उत्कृष्ट निपुण डिजाइनरों, प्रबंधन और विनिर्माण प्रौद्योगिकी की जानकारी दी है। इस संस्थान ने शिक्षा प्राप्त करने का वातावरण तैयार किया है इससे नवीनता, संरचनात्मक और श्रेष्ठता प्राप्त करने में प्रोत्साहन मिलता है। निफ्ट एक बहुशिक्षा प्रदान करने का बहुआयामी संस्थान है, जो निरंतर पथप्रदर्शक की भूमिका अदा करता है। .

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राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान

राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS, NOS या राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय), भारत के मुक्त विद्यालयों की शिक्षा-परिषद है। यह एक स्वायत्त संगठन है। इसकी स्थापना भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 1989 के नवम्बर में हुई थी। इसका उद्देश्य देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के विद्यार्थियों को सस्ती शिक्षा सुलभ कराना है। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद आदि की भांति राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान भी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर परीक्षा संचालित करता है। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर पर लगभग 15 लाख छात्रों के वर्तमान नामांकन के साथ यह दुनिया में सबसे बड़ी खुली स्कूली शिक्षा प्रणाली है। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग ४०

श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग.

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रासू

रासू या वीज़ल (अंग्रेज़ी: weasel) एक छोटा मांसाहारी स्तनधारी जानवर है जो दिखने में नेवले जैसा लगता है हालांकि इसकी नसल काफ़ी भिन्न है। यह पतले और लम्बे आकार का होता है और इसकी छोटी टाँगे होती हैं। यह तेज़ी से हिल सकता है और बहुत निपुण शिकारी होता है जो छोटे जानवरों को अपना ग्रास बनाता है। अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया और उनके इर्द-गिर्द के द्वीपों को छोड़कर यह दुनियाभर में मिलता है। .

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राज्य सभा

राज्य सभा भारतीय लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। लोकसभा निचली प्रतिनिधि सभा है। राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं। जिनमे 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है। अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर 2 साल में सेवा-निवृत होते हैं। किसी भी संघीय शासन में संघीय विधायिका का ऊपरी भाग संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य हितों की संघीय स्तर पर रक्षा करने वाला बनाया जाता है। इसी सिद्धांत के चलते राज्य सभा का गठन हुआ है। इसी कारण राज्य सभा को सदनों की समानता के रूप में देखा जाता है जिसका गठन ही संसद के द्वितीय सदन के रूप में हुआ है। राज्यसभा का गठन एक पुनरीक्षण सदन के रूप में हुआ है जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की पुनरीक्षा करे। यह मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी पूरी कर सकती है क्योंकि कम से कम 12 विशेषज्ञ तो इस में मनोनीत होते ही हैं। आपातकाल लगाने वाले सभी प्रस्ताव जो राष्ट्रपति के सामने जाते हैं, राज्य सभा द्वारा भी पास होने चाहिये। भारत के उपराष्ट्रपति (वर्तमान में वैकेया नायडू) राज्यसभा के सभापति होते हैं। राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था। .

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रंगपुर विभाग

रंगपुर विभाग, बांग्लादेश का एक विभाग। इसे राजशाही विभाग से निकल गया था। इसका मुख्यालय रंगपुर है। इसमें कुल 8 जिले हैं: दीनाजपुर, गाईबांधा, कुरीग्राम, लालमुनीरहाट, पंचगढ़, राजशाही, नीलफामरी, ठाकुरगाँव। श्रेणी:बांग्लादेश के विभाग श्रेणी:रंगपुर विभाग.

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रेसुबेलपाड़ा

रेसुबेलपाड़ा भारतीय राज्य मेघालय के उत्तर गारो हिल्स जिले का मुख्यालय है। इसे रेसु नाम से भी जाना जाता है। यह शहर दामरिंग नदी के किनारे स्थित है। श्रेणी:मेघालय के शहर.

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री भोई जिला

री भोई (IPA: ˌrɪ ˈbɔɪ) भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय का एक प्रशासनिक जिला है। इसका जिला मुख्यालय नोंगपोह में स्थित है। इस जिले के अन्तर्गत २३७८ वर्ग किमी भू क्षेत्र आता है जिसमें वर्ष २००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार १,९२,७९५ जनसंख्या का निवास है। इसी जनगणानुसार यह दक्षिण गारो हिल्स के बाद मेघालय के ७ में से दूसरा न्यूनतम जनसंख्या वाला जिला है। .

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लुप्तप्राय प्रजातियां

साइबेरियाई बाघ, लुप्तप्राय बाघ की एक उप-प्रजाति है; बाघ की दो उप-प्रजातियां पहले से ही लुप्त हो चुकी हैं।सुंदरवन बाघ परियोजना. बाघों के विलुप्त होने की जानकारी, वेब-साइट के बाघों पर अनुभाग में उपलब्ध है लुप्तप्राय प्रजातियां, ऐसे जीवों की आबादी है, जिनके लुप्त होने का जोखिम है, क्योंकि वे या तो संख्या में कम है, या बदलते पर्यावरण या परभक्षण मानकों द्वारा संकट में हैं। साथ ही, यह वनों की कटाई के कारण भोजन और/या पानी की कमी को भी द्योतित कर सकता है। प्रकृति के संरक्षणार्थ अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) ने 2006 के दौरान मूल्यांकन किए गए प्रजातियों के नमूने के आधार पर, सभी जीवों के लिए लुप्तप्राय प्रजातियों की प्रतिशतता की गणना 40 प्रतिशत के रूप में की है। (ध्यान दें: IUCN अपने संक्षिप्त प्रयोजनों के लिए सभी प्रजातियों को वर्गीकृत करता है।) कई देशों में संरक्षण निर्भर प्रजातियों के रक्षणार्थ क़ानून बने हैं: उदाहरण के लिए, शिकार का निषेध, भूमि विकास या परिरक्षित स्थलों के निर्माण पर प्रतिबंध.

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लॉर्ड कर्जन

जॉर्ज नथानिएल कर्जन अथवा लॉर्ड कर्जन (George Nathaniel Curzon), ऑर्डर ऑफ़ गेटिस, ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया, ऑर्डर ऑफ़ इण्डियन एम्पायर, यूनाइटेड किंगडम के प्रिवी काउंसिल (11 जनवरी 1859 – 20 मार्च 1925), जिन्हें द लॉर्ड कर्जन ऑफ़ केड्लेस्टन 1898 से 1911 के मध्य और द अर्ल कर्जन ऑफ़ केड्लेस्टन 1911 से 1921 तक के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटेन कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व राजनीतिज्ञा थे जो भारत के वायसराय एवं विदेश सचिव बनाये गये थे। .

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लोक सभा

लोक सभा, भारतीय संसद का निचला सदन है। भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है, जिसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का और 20 सदस्य तक केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में भारत का राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो प्रतिनिधियों को लोकसभा के लिए मनोनीत कर सकता है। लोकसभा की कार्यावधि 5 वर्ष है परंतु इसे समय से पूर्व भंग किया जा सकता है .

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लीची

लीची एक फल के रूप में जाना जाता है, जिसे वैज्ञानिक नाम (Litchi chinensis) से बुलाते हैं, जीनस लीची का एकमात्र सदस्य है। इसका परिवार है सोपबैरी। यह ऊष्णकटिबन्धीय फल है, जिसका मूल निवास चीन है। यह सामान्यतः मैडागास्कर, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण ताइवान, उत्तरी वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पायी जाती है। सैमसिंग के फूल, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल, भारत इसका मध्यम ऊंचाई का सदाबहार पेड़ होता है, जो कि 15-20 मीटर तक होता है, ऑल्टर्नेट पाइनेट पत्तियां, लगभग 15-25 सें.मी.

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शिलांग

शिलांग भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय की राजधानी है। भारत के पूर्वोत्तर में बसा शिलांग हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। इसे भारत के पूरब का स्कॉटलैण्ड भी कहा जाता है। पहाड़ियों पर बसा छोटा और खूबसूरत शहर पहले असम की राजधानी था। असम के विभाजन के बाद मेघालय बना और शिलांग वहां की राजधानी। लगभग 1695 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस शहर में मौसम हमेशा सुहावना बना रहता है। मानसून के दौरान जब यहां बारिश होती है, तो पूरे शहर की खूबसूरती और निखर जाती है और शिलांग के चारों तरफ के झरने जीवंत हो उठते है। .

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शिलांग लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र

शिलांग लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मेघालय राज्य का एक लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र है। .

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शिलांग विमानक्षेत्र

शिलांग विमानक्षेत्र जिसे उमरोई हवाई अड्डा या बड़ापानी विमानक्षेत्र भी कहा जाता है, उमरोई में स्थित एक नागरिक विमानक्षेत्र है। यह भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय की राजधानी शिलांग शहर को सेवा उपलब्ध कराता है और शहर से की दूरी पर उत्तर पूर्व दिशा में री भोई जिले में स्थित है। इस विमानक्षेत्र का निर्माण १९६० के दशक के मध्य में हुआ था और यहां प्रचालन १९७० के मध्य दशक तक चालू हुआ। वर्ष २००९ में २२४.१६ एकड भूमि अधिग्रहण कर विमानक्षेत्र के विस्तार हेतु दी गयी थी। जून २००९ में इसका विस्तार कार्य आरम्भ हुआ एवं मई २०१० तक यह पूर्ण हुआ। तब ३० करोड रुपये की लागत से तैयार नवनिर्मित टर्मिनल भवन का उद्घाटन जून २०११ में हुआ और यह प्रचालन में आया। विमानक्षेत्र के आगे विस्तार हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को पुनः भूमि आवंटित की गयी। वर्तमान ६००० फ़ीट की उडानपट्टी एटीआर-४२ के अवतरण लायक है और इसका विस्तार ८००० फ़ीट तक नियोजित है जिसके उपरान्त यहां बोइंग ७३७ एवं एयरबस ए३२० का अवतरण भी संभव हो सकेगा। इसके साथ ही दो ऐसे जेट विमानों के पार्किंग एवं ईंधनापूर्ति की सुविधा भी निर्मित होगी .

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शिलांग छावनी

शिलांग छावनी भारतीय राज्य के मेघालय में ईस्ट खासी हिल्स जिले में एक छावनी कस्बा है। .

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सरसों

भारतीय सरसों के पीले फूल सरसों क्रूसीफेरी (ब्रैसीकेसी) कुल का द्विबीजपत्री, एकवर्षीय शाक जातीय पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका कम्प्रेसटिस है। पौधे की ऊँचाई १ से ३ फुट होती है। इसके तने में शाखा-प्रशाखा होते हैं। प्रत्येक पर्व सन्धियों पर एक सामान्य पत्ती लगी रहती है। पत्तियाँ सरल, एकान्त आपाती, बीणकार होती हैं जिनके किनारे अनियमित, शीर्ष नुकीले, शिराविन्यास जालिकावत होते हैं। इसमें पीले रंग के सम्पूर्ण फूल लगते हैं जो तने और शाखाओं के ऊपरी भाग में स्थित होते हैं। फूलों में ओवरी सुपीरियर, लम्बी, चपटी और छोटी वर्तिकावाली होती है। फलियाँ पकने पर फट जाती हैं और बीज जमीन पर गिर जाते हैं। प्रत्येक फली में ८-१० बीज होते हैं। उपजाति के आधार पर बीज काले अथवा पीले रंग के होते हैं। इसकी उपज के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है। सामान्यतः यह दिसम्बर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में इसकी कटाई होती है। भारत में इसकी खेती पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में अधिक होती है। .

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सलेटी मयूर-तीतर

सलेटी मयूर-तीतर (Grey peacock-pheasant) (Polyplectron bicalcaratum) गॉलिफ़ॉर्मिस गण का एक बड़ा एशियाई पक्षी है। यह म्यानमार का राष्ट्रीय पक्षी है। .

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सार्वजनिक-निजी साझेदारी

सार्वजनिक–निजी साझेदारी (पीपीपी, 3P या पी 3) दो या दो से अधिक सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों  के बीच एक सहयोगी व्यवस्था है जो आम तौर पर एक लंबे समय तक प्रभावी रहती है। Hodge, G. A and Greve, C. (2007), Public–Private Partnerships: An International Performance Review, Public Administration Review, 2007, Vol.

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साक्षरता

साक्षरता का अर्थ है साक्षर होना अर्थात पढने और लिखने की क्षमता से संपन्न होना। अलग अलग देशों में साक्षरता के अलग अलग मानक हैं। भारत में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपना नाम लिखने और पढने की योग्यता हासिल कर लेता है तो उसे साक्षर माना जाता है। .

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सिलचर

शिलचर (बंगाली:শিলচর; सिलेटी:শিলচর; असमिया:শিলচৰ) असम का एक प्रमुख शहर है। यह असम का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सिलचर काछाड़ जिले में आता है। यह गुवाहाटी से ४२० किमी (२६१ मील) दूर स्थित है। यह मिजोरम और मणिपुर का अर्थनैतिक रास्ता है। इस शहर में भारत के दूर-दराज़ के इलाकों से व्यावसायिक लोग आकार बसते हैं। यहाँ की प्रमुख भाषा बंगाली और सिलेटी हैं। शिलचर बराक नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है। भारी वर्षा (१२४ इंच) और अपेक्षाकृत उच्च औसत ताप के कारण वर्षा ऋतु में उमस रहती है। चाय, धान तथा कई जंगली उत्पादों का यह व्यवसायकेंद्र है। चूंकि यह जगह पूर्वोत्तर के शेष क्षेत्रों की अपेक्षा बहुत शांत है, इसीलिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इस शहर "शांति का द्वीप" नाम दिया था। .

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सिलहट विभाग

सिलहट बांग्लादेश का एक उपक्षेत्र है इसका मुख्यालय सिलहट है। इस उपक्षेत्र या प्रान्त में ४ जिले हैं। हबीबगंज, मौलवी बजार, सुनामगंज, सिलहट। श्रेणी:बांग्लादेश के विभाग श्रेणी:सिलेट विभाग.

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सिलीमैनाइट

ओडिशा से प्राप्त सिलीमैनाइट सिलीमैनाइट (Sillimanite) एक अलुमिनो-सिलिकेट खनिज है जिसका रासायनिक सूत्र Al2SiO5 है। इसका नाम अमेरिका के रसायनशास्त्री बेंजामिन सिलीमैन (1779–1864) के नाम पर पड़ा है। यह खनिज संसार में अनेक स्थानों पर मिलता है किंतु कुछ ही स्थानों पर आर्थिक दृष्टि से इसका खनन लाभदायक है। आर्थिक दृष्टि से उपयोगी सिलीमैनाइट के निक्षेप केवल भारत में ही विद्यमान हैं। भारत में सिलीमैनाइट सोना पहाड़, जो असम की खासी पहाड़ियों में है, तथा सीधी जिले में पिपरा नामक स्थान पर प्राप्त होता है। कुछ निक्षेप केरल प्रदेश में बालूतट रेत के रूप में भी मिलते हैं। अभी तक सोना पहाड़ और पिपरा के निक्षेपों पर ही खनन कार्य किया गया है। .

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सिलीगुड़ी

'''सिलिगुड़ी''': पूर्वोत्तर भारत का प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी (बंगाली: শিলিগুড়ি) पश्चिम बंगाल का एक नगर है, जो दार्जिलिंग तथा जलपाईगुड़ी जिले में स्थित है। रेल और राजपथ का अंतस्थ होने के कारण, यह नगर दार्जिलिंग एवं सिक्किम के व्यापार का केंद्र है। जूट व्यवसाय नगर का प्रमुख व्यवसाय है। यह महानन्दा नदी के किनारे हिमालय के पाद पर स्थित है और जलपाईगुड़ी से ४२ किमी दूरी पर स्थित है। यह उत्तरी बंगाल का प्रमुख वाणिज्यिक, पर्यटक, आवागमन, तथा शैक्षिक केन्द्र है।२०११ में इसकी जनसंख्या ७ लाख थी। गुवाहाटी के बाद यह पूर्वोत्तर भारत का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। यह पश्चिम बंगाल का महत्वपूर्ण व्यापार केन्द्र बन चुका है। इस नगर में लगभग २० हजार देसी और १५ हजार विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं। नेपाल, भूटान तथा बांग्लादेश आदि पड़ोसी देशों और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के लिये भी यह वायु, सड़क तथा रेल यात्रा का पड़ाव बिन्दु है। यह चाय, आवागमन, पर्यटन तथा इमारती लकड़ी के लिये प्रसिद्ध है। .

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सिख

भारतीय सेना के सिख रेजिमेन्ट के सैनिक सिख धर्म के अनुयायियों को सिख कहते हैं। इसे कभी-कभी सिक्ख भी लिखा जाता है। इनके पहले गुरू गुरु नानक जी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रन्थ है। इनके प्रार्थना स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं। हिन्दू धर्म की रक्षा में तथा भारत की आजादी की लड़ाई में और भारत की आर्थिक प्रगति में सिखों का बहुत बड़ा योगदान है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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सकल घरेलू उत्पाद

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या जीडीपी या सकल घरेलू आय (GDI), एक अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक बुनियादी माप है, यह एक वर्ष में एक राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी अंतिम माल और सेवाओ का बाजार मूल्य है। GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को तीन प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें से सभी अवधारणात्मक रूप से समान हैं। पहला, यह एक निश्चित समय अवधि में (आम तौर पर 365 दिन का एक वर्ष) एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओ के लिए किये गए कुल व्यय के बराबर है। दूसरा, यह एक देश के भीतर एक अवधि में सभी उद्योगों के द्वारा उत्पादन की प्रत्येक अवस्था (मध्यवर्ती चरण) पर कुल वर्धित मूल्य और उत्पादों पर सब्सिडी रहित कर के योग के बराबर है। तीसरा, यह एक अवधि में देश में उत्पादन के द्वारा उत्पन्न आय के योग के बराबर है- अर्थात कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति की राशि, उत्पादन पर कर औरसब्सिडी रहित आयात और सकल परिचालन अधिशेष (या लाभ) GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के मापन और मात्र निर्धारण का सबसे आम तरीका है खर्च या व्यय विधि (expenditure method): "सकल" का अर्थ है सकल घरेलू उत्पाद में से पूंजी शेयर के मूल्यह्रास को घटाया नहीं गया है। यदि शुद्ध निवेश (जो सकल निवेश माइनस मूल्यह्रास है) को उपर्युक्त समीकरण में सकल निवेश के स्थान पर लगाया जाए, तो शुद्ध घरेलू उत्पाद का सूत्र प्राप्त होता है। इस समीकरण में उपभोग और निवेश अंतिम माल और सेवाओ पर किये जाने वाले व्यय हैं। समीकरण का निर्यात - आयात वाला भाग (जो अक्सर शुद्ध निर्यात कहलाता है), घरेलू रूप से उत्पन्न नहीं होने वाले व्यय के भाग को घटाकर (आयात) और इसे फिर से घरेलू क्षेत्र में जोड़ कर (निर्यात) समायोजित करता है। अर्थशास्त्री (कीनेज के बाद से) सामान्य उपभोग के पद को दो भागों में बाँटना पसंद करते हैं; निजी उपभोग और सार्वजनिक क्षेत्र का (या सरकारी) खर्च.

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सुपारी

सुपारी के फल सुपारी (areca nut), 'अरेका कटेचु' (Areca catechu) नामक पौधे के फल का बीज है जो दक्षिणी एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया तथा अफ्रीका के अनेक भागों में पैदा होता है। श्रेणी:बीज.

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स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

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सूरण कुल

''Arum maculatum'' सूरण कुल (Family Araceae) पौधों का एक बड़ा कुल है जिसमें लगभग १०० वंश तथा १९०० स्पीशीज सम्मिलित हैं। ये विश्व के भाग से लेकर शीतोष्ण क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस कुल के कुछ सदस्य जलीय होते हैं, जैसे पिस्टिया (Pistia) जलगोभी, कुछ पौधों के तने ऊर्ध्व या आरोही होते हैं, जैसे मॉन्स्टेरा (Monstera) तथा कुछ अन्य सदस्यों में भूमिगत कंद अथवा प्रकंद, जैसे अमॉरफोफैलस (Amorphophalius) एवं कॉलोकेसिया (Colocasia) होते हैं। आरोही लताएँ उष्णकटिबंधी वर्षा वाले जंगलों में विशेष रूप से पाई जाती हैं। पौधे अधिकांशत: शाकीय होते हैं जिनमें जलीय या दुग्धरस पाया जाता है। मलाया तथा अ्फ्रीका के उष्ण कटिबंध के कुछ स्पीशीज़ की पत्तियाँ दीर्घाकार होती हैं और ये स्पीशीज अत्यधिक फूलों वाले स्पेथ (Spathe) उत्पन्न करते हैं। इस स्पेथों से बड़ी अप्रिय दुर्गंध निकलती है। इन पौधों में परागण मुर्दाखोर मक्खियों (Carrion fly) द्वारा होता है। फूल छोटे तथा उभयलिंगी (hermaphrodite) या उभय लिंगाश्रयी (Monoecious) होते हैं। फूल स्पाइक (Spike), जिसे स्पेडिक्स (Spadix) कहते हैं, पर लगे रहते हैं। स्पेडिक्स हरे, जैसे एरम (Arum) में, अथवा चमकदार रंग के, जैसे ऐथूरियम (Anthurium) में, स्पेथ से घिरा होता है। सर्प पादप, जैसे ऐरिसिमा (Ariscaema) पहाड़ियों पर पाया जाता है, मॉन्स्टेरा डेलिसिओसा (Monstera delliciosa) फलों के लिए महत्वपूर्ण है, अमॉरफौफेलस अर्थात्‌ सूरन (Elephant footyam) तथा एरम "लार्ड्स एंड लेडीज' (Lords and Ladies) खाने योग्य प्रकंद उत्पन्न करते हैं। पोथॉस (Pothos) सजावटी आरोही लता है और इन्थूरियम ग्रीन हाउस का गमले में लगाया जाने वाला आकर्षक पौधा है। .

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सोयाबीन

सोयाबीन की पकी हुई फली सोयाबीन से निर्मित बायोडीजल सोयाबीन एक फसल है। यह दलहन के बजाय तिलहन की फसल मानी जाती है। सोयाबीन मानव पोषण एवं स्वास्थ्य के लिए एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। इसके मुख्य घटक प्रोटीन, कार्बोहाइडेंट और वसा होते है। सोयाबीन में 33 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत वसा, 21 प्रतिशत कार्बोहाइडेंट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है। सोयाप्रोटीन के एमीगेमिनो अम्ल की संरचना पशु प्रोटीन के समकक्ष होती हैं। अतः मनुष्य के पोषण के लिए सोयाबीन उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत हैं। कार्बोहाइडेंट के रूप में आहार रेशा, शर्करा, रैफीनोस एवं स्टाकियोज होता है जो कि पेट में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए लाभप्रद होता हैं। सोयाबीन तेल में लिनोलिक अम्ल एवं लिनालेनिक अम्ल प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये अम्ल शरीर के लिए आवश्यक वसा अम्ल होते हैं। इसके अलावा सोयाबीन में आइसोफ्लावोन, लेसिथिन और फाइटोस्टेरॉल रूप में कुछ अन्य स्वास्थवर्धक उपयोगी घटक होते हैं। सोयाबीन न केवल प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्त्रौत है बल्कि कई शारीरिक क्रियाओं को भी प्रभावित करता है। विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा सोया प्रोटीन का प्लाज्मा लिपिड एवं कोलेस्टेरॉल की मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया गया है और यह पाया गया है कि सोया प्रोटीन मानव रक्त में कोलेस्टेरॉल की मात्रा कम करने में सहायक होता है। निर्दिष्ट स्वास्थ्य उपयोग के लिए सोया प्रोटीन संभवतः पहला सोयाबीन घटक है।;सोयाबीन घटकों के निर्दिष्ट स्वास्थ्य कार्य .

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सीएमजे विश्वविद्यालय

सीएमजे विश्वविद्यालय  (CMJU) एक जोराबात, मेघालय में स्थित निजी विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना राज्य में २००९ में प्रथम निजी विश्वविद्यालय के रूप में हुई थी। इसका परिसर गुवाहाटी-शिलांग राजमार्ग जोराबात में एक पहाडी टीले पर स्थित है। श्रेणी:ग़ैर हिन्दी भाषा पाठ वाले लेख .

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सीमेंट

सीमेंट का उपयोग। सीमेंट आधुनिक भवन निर्माण मे प्रयुक्त होने वाली एक प्राथमिक सामग्री है। सीमेंट मुख्यतः कैल्शियम के सिलिकेट और एलुमिनेट यौगिकों का मिश्रण होता है, जो कैल्शियम ऑक्साइड, सिलिका, एल्यूमीनियम ऑक्साइड और लौह आक्साइड से निर्मित होते हैं। सीमेंट बनाने कि लिये चूना पत्थर और मृत्तिका (क्ले) के मिश्रण को एक भट्ठी में उच्च तापमान पर जलाया जाता है और तत्पश्चात इस प्रक्रिया के फल:स्वरूप बने खंगर (क्लिंकर) को जिप्सम के साथ मिलाकर महीन पीसा जाता है और इस प्रकार जो अंतिम उत्पाद प्राप्त होता है उसे साधारण पोर्टलैंड सीमेंट (सा.पो.सी.) कहा जाता है। भारत में, सा.पो.सी.

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हल्दी

हल्दी का पौधा: इसके पत्ते बड़े-बड़े होते हैं। हल्दी (टर्मरिक) भारतीय वनस्पति है। यह अदरक की प्रजाति का ५-६ फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ की गाठों में हल्दी मिलती है। हल्दी को आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम, टर्मरिक नाम दिए गए हैं। आयुर्वेद में हल्‍दी को एक महत्‍वपूर्ण औषधि‍ कहा गया है। भारतीय रसोई में इसका महत्वपूर्ण स्थान है और धार्मिक रूप से इसको बहुत शुभ समझा जाता है। विवाह में तो हल्दी की रसम का अपना एक विशेष महत्व है।.

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हिन्द-आर्य भाषाएँ

हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे 'भारतीय उपशाखा' भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के 'घ', 'ध' और 'फ' जैसे व्यंजन परिरक्षित हैं, जो अन्य शाखाओं में लुप्त हो गये हैं। इस समूह में यह भाषाएँ आती हैं: संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, कश्मीरी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, रोमानी, असमिया, गुजराती, मराठी, इत्यादि। .

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हिन्दू

शब्द हिन्दू किसी भी ऐसे व्यक्ति का उल्लेख करता है जो खुद को सांस्कृतिक रूप से, मानव-जाति के अनुसार या नृवंशतया (एक विशिष्ट संस्कृति का अनुकरण करने वाले एक ही प्रजाति के लोग), या धार्मिक रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ मानते हैं।Jeffery D. Long (2007), A Vision for Hinduism, IB Tauris,, pages 35-37 यह शब्द ऐतिहासिक रूप से दक्षिण एशिया में स्वदेशी या स्थानीय लोगों के लिए एक भौगोलिक, सांस्कृतिक, और बाद में धार्मिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त किया गया है। हिन्दू शब्द का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है। प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए फारसी और ग्रीक संदर्भों के साथ, मध्ययुगीन युग के ग्रंथों के माध्यम से, हिंदू शब्द सिंधु (इंडस) नदी के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों के लिए भौगोलिक रूप में, मानव-जाति के अनुसार (नृवंशतया), या सांस्कृतिक पहचानकर्ता के रूप में प्रयुक्त होने लगा था।John Stratton Hawley and Vasudha Narayanan (2006), The Life of Hinduism, University of California Press,, pages 10-11 16 वीं शताब्दी तक, इस शब्द ने उपमहाद्वीप के उन निवासियों का उल्लेख करना शुरू कर दिया, जो कि तुर्किक या मुस्लिम नहीं थे। .

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हिन्दी

हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .

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हैजोंग लोग

हैजोंग लोग उत्तर-पूर्वी भारत और बंगाल के जनजातीय लोग होते हैं। ये मेघालय की चौथी सबसे बडी जाति हैं।हैजोंग लोग पूर्वोत्तर भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में फ़ैले हुए हैं। अधिकांश हैजोंग लोग भारत में ही बसे हुए हैं। वर्तमाण में इनकी संख्या १,५०,००० भारत में और ५०,००० बांग्लादेश में है। The Joshua Project www.joshuaproject.net 2011 हैजोंग मुख्य रूप से चावल किसान होते हैं।Ahmad, S., A. Kim, S. Kim, and M. Sangma.

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हैजोंग जाति

हैजोंग लोग उत्तर-पूर्वी भारत और बंगाल के जनजातीय लोग होते हैं। ये मेघालय की चौथी सबसे बडी जाति हैं।हैजोंग लोग पूर्वोत्तर भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में फ़ैले हुए हैं। अधिकांश हैजोंग लोग भारत में ही बसे हुए हैं। वर्तमाण में इनकी संख्या १,५०,००० भारत में और ५०,००० बांग्लादेश में है। The Joshua Project www.joshuaproject.net 2011 हैजोंग मुख्य रूप से चावल किसान होते हैं।Ahmad, S., A. Kim, S. Kim, and M. Sangma.

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जलविद्युत ऊर्जा

'''थ्री जार्ज बांध''' - विश्व का सबसे बड़ा जलविद्युत स्टेशन गिरते हुए या बहते हुए जल की उर्जा से जो विद्युत उत्पन्न की जाती है उसे जलविद्युत (Hydroelectricity) कहते हैं। सन् २००५ में विश्व भर में लगभग ८१६ GWe (जिगावाट एलेक्ट्रिकल) जलविद्युत उत्पन्न की जाती थी जो कि विश्व की सम्पूर्ण विद्युत उर्जा का लगभग २०% है। यह बिजली प्रदूषण रहित है। एवं यह पर्यावरण के अनुकूल है। .

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जैन धर्म

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .

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जैव विविधता

--> वर्षावन जैव विविधता जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (युएनईपी), के अनुसार जैवविविधता biodiversity विशिष्टतया अनुवांशिक, प्रजाति, तथा पारिस्थितिकि तंत्र के विविधता का स्तर मापता है। जैव विविधता किसी जैविक तंत्र के स्वास्थ्य का द्योतक है। पृथ्वी पर जीवन आज लाखों विशिष्ट जैविक प्रजातियों के रूप में उपस्थित हैं। सन् 2010 को जैव विविधता का अंतरराष्ट्रीय वर्ष, घोषित किया गया है। .

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जोवाई

जोवाई भारत के मेघालय प्रांत का एक प्रमुख शहर है। .

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जीवित जड़ सेतु

जीवित जड सेतु भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय के दक्षिणी भाग स्थित स्थानीय जनजाति के लोगों द्वारा जीवित वृक्षों की जडों से बनाये गये पुल हैं। जीवित वृक्षों की जड़ो को अनुवर्धित कर इन्हें जलधारा के आर पार एक सुदृण पुल में परिवर्तित कर देते हैं। समय के साथ साथ ये और भी मजबूत होते जाते हैं। ये पुल मेघालय के चेरापूँजी, नोन ग्रेट,लात्संयू आदि स्थानों पर देखे जा सकते हैं। मेघालय के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग वहां उगने वाले बृक्षों की जड़ों और शाखाओं को एक दूसरे से सम्बद्ध कर पुल का रूप दे देते हैं। इस प्रकार के पुल ही जीवित जड़ पुल कहलाते हैं। इनको बनाने में रबर फ़िग (फ़ाइकस इलास्टिका) वृक्ष की हवाई जडों का प्रयोग किया जाता है और इनका निर्माण खासी एवं जयन्तिया जनजाति के लोग ही किया करते हैं। ऐसे सेतु नागालैण्ड में भी मिलते हैं। भारत के अलावा इंडोनेशिया में जेम्बाटन अकार द्वीप पर सुमात्रा, और जावा के बन्तेन प्रान्त में बादुय लोगों द्वारा भी ऐसे सेतु बनाये जाते हैं। .

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ईसाई

ईसाई वो व्यक्ति है जो ईसाई धर्म को मानता है। ईसाइयों कई साम्प्रदायों में बटे हैं, जैसे रोमन कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स। देखिये: ईसाई धर्म। श्रेणी:ईसाई धर्म.

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घटपर्णी

घटपर्णी घटपर्णी (Nepenthes, Pitcher Plant) द्विदली वर्ग, नेपेंथेसी कुल का कीटभक्षी पौधा है, जो श्रीलंका और असम का देशज है। मुख्यतया ये पौधे शाक (herb) होते हैं और दलदली या अधिक नम जगहो में उगते हैं। पौधे तंतुओं के सहारे ऊपर चढ़ते हैं। ये तंतु पत्तियों की मध्यशिरा की विशेष वृद्धि के फलस्वरूप बनते हैं। तंतुओं के सिरेवाला भाग घड़े के आकार जैसा हो जाता है, जिसे घट (pitcher) कहते हैं। घड़े के मुख के एक ओर एक ढकना जुड़ा होता है, जो शिशु अवस्था में घट के मुख को बंद रखता है। घट का किनारा अंदर की तरफ मुड़ा होता है और मुखद्वार पर बहुत सी मधुग्रंथियाँ होती हैं। मधुग्रंथियों एवं पाचक ग्रंथियों की रचना समन होती है। पाचक ग्रंथियों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक होती है। तथा इनसे एक अम्लीय द्रव स्रावित होता है। नेपेंथीस स्टेनोफिला (Nepenthes Stenophylla) में प्रति घन सेंमी.

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घाटी

दो (या अधिक) पहाड़ो के बीच के समतल मैदान को घाटी कहते है। भूगोल में नदियों के उपजाऊ मैदान को भी उस नदी की घाटी कहते हैं। .

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वाइपरिडाए

वाइपरिडाए (Viperidae) विषैले साँपों का एक जीववैज्ञानिक कुल है जो विश्वभर में पाये जाते हैं, सिवाय हवाई, अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया, न्यू ज़ीलैंड, माडागास्कर और अन्य अलग-थलग स्थानों के। साधारण बोलचाल में वाइपर (Viper) कहलाये जाने वाले इन सर्पों में लम्बे और चूलदार दांत होते हैं जिन्हें वे अपने ग्रास या प्रतिद्वन्दी में गहराई से गाढ़कर ज़हर का प्रवाह कर सकते हैं। .

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विलियमनगर

विलियमनगर मेघालय प्रान्त का एक शहर है। यह पूर्वी गारो हिल्स जिला का मुख्यालय है। .

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूएसटीएम, USTM) भारत के मेघालय राज्य के री-भोई जिले में स्थित एक स्वायत्त विश्वविद्यालय है। समूचे पूर्वोत्तर भारत में स्थापित यह पहला निजी विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय अधिनियम, २००८ के तहत स्थापित किया गया था। इस विश्वविद्यालय की स्थापना शिक्षा अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (ERDF), जो कि पूर्वोत्तर क्षेत्र का सबसे बड़ा शैक्षिक नेटवर्क है; उसकी एक परियोजना के तहत की गयी थी। .

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खनिजों की सूची

यहाँ खनिजों की सूची दी गयी है। .

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खलीहृयत

खलीहृयत भारतीय राज्य मेघालय के पूर्व जयन्तिया हिल्स जिले का मुख्यालय है। .

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खाद्यान्न

गेहूं का खेत खाद्यान्नों में सभी अन्न सम्मिलित हैं जो खाने के काम आते हैं। खाद्यान्न शक्ति प्राप्त करने के बड़े स्रोत हैं। श्रेणी:अन्न.

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खासी

खासी (या खासिया, या खासा) एक जनजाति है जो भारत के मेघालय, असम तथा बांग्लादेश के कुछ क्षेत्रों में निवास करते हैं। ये खासी तथा जयंतिया की पहाड़ियों में रहनेवाली एक मातृकुलमूलक जनजाति है। इनका रंग काला मिश्रित पीला, नाक चपटी, मुँह चौड़ा तथा सुघड़ होता है। ये लोग हृष्टपुष्ट और स्वभावत: परिश्रमी होते है। स्त्री तथा पुरुष दोनों सिर पर बड़े बड़े बाल रखते हैं, निर्धन लोग सिर मुँडवा लेते हैं। .

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खासी एवं जयंतिया पहाड़ियाँ

खासी और जयन्तिया भारत के पूर्वोत्तर में स्थित पर्वतीय क्षेत्र हैं। ब्रिटिश काल में ये क्षेत्र असम प्रान्त के भाग थे। अब ये मेघालय के अन्तर्गत आते हैं। श्रेणी:भारत के पर्वत.

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खासी भाषा

खसी (Khasi) या खासी पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य में खसी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक भाषा है। यह ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की सदस्य है। खासी (जिसे खसी, खसिया या क्यी भी कहते हैं) ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाओं के मोन-ख्मेर परिवार की एक शाखा है। २००१ की भारतीय जनगणना के अनुसार खासी भाषा को बोलने वाले ११,२८,५७५ लोग मेघालय में रहते हैं। खासी भाषा के बहुत से शब्द की इण्डो-आर्य भाषाएं जैसे नेपाली, बांग्ला एवं असमिया से लिये गे हैं। इसके अलावा खासी भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है और यह भारत में अभी तक चल रही मोन-ख्मेर भाषाओ में से एक है। .

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गारो

पारम्परिक वेशभूषा में एक गारो दम्पत्ति गारो, भारत की एक प्रमुख जनजाति है। गारो लोग भारत के मेघालय राज्य के गारो पर्वत तथा बांग्लादेश के मयमनसिंह जिला के निवासी आदिवासी हैं। इसके अलावा भारत में असम के कामरूप, गोयालपाड़ा और कारबि आंलं जिला में तथा बांग्लादेश में टांगाइल, सिलेट, शेरपुर, नेत्रकोना, सुनामगंज, ढाका और गाजीपुर जिलों में भी गारो लोग रहते हैं। .

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गारो पहाड़ियाँ

गारो पर्वत भारत के मेघालय राज्य में छोटे पहाड़ों की श्रंखला है जिसके अंतर्गत मेघालय के तीन ज़िले आते हैं, पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी गारो हिल्स। यह मेघालय में गारो-खासी श्रंखला का हिस्सा हैं। यहाँ मुख्य रूप से आदिवासी बसते हैं, जिनमें से मुख्यत: गारो लोग हैं। शिलांग, मेघालय की राजधानी, इन्ही पर्वतों में स्थित है। यह दुनिया में सबसे नम स्थानों में से एक है। यह श्रंखला मेघालय उपोष्णकटिबंधीय जंगल पारिस्थितिक तंत्र का हिस्सा है। श्रेणी:मेघालय.

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गारो भाषा

गारो भाषा (Garo language) या आचिक भाषा (আ·চিক ভাষা) पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य के गारो पहाड़ियाँ ज़िले तथा असम व त्रिपुरा के कुछ भागों में बोली जाने वाली एक भाषा है। इसे बांग्लादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में भी बोला जाता है। गारो भाषा का कोच एवं बोडो भाषाओ से, जो कि तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की सदस्य हैं, इनसे निकट सामीप्य है। गारो भाषा अधिकांश जनसंख्या द्वारा बोली जाती है और इसकी कई बोलियां प्रचलित हैं, जैसे अबेंग या अम्बेंग, अटोंग, अकावे (या अवे), मात्ची दुआल, चोबोक, चिसक मेगम या लिंगंगम, रुगा, गारा-गञ्चिंग एवं माटाबेंग। .

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गुवाहाटी उच्च न्यायालय

गुवाहाटी उच्च न्यायालय असम राज्य का न्यायालय हैं। इसे १ मार्च, १९४८ को भारत अधिनियम, १९३५ के अंतर्गत किया गया था। यह असम की राजधानी शहर गुवाहाटी मे स्थित हैं। इसके अधिकार क्षेत्र मे असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, और मिजोरम के राज्य आते हैं। इस न्यायालय की शाखाएँ कोहिमा, आइजोल और ईटानगर में है और अगरतला और शिलांग में सर्किट बेंच है। .

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ग्रेनाइट

ग्रेनाइट पाषाण का निकट दृश्य ग्रैनाइट (Granite, कणाशम) मणिभीय दानेदार शिला है, जिसके प्रमुख अवयव स्फटिक (quartz) और फेल्स्पार (feldspar) हैं। यह आग्नेय (इग्नेयस) पाषाण है। 'ग्रैनाइट' शब्द का सर्वप्रथम उपयोग प्राचीन इटालियन संग्रहकर्ताओं ने किया था। रोम के शिल्पकार फ्लेमिनियस वेका के एक वर्णन में इसका प्रथम सन्दर्भ मिलता है। ग्रैनाइट पृथ्वी के प्रत्येक में पाया जाता है। भारत में भी यह प्रचुरता से मिलता है। मैसूर, उत्तर आरकट, मद्रास, राजपूताना, सलेम, बुंदेलखंड और सिंहभूमि में पर्याप्त प्राप्त होता है। हिमालय प्रदेशों में भी ग्रैनाइट शिलाएँ विद्यमान हैं। तमिलनाडु के तंजावुर नगर में स्थित वृहदेश्वर मंदिर विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जो ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है। .

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गेहूँ

गेहूँ गेहूं (Wheat; वैज्ञानिक नाम: Triticum spp.),Belderok, Bob & Hans Mesdag & Dingena A. Donner.

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गोपीनाथ बोरदोलोई

गोपीनाथ बोरडोलोई गोपीनाथ बोरदोलोई (1890-1950) भारत के स्वतंत्रता सेनानी और असम के प्रथम मुख्यमंत्री थे। भारत की स्वतंत्रता के वाद उन्होने सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ नजदीक से कार्य किया। उनके योगदानो के कारण असम चीन और पूर्वी पाकिस्तान से बच के भारत का हिस्सा बन पाया। वे 19 सितंबर, 1938 से 17 नवंबर, 1939 तक असम के मुख्यमंत्री रहे। .

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गोवालपारा जिला

गोवालपारा भारतीय राज्य असम का एक जिला है। जिले का मुख्यालय गोवालपारा है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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ऑर्किड

ऑर्किड के फूल आर्किड, पौधों का एक कुल है जिसके सदस्यों के पुष्प अत्यंत सुंदर और सुगंधयुक्त होते हैं। आर्किडों को ठीक ही पुष्पजगत् में बड़ी प्रतिष्ठा प्राप्त है, क्योंकि इनके रंग रूप में विलक्षण विचित्रता है। और्किड बहुवर्षी बूटों का विशाल समुदाय है, जो प्राय: भूमि पर अथवा दूसरे पेड़ों पर आश्रय ग्रहण कर उगते हैं, या कुकुरमुत्ते के समान मृतभोजी जीवन बिताते हैं। मृतभोजी और्किडों में पर्णहरिम (क्लोरोफ़िल) नही होता। जो और्किड वृक्षों पर होते हैं उनमें बरोहियाँ (वायवीय जड़ें) होती हैं जिनकी बाहरी पर्त में जलशोषक तंतु होते हैं। विस्तृत रेगिस्तानी भागों के अतिरिक्त आर्किड प्राय: संसार के सभी भागों में होते हैं। वैसे ये उष्ण और समोष्ण देशों में अधिक होता हैं। और्किडों की लगभग 450 प्रजातियाँ (जेनरा) और 15,000 जातियाँ (स्पीशीज़) हैं तथा ये सब एक ही कुल (फ़ैमिली) के अंतर्गत हैं। किसी भी समूह के फूल में इतने विविध रूप नहीं हैं जितने और्किडों में। वास्तव में इनके फूल की तथा अन्य भागों के रूपांतरण ने इन्हें इतना भिन्न बना दिया है कि ये साधारण एकदली फूल जैसे लगते ही नहीं हैं। और्किडों के फूल चिरजीवी होने के लिए प्रसिद्ध हैं। यदि परागण न हो तो ये महीने डेढ़ महीने अथवा इससे भी अधिक दिनों तक अम्लान बने रहते हैं, यद्यपि यह समय बहुत कुछ वातावरण पर भी निर्भर है। परागण के पश्चात् फूल तुरंत मुर्झा जाते हैं। और्किडों में बीज अधिक मात्रा में बनते हैं तथा अत्यंत नन्हे होते हैं। प्राय: एक फल से कई हजार बीज उत्पन्न होते हैं और ये इतने हल्के होते हैं कि इनका प्रसारण वायु द्वारा सुगमता से हो जाता है। कुछ और्किडों को छोड़कर प्राय: सभी की जड़ों में कवक (फ़ंगस) होता है जो बिना कोई हानि पहुँचाए तंतुओं में रहता है। इस परिस्थिति का और्किडों के अंकुरण से विशेष संबंध है। ऐसा अनुमान है कि इनके बीज बिना कवक से संपर्क के अंकुरित ही नहीं हो पाते। और्किड की खेती का एक अत्यंत रोचक तथा आवश्यक अंग उनसे संकर पौधे उत्पन्न करना है। और्किडों में कृत्रिम परागण द्वारा सफलता प्राप्त करने के लिए इनके फूलों की रचना का यथार्थ ज्ञान, हस्तलाघव, कौशल तथा धैर्य का होना अत्यंत आवश्यक है। और्किडों का सारा महत्व इनके फूलों की सुंदरता तथा सजधज में है। इनमें से कुछ से, जैसे वैनीला से, एक प्रकार का सार (इत्र) भी प्राप्त होता है जो इनके फलों से निकाला जाता है। भारतवर्ष में आर्किड पहाड़ी प्रदेशों में, जैसे हिमालय, खासी-जयंती पर्वत, पश्चिमी घाट, कोडै कैनाल और नीलगिरि पर्वत पर होते हैं। .

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आड़ू

आड़ू या सतालू (अंग्रेजी नाम: पीच (Peach); वास्पतिक नाम: प्रूनस पर्सिका; प्रजाति: प्रूनस; जाति: पर्सिका; कुल: रोज़ेसी) का उत्पत्तिस्थान चीन है। कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि यह ईरान में उत्पन्न हुआ। यह पर्णपाती वृक्ष है। भारतवर्ष के पर्वतीय तथा उपपर्वतीय भागों में इसकी सफल खेती होती है। ताजे फल खाए जाते हैं तथा फल से फलपाक (जैम), जेली और चटनी बनती है। फल में चीनी की मात्रा पर्याप्त होती है। जहाँ जलवायु न अधिक ठंढी, न अधिक गरम हो, 15 डिग्री फा.

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आर्द्रता

वायुमण्डल में विद्यमान अदृष्य जलवाष्प की मात्रा आर्द्रता (humidity) कहलाती हैं। यह आर्द्रता पृथ्वी से वाष्पीकरण के विभिन्न रुपों द्वारा वायुमण्डल में पहुंचती हैं। आर्द्रता का जलवायु विज्ञान में सर्वाधिक महत्व होता हैं, क्योंकि इसी पर वर्षा, तथा वर्षण के विभिन्न रूप जैसे वायुमण्डलीय तूफान तथा विक्षोभ (चक्रवात आदि) आधारित होते हैं। वर्षा, बादल, कुहरा, ओस, ओला, पाला आदि से ज्ञात होता है कि पृथ्वी को घेरे हुए वायुमंडल में जलवाष्प सदा न्यूनाधिक मात्रा में विद्यमान रहता है। प्रति घन सेंटीमीटर हवा में जितना मिलीग्राम जलवाष्प विद्यमान है, उसका मान हम रासायनिक आर्द्रतामापी से निकालते है, किंतु अधिकतर वाष्प की मात्रा को वाष्पदाव द्वारा व्यक्त किया जाता है। वायु-दाब-मापी से जब हम वायुदाब ज्ञात करते हैं तब उसी में जलवाष्प का भी दाब सम्मिलित रहता है। आर्द्रतामापी - हवा में आर्द्रता की मात्रा को नापने का उपकरण .

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आर्कीअन

आर्कीअन (Archean Eon या Archaean) एक भूवैज्ञानिक इओन (eon) है जिसकी अवधि 4,000 से 2,500 मिलियन वर्ष पूर्व तक है। इस इओन में पृथ्वी की पर्पटी (crust) एवं स्तर अभी-अभी निर्मित हुए थे। श्रेणी:भूविज्ञान.

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आलू

तरह-तरह के आलू आलू का पौधा आलू एक सब्जी है। वनस्पति विज्ञान की दृष्टि से यह एक तना है। इसकी उद्गम स्थान दक्षिण अमेरिका का पेरू (संदर्भ) है। यह गेहूं, धान तथा मक्का के बाद सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है। भारत में यह विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में उगाया जाता है। यह जमीन के नीचे पैदा होता है। आलू के उत्पादन में चीन और रूस के बाद भारत तीसरे स्थान पर है। .

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आलू बुख़ारा

पेड़ पर लटकते आलू बुख़ारे पीले रंग के मिराबॅल आलू बुख़ारे अलूचा या आलू बुखारा (अंग्रेजी नाम: प्लम; वानस्पतिक नाम: प्रूनस डोमेस्टिका) एक पर्णपाती वृक्ष है। इसके फल को भी अलूचा या प्लम कहते हैं। फल, लीची के बराबर या कुछ बड़ा होता है और छिलका नरम तथा साधरणत: गाढ़े बैंगनी रंग का होता है। गूदा पीला और खटमिट्ठे स्वाद का होता है। भारत में इसकी खेती बहुत कम होती है; परंतु अमरीका आदि देशों में यह महत्वपूर्ण फल है।आलूबुखारा (प्रूनस बुखारेंसिस) भी एक प्रकार का अलूचा है, जिसकी खेती बहुधा अफगानिस्तान में होती है। अलूचा का उत्पत्तिस्थान दक्षिण-पूर्व यूरोप अथवा पश्चिमी एशिया में काकेशिया तथा कैस्पियन सागरीय प्रांत है। इसकी एक जाति प्रूनस सैल्सिना की उत्पत्ति चीन से हुई है। इसका जैम बनता है। आलू बुख़ारा एक गुठलीदार फल है। आलू बुख़ारे लाल, काले, पीले और कभी-कभी हरे रंग के होते हैं। आलू बुख़ारों का ज़ायका मीठा या खट्टा होता है और अक्सर इनका पतला छिलका अधिक खट्टा होता है। इनका गूदा रसदार होता है और इन्हें या तो सीधा खाया जा सकता है या इनके मुरब्बे बनाए जा सकते हैं। इनके रस पर खमीर उठने पर आलू बुख़ारे की शराब भी बनाई जाती है। सुखाए गए आलू बुख़ारों को बहुत जगहों पर खाया जाता है और उनमें ऑक्सीकरण रोधी (ऐन्टीआक्सडन्ट) पदार्थ होते हैं जो कुछ रोगों से शरीर को सुरक्षित रखने में मददगार हो सकते हैं। आलू बुख़ारों की कई क़िस्मों में कब्ज़ का इलाज करने वाले (यानि जुलाब के) पदार्थ भी होते हैं। यह खटमिट्ठा फल भारत के पहाड़ी प्रदेशों में होता है। अलूचा के सफल उत्पादन के लिए ठंडी जलवायु आवश्यक है। देखा गया है कि उत्तरी भारत की पर्वतीय जलवायु में इसकी उपज अच्छी हो सकती है। मटियार, दोमट मिट्टी अत्यंत उपयुक्त है, परंतु इस मिट्टी का जलोत्सारण (ड्रेनेज) उच्च कोटि का होना चाहिए। इसकी सिंचाई आड़ू की भांति करनी चाहिए। अलूचा का वर्गीकरण फल पकने के समयानुसार होता है.

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आग्नेय भाषापरिवार

ऑस्ट्रो-एशियाई भाषाएँ​ (Austro-Asiatic languages) या मोन-ख्मेर भाषाएँ या आग्नेय भाषाएँ दक्षिण-पूर्वी एशिया में विस्तृत एक भाषा परिवार है भाषाएँ भारत और बंगलादेश में जहाँ-तहाँ और चीन की कुछ दक्षिणी सीमावर्ती क्षेत्रों में भी बोलीं जाती हैं। इनमें केवल ख्मेर, वियतनामी और मोन का लम्बा लिखित इतिहास है और केवल ख्मेर और वियतनामी को अपने क्षेत्रों में सरकारी भाषा होने का दर्जा प्राप्त है। अन्य सभी भाषाएँ अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा बोली जाती हैं। कुल मिलाकर ऍथनोलॉग भाषा सूची में इस परिवार की १६८ सदस्य भाषाएँ गिनी गई हैं। भारत में खासी और मुंडा भाषाएँ इस परिवार में आती हैं। .

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इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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कटहल

कटहल का पेड़ और उस पर लगे फल कटहल या फनस का वृक्ष शाखायुक्त, सपुष्पक तथा बहुवर्षीय वृक्ष है। यह दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व एशिया का मूल-निवासी है। पेड़ पर होने वाले फलों में इसका फल विश्व में सबसे बड़ा होता है। फल के बाहरी सतह पर छोटे-छोटे काँटे पाए जाते हैं। इस प्रकार के संग्रन्थित फल को सोरोसिस कहते हैं। .

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कलकत्ता विश्वविद्यालय

कोलकाता विश्वविद्यालय। कोलकाता विश्वविद्यालय (কলকাতা বিশ্ববিদ্যালয়) भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल का एक विश्वविद्यालय है। .

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काली मिर्च

thumb 'काली मिर्च' के काले तथा सफेद दाने वनस्पति जगत्‌ में पिप्पली कुल (Piperaceae) के मरिचपिप्पली (Piper nigrum) नामक लता सदृश बारहमासी पौधे के अधपके और सूखे फलों का नाम काली मिर्च (Pepper) है। पके हुए सूखे फलों को छिलकों से बिलगाकर सफेद गोल मिर्च बनाई जाती है जिसका व्यास लगभग ५ मिमी होता है। यह मसाले के रूप में प्रयुक्त होती है। .

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काजू

काजू काजू का वृक्ष बीज सहित काजू का फल काजू का नया-नया फल वे क्षेत्र जहाँ काजू का उत्पादन होता है। काजू (द्विपद नामकरण: Anacardium occidentale / आनाकार्द्यूम् ओक्सीदेन्ताले) एक प्रकार का पेड़ है जिसका फल सूखे मेवे के लिए बहुत लोकप्रिय है। काजू का आयात निर्यात एक बड़ा व्यापार भी है। काजू से अनेक प्रकार की मिठाईयाँ और मदिरा भी बनाई जाती है। काजू का पेड़ तेजी से बढ़ने वाला उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है। काजू की उत्पत्ति ब्राजील से हुई है। किन्तु आजकल इसकी खेती दुनिया के अधिकांश देशों में की जाती है। सामान्य तौर पर काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर तक बढ़ता है। हालांकि काजू की बौनी कल्टीवर प्रजाति जो 6 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है, जल्दी तैयार होने और ज्यादा उपज देने की वजह से बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है। काजू का उपभोग कई तरह से किया जाता है। काजू के छिलके का इस्तेमाल पेंट से लेकर स्नेहक (लुब्रिकेंट्स) तक में होता है। एशियाई देशों में अधिकांश तटीय इलाके काजू उत्पादन के बड़े क्षेत्र हैं। काजू की व्यावसायिक खेती दिनों-दिन लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि काजू सभी अहम कार्यक्रमों या उत्सवों में अल्पाहार या नाश्ता का जरूरी हिस्सा बन गया है। विदेशी बाजारों में भी काजू की बहुत अच्छी मांग है। काजू बहुत तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है और इसमे पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर पककर तैयार हो जाता है। बगीचे का बेहतर प्रबंधन और ज्यादा पैदावार देनेवाले प्रकार (कल्टीवर्स) का चयन व्यावसायिक उत्पादकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। .

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काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस

भोपाल के विद्यालय में विद्यार्थी काउन्सिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (ICSE) भारत का एक निजी, गैर-सरकारी शिक्षा बोर्ड है। यह बोर्ड १९५६ में आंग्ल-भारतीय शिक्षा हेतु हुई एक अन्तर्राज्यीय बैठक में संगठित किया गया था। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है। यह भारत में दो परीक्षाएं संचालित करता है.

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कुकुरमुत्ता (कवक)

कुकुरमुत्ता कुकुरमुत्ता (मशरूम) एक प्रकार का कवक है, जो बरसात के दिनों में सड़े-गले कार्बनिक पदार्थ पर अनायास ही दिखने लगता है। इसे या खुम्ब, 'खुंबी' या मशरूम भी कहते हैं। यह एक मृतोपजीवी जीव है जो हरित लवक के अभाव के कारण अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं कर सकता है। इसका शरीर थैलसनुमा होता है जिसको जड़, तना और पत्ती में नहीं बाँटा जा सकता है। खाने योग्य कुकुरमुत्तों को खुंबी कहा जाता है। 'कुकुरमुत्ता' दो शब्दों कुकुर (कुत्ता) और मुत्ता (मूत्रत्याग) के मेल से बना है, यानि यह कुत्तों के मूत्रत्याग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। ऐसी मान्यता भारत के कुछ इलाकों में प्रचलित है, किन्तु यह बिलकुल गलत धारणा है। .

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कुकी भाषाएँ

कुकी भाषाएँ (Kukish languages) या कुकी-चिन भाषाएँ (Kuki-Chin languages) पूर्वोत्तरी भारत, पश्चिमी बर्मा और पूर्वी बंग्लादेश में बोली जाने वाली लगभग ५० तिब्बती-बर्मी भाषाओं का समूह है। इसमें मिज़ो भाषा व हाखा चिन भाषा शामिल हैं। .

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कुकी जनजाति

---- कुकी मंगोली नस्ल की एक वनवासी जाति है जो असम और अराकान के बीच लुशाई और काचार जिले में रहती है। इनको चिन, जोमी, मिजो (मिज़ोरम में) भी कहते हैं। कूकी लोग भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों, उत्तरी म्याँआर, बंगलादेश के चित्तग्राम पहाड़ियों पर निवास करते हैं। भारत में अरुणाचल प्रदेश को छोडकर वे सभी उत्तरपूर्वी राज्यों में पाये जाते हैं। अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर उनका बिखरे होना मुख्यतः ब्रिटेन की औपनिवेशिक नीति का परिणाम है। इसके बोंजुंग कुकी, बायटे कुकी, खेलमा कुकी आदि कई कुलवाची भेद हैं। ये बलिष्ठ एवं ठिंगने होते हैं और नागा लोगों की अपेक्षा अधिक खूंखार समझे जाते हैं। आज से लगभग डेढ सौ वर्ष पूर्व लुशाई और कुकी लोगों में युद्ध हुआ जिसमें कुकी लोगों की हार हुई और वे अपना निवास छोड़कर काचार में आ बसे। उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने प्रश्रय दिया और २०० कुकियों को सीमांत रक्षार्थ सैनिक शिक्षा दी। कुकी लोग अपने सरदार की आज्ञा का पालन अपना धर्म समझते हैं। सरदार उनका एक प्रकार से राजा होता है और समझा जाता है कि वह दैवी अंश है। इस कारण वे लोग उसका कभी अनादर करने का साहस नहीं करते वरन् वह जो आदेश देता है उसका आँख मूँदकर पालन करते हैं। विशेष अवसर आने पर सरदार संकेत द्वारा आदेश जारी करता है। यदि कोई व्यक्ति सरदार का भाला सुसज्जित रूप में लेकर गाँव में घूमता है तो उसका अर्थ होता है कि सरदार ने सब लोगों को अविलंब बुलाया है। इस वर्ग का प्रत्येक व्यक्ति अपने सरदार को प्रति वर्ष करस्वरूप एक टोकरी चावल, एक बकरी, एक कुक्कुट और अपने शिकार का चौथा भाग प्रदान करता है और चार दिन की कमाई देता है। सरदार की सहायता के लिए एक मंत्रिमंडल होता है जिसकी सहायता से वह न्याय करता है। कुकी लोगों में विश्वासघात की सजा मृत्यु है। खून के अपराध में खूनी और उसके परिवार को गुलामी करनी होती है। स्त्रियों को किसी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं है, उनपर सरदार का आदेश लागू होता है। कुकी लोग 'उथेन' नामक देवता की पूजा करते हैं। श्रेणी:भारत की जनजातियाँ.

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क्लाउड कम्प्यूटिंग

क्लाउड कम्प्यूटिंग का कांसेप्ट क्लाउड कम्यूटिंग (Cloud Computing) या मेघ संगणना वास्तव में इंटरनेट-आधारित प्रक्रिया और कंप्यूटर ऐप्लीकेशन का इस्तेमाल है। गूगल एप्स क्लाउड कंप्यूटिंग का एक उदाहरण है जो बिजनेस ऐप्लीकेशन ऑनलाइन मुहैया कराता है और वेब ब्राउजर का इस्तेमाल कर इस तक पहुंचा जा सकता है। इंटरनेट पर सर्वरों में जानकारियाँ (अनुप्रयोग, वेब पेजेस, प्रोग्राम इत्यादि सभी) सदा सर्वदा के लिए भंडारित रहती हैं और ये उपयोक्ता के डेस्कटॉप, नोटबुक, गेमिंग कंसोल इत्यादि पर आवश्यकतानुसार अस्थाई रूप से संग्रहित रहती हैं। इसे थोड़ा विस्तारित और सरल रूप में कहें तो सीधी सी बात है कि अब तक जो सॉफ्टवेयर प्रोग्राम आप स्थानीय रूप से अपने कम्प्यूटर और लैपटॉप-नोटबुक पर संस्थापित करते रहे थे, अब इनकी कतई आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि ये सब सॉफ्टवेयर अब आपको वेब सेवाओं के जरिए मिला करेंगी। वेब होस्टिंग के क्षेत्र में भी क्लाउड का उपयोग कर नवीनतम प्रकार की वेब होस्टिंग सेवा क्लाउड होस्टिंग प्रस्तुत की गई है। यही नहीं, गूगल गियर जैसे अनुक्रमों के जरिए आपको इस तरह की बहुत सारी सुविधाएं ऑफ़लाइन भी मिला करेंगीं। .

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कैथोलिक धर्म

"बिशप" नामक उच्च पद पर नियुक्त एक कैथोलिक पादरी स्पेन में चलती दो ननें कैथोलिक धर्म या रोमन कैथोलिक धर्म ईसाई धर्म की एक मुख्य शाखा है जिसके अनुयायी रोम के वैटिकन नगर में स्थित पोप को अपना धर्माध्यक्ष मानते हैं। ईसाई धर्म की दूसरी मुख्य शाखा प्रोटेस्टैंट कहलाती है और उसके अनुयायी पोप के धार्मिक नेतृत्व को नहीं स्वीकारते। कैथोलिकों और प्रोटेस्टैंटों की धार्मिक मान्यताओं में और भी बड़े अंतर हैं। .

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कैनोला

कैनोला कुकिंग ऑइल की बोतल कैनोला, रेपसीड या ब्रैसिका कैम्पेस्ट्रिस की दो फसलों (ब्रैसिका नैपस एल. और बी. कैम्पेस्ट्रिस एल.) में से एक को कहते हैं। इनके बीजों का उपयोग खाद्य तेल के उत्पादन में होता है जो मानव उपभोग के लिए अनुकूल होता है क्योंकि इसमें पारंपरिक रेपसीड तेलों की तुलना में इरुसिक एसिड की मात्रा कम होती है, साथ ही इसका इस्तेमाल मवेशियों का चारा तैयार करने में भी होता है क्योंकि इसमें जहरीले ग्लूकोसाइनोलेट्स का स्तर कम होता है। कैनोला को मूलतः कनाडा में कीथ डाउनी और बाल्डर आर.

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केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड

केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (अंग्रेज़ी:Central Board of Secondary Education या CBSE) भारत की स्कूली शिक्षा का एक प्रमुख बोर्ड है। भारत के अन्दर और बाहर के बहुत से निजी विद्यालय इससे सम्बद्ध हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं - शिक्षा संस्थानों को अधिक प्रभावशाली ढंग से लाभ पहुंचाना, उन विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होना जिनके माता-पिता केन्द्रीय सरकार के कर्मचारी हैं और निरंतर स्थानान्तरणीय पदों पर कार्यरत हों। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शिक्षा का माध्यम हिन्दी या अंग्रेजी हो सकता है। इसमें कुल ८९७ केन्द्रीय विद्यालय, १७६१ सरकारी विद्यालय, ५८२७ स्वतंत्र विद्यालय, ४८० जवाहर नवोदय विद्यालय और १४ केन्द्रीय तिब्बती विद्यालय सम्मिलित हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। १८ फ़रवरी २०१० इसका ध्येय वाक्य है - असतो मा सद्गमय (हे प्रभु ! हमे असत्य से सत्य की ओर ले चलो।)-के.मा.शि.बोर्ड। वर्ल्ड प्रेस .

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केला

मूसा जाति के घासदार पौधे और उनके द्वारा उत्पादित फल को आम तौर पर केला कहा जाता है। मूल रूप से ये दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णदेशीय क्षेत्र के हैं और संभवतः पपुआ न्यू गिनी में इन्हें सबसे पहले उपजाया गया था। आज, उनकी खेती सम्पूर्ण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। केले के पौधें मुसाके परिवार के हैं। मुख्य रूप से फल के लिए इसकी खेती की जाती है और कुछ हद तक रेशों के उत्पादन और सजावटी पौधे के रूप में भी इसकी खेती की जाती है। चूंकि केले के पौधे काफी लंबे और सामान्य रूप से काफी मजबूत होते हैं और अक्सर गलती से वृक्ष समझ लिए जाते हैं, पर उनका मुख्य या सीधा तना वास्तव में एक छद्मतना होता है। कुछ प्रजातियों में इस छद्मतने की ऊंचाई 2-8 मीटर तक और उसकी पत्तियाँ 3.5 मीटर तक लम्बी हो सकती हैं। प्रत्येक छद्मतना हरे केलों के एक गुच्छे को उत्पन्न कर सकता है, जो अक्सर पकने के बाद पीले या कभी-कभी लाल रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। फल लगने के बाद, छद्मतना मर जाता है और इसकी जगह दूसरा छद्मतना ले लेता है। केले के फल लटकते गुच्छों में ही बड़े होते है, जिनमें 20 फलों तक की एक पंक्ति होती है (जिसे हाथ भी कहा जाता है) और एक गुच्छे में 3-20 केलों की पंक्ति होती है। केलों के लटकते हुए सम्पूर्ण समूह को गुच्छा कहा जाता है, या व्यावसायिक रूप से इसे "बनाना स्टेम" कहा जाता है और इसका वजन 30-50 किलो होता है। एक फल औसतन 125 ग्राम का होता है, जिसमें लगभग 75% पानी और 25% सूखी सामग्री होती है। प्रत्येक फल (केला या 'उंगली' के रूप में ज्ञात) में एक सुरक्षात्मक बाहरी परत होती है (छिलका या त्वचा) जिसके भीतर एक मांसल खाद्य भाग होता है। .

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कॉफ़ी

कॉफ़ी का प्यालाकॉफ़ी (अरब. قهوة क़हवा उत्तेजक पेय पदार्थ) — एक लोकप्रिय पेय पदार्थ (साधारणतया गर्म) है, जो कॉफ़ी के पेड़ के भुने हुए बीजों से बनाया जाता है। कॉफ़ी में कैफ़ीन होने के कारण वह हल्के उद्दीपक सा प्रभाव डालती है। इसके विषय में वैज्ञानिकों का कोई निश्चित मत नहीं हैं। जहाँ एक ओर कहा जाता है कि कॉफ़ी से शुक्राणुओं की सक्रियता बढ़ती है वहीं दूसरी ओर कुछ अध्ययनों में यह भी पता चला है कि अधिक कॉफ़ी पीने से मतिभ्रम भी हो सकता है। .

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कोच भाषा

कोच एक तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की ब्रह्मपुत्रीय शाखा की एक भाषा है जिसे भारत के उत्तरपूर्व, नेपाल और बांग्लादेश में रहने वाले कोच राजबोंग्शी लोग बोलते हैं। कोच बोलने वाले अक्सर राजबोंग्शी भाषा भी जानते हैं। .

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कोयला

कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का ३५% से ४०% भाग कोयलें से पाप्त होता हैं। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है। कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किया जाता है। ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है। .

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अदरक

अदरक अदरक का चूर्ण अदरक का खेत अदरक की कैन्डी अदरक (वानस्पतिक नाम: जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale), एक भूमिगत रूपान्तरित तना है। यह मिट्टी के अन्दर क्षैतिज बढ़ता है। इसमें काफी मात्रा में भोज्य पदार्थ संचित रहता है जिसके कारण यह फूलकर मोटा हो जाता है। अदरक जिंजीबरेसी कुल का पौधा है। अधिकतर उष्णकटिबंधीय (ट्रापिकल्स) और शीतोष्ण कटिबंध (सबट्रापिकल) भागों में पाया जाता है। अदरक दक्षिण एशिया का देशज है किन्तु अब यह पूर्वी अफ्रीका और कैरेबियन में भी पैदा होता है। अदरक का पौधा चीन, जापान, मसकराइन और प्रशांत महासागर के द्वीपों में भी मिलता है। इसके पौधे में सिमपोडियल राइजोम पाया जाता है। सूखे हुए अदरक को सौंठ (शुष्ठी) कहते हैं। भारत में यह बंगाल, बिहार, चेन्नई,मध्य प्रदेश कोचीन, पंजाब और उत्तर प्रदेश में अधिक उत्पन्न होती है। अदरक का कोई बीज नहीं होता, इसके कंद के ही छोटे-छोटे टुकड़े जमीन में गाड़ दिए जाते हैं। यह एक पौधे की जड़ है। यह भारत में एक मसाले के रूप में प्रमुख है। .

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अधिपादप

अधिपादप वे पौधे होते हैं, जो आश्रय के लिये वृक्षों पर निर्भर होते हैं लेकिन परजीवी नहीं होते। ये वृक्षों के तने, शाखाएं, दरारों, कोटरों, छाल आदि में उपस्थित मिट्टी में उपज जाते हैं व उसी में अपनी जड़ें चिपका कर रखते हैं। कई किस्मों में तो वायवीय जड़ें भी पायी जाती हैं जिनमें वेलामेन ऊतक होते हैं। ये ऊतक वायु से भी नमी अवशोषित कर लेते हैं। ये पौधे उसी वृक्ष से नमी एवं पोषण खींचते हैं। इसके अलावा वर्षा, वायु या आसपास एकत्रित जैव मलबे से भी पोषण लेते हैं। ये अधिपादप पोषण चक्र का भाग होते हैं और जिस का भाग होते हैं, उस पारिस्थितिकी की विविधता एवं बायोमास, दोनों में ही योगदान देते हैं। ये कई प्रजातियों के लिये खाद्य का महत्त्वपूर्ण स्रोत भी होते हैं। वृक्षों के विशेषकर पुराने भागों पर अधिक अधिपादप पाये जाते हैं। .

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अनानास

अनन्नास (अंग्रेज़ी:पाइनऍप्पल, वैज्ञा:Ananas comosus) एक खाद्य उष्णकटिबन्धीय पौधे एवं उसके फल का सामान्य नाम है हालांकि तकनीकी दृष्टि से देखें, तो ये अनेक फलों का समूह विलय हो कर निकलता है। यह मूलतः पैराग्वे एवं दक्षिणी ब्राज़ील का फल है। अनन्नास को ताजा काट कर भी खाया जाता है और शीरे में संरक्षित कर या रस निकाल कर भी सेवन किया जाता है। इसे खाने के उपरांत मीठे के रूप में सलाद के रूप में एवं फ्रूट-कॉकटेल में मांसाहार के विकल्प के रूप में प्रयोग भी किया जाता है।। याहू जागरण मिष्टान्न रूप में ये उच्च स्तर के अम्लीय स्वभाव (संभवतः मैलिक या साइट्रिक अम्ल) का होता है। अनन्नास कृषि किया गया ब्रोमेल्याकेऐ एकमात्र फल है। अनन्नास फल व अनुप्रस्थ काट अनन्नास के औषधीय गुण भी बहुत होते हैं। ये शरीर के भीतरी विषों को बाहर निकलता है। इसमें क्लोरीन की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही पित्त विकारों में विशेष रूप से और पीलिया यानि पांडु रोगों में लाभकारी है। ये गले एवं मूत्र के रोगों में लाभदायक है। इसके अलावा ये हड्डियों को मजबूत बनाता है। अनन्नास में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। यह शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करता है। एक प्याला अनन्नास के रस-सेवन से दिन भर के लिए आवश्यक मैग्नीशियम के ७५% की पूर्ति होती है। साथ ही ये कई रोगों में उपयोगी होता है। इस फल में पाया जाने वाला ब्रोमिलेन सर्दी और खांसी, सूजन, गले में खराश और गठिया में लाभदायक होता है। यह पाचन में भी उपयोगी होता है। अनन्नास अपने गुणों के कारण नेत्र-ज्योति के लिए भी उपयोगी होता है। दिन में तीन बार इस फल को खाने से बढ़ती उम्र के साथ आंखों की रोशनी कम हो जाने का खतरा कम हो जाता है। आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के शोधों के अनुसार यह कैंसर के खतरे को भी कम करता है। ये उच्च एंटीआक्सीडेंट का स्रोत है व इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और साधारण ठंड से भी सुरक्षा मिलती है। इससे सर्दी समेत कई अन्य संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। .

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अमरूद

लाल अमरूद का फल अमरूद (वानस्पतिक नाम: सीडियम ग्वायवा, प्रजाति सीडियम, जाति ग्वायवा, कुल मिटसी) एक फल देने वाला वृक्ष है। वैज्ञानिकों का विचार है कि अमरूद की उत्पति अमरीका के उष्ण कटिबंधीय भाग तथा वेस्ट इंडीज़ से हुई है। .

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अम्पति

अम्पति मेघालय के दक्षिण पश्चिम गारो हिल्स जिला का जिला मुख्यालय है। .

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अरण्डी

अरंडी (अंग्रेज़ी:कैस्टर) तेल का पेड़ एक पुष्पीय पौधे की बारहमासी झाड़ी होती है, जो एक छोटे आकार से लगभग १२ मी के आकार तक तेजी से पहुँच सकती है, पर यह कमजोर होती है। इसकी चमकदार पत्तियॉ १५-४५ सेमी तक लंबी, हथेली के आकार की, ५-१२ सेमी गहरी पालि और दांतेदार हाशिए की तरह होती हैं। उनके रंग कभी कभी, गहरे हरे रंग से लेकर लाल रंग या गहरे बैंगनी या पीतल लाल रंग तक के हो सकते है।। वेब ग्रीन तना और जड़ के खोल भिन्न भिन्न रंग लिये होते है। इसके उद्गम व विकास की कथा अभी तक अध्ययन अधीन है। यह पेड़ मूलतः दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर, पूर्वी अफ़्रीका एवं भारत की उपज है, किन्तु अब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खूब पनपा और फैला हुआ है। .

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अलसी

अलसी या तीसी समशीतोष्ण प्रदेशों का पौधा है। रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट बनाए जाते हैं। इसके बीज से तेल निकाला जाता है और तेल का प्रयोग वार्निश, रंग, साबुन, रोगन, पेन्ट तैयार करने में किया जाता है। चीन सन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रेशे के लिए सन को उपजाने वाले देशों में रूस, पोलैण्ड, नीदरलैण्ड, फ्रांस, चीन तथा बेल्जियम प्रमुख हैं और बीज निकालने वाले देशों में भारत, संयुक्त राज्य अमरीका तथा अर्जेण्टाइना के नाम उल्लेखनीय हैं। सन के प्रमुख निर्यातक रूस, बेल्जियम तथा अर्जेण्टाइना हैं। तीसी भारतवर्ष में भी पैदा होती है। लाल, श्वेत तथा धूसर रंग के भेद से इसकी तीन उपजातियाँ हैं इसके पौधे दो या ढाई फुट ऊँचे, डालियां बंधती हैं, जिनमें बीज रहता है। इन बीजों से तेल निकलता है, जिसमें यह गुण होता है कि वायु के संपर्क में रहने के कुछ समय में यह ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। विशेषकर जब इसे विशेष रासायनिक पदार्थो के साथ उबला दिया जाता है। तब यह क्रिया बहुत शीघ्र पूरी होती है। इसी कारण अलसी का तेल रंग, वारनिश और छापने की स्याही बनाने के काम आता है। इस पौधे के एँठलों से एक प्रकार का रेशा प्राप्त होता है जिसको निरंगकर लिनेन (एक प्रकार का कपड़ा) बनाया जाता है। तेल निकालने के बाद बची हुई सीठी को खली कहते हैं जो गाय तथा भैंस को बड़ी प्रिय होती है। इससे बहुधा पुल्टिस बनाई जाती है। आयुर्वेद में अलसी को मंदगंधयुक्त, मधुर, बलकारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है। गरम पानी में डालकर केवल बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर, क्वाथ (काढ़ा) बनाया जाता है, जो रक्तातिसार और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया है। .

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असम

असम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सीमांत राज्य है जो चतुर्दिक, सुरम्य पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमा २४° १' उ॰अ॰-२७° ५५' उ॰अ॰ तथा ८९° ४४' पू॰दे॰-९६° २' पू॰दे॰) पर स्थित है। संपूर्ण राज्य का क्षेत्रफल ७८,४६६ वर्ग कि॰मी॰ है। भारत - भूटान तथा भारत - बांग्लादेश सीमा कुछ भागो में असम से जुडी है। इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम तथा मेघालय एवं पश्चिम में बंग्लादेश स्थित है। .

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असमिया भाषा

आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की शृंखला में पूर्वी सीमा पर अवस्थित असम की भाषा को असमी, असमिया अथवा आसामी कहा जाता है। असमिया भारत के असम प्रांत की आधिकारिक भाषा तथा असम में बोली जाने वाली प्रमुख भाषा है। इसको बोलने वालों की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक है। भाषाई परिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और बांग्ला, मैथिली, उड़िया और नेपाली से इसका निकट का संबंध है। गियर्सन के वर्गीकरण की दृष्टि से यह बाहरी उपशाखा के पूर्वी समुदाय की भाषा है, पर सुनीतिकुमार चटर्जी के वर्गीकरण में प्राच्य समुदाय में इसका स्थान है। उड़िया तथा बंगला की भांति असमी की भी उत्पत्ति प्राकृत तथा अपभ्रंश से भी हुई है। यद्यपि असमिया भाषा की उत्पत्ति सत्रहवीं शताब्दी से मानी जाती है किंतु साहित्यिक अभिरुचियों का प्रदर्शन तेरहवीं शताब्दी में रुद्र कंदलि के द्रोण पर्व (महाभारत) तथा माधव कंदलि के रामायण से प्रारंभ हुआ। वैष्णवी आंदोलन ने प्रांतीय साहित्य को बल दिया। शंकर देव (१४४९-१५६८) ने अपनी लंबी जीवन-यात्रा में इस आंदोलन को स्वरचित काव्य, नाट्य व गीतों से जीवित रखा। सीमा की दृष्टि से असमिया क्षेत्र के पश्चिम में बंगला है। अन्य दिशाओं में कई विभिन्न परिवारों की भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से तिब्बती, बर्मी तथा खासी प्रमुख हैं। इन सीमावर्ती भाषाओं का गहरा प्रभाव असमिया की मूल प्रकृति में देखा जा सकता है। अपने प्रदेश में भी असमिया एकमात्र बोली नहीं हैं। यह प्रमुखतः मैदानों की भाषा है। .

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अगरतला

अगरतला (আগরতলা) भारत के त्रिपुरा प्रान्त की राजधानी है। अगरतला की स्थापना 1850 में महाराज राधा कृष्ण किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा की गई थी। बांग्लादेश से केवल दो किमी दूर स्थित यह शहर सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। अगरतला त्रिपुरा के पश्चिमी भाग में स्थित है और हरोआ नदी शहर से होकर गुजरती है। पर्यटन की दृष्टि से यह एक ऐसा शहर है, जहां मनोरंजन के तमाम साधन हैं, एंडवेंचर के ढेरों विकल्प हैं और सांस्कृतिक रूप से भी बेहद समृद्ध है। इसके अलावा यहां पाए जाने वाले अलग-अलग प्रकार के जीव-जन्तु और पेड़-पौधे अगरतला पर्यटन को और भी रोचक बना देते हैं। अगरतला उस समय प्रकाश में आया जब माणिक्य वंश ने इसे अपनी राजधानी बनाया। 19वीं शताब्दी में कुकी के लगातार हमलों से परेशान होकर महाराज कृष्ण माणिक्य ने उत्तरी त्रिपुरा के उदयपुर स्थित रंगामाटी से अपनी राजधानी को अगरतला स्थानान्तरित कर दिया। राजधानी बदलने का एक और कारण यह भी था कि महाराज अपने साम्राज्य और पड़ोस में स्थित ब्रिटिश बांग्लादेश के साथ संपर्क बनाने चाहते थे। आज अगरतला जिस रूप में दिखाई देता है, दरअसल इसकी परिकल्पना 1940 में महाराज वीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर ने की थी। उन्होंने उस समय सड़क, मार्केट बिल्डिंग और नगरनिगम की योजना बनाई। उनके इस योगदान को देखते हुए ही अगरतला को ‘बीर बिक्रम सिंह माणिक्य बहादुर का शहर’ भी कहा जाता है। शाही राजधानी और बांग्लादेश से नजदीकी होने के कारण अतीत में कई बड़ी नामचीन हस्तियों ने अगरतला का भ्रमण किया। रविन्द्रनाथ टैगोर कई बार अगरतला आए थे। उनके बारे में कहा जाता है कि त्रिपुरा के राजाओं से उनके काफी गहरे संबंध थे। .

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अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

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अइज़ोल

अइज़ोल (Aizawl) भारत के मिज़ोरम प्रान्त की राजधानी है। यहाँ की जनसंख्या २९३,४१६ है, जिसके कारण यह मिज़ोरम का सबसे बड़ा नगर है। यहाँ पर राज्य के सभी प्रशासनिक भवन जैसे महत्वपूर्ण सरकारी भवन, विधानसभा तथा सचिवालय स्थित है। .

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उत्तर गारो हिल्स जिला

उत्तर गारो हिल्स जिला भारतीय राज्य मेघालय का प्रशासनिक जिला है। जिला मुख्यालय रेसुबेलपाड़ा में स्थित है। जिले का क्षेत्रफल 1,113 वर्ग कि॰मी॰ तथा जनसंख्या 1,18,325 (2001 के अनुसार) है। .

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उत्तर-पूर्वी राज्य

thumb भारत के उत्तर-पूर्व में सात राज्य हैं। इन्हें 'सात-बहनें' या 'सेवन-सिस्टर्स' के नाम से भी जाना जाता है। इन राज्यों में 255,511 वर्ग किलोमीटर (98,653 वर्ग मील), या भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग सात प्रतिशत के एक क्षेत्र को कवर किया हुआ है। वर्ष 2011 में 44,98 लाख की आबादी थी, जो कि भारत के कुल आबादी की  3.7 प्रतिशत थी। हालांकि वहाँ सात राज्यों के भीतर महान जातीय और धार्मिक विविधता है, लेकिन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में समानता भी है। जब भारत  1947 में यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्र हुआ, केवल तीन राज्यों क्षेत्र को कवर किया। मणिपुर और त्रिपुरा, रियासते थी, जबकि एक बहुत बड़ा हिस्सा असम प्रांत प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश शासन के अधीन था। इसकी राजधानी शिलांग (मेघालय वर्तमान दिन की राजधानी) था। चार नए राज्यों असम के मूल क्षेत्र के बाहर जातीय और भाषाई तर्ज पर राज्यों का पुनर्गठन की भारत सरकार की नीति के साथ लाइन में है, और आजादी के बाद दशकों से जुड़े हुए हैं। वर्ष 1963 में नागालैंड अलग राज्य बना, नागालैंड की तर्ज पर  वर्ष 1972 में मेघालय भी एक राज्य बन गया। मिजोरम 1972 में एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया, और 1987 में ही अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ राज्य का दर्जा हासिल किया। उत्तर-पूर्वी भारत के स्वदेशी जनजातियों बोडो, निशि लोग, गारो, नागा, भूटिया और कई अन्य हैं।.

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उपोष्णकटिबन्ध

उपोष्णकटिबन्ध मौसम उपोष्णकटिबन्ध पृथ्वी के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के तुरंत उत्तर तथा दक्षिण से सटकर लगे हुए क्षेत्र को कहते हैं जो कि कर्क रेखा और मकर रेखा के क्रमशः उत्तर तथा दक्षिण का इलाका है। यह क्षेत्र अमूमन दोनों गोलार्धों में २३.५° से लेकर ४०° तक के अक्षांशों में पाया जाता है हालांकि यह मौसम अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में या उष्णकटिबंधीय इलाकों में भी पाया जा सकता है। .

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उमरोई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र

भारतीय राज्य मेघालय का एक विधानसभा क्षेत्र है। यहाँ से वर्तमान विधायक जॉर्ज बांकीनित्युलांग लिंगदोह हैं। .

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उमियम झील

उमियम झील भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय की राजधानी शिलांग से उत्तर दिशा में लगभग १५ किलोमीटर दूर पहाड़ों में स्थित एक जलाशय है। इसे आमतौर पर '''बारापानी झील''' भी कहा जाता है। इसका निर्माण १९६० के दशक के आरम्भ में उमियम नदी को बांधकर किया गया था। झील और बांध २२० वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। .

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उष्णकटिबन्धीय जलवायु

विश्व के उष्णकटिबन्धीय जलवायु के क्षेत्र उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों की जलवायु उष्णकटिबन्धीय जलवायु कहलाती है। यह जलवायु अशुष्क (non-arid) होती है तथा वर्ष के बारहों महीने औसत ताप 18 °C (64 °F) से अधिक रहता है। उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों का ताप पूरे वर्ष लगभग समान बना रहता है। श्रेणी:जलवायु श्रेणी:उष्णकटिबन्ध.

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