लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

मूलभूत भौतिक नियतांक

सूची मूलभूत भौतिक नियतांक

भौतिकी में बहुत नियतांक ऐसे हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिकों का ऐसा विश्वास है कि समय के साथ साथ उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता। इन नियंताकों को भौतिकी के मौलिक नियतांक (Fundamental physical constants) कहते हैं। हमारी चुनी हुई मौलिक इकाइयों के अनुसार इनका मान जो कुछ है, सर्वदा वही रहेगा। ऐसे नियतांकों के कुछ उदाहरण ये हैं: प्रकाश का वेग, अर्थात् वह वेग जिससे प्रकाश की तरंगों का संचरण शून्याकाश (space) में होता है; इलेक्ट्रॉन का आवेश; सर्वव्यापी गुरूत्वाकर्षण का नियतांक, अर्थात् वह बल जिससे एक सेंटीमीटर की दूरी पर रखे एक ग्राम के दो पिंड एक दूसरे को आकर्षित करते हैं; ऊष्मागतिकी पैमाने पर बर्फ विंदु, अर्थात् बर्फ के पिघलने का ताप आदि। कुछ मूलभूत भौतिक नियतांक ऐसे भी हैं जिनका संख्यात्मक मान सभी मात्रक प्रणालियों (system of units) में समान होता है; इन्हें विमारहित भौतिक नियतांक (Dimensionless physical constant) कहते हैं। .

8 संबंधों: न्यूनतम वर्ग विधि, प्राचल, प्रकाश का वेग, प्रोटॉन, भौतिक नियतांक, भौतिक शास्त्र, वास्तविकता, विमीय विश्लेषण

न्यूनतम वर्ग विधि

कुछ दिये हुए आंकड़ों पर एक द्विघाती-वक्र बैठाया (फिट किया) गया है तकनीकी रूप से कहा जाय तो न्यूनतम वर्ग की विधि (method of least squares) किसी अतिनिश्चित तंत्र (overdetermined system) का लगभग हल (approximate soluion) निकालने के लिये उपयोग में लायी जाती है। दूसरे शब्दों में, ऐसे समीकरणों का तंत्र जहाँ समीकरणों की संख्या अज्ञात राशियों की संख्या से भी अधिक हो वहाँ यह विधि एक 'लगभग हल' निकालने में सहायता करती है। न्यूनतम वर्ग की विधि को एक अलग तरीके से भी देखा जा सकता है - दिये हुए आंकड़ों पर कोई वक्र (curve) फिट करना। इसलिये यह 'कर्व-फिटिंग' के लिये बहुतायत में उपयोग की जाती है। सबसे पहले इस विधि का वर्णन कार्ल फ्रेड्रिक गाउस ने (लगभग १७९४ ई) प्रस्तुत किया था। .

नई!!: मूलभूत भौतिक नियतांक और न्यूनतम वर्ग विधि · और देखें »

प्राचल

गणित, सांख्यिकी एवं गणितीय विज्ञानों में उस राशि को प्राचल (parameter) कहते हैं जो फलनों एवं चरों को एक उभयनिष्ट (कॉमन) चर की सहायता से परस्पर जोड़ती है। प्राय: t को प्राचल के रूप में प्रयोग किया जाता है। प्राचल के प्रयोग से चरों के सम्बन्ध सरल तरीके से अभिव्यक्त् करने की सुविधा प्राप्त हो जाती है। दूसरे शब्दों में, प्राचल के प्रयोग के बिना राशियों का आपसी सम्बन्ध एक समीकरण की सहायता से बताना बहुत कठिन, असम्भव या जटिल होता है। ध्यातव्य है कि प्राचल शब्द का प्रयोग अलग-अलग संदर्भों में भिन्न-भिन्न प्रकार से किया जाता है। .

नई!!: मूलभूत भौतिक नियतांक और प्राचल · और देखें »

प्रकाश का वेग

प्रकाश की चाल (speed of light) (जिसे प्राय: c से निरूपित किया जाता है) एक भौतिक नियतांक है। निर्वात में इसका सटीक मान 299,792,458 मीटर प्रति सेकेण्ड है जिसे प्राय: 3 लाख किमी/से.

नई!!: मूलभूत भौतिक नियतांक और प्रकाश का वेग · और देखें »

प्रोटॉन

प्राणु संरचना प्राणु (प्रोटॉन) एक धनात्मक विध्युत आवेशयुक्त मूलभूत कण है, जो परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन के साथ पाया जाता हैं। इसे p प्रतिक चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है। इस पर 1 दो अप-क्वार्क और एक डाउन-क्वार्क से मिलकर बना होता है। स्वतंत्र रूप से यह उदजन आयन H+ के रूप में पाया जाता है। .

नई!!: मूलभूत भौतिक नियतांक और प्रोटॉन · और देखें »

भौतिक नियतांक

भौतिक नियतांक (physical constant) उस भौतिक राशि (physical quantity) को कहते हैं जिसके बारे में ऐसा विश्वास किया जाता है कि वह राशि प्रकृति में सार्वत्रिक (universal) है तथा समय के साथ अपरिवर्तनशील या नियत है। भौतिक नियतांक, गणितीय नियतांक से इस मामले में भिन्न हैं कि गणितीय नियतांक संख्यात्मक दृष्टि से तो नियत होते हैं किन्तु उनका किसी मापन से सम्बन्ध नहीं होता। विज्ञान में बहुत से भौतिक नियतांक हैं जिनमें से प्रमुख हैं - शून्य में प्रकाश का वेग c, गुरुत्वाकर्षण नियतांक G, प्लांक नियतांक h, निर्वात का विद्युत नियतांक ε0, तथा एलेक्ट्रान का आवेश e. .

नई!!: मूलभूत भौतिक नियतांक और भौतिक नियतांक · और देखें »

भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

नई!!: मूलभूत भौतिक नियतांक और भौतिक शास्त्र · और देखें »

वास्तविकता

वास्तविकता 'जो है' उसका दूसरा नाम है। इसे यथार्थता भी कहते हैं। .

नई!!: मूलभूत भौतिक नियतांक और वास्तविकता · और देखें »

विमीय विश्लेषण

विमीय विश्लेषण (Dimensional analysis) एक संकाल्पनिक औजार (कांसेप्चुअल टूल) है जो भौतिकी, रसायन, प्रौद्योगिकी, गणित एवं सांख्यिकी में प्रयुक्त होता है। यह वहाँ उपयोगी होता है जहाँ कई तरह की भौतिक राशियाँ किसी घटना के परिणाम के लिये जिम्मेदार हों। भौतिकविद अक्सर इसका उपयोग किसी समीकरण आदि कि वैधता (plausibility) की जाँच के लिये करते रहते हैं। दूसरी तरफ इसका उपयोग जटिल भौतिक स्थितियों से सम्बंधित चरों को आपस में समीकरण द्वारा जोड़ने के लिये किया जाता है। विमीय विश्लेषण की विधि से प्राप्त इन सम्भावित समीकरणों को प्रयोग द्वारा जाँचा जाता है, या अन्य सिद्धान्तों के प्रकाश में देखा जाता है। बकिंघम का पाई प्रमेय (Buckingham π theorem), विमीय विश्लेषण का आधार है। .

नई!!: मूलभूत भौतिक नियतांक और विमीय विश्लेषण · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

विमारहित भौतिक नियतांक

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »