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मूत्र-परीक्षा

सूची मूत्र-परीक्षा

मूत्र की चिकित्सीय परीक्षा (Clinical urine tests) के अन्तर्गत मूत्र के वे सारे परीक्षण हैं जो रोग के निदान के उद्देश्य से किये जाते हैं। इसमें सबसे सामान्य परीक्षण मूत्रविश्लेषण (urinalysis (UA)) है जो रोगों के निदान में प्रयुक्त सबसे आम विधि है। मूत्र के अन्य परीक्षण हैं- मूत्र कल्चर (urine culture) तथा मूत्र के विद्युत अपघट्यों का स्तर। .

5 संबंधों: निदान, मूत्र, मूत्र परीक्षण पट्टी, मूत्र-परीक्षा, रक्त परीक्षण

निदान

निदान की एक महत्वपूर्ण पद्धति: रेडियोग्राफी किसी भी समस्या के बाहरी लक्षणों से आरम्भ करके उसके (उत्पत्ति के) मूल कारण का ज्ञान करना निदान (Diagnosis / डायग्नोसिस्) कहलाता है। निदान की विधि 'विलोपन' (एलिमिनेशन) पर आधारित है। निदान शब्द का प्रयोग सभी क्षेत्रों में होता है: रोगोपचार (मेडिसिन), विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्याय, व्यापार, एवं प्रबन्धन आदि में। निदान का बहुत महत्व है। जब तक रोग की सटीक पहचान न हो जाए, तब तक सही दिशा में उपचार असंभव है। इसलिए पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में निदान अध्याय बहुत वृहद होता था और उपचार अध्याय सीमित। कारण यह है कि यदि निदान सटीक हो गया तो उपचार भी सटीक होगा। यह सही है कि अनेक रोग स्वयमेव अच्छे हो जाते हैं और प्रकृति की निवारक शक्ति को किसी की सहायता की अपेक्षा नहीं होती, परंतु अनेक रोग ऐसे भी होते हैं जिनमें प्रकृति असमर्थ हो जाती है और तब चिकित्सा द्वारा सहायता की आवश्यकता होती है। सही और सटीक चिकित्सा के लिए आवश्यक है कि निदान सही हो। सही निदान का अर्थ यह है कि कष्टदायक लक्षणों का आधारभूत कारण और उसके द्वारा उत्पन्न विकृति का सही रूप समझा जाए। .

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मूत्र

मानव का मूत्र-तंत्र मूत्र, मानव और अन्य कशेरुकी जीवों मे वृक्क (गुर्दे) द्वारा स्रावित एक तरल अपशिष्ट उत्पाद है। कोशिकीय चयापचय के परिणामस्वरूप कई अपशिष्ट यौगिकों का निर्माण होता है, जिनमे नाइट्रोजन की मात्रा अधिक हो स्कती है और इनका रक्त परिसंचरण तंत्र से निष्कासन अति आवश्यक होता है। आयुर्वेद अनुसार मूत्र को तीन प्रकार के मलो में शामिल किया है एवं शरीर मे इसका प्रमाण 4 अंजली माना गया है । .

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मूत्र परीक्षण पट्टी

मूत्र परीक्षण पट्टी (urine test strip या dipstick test) किसी रोगी के मूत्र की जाँच का एक मूलभूत नैदानिक औजार है। इस पट्टी में लगभग १० रासायनिक पट्टियाँ (अभिकर्मक) होतीं हैं। जब इस पट्टी के मूत्र में डुबोया जाता है तो ये पट्टे मूत्र में विद्यमान विभिन्न रसायनों से अभिक्रिया करते हैं और अपना रंग बदल देते हैं। यह परीक्षण १ या २ मिनट में भी पूरा हो जाता है (कुछ परीक्षणों के लिए इससे अधिक समय तक पट्टी को मूत्र में डुबाये रखना पड़ता है।) इस औजार की सरलता और कम समय में परिणाम मिलने के कारण अनेकों रोगों की जाँच के पहले चरण के रूप में इसी विधि का प्रयोग किया जाता है। मूत्र परीक्षण पट्टिका के द्वारा मूत्र में निम्नलिखित पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है- प्रोटीन, ग्लूकोज, कीटोन, हीमोग्लोबिन, बिलिरुबिन (bilirubin), यूरोबिलिनोजेन (urobilinogen), एसीटोन, नाइट्राइट, तथा श्वेतकोशिका। इसके अलावा इससे मूत्र का pH एवं विशिष्ट घनत्व का भी ज्ञान हो जाता है। श्रेणी:चिकित्सीय परीक्षण.

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मूत्र-परीक्षा

मूत्र की चिकित्सीय परीक्षा (Clinical urine tests) के अन्तर्गत मूत्र के वे सारे परीक्षण हैं जो रोग के निदान के उद्देश्य से किये जाते हैं। इसमें सबसे सामान्य परीक्षण मूत्रविश्लेषण (urinalysis (UA)) है जो रोगों के निदान में प्रयुक्त सबसे आम विधि है। मूत्र के अन्य परीक्षण हैं- मूत्र कल्चर (urine culture) तथा मूत्र के विद्युत अपघट्यों का स्तर। .

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रक्त परीक्षण

right रक्त-परीक्षण रक्त के नमूनों पर किया जाने वाला एक प्रयोगशाला विश्लेषण है, जो कि सामान्यतः सुई या फिन्गार्प्रिक की सहायता से बांह के रग से लिया जाता है। रक्त परीक्षण का उपयोग शारीरिक और जैव रासायनिक, जैसे रोग, खनिज सामग्री, दवा प्रभावशीलता और इन्द्रिय प्रकार्य का निर्धारण करने के लिए किया जाता है। इनका उपयोग दवा परीक्षण के लिए भी किया जाता है। हालांकि अधिकांशतः रक्त परीक्षण शब्द का प्रयोग किया जाता है, लेकिन अधिकांश नियमित परीक्षण (रुधिरविज्ञान को छोड़कर) रक्त कोशिकाओं के बजाय प्लाज्मा या सीरम पर किए जाते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

मूत्र परीक्षण, मूत्र परीक्षा, मूत्रविश्लेषण

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