5 संबंधों: इबेरिया प्रायद्वीप, कोर्डोबा, अब्द अर-रहमान द्वितीय, अल-मुंदिर, उमय्यद।
इबेरिया प्रायद्वीप
इबेरियाई प्रायद्वीप इबेरियाई प्रायद्वीप या इबेरिया, यूरोप के दक्षिणपश्चिम भाग में स्थित एक प्रायद्वीप है। इस प्रायद्वीप के दक्षिण और पूर्व में भूमध्य सागर है और उत्तर और पश्चिम में अन्ध महासागर। यह ५,८२,८६० वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ यूरोप का तीसरा सबसे बड़ा प्रायद्वीप है। इबेरिया इस क्षेत्र के लिए एक प्राचीन यूनानी नाम है जिसे रोमन "हिस्पैनिया" कहते थे। हिस्पैनिया शब्द अब केवल स्पेन के लिए प्रयुक्त होता है, जबकि इबेरिया नाम इस पूरे प्रायद्वीप के लिए जिसपर अन्य देश भी स्थित हैं। .
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कोर्डोबा
कोर्डोबा संबंधित हो सकता है: .
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अब्द अर-रहमान द्वितीय
अब्द अर- रहमान द्वितीय; Abd ar-Rahman II, (जन्म:792 टोलीडो- मृत्यु: 852), अल-अन्डालस (इबेरिया प्रायद्वीप) में उमय्यद खिलाफत की शाखा कोर्डोबा अमीरात के चारवें अमीर थे जिन्होने 822-852 ईस्वी तक शासन किया। .
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अल-मुंदिर
अल-मुंदिर; Al-Mundhir,,(जन्म:842-मृत्यु:888 ईस्वी) उमय्यद खिलाफत की कोर्डोबा अमीरात शाखा के खलीफा थे जिन्होने 886 से 888 ईस्वी तक शासन किया वह मुहम्मद बिन अब्द अल-रहमान के पुत्र थे। .
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उमय्यद
उमय्यदों के समय, 661–750 उमाविया शासक इस्लाम के मुखिया, यानि ख़लीफ़ा, सन् 661 से सन् 750 तक रहे। प्रथम चार ख़लीफ़ाओं के बाद वे सत्ता में आए और इसके बाद ख़िलाफ़त वंशानुगत हो गई। उनके शासन काल में इस्लामिक सेना को सैनिक सफलता बहुत मिली और वे उत्तरी अफ़्रीका होते हुए स्पेन तक पहुँच गए। इसी काल में मुस्लिमों ने मध्य एशिया सहित सिन्ध पर (सन् 712) भी अधिकार कर लिया था। मूलतः मक्का के रहने वाले उमय्यों ने अपनी राजधानी दमिश्क में बनाई। सन् 750 में चले एक परिवर्तान आन्दोलन के बाद अब्बासी खलीफ़ाओं ने इनको हरा दिया और ख़ुद शासक बन बैठे। हाँलांकि उमावियाई वंश में से एक - अब्द उर रहमान (प्रथम) और उसका एक यूनानी दास - बचकर अफ़्रीका होते हुए स्पेन पहुँच गया और कोर्डोबा में अपनी ख़िलाफत स्थापित की जो ग्यारहवीं सदी तक रही। इस्लाम धर्म में इनको सांसारिकता के क़रीब और इस्लाम के संदेशों से दूर विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले शासक के रूप में देखा जाता है। इनके ख़िलाफ़ चौथे ख़लीफ़ा अली के पुत्र हुसैन ने विद्रोह किया पर उन्हें एक युद्ध में जान गंवानी पड़ी। अली और हुसैन के समर्थकों को शिया संप्रदाय कहा गया। ये वंश इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि यहीं से शिया-सुन्नी मतभेद बढ़े थे। .