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क्लीशे
क्लीशे या घिसा-पिटा या पिष्टोक्ति एक ऐसा वाक्य, विचार, या कला का तत्व होता है जो बहुत अधिक प्रयोग होने की वजह से अपना मूल अर्थ खो चूका हुआ। अक्सर यह ऐसी चीजें होती हैं जो आरम्भ में बहुत अर्थपूर्ण, नवीन या नाज़ुक समझी जाती हों। उदहारण के लिए एक प्रेमी का अपनी प्रेमिका से कहना के "मै तुम्हारे लिए तारे तोड़ लाऊँगा" किसी ज़माने में बहुत अर्थ रखता था लेकिन अब एक क्लिशे बनकर अर्थहीन हो चुका है। इसी तरह भारतीय राजनीति में "हमारा उद्देश्य ग़रीबों की मदद करना है" एक घिसा-पिटा नारा बन चुका है। कला में ऐसे तत्वों का इस्तेमाल करना नौसिखिये या मध्यम-स्तरीय होने की निशानी माना जाता है। यह ज़रूरी नहीं है के क्लिशे का प्रयोग हमेशा झूँठ या धूर्तता दिखलाता है - यह सच्चाई और इमानदारी से भी प्रयोग हो सकता है। लेकिन सुनने या देखने वाले के लिए घिसी-पिटी चीज़ में आश्चर्य या भावुकता नहीं उत्पन्न होती। उदहारण के लिए किसी फ़िल्म में "मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ" का वाक्य सच्चाई से भी कहा जाए तो भी उपहास का विषय बन चुका है। .
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