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मिश्रातु

सूची मिश्रातु

इस्पात एक मिश्रधातु है दो या अधिक धात्विक तत्वों के आंशिक या पूर्ण ठोस-विलयन को मिश्रातु या मिश्र धातु (Alloy) कहते हैं। इस्पात एक मिश्र धातु है। प्रायः मिश्र धातुओं के गुण उस मिश्रधातु को बनाने वाले संघटकों के गुणों से भिन्न होते हैं। इस्पात, लोहे की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है। काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं। .

19 संबंधों: टाँका, टांका, टिन, नाइक्रोम, निकल रजत, पीतल, मिश्र धातुओं की सूची, मिश्रण, रासायनिक तत्व, सिक्का, स्टर्लिंग, स्टेनलेस स्टील, सूक्ष्मदर्शी, सीसा, घंटा धातु, गलनांक, इस्पात, कांसा, कांस्य युग

टाँका

६०-४० सोल्डर का तार टाँका या सोल्डर (Solder) एक गलनीय मिश्रधातु है। इसका उपयोग टाँका लगाने तथा धातु के टुकड़ों को जोड़ने के काम आती है। .

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टांका

टांका एक पारम्परिक तकनीकी का थार रेगिस्तान (राजस्थान) में प्रयोग किया जाने वाला पानी का एक बड़ा गढ्ढा है। इसमें पानी को इकठ्ठा किया जाता है तथा बाल्टी की मदद से बाहर निकाल कर उपयोग में लिया जाता है। यह मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में ही बनाए जाते हैं। टांका सामान्यतया: गोलाकार का ही होता है लेकिन वर्तमान में चोकोर टांके भी बनाए जाते हैं। .

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टिन

वंग या रांगा या टिन (Tin) एक रासायनिक तत्त्व है। लैटिन में इसका नाम स्टैन्नम (Stannum) है जिससे इसका रासायनिक प्रतीक Sn लिया गया है। यह आवर्त सारणी के चतुर्थ मुख्य समूह (main group) की एक धातु है। वंग के दस स्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ११२, ११४, ११५, ११६, ११७, ११८, ११९, १२०, १२२ तथा १२४) प्राप्त हैं। इनके अतिरिक्त चार अन्य रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ११३, १२१, १२३ और १२५) भी निर्मित हुए हैं। .

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नाइक्रोम

नाइक्रोम (Nichrome) निकल, क्रोमियम और लोहा की मिश्रातु है। यह अचुम्बकीय गुणों वाली होती है। इसका उपयोग प्रायः प्रतिरोधक तार बनाने में होता है। श्रेणी:मिश्रातु.

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निकल रजत

जर्मन सिल्वर के चम्मच और चाकू आदि जर्मन सिल्वर से बना यूक्रेन का सिक्का निकल रजत (Nickel silver), ताँबे का एक मिश्रातु है जिसमें निकल और प्रायः जस्ता मिला होता है। प्रायः इसमें 60% ताँबा, 20% निकल और 20% जस्ता होता है। इसे 'जर्मन सिल्वर', नयी चाँदी, निकल पीतल, इलेक्ट्रम आदि नामों से भी जाना जाता है। इसे 'निकल चाँदी' इसलिये कहा जाता है क्योंकि यह चाँदी जैसा दिखता है। किन्तु इसमें चाँदी नहीं होता। इसके नाम में 'जर्मन' इसलिये आया है क्योंकि १९वीं शताब्दी में इसका विकास जर्मन धातुकर्मियों ने किया था। श्रेणी:मिश्रातु.

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पीतल

पीतल (brass) एक प्रमुख मिश्रातु है। यह तांबा एवं जस्ता धातुओं के मिश्रण से बनाया जाता है। संस्कृत में 'पीत' का अर्थ 'पीला' होता है। यह इसके रंग (पीलापन लिए सफेद) का द्योतक है। पीतल से बना कुण्डा .

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मिश्र धातुओं की सूची

यहाँ विभिन्न तत्वों के मिश्रधातुओं की सूची दी जा रही है। .

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मिश्रण

'मिश्रण द्रवों, ठोस और गैसों के आपसे में मिलाने की क्रिया तथा इस प्रकार उत्पन्न पदार्थों को कहते हैं। या अलग-अलग पदार्थों का आपस में मिलना परन्तु उनके मूल गुणों में कोई परिवर्तन ना होना। .

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रासायनिक तत्व

रासायनिक तत्वों की आवर्त सारणी रासायनिक तत्व (या केवल तत्व) ऐसे उन शुद्ध पदार्थों को कहते हैं जो केवल एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। या जो ऐसे परमाणुओं से बने होते हैं जिनके नाभिक में समान संख्या में प्रोटॉन होते हैं। सभी रासायनिक पदार्थ तत्वों से ही मिलकर बने होते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, आक्सीजन, तथा सिलिकॉन आदि कुछ तत्व हैं। सन २००७ तक कुल ११७ तत्व खोजे या पाये जा चुके हैं जिसमें से ९४ तत्व धरती पर प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। कृत्रिम नाभिकीय अभिक्रियाओं के परिणामस्वरूप उच्च परमाणु क्रमांक वाले तत्व समय-समय पर खोजे जाते रहे हैं। .

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सिक्का

एक सिक्का धातु का एक ठोस टुकड़ा है जो वजन में मानकीकृत होता है, जिसे व्यापार की सुविधाओं के लिए बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जाता है और मुख्य रूप से देश, प्रदेश या क्षेत्र में एक निविदा कानूनी वाणिज्य के लिए नामित टोकन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर सिक्के को धातु या एक धातु सदृश सामग्री और कभी कभी सिंथेटिक सामग्री से बनाया जाता है, सामान्यतः जिसकी बनावट गोल चिपटी होती है और यह अक्सर सरकार द्वारा जारी की जाती हैं। प्रतिदिन के सिक्के के संचरण से लेकर बड़ी संख्या में बुलियन सिक्के के भंडारण के लिए, विभिन्न प्रकार के लेनदेन में सिक्के का प्रयोग पैसे के रूप में होता है। आजकल के मौजूदा लेनेदेन में आधुनिक पैसे की प्रणाली में सिक्के और बैंकनोट नकद के रूप में उपयोग किए जाते हैं। सिक्के का उपयोग बिलों के भुगतान के लिए किया जाता है और सामान्यतः इसे कम इकाइयों के मूल्यों के लिए और बैंकनोट को उच्च मूल्य के लिए मुद्रीकृत किया जाता है; कई पैसों की प्रणाली में उच्चतम-मूल्य के सिक्के का मूल्य न्यूनतम-मूल्य के बैंकनोट से भी कम होता है। पिछले सौ वर्षों में, परिसंचरण सिक्के का अंकित मूल्य आमतौर पर उन्हें बनाने में इस्तेमाल धातु के कुल मूल्य से अधिक होता है, लेकिन आम तौर पर सिक्के के परिसंचरण के इतिहास में ऐसा हमेशा नहीं हुआ है, कई बार परिसंचरण सिक्के कीमती धातुओं से बनाए गए हैं। इस अपवाद से कि सिक्के का अंकित मूल्य इस्तेमाल धातु के कुल मूल्य से अधिक हो, कई बार "बुलियन सिक्कों" को चादीं और सोने (और, कदाचित, अन्य धातु जैसे प्लैटिनम या पैलेडियम), मूल्यवान धातुओं में संग्राहक या निवेशक के उद्दिष्ट से बनाए जाते हैं। आधुनिक सोने के संग्राहक/निवेशक सिक्कों के उदाहरण में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मुद्रित किए गए अमेरिकन गोल्ड ईगल, कनाडा द्वारा मुद्रित किए गए कनाडा गोल्ड मेपल लीफ, दक्षिण अफ्रीका द्वारा मुद्रित किए गए क्रुगेरांड शामिल हैं। अमेरिकन गोल्ड ईगल का अंकित मूल्य अमेरिकन $50 है और कनाडा गोल्ड मेपल लीफ सिक्के का (विशुद्ध प्रतीकात्मक) अंकित मूल्य नाममात्र ही है (उदाहरणार्थ, C$50 1 ऑउंस के लिए); लेकिन क्रुगेर्रंद का नहीं है। ऐतिहासिक दृष्टि से, कई सिक्के के धातु (मिश्रित धातु सहित) और अन्य सामग्री व्यावहारिक, कलात्मक और प्रायोगिक रूप से उत्पादित परिसंचरण, संग्रह और धातु निवेश के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जहां बुलियन सिक्के अन्य बुलियन की तुलना बुलियन सिक्के धातु की मात्रा और शुद्धता के लिए अक्सर अधिक सुविधाजनक तरीके से संग्रह किए जाते हैं। लंबे समय से सिक्के पैसे की अवधारणा से जुड़े हुए हैं, जैसा कि यह तथ्य परिलक्षित है कि "सिक्का" और "मुद्रा" शब्द समानार्थक है। काल्पनिक मुद्राओं में भी सिक्कों के नाम होते हैं (जैसे, किसी वस्तु के लिए कहा जा सकता है जो 123 सिक्का या 123 सिक्कों के बराबर हो सकता है).

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स्टर्लिंग

स्टर्लिंग,(Stirling; Stirlin; Sruighlea) मध्य स्काॅटलैंड में स्थित एक एतिहासिक नगर है। २०११ की आधिकारिक जनगणना के अनुसार इसकी कुल जनसंख्या ९०,००० के करीब है। यह शहर स्टर्लिंग कासल और उसके मध्ययुगीन पुराने शहर के आसपास बसा है। यह स्टर्लिंग परिषद क्षेत्र का प्रशासनिक मुख्यालय एवं प्रमुख नगर है। पारम्परिक रूप से, यह स्टर्लिंगशायर काउण्टी का काउण्टी टाउन भी है। फ़ोर्थ नदी इसके पास से गुज़रती है, और यह उसके नदमुख से ३० मील, धारा-प्रतिकूल, स्थित है। यह स्काॅटलैंड के हाइलैंड्स् और लोऽलैंड्स् के बिलकुल सीमा पर स्थित है और इसे प्रायः "हाइलैण्ड्स के द्वार" एवं "हाइलैंण्स और लोऽलैंण्डस को साथ जोड़े रखने वाली कड़ी" के नाम से भी संबोधित किया जाता है। फ़ोर्थ के किनारे बसे होने एवं ऐतिहासिक तौर पर, फ़ोर्थ पर स्थित निकटतम् लांघाव होने के कारण यह वाइकिंग एवं रोमन समेत अनेक आक्रमणकारियों का आकर्षण रहा है। इन कई आक्रमणों की कहानियों में से एक कहानी "बीस्ट ऑफ़ स्टर्लिंग"(स्टर्लिंग का दानव) की है, जोकी एक भोड़िया था, जिसने हूंकार कर नगरवासियों को आ रहे वाइकिंग आक्रमणकारियों से सचेत कर दिया था। हमेशा से ही यह शहर, स्काॅटिश राजसत्ता के प्रमुख गढों रहे इस शहर को ११३० में राजा डेविड (प्रथम) द्वारा एक शाही बर्ग के रूप में घोशित किया गया था, जिस पद को १९७५ में हटा लिया गया। २००२ में इसे "नगर का पद" दे दिया गया था, जो अब भी है। किसी समय यह स्काॅटलैंड की राजधानी एवं स्काॅटिश राजशाही का गढ़ हुआ करता था। आज भी स्टर्लिंग कासल में उस युग की ईमारतों, जिनमें ग्रेट हाॅल व रेनेसा पैलस शामिल हैं, को देखा जा सकता है। चर्च ऑफ़ होली रूड यहाँ स्थित है, जहाँ २९ जुलाई १५६७ को राजा जेम्स शष्ठम् का राज्याभिशेख किया गया था .

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स्टेनलेस स्टील

स्टेनलेस स्टील का प्रयोग क्षयरोधक औजार बनाने के लिए किया जाता है। बेज़ंग फ़ौलाद (स्टेनलेस स्टील) एक इस्पात है जो वायुमंडल तथा कार्बनिक और अकार्बनिक अम्लों से कलुषित (खराब) नहीं होता है। साधारण इस्पात की अपेक्षा ये अधिक ताप भी सह सकते हैं। इस्पात में ये गुण क्रोमियम मिलाने से उत्पन्न होते हैं। इसमें 15-20% क्रोमियम, 8-10% निकेल तथा साधारण स्टील होता है। क्रोमियम इस्पात के बाह्य तल को निष्क्रिय बना देता है। प्रतिरोधी शक्ति की वृद्धि के लिए इसमें निकल भी मिलाया जाता है। निकल के स्थान पर अंशत: या पूर्णत: मैंगनीज़ का भी उपयोग किया जाता है। अकलुष इस्पात के निर्माण में लोहे में कभी-कभी ताम्र, कोबाल्ट, टाइटेनियम, नियोबियम, टैंटालियम, कोलंबियम, गंधक और नाइट्रोजन भी मिलाया जाता है। इनकी सहायता से विभिन्न रासायनिक, यांत्रिक और भौतिक गुणों के अकलुष इस्पात बनाए जा सकते हैं। .

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सूक्ष्मदर्शी

सूक्ष्मदर्शी या सूक्ष्मबीन (माइक्रोस्कोप) वह यंत्र है जिसकी सहायता से आँख से न दिखने योग्य सूक्ष्म वस्तुओं को भी देखा जा सकता है। सूक्ष्मदर्शी की सहायता से चीजों का अवलोकन व जांच किया जाता है वह सूक्ष्मदर्शन कहलाता है। सूक्ष्मदर्शी का इतिहास लगभग ४०० वर्ष पुराना है। सबसे पहले नीदरलैण्ड में सन १६०० के आस-पास किसी काम के योग्य सूक्ष्मदर्शी का विकास हुआ। .

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सीसा

विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध किया हुआ सीस; १ घन सेमी से घन के साथ (तुलना के लिए) सीस, सीसा या लेड (अंग्रेजी: Lead, संकेत: Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है। यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से.

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घंटा धातु

घण्टा धातु से निर्मित तोप घण्टा धातु (Bell metal) एक कठोर मिश्रातु है जिससे घण्टे और घंटियाँ आदि बनतीं हैं। यह एक प्रकार का कांस्य (bronze) है। इसमें ताम्र और टिन का अनुपात लगभग 4:1 रहता है (जैसे 78% ताँबा, 22% टिन, द्रव्यमान के अनुसार)। घण्टा-धातु का अयस्क टिन, कॉपर और लोहा का सल्फाइड होता है जिसे स्टैनाइट (stannite) कहते हैं। .

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गलनांक

किसी ठोस पदार्थ का गलनांक (या द्रवणांक (melting point) वह तापमान होता है जिस पर वह अपनी ठोस अवस्था से पिघलकर द्रव अवस्था में पहुँच जाता है। गलनांक पर ठोस और द्रव प्रावस्था साम्यावथा में होती हैं। जब किसी पदार्थ की अवस्था द्रव से ठोस अवस्था में परिवर्तित होती है तो जिस तापमान पर यह होता है उस तापमान को हिमांक (freezing point) कहा जाता है। कई पदार्थों में परमशीतल होने की क्षमता होती है, इसलिए हिमांक को किसी पदार्थ की एक विशेष गुण नहीं माना जाता है। इसके विपरीत जब कोई ठोस एक निश्चित तापमान पर ठोस से द्रव अवस्था ग्रहण करता है वह तापमान उस ठोस का गलनांक कहलाता है। .

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इस्पात

इस्पात (Steel), लोहा, कार्बन तथा कुछ अन्य तत्वों का मिश्रातु है। इसकी तन्य शक्ति (tensile strength) अधिक होती है जबकि प्रति टन मूल्य कम होने के कारण यह भवनों, अधोसंरचना, औजार, जलयान, वाहन, और मशीनों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। 'इस्पात' शब्द इतने विविध प्रकार के परस्पर अत्यधिक भिन्न गुणोंवाले पदार्थो के लिए प्रयुक्त होता है कि इस शब्द की ठीक-ठीक परिभाषा करना वस्तुत: असंभव है। परंतु व्यवहारत: इस्पात से लोहे तथा कार्बन (कार्बन) की मिश्र धातु ही समझी जाती है (दूसरे तत्व भी साथ में चाहे हों अथवा न हों)। इसमें कार्बन की मात्रा साधारणतया 0.002% से 2.14% तक होती है। किसी अन्य तत्व की अपेक्षा कार्बन, लोहे के गुणों को अधिक प्रभावित करता है; इससे अद्वितीय विस्तार में विभिन्न गुण प्राप्त होते हैं। वेसे तो कई अन्य साधारण तत्व भी मिलाए जाने पर लोहे तथा इस्पात के गुणों को बहुत बदल देते हैं, परंतु इनमें कार्बन ही प्रधान मिश्रधातुकारी तत्व है। यह लोहे की कठोरता तथा पुष्टता समानुपातिक मात्रा में बढ़ाता है, विशेषकर उचित उष्मा उपचार के उपरांत। इस्पात एक मिश्रण है जिसमें अधिकांश हिस्सा लोहा का होता है। इस्पात में 0.2 प्रतिशत से 2.14 प्रतिशत के बीच कार्बन होता है। लोहा के साथ कार्बन सबसे किफायत मिश्रक होता है, लेकिन जरूरत के अनुसार, इसमें मैंगनीज, क्रोमियम, वैंनेडियम और टंग्सटन भी मिलाए जाते हैं। कार्बन और दूसरे पदार्थ मिश्र-धातु को कठोरता प्रदान करते हैं। लौहे के साथ, उचित मात्रा में मिश्रक मिलाकर लोहे को आवश्यक कठोरता, तन्यता और सुघट्यता प्रदान किया जाता है। लौहे में जितना ज्यादा कार्बन मिलाते हैं इस्पात उतना ही कठोर बनता जाता है, कठोरता बढ़ने के साथ ही उसकी भंगुरता भी बढ़ती जाती है। 1149 डिग्री सेल्सियस पर लौहे में कार्बन की अधिकतम घुल्यता 2.14 प्रतिशत है। कम तापमान पर अगर लौहे में ज्यादा मात्रा में कार्बन हो तो इससे सिमेंटाइट का निर्माण होगा। लौहे में अगर इससे ज्यादा कार्बन हो तो यह कास्ट आयरन कहलाता है, क्योंकि इसका गलनाक कम हो जाता है। इस्पात, कास्ट आयरन से इसलिए भी अलग होता है क्योंकि इसमें दूसरे तत्वों की मात्रा अत्यंत कम होती है यानी 1 से तीन प्रतिशत के करीब.

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कांसा

कांसे की प्राचीन ढलाई। कांसा या कांस्य, किसी तांबे या ताम्र-मिश्रित धातु मिश्रण को कहा जाता है, प्रायः जस्ते के संग, परंतु कई बार फासफोरस, मैंगनीज़, अल्युमिनियम या सिलिकॉन आदि के संग भी होते हैं। (देखें अधोलिखित सारणी.) यह पुरावस्तुओं में महत्वपूर्ण था, जिसने उस युग को कांस्य युग नाम दिया। इसे अंग्रेजी़ में ब्रोंज़ कहते हैं, जो की फारसी मूल का शब्द है, जिसका अर्थ पीतल है। काँसा (संस्कृत कांस्य) संस्कृत कोशों के अनुसार श्वेत ताँबे अथवा घंटा बनाने की धातु को कहते हैं। विशुद्ध ताँबा लाल होता है; उसमें राँगा मिलाने से सफेदी आती है। इसलिए ताँबे और राँगे की मिश्रधातु को काँसा या कांस्य कहते हैं। साधारण बोलचाल में कभी–कभी पीतल को भी काँसा कह देते हैं, जा ताँबे तथा जस्ते की मिश्रधातु है और पीला होता है। ताँबे और राँगे की मिश्रधातु को 'फूल' भी कहते हैं। इस लेख में काँसा से अभिप्राय ताँबे और राँगे की मिश्रधातु से है। अंग्रेजी में इसे ब्रॉज (bronze) कहते हैं। काँसा, ताँबे की अपेक्षा अधिक कड़ा होता है और कम ताप पर पिघलता है। इसलिए काँसा सुविधापूर्वक ढाला जा सकता है। 16 भाग ताँबे और 1 भाग राँगे की मिश्रधातु बहुत कड़ी नहीं होती। इसे नरम गन-मेटल (gun-metal) कहते हैं। राँगे का अनुपात दुगुना कर देने से कड़ा गन-मेटल बनता है। 7 भाग ताँबा और 1 भाग राँगा रहने पर मिश्रधातु कड़ी, भंगुर और सुस्वर होती है। घंटा बनाने के लिए राँगे का अनुपात और भी बढ़ा दिया जाता है; साधारणत: 3 से 5 भाग तक ताँबे और 1 भाग राँगे की मिश्रधातु इस काम में लिए प्रयुक्त होती है। दर्पण बनाने के लिए लगभग 2 भाग ताँबा और एक भाग राँगे का उपयोग होता था, परंतु अब तो चाँदी की कलईवाले काँच के दर्पणों के आगे इसका प्रचलन मिट गया है। मशीनों के धुरीधरों (bearings) के लिए काँसे का बहुत प्रयोग होता है, क्योंकि घर्षण (friction) कम होता है, परंतु धातु को अधिक कड़ी कर देने के उद्देश्य से उसमें कुछ अन्य धातुएँ भी मिला दी जाती हैं। उदाहरणत:, 24 अथवा अधिक भाग राँगा, 4 भाग ताँबा और 8 भाग ऐंटिमनी प्रसिद्ध 'बैबिट' मेटल है जिसका नाम आविष्कारक आइज़क (Issac Babiitt) पर पड़ा है। इसका धुरीधरों के लिए बहुत प्रयोग होता है। काँसे में लगभग 1 प्रतिशत फ़ास्फ़ोरस मिला देने से मिश्रधातु अधिक कड़ी और चिमड़ी हो जाती है। ऐसी मिश्रधातु को फ़ॉस्फ़र ब्रॉज कहते हैं। ताँबे आर ऐल्युमिनियम की मिश्रधातु को ऐल्युमिनियम ब्रॉंज़ कहते हैं। यह धातु बहुत पुष्ट होती है और हवा या पानी में इसका अपक्षरण नहीं होता। .

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कांस्य युग

कांस्य युग उस काल को कहते हैं जिसमें मनुष्य ने तांबे (ताम्र) तथा उसकी रांगे के साथ मिश्रित धातु कांसे का इस्तेमाल किया। इतिहास में यह युग पाषाण युग तथा लौह युग के बीच में पड़ता है। पाषाण युग में मनुष्य की किसी भी धातु का खनन कर पाने की असमर्थता थी। कांस्य युग में लोहे की खोज नहीं हो पाई थी और लौह युग में तांबा, कांसा और लोहे के अलावा मनुष्य कुछ अन्य ठोस धातुओं की खोज तथा उनका उपयोग भी सीख गया था। कांस्य युग की विशेषता यह है कि मनुष्य शहरी सभ्यताओं में बसने लगा और इसी कारण से विश्व की कई जगहों में पौराणिक सभ्यताओं का विकास हुआ। इस युग की एक और ख़ास बात यह है कि विभिन्न सभ्यताओं में अलग-अलग लिपिओं का विकास हुआ जिनकी मदद से आज के पुरातत्व शास्त्रियों को उस युग के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य हासिल होते हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

मिश्र धातु, मिश्र धातुओं, मिश्रधातु, मिश्रातुओं, मिश्रित धातु

निवर्तमानआने वाली
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